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आनंद भैरव और शक्तिशाली केसी पिशाचिनी 5 वां अंतिम भाग

आनंद भैरव और शक्तिशाली केसी पिशाचिनी 5 वां अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । आनंद भैरव और शक्तिशाली केसी पिशाचिनी में अभी तक आपने जाना किस प्रकार से केसी ने अपने पूर्व जन्म में घटित सारी घटनाएं घटनाओं के बारे में एक ऋषि को बताया । जो उसको रोकने के लिए आए हैं जिनका नाम सुलभ नाथ है । उन सुलभ नाथ नाम के ऋषि को सारी बात बता दी गई है । ऋषि सुलभ नाथ अब कोशिश कर रहे हैं कि वह किसी भी तरह से केसी को समझा पाए । चलिए जानते हैं आगे क्या घटित हुआ । ऋषि सुलभ नाथ ने अब केसी से कहना शुरू किया की तुम नहीं जानती कोई भी कर्म अपने आप में पूर्ण नहीं होता कर्मों का प्रभाव जन्म जन्मांतर तक चलता है । तुम अपनी शक्तियों को फिर बदले के लिए क्यों गवाना चाहती हो । अगर तुम ऐसा करोगी तो ना तो सिर्फ तुम्हारी शक्तियां भी समाप्त हो जाएगी और तुम्हारा यह जीवन भी निरर्थक हो जाएगा । जो कुछ भी हुआ उससे कहीं अधिक उत्तम है कि तुम शरण ले लो माता माया की और भगवान आनंद भैरव की । लेकिन इस बात को समझाना केसी के लिए बहुत ही कठिन था । क्योंकि केसी उनकी किसी भी बात को समझने के लिए तैयार ही नहीं थी । केसी ने कहा ऋषि सुलभ नाथ मैं आखरी बार आपको चेतावनी देती हूं मुझे इस कन्या को सौंप दो मैं इसका मारण कर देना चाहती हूं ।

मैं इसे मार कर अपनी इच्छा पूरी करना चाहती हूं कहीं सौ साल मेरे इस कार्य में बर्बाद हो गए । मेरी स्वरूप और शक्तियां पिशाचिनी की हो गई और मैं जीवन का आनंद भी नहीं ले पाई । जिस राजकुमार से मेरा विवाह होना चाहिए था इसने मुझसे उससे छीन लिया था इसलिए बदला तो मैं लेकर ही रहूंगी तुम्हारी कहीं किसी भी बात का मुझ पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ने वाला । और देखते ही देखते दोनों लोग एक दूसरे को अपनी बातें बताते रहे । अब क्रोध में भरकर केसी ने शक्तिशाली अस्त्रों शस्त्रों का प्रयोग करना शुरू कर दिया । उसके अस्त्र शस्त्रों को सन्यासी सुलभ नाथ रोकते रहे काफी देर तक । इस पर अत्यधिक क्रोधित हो जाने पर केसी ने कहा मैं आप पर वशीकरण पिशाचिनी का प्रयोग करूंगी आपको यहीं पर वश में करके अब इस कन्या का वध करूंगी । अब उसने अपनी सबसे शक्तिशाली शक्ति का प्रयोग कर डाला तुरंत ही वहां पर ऋषि जर्बत हो गए । ऋषि ने कहा कि अब तो केवल और केवल आनंद भैरव ही मेरी रक्षा कर सकते हैं । उन्होंने जर्बत होने से पहले अपने प्रभु आनंद भैरव को याद किया । उन्होंने कहा कि मेरे प्राण और इस कन्या के प्राण तुरंत आप ही बचा सकते हो । इस प्रकार आवाहन किए जाने पर तुरंत ही वहां पर आनंद भैरव प्रकट हो गए । आनंद भैरव को अपने सामने देखकर केसी आश्चर्य में पड़ गई । वह जैसे ही ऋषि का अंत करने वाली थी आनंद भैरव ने क्रोध में आकर उससे कहा मैं यहां पर अपने भक्तों की रक्षा के लिए उपस्थित हुआ हूं । मेरी इच्छा के विरुद्ध तू कोई भी कार्य नहीं कर सकती और उन्होंने तुरंत ही केसी को रोक दिया ।

केसी गुस्से में आकर कहने लगी आप होते कौन हैं मेरे कार्य को रोकने वाले । इधर आनंद भैरव ने ऋषि सुलभ को मुक्त कर दिया । ऋषि भी कहने लगे इसने मूर्खतापूर्ण काम किया है प्रभु यह अपनी इच्छा पूर्ति के लिए दो-दो हत्या करने वाली है । यह पहले कन्या की हत्या करेगी और उसके बाद उस लड़के को भी मार डालेगी । यह सुनकर आनंद भैरव जी ने कहा क्या सच में तुम्हारी इतनी बड़ी इच्छा है कि तुम अपने अस्तित्व को अपनी एक इच्छा के लिए नष्ट कर देना चाहती हो । इस पर केसी ने कहा हा मैं इस इच्छा को प्राप्त करने के लिए कुछ भी करूंगी । इस पर आनंद भैरव ने कहा तुमने पिछले जन्म में मेरी साधना की थी मैं उसका फल तुमको दे सकता हूं । इस पर केसी ने कहा सच में अगर आप मुझे अपने पूर्व जन्म का फल देना चाहते हैं तो मैं यही मानती हूं कि मैं इस कन्या का वध कर पाऊं और मुझे कोई भी रोक नहीं पाए । आनंद भैरव कहते हैं कि मैं तुम्हारी इच्छा पूर्ण करूंगा लेकिन तुम्हें भी मुझे एक वचन देना पड़ेगा । केसी पूछती है कि आप बताइए कि आप मुझसे कौन सा वचन लेना चाहते हैं । आनंद भैरव ने कहा कि जैसे ही तुम इस कन्या और इसके पति का वध कर दोगी फिर तुम इन दोनों को क्षमा कर दोगी और साथ में सदा के लिए शांत हो जाओगी इतना ही नहीं और सदा ही इस ईर्ष्या का त्याग कर दोगी । क्या तुम यह करने के लिए तैयार हो । केसी ने कहा हां मैं वचन देती हूं अगर आपने मेरी इच्छा पूर्ण करने में मेरी सहायता की तो मैं सदैव के लिए अपना बदला त्याग दूंगी और इन्हें क्षमा भी कर दूंगी और अपने मन से सदा के लिए बैर भाव भी मिटा दूंगी ।

आनंद भैरव मुस्कुराने लगे और उन्होंने कहा जा कर ले अपनी इच्छा पूर्ण । केसी बहुत अधिक प्रसन्न हो गई उसने तुरंत ही कन्या के शरीर में प्रवेश कर उसकी हत्या कर दी कन्या तुरंत ही जमीन पर गिर गई । और बाहर निकलते हुए हंसते हुए चारों ