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अनुरागिनी यक्षिणी से विवाह का सच्चा अनुभव भाग 1

अनुरागिनी यक्षिणी से विवाह का सच्चा अनुभव भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज यक्षिणी से संबंधित अनुभव को लेंगे जिसमें हिमाचल प्रदेश के एक साधक के जीवन में अनुरागिनी यक्षिणी से दोस्ती का अनुभव हमें प्राप्त होता है तो चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं इस अनुभव के विषय में।
हर हर महादेव नमस्ते गुरुजी मेरा नाम अमन चौधरी है। मैं हिमाचल प्रदेश के एक छोटे से गांव से हूं। आपका चैनल मुझे कुछ दिन पहले ही मिला था। जब आपकी वीडियो देखें तब लोगों के अनुभव बहुत अच्छे लगे तो सोचा अपना भी एक अनुभव आपको भेजूं। यह बात 5 साल पहले की है। आशा करता हूं। आपको मेरा अनुभव अच्छा लगेगा। अगर अच्छा लगता है तो आप इसमें चाहे तो वीडियो भी बना सकते हैं। गुरु जी मैं बचपन से मध्य प्रदेश अपने मामा के यहां पढ़ाई की है। बचपन से वही पला बढ़ा हूं जब जब मैं छुट्टियों में घर आता मेरे घरवाले और दोस्तों से एक डरावनी जंगल के किस्से सुनने को मिलते हैं। मेरे गांव के बाहर एक बड़ा जंगल है। उस जंगल में 100 साल पहले एक लड़की को कुछ लड़कों ने रेप कर मार डाला था। तब से वहां चुड़ैल होने की बात फैल गई जो अभी तक लोग मानते हैं। इस जंगल को चुड़ैल का जंगल कहते हैं क्योंकि जो भी वह अंदर गया, बेचारा लौट के नहीं आता। यह सब आज से 50 साल पहले तक हो रहा था। बाद में लोगों ने डर के मारे वहां जाना ही बंद कर दिया। आज से या आज भी उस जंगल में कोई नहीं जाता। मैंने अपनी पढ़ाई पूरी कर फिर 2 साल में वही किसी फैक्ट्री में काम किया और फिर मेरे गांव आया। मेरे घर वाले बहुत पूजा पाठ करते हैं। खास करके मां और पापा लेकिन मेरा भगवान हो या भूत प्रेत में। बिल्कुल विश्वास नहीं करता था। एक प्रकार से मैं नास्तिक था क्योंकि बचपन से मैं रोज शिवजी की पूजा पाठ करता था। 1 दिन मेरी छोटी बहन बहुत बीमार पड़ गई। डॉक्टर भी कह रहे थे कि उसके बचने के चांसेस बहुत कम है। उसी शाम को मैं गांव में एक बहुत बड़े पीपल के वृक्ष के नीचे बैठा था। वहां से एक संत जा रहे थे। उन्होंने मुझे उदास देखा और मेरे पास आकर पूछा। बच्चे क्या हुआ? उदास क्यों हैं तब मैं 11 साल का था। मैंने उन्हें अपनी बहन की हालात के विषय में बताया तो उन्होंने कहा, बच्चे तू देख ध्यान से सुन तुम शिवजी का महामृत्युंजय मंत्र का जाप करो। इस मंत्र के जाप से मृत्यु तक टल जाती है। उन्होंने मुझे समझाया कि किस प्रकार करना है।
फिर उनके अनुसार मैंने नहा धोकर शुरुआत की। 4 दिन बाद फिर मैंने मेरी बहन की बीमारी से मृत्यु हो ही गई। इसलिए मेरा भगवान से विश्वास ही उठ गया। मुझे लगा जिन्हें हम महाकाल कहते हैं, वही अपने भक्तों की रक्षा नहीं करते तो इनकी पूजा क्यों करूं। उस शाम भगवान जी की आरती कर रहे थे। इसलिए मैं अपने कमरे में गया, लेकिन मां मुझे पूजा में आने के लिए बुला रही थी। मैं नहीं गया था । फिर मैं रात का खाना खाकर अपने कजिन के साथ टेरेस पर बैठा ही था कि तभी उसने भूत-प्रेतों की बातें करनी शुरू कर दी तो मैंने साफ-साफ कहा कि मैं इन चीजों में नहीं मानता। मैंने सुना है। गांव के बाहर वाला जो जंगल है, क्या सच में वहां कुछ है। यह लोग जानवरों का शिकार हो गए हैं। उसने कहा नहीं। यह चुड़ैल वाली बात एक दम सच है। इसलिए तो कोई नहीं जाता। अंदर मैंने हंसते हुए कहा भाई क्या तुम भी ऐसी बेकार की बातों पर विश्वास करते हो? देखो भूत प्रेत कुछ नहीं होता। यह सिर्फ अंधविश्वास है। इस पर उसने सीरियसली कहा नहीं भाई ऐसी चीजें होती हैं। बस हमें दिखाई नहीं दे सकती। इनकी एक अलग दुनिया होती है। इनकी साधना करके सिद्ध भी किया जा सकता है। मैंने कहा यार, तुम इस सदी में जी रहे हो, यह सब मनगढ़ंत बातें हैं। इतना बोल कर सोने के लिए चला गया। फिर अगले दिन दोस्तों के साथ थोड़ा हंसी मजाक और उनके साथ घूमा मेरा एक अच्छा दोस्त है। वीर नाम का मैंने उसे बताया नहीं। तो गांव वाले जो कुछ बोल रहे हैं उस पर मेरा बिल्कुल भी विश्वास नहीं है। मुझे तो लगता है। यह जितने भी लोग थे, उन्हें जंगल के जानवरों ने अपना शिकार बनाया होगा तो वह भी अपनी बात पर अड़ गया। थोड़ी ही देर में हमारे बीच बहस हुई। इसलिए मैंने कहा ठीक है तो मैं उस जंगल के अंदर जा कर देखता हूं। क्योंकि जान का खतरा तो दिन में। तो होगा नहीं तो वह बोला यार भूत प्रेत रात क्या दिन क्या इंसान की बैंड बजा सकते हैं जो अपनी जिंदगी का मौका मौत के मुंह में डाल रहा है। तू मेरे साथ भाई ऐसा जो इसलिए तुझे समझा रहा हूं। ऐसा मत करना वरना लेने के देने पड़ जाएंगे। मैंने कहा ठीक है सबसे पहले तुम ही अपना डर दूर कर कोई चुड़ैल भूतनी नहीं होती। बोल मैं जंगल के रास्ते पर जाने लगा। वह मुझे रोकने लगा, पर मैं नहीं रुका। मैंने उसे कहा देख भाई मुझे आज देखना है। जरा मैं भी तो देखूं। तुम्हारे गांव में चुड़ैल होती है ना तुम चाहो तो आ सकते हो, ठीक है। तुम तो सुनने से भी अनदेखा कर रहे हो और बोला भी वह बेचारा डरते रहते। फिर मेरे साथ वह चलने लगा।

गुरुजी हम अंदर जाते जाते बहुत अंदर पहुंच गए। मैंने कहा यार तुम्हारी चुड़ैल कहाँ है। अभी तक आई क्यों नहीं बोल कर के हंसने लगा और वह बेचारा तो बहुत डरा हुआ था। वह बोला यार हम वापस लौट जाते हैं। मुझे तो बहुत डर लग रहा है। तभी हमारे सामने की झाड़ियां हिलने लगी। मैंने उसे कहा लगता है, जानवर है। हम उल्टे पैर पीछे जाने लगी। तभी झाड़ी में से चीता बाहर आ गया। यह देखकर हम और भी डर गए। हम पीछे जाते रहे। हम जोर-जोर से मदद के लिए गुहार लगाने लगे। लेकिन हम जंगल में बहुत अंदर थे वह जंगल के बाहर! तो किसी को भी नहीं सुनाई दे सकता था। वीर तो डर के मारे बेहोश हो गया। मैं यही नहीं चाहता था कि मेरी वजह से उसकी जिंदगी खतरे में पड़े, क्योंकि मेरे कहने पर ही वह मेरे साथ जंगल आया था। मैं उस चीते पर पत्थर मारने लगा, लेकिन डरने की जगह मुझ पर झपटने की कोशिश कर रहा था, मैं पीछे होते होते हैं पेड़ के पास पहुंच। वह मुझ पर छलांग मारने वाला था तभी वहां पता नहीं क्या हुआ। सब जगह धुआं ही धुआं हो गया। वह चीता दूर करके गिर गया। मानो उसे किसी ने फेंक दिया हो। मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था। आखिर यह क्या हो रहा है तभी एक लड़की जो अप्सरा से भी मनमोहक थी वह हवा में उड़ते हुए एक पेड़ पर चली गई। मैं उसे देखता रहा कि आखिर इतनी खूबसूरत दिखने वाली लड़की कौन है। उसके शरीर में से एक अलग ही तेज निकल रहा था। वह पेड़ में जाकर समा गई। धुआं हट गया। मेरे दोस्त को भी होश आ गया। उसे मैंने कुछ नहीं बताया। बस इतना कहा कि वह चीता अचानक भाग गया। कैसे भी करके उस जंगल से बाहर आकर वीर से पूछा कि क्या यह जो चुड़ैल है। क्या वह बहुत खूबसूरत है तो उसने कहा नहीं। बहुत खतरनाक है मैंने उसे कहा जंगल वाली बात किसी को ना बताएं, वह मान गया। फिर हम अपने घर आ गए। मैं यही सोच रहा था कि आखिर वह लड़की कौन थी जिसने हमारी मदद कर हमारी जान बचाई। रात को मैं यही सोचता रहा। मैंने तय किया कि कल फिर से जा करके देखूंगा कि आखिर वह है कौन फिर अगले दिन मैं उसी चुड़ैल वाले जंगल में जाने के लिए निकला जंगल के पास पहुंच थोड़ा डर लगने लगा। जो होगा

हो जाने दो यह सोचकर हिम्मत कर अंदर की तरफ बढ़ने लगा। जंगल के अंदर जाते जाते। मुझे जानवरों की आवाजें भी आ रही थी। इसलिए डर लग रहा था। चलते-चलते मैं बहुत अंदर पहुंच गया। मैं वापस जाने के बारे में सोच ही रहा था कि तभी मेरे सामने एक पेड़ के नीचे मेरी नजर गई और वह वही कल वाली कन्या वहां पर शिवलिंग की पूजा कर रही थी। गुरुजी मैं उसे एक पेड़ के पीछे देख कर छुप गया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था। इतनी रूपवान तेजस्वी कन्या वहां जंगल में शिवलिंग की पूजा क्यों कर रही है। उसने लाल साड़ी पहनी थी। पूजा समाप्त कर वह ध्यान करने बैठ गई। ऐसे ही शायद आधा घंटा वह बैठी रही और मैं उसे निहारता रहा। वह बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थी। वह ध्यान से उठी और जंगल में जाने लगी तो मैंने उसे आवाज दी। सुनिए मेरी आवाज सुनकर वो रुक गई। मेरी तरफ मुड़ी उसने पूछा, मैंने उन्हें पूछा कि आप इतने जंगली जानवरों के जंगल में आपको डर नहीं लगता। आखिर आप कहां से हैं? तो उन्होंने कहा जी नहीं, मैं बहुत सालों से यही रह रही हूं। मैंने पूछा तो क्या आपको वह चुड़ैल नहीं दिखी जिसकी बातें गांव वाले करते हैं। उन्होंने कहा, हां, वह अब मेरे नियंत्रण में है और मेरी सेविका शक्ति बन गई है। यह सुनकर मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैंने कहा, आप बहुत खूबसूरत हो, आपका नाम क्या है तो उन्होंने अपना नाम अनुरागिनी बताया। मैंने कहा, आपका नाम तो बहुत अच्छा है, पर यह जंगल सुरक्षित नहीं है। जंगली जानवरों का खतरा है। आपको अपने घर जाना चाहिए। इस पर वो बोली हां जाऊंगी। पर अभी मेरा समय नहीं आया है। वैसे आपका नाम क्या है? मैंने अपना नाम अमन बताया और उन्होंने कल के लिए फिर मैंने उन्हें धन्यवाद कहा, तब उन्होंने पूछा कि आप यहां जंगल में क्या कर रहे थे। तब मैंने कहा लोग यहां के बारे में गलत अफवाह फैला रहे थे इसलिए पता करने के लिए आया कि सच में कोई यहां आत्मा है भी या नहीं, लेकिन यहां आकर फस गया तो वह बोली खैर, मैं यहां अकेली इस पेड़ के नीचे ही रहती हूं, जहां शिवजी की पूजा करती हूं।

क्या मुझसे दोस्ती करोगे तो मैंने हां कह दिया। फिर गुरु जी मैं रोज उससे मिलने जाता था। वह मुझे धीरे-धीरे अच्छी लगने लगी। वह मेरी बहुत अच्छी दोस्त बन गई थी। ऐसे ही दो माह बाद एक दिन उसने मुझे शिवलिंग की पूजा करने के लिए कहा, तब मैं किसी भगवान को नहीं मानता था लेकिन उसकी खुशी के लिए करनी पड़ी। फिर उससे पूछा कि क्या तुम्हारी जिंदगी में कोई स्त्री है तो मैंने कहा जी नहीं। तुमसे सुंदर अभी तक कोई नहीं मिली। फिर मैंने उनसे पूछा कि तुम इतनी खूबसूरत हो। रात को तुम यहां कैसे रहती हो तो उसने कहा, बस 2 महीने रुको बाद में सारा रहस्य बताऊंगी। अब बताओ आज से 2 महीने पूरे हो गए। उन्होंने बताना शुरू किया कि सबसे पहले मुझे वचन दो तुम मेरा रहस्य किसी दूसरे को नहीं बताओगे। मैंने कहा, ठीक है कि मैं तुम्हारा राज किसी को नहीं बताऊंगा। उसने कहा सुनो, मैंने तुम्हें 2 महीने रुकने के लिए कहा, क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम अच्छे इंसान हो। तुम बहुत अच्छे इंसान के साथ दोस्त भी हो इसलिए बता रही हूँ। तुम सोच रहे होगे मेरे पास जादुई शक्तियां कैसे हैं क्योंकि मैं इस लोक की नहीं हूं। मैं एक यक्षिणी हूं और यहां यक्ष लोक से आई हूं। 500 साल मैंने यहां बिताए हैं क्योंकि मुझे अपने गुरु से श्राप मिला था। मेरी भूल के कारण 500 वर्ष मुझे इस जगह पर शिवजी की पूजा पाठ करनी होगी। तभी मेरा श्राप खत्म होगा। तब मैं अपने लोक लौट सकती हूं। मैं यहां से 3 साल बाद वापस जाऊंगी। यह सुनकर मैं चौक गया। मैंने कहा, यह कैसे हो सकता है कि कोई लड़की यहां की नहीं बल्कि यक्ष लोक की हो सकती है। वैसे भी मैं इन चीजों पर विश्वास नहीं करता था।

मैंने कहा, मुझे नहीं लगता है। ऐसा कुछ है तो उसने कहा ठीक है तो देखो बोलकर के हाथ में एक प्यारा सा फूल प्रकट कर दिया। यह देखकर मैं थोड़ा डर गया और पीछे हट गया। उसने कहा डरो मत मैंने कहा तो सच में तुम जैसी शक्तियां होती हैं पर वह किसी को दिखाई नहीं देती। तुम मुझे कैसे? दिखाई दे रही हो तो उसने कहा, आप मानस नहीं देख सकते। पर हां अवश्य ही कोई पूर्व जन्म का संबंध होना चाहिए, तभी देख सकते हैं। मैंने कहा ठीक है, पर मैं सच कहूं तो भगवान पर विश्वास नहीं करता। उसका कारण भी मैंने बताया। उसने कहा देखो विधि के विधान के आगे किसी का जोर नहीं चलता। जो होना है, वह होकर रहता है। उसमें भगवान भी हस्तक्षेप नहीं कर सकते। यही नियति का नियम है। उसका समय आ गया था। इसलिए उसे जाना पड़ा। देखो अमन इस संसार में बहुत ऐसे रहस्य हैं। तुम कभी सोच भी नहीं सकते। फिर ऐसे ही रोज उसके पास जाते 7 महीने हो गए थे। 1 दिन मै दोपहर के समय गया था। करीब 12:30 बजे का समय था और मुझे खाने के लिए भूख भी लग रही थी। इसलिए उसने कहा अच्छा! मैं अब खाना खाकर शाम को आता हूं तो उसने कहा रुको मैं आज तुम्हें स्वादिष्ट व्यंजन खिला देती हूं। बोलकर खाने की थाली सहित नाना प्रकार के पकवान उसने लाकर खड़े कर दिए। सच में उसने बहुत ही स्वादिष्ट भोजन खिलाया था। फिर कुछ दिन बाद मैं गया ही नहीं, क्योंकि मां की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। डॉक्टर ने भी जवाब दे दिया था इसलिए वह रात को मेरे पास आ गई।

मै सोच रहा था तभी वह मेरे सामने प्रकट हो गई। उसने पूछा कि आज क्यों नहीं आए। इस पर मैंने मां की तबीयत के बारे में सब कुछ बताया तो उसने कहा चिंता ना करो, तुम्हारी मां ठीक हो जाएंगी। यह मेरा तुमसे वचन है। बोल हाथ में कोई पाउडर की थैली प्रकट की और कहा दिन में एक बार पानी के घोल में उसे दे दो और ठीक हो जाएंगी। फिर मैंने ऐसा ही किया और दिन में एक बार पानी में दिया करता था। 4 दिन बाद वह बिल्कुल ठीक हो गई। मैंने उनकी शक्तियों को जानने के लिए यूट्यूब पर सर्च किया और मुझे काफी साधना मिली उन से रिलेटेड एक वीडियो में मैंने मंत्र लिया। रात को नहा धोकर अपने रूम में बैठकर जॉप करने बैठ गया। मंत्र इस प्रकार था ओम ह्री अनुरागिनी आगच्छ स्वाहा मंत्र मै जपने लगा थोड़ी देर। बाद वहां वह आ गई और बोलने लगी। यह क्या कर रहे हो, ऐसे किसी शक्ति की साधना नहीं करते। अगर करोगे तो पहले गुरु मंत्र से दीक्षित होकर ही अनुष्ठान को संपन्न करना चाहिए। खैर मैं तुम्हें अपनी सिद्धि विधि बताती हूं क्योंकि मुझे तुमसे प्रेम हो गया है। मुझे तुम्हारे जैसे ही सच्चे मनुष्य की तलाश थी। मुझे पता है कि तुम भी मन ही मन मुझसे प्यार करते हो। मैंने भी झिझकते हुए कहा हां। पहले दिन से तुम मुझे अच्छी लगी थी। उसने कहा देखो तो मुझे पत्नी के रूप में सिद्ध करो। मैं संसार के सारे सुख तुम्हें प्रदान करूंगी। तुम्हारी हर इच्छा पूर्ण करने में सक्षम हूं। तुम्हारी जिंदगी में कोई दूसरी स्त्री नहीं आ सकती क्योंकि अब तुम सिर्फ मेरे हो, बस यही मेरी इच्छा हैं। मैंने मानते हुए हां कहा, इतनी बला की खूबसूरत को क्यों कोई हाथ से छोड़ेगा। मुझे आपकी सारी शर्तें मंजूर है और एक खुशखबरी है। मुझे एक फैक्ट्री में काम मिल गया। इस पर उसने संस्कृत में कुछ कहा मुझे नहीं आती। इसलिए फिर से पूछा, तब उन्होंने कहा, तुम्हें जिंदगी के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त हो। माता तुम्हारा कल्याण करें।

फिर ऐसे कुछ दिन बीत गए। काम से घर शाम 7:00 बजे पहुंचता था। ऊपर से दिन भर की थकान तो जंगल जाना पास भी नहीं होता था फिर छुट्टी। मैं जंगल उससे मिलने गया। जब पहुंचा तब देखा वह पूजा कर रही थी। अपनी पूजा समाप्त कर जब मुझे देखा तब वह आई मुझे गले लग कर प्यार कर चूमने लगी और कहा देखो अमन छुट्टी के दिन के सिवाय तुम्हारे पास समय नहीं है। इसलिए आज से ही मेरी साधना करो। मैं रोज तुम्हारे घर आऊंगी। मैंने कहा ठीक है जैसा तुम कहो इस पर खुश होकर मेरे होठों पर चुंबन कर मुझे। साधना की विधि समझाई, फिर उसी दिन रात को नहा के स्वच्छ होकर साधना मैंने शुरू कर दी। थोड़े समय बाद वह आ गई और मेरे मस्तक और होठों पर चुंबन कर प्रेम करने लगी। हर रात यही होता था। हम दोनों में प्रेम होता ही गया पर शारीरिक संबंध नहीं। साधना के आखिरी दिन मैंने उसे बचन लिया। क्योंकि सुना था कि तांत्रिक शक्तियों से बचन लेना अनिवार्य है। इसलिए यह आवश्यक है। फिर मैं रोज शिवजी की पूजा करने लगा। वह भी रोज रात को मेरे साथ आकर प्रेम क्रिया करती। ऐसे ही एक रात को आई थी और मैं उससे बात कर रहा था। तब मेरी बातें मेरे भाई ने सुन ली और पूरे घर में फैला दी कि भैया रोज रात को अपनी गर्लफ्रेंड से बातें करते हैं। लेकिन मैंने साफ-साफ बता दिया कि मेरी कोई प्रेमिका नहीं है। मैं बस अपने दोस्त से बात कर रहा था। उन्होंने मुझे आर्थिक स्थिति में बहुत मदद की थी। फिर ऐसे ही 2 साल बीत गए और उसका श्राप मिटने वाला था। उसने कहा, अब तो मेरी उन सिद्धि करो ताकि तुम्हारे साथ अन्य लोगों को भी मैं दिखाई दूं।
लेकिन मैंने कुछ और ही सोचा था। मैंने कहा भी, इसका समय नहीं आया। भले ही मेरा विवाह तुमसे हुआ है। तुम मेरी पत्नी हो, पर घर वालों को कुछ नहीं पता। वह 2 या 3 साल बाद शादी की बात अवश्य करेंगे। तब मैं तुम्हें पूरी सिद्ध कर लावूँगा। अभी ये तो हजार सवाल करेंगे, कौन है कहां से आई है इस पर वह बोली पर मेरे प्रभाव से तुम बहुत ही आकर्षक हो गए हो। इसलिए तुम्हारे आसपास लड़कियों का घूमना और तुम पर डोरे डालना यह मुझे पसंद नहीं है। उस दिन मुझे पता चला कि मुझे लेकर वह बहुत possessive है। मैंने कहा ठीक है तुम जैसा चाहो मैं लड़कियों से दूर रहूंगा। उनसे दूरी रखूंगा। इससे वह खुश होकर मुझे चुंबन किया और जैसा सोचा था। समय आने पर घरवाले रिश्ते की बात चलाने लगे। 1 साल उन सबने कहा लड़की देखने जाना है, तैयार हो जाएं। मैंने साफ मना कर दिया और कहा, मैं अभी शादी नहीं कर सकता। मुझे किसी लड़की को नहीं देखना है। मुझे थोड़ा समय दे मुझे जो लड़की पसंद होगी, उसी से शादी करूंगा। वरना नहीं। यह सुनकर वह बोले, हां भाई कर ले सुना है तुम्हारी कोई प्रेमिका है उसका नाम? मैंने उसका नाम बताया और बताया कि वह बेचारी अनाथ है। वह दूसरे गांव में रहती है। तब तक मुझे पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर चुकी थी। दूसरे दिन मैं घर वालों से उसे मिलाया घरवालों को भी वह पसंद आ गई। फिर कुछ दिनों बाद हमारी शादी हो गई घरवालों की रजामंदी से, गुरुजी अनुभव मैंने उसके अनुमति से लेकर के ही भेजा है जो शत-प्रतिशत सच्चा है। मेरा आपसे एक सवाल था कि क्या आज भी ऐसी? श्रापित शक्तियां जंगल में होती हैं। यह था मेरी जिंदगी है। सच्चा अनुभव आपको झूठ लग रहा होगा क्योंकि बाकी लोगों को बताया तो उन्हें भी यही लगेगा। आपको मेरा अनुभव भेजा क्योंकि लोग भी यहां भेजते हैं और उसकी गोपनीयता भी कभी भंग नहीं होती। हर हर महादेव!
सन्देश- देखे यहां पर आपने अपना अनुभव भेजा है। मैं किसी के भी अनुभव पर कभी प्रश्न नहीं उठाता क्योंकि लोग अपनी एक अच्छी सोच और विश्वास करके ही मेरे पास अनुभव भेजते हैं। निश्चित रूप से आज भी जंगलो में श्रापित शक्तियां विराज मान है आपके साथ सच में कोई यक्षिणी निवास कर रही है तो इससे बड़ी विचित्र और सुंदर बात कोई नहीं हो सकती। आप उनके साथ जीवन में आगे बढे और रहस्यमई अनुभवों को भेजते रहिए ताकि आपके साथ। जितने भी धर्म रहस्य की जनता है वह सभी लाभांवित हो, रही बात आपको उस जंगल के विषय में अवश्य ही बताना चाहिए कि वह कहां पर स्थित है और इसके अलावा एक सुझाव यह है कि आप एक यक्षिणी के माध्यम से जितने भी रहस्य पता कर सकते हैं, वह भी अवश्य ही करते रहे तो यह था  इनका अनुभव। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

अनुरागिनी यक्षिणी से विवाह का सच्चा अनुभव भाग 2

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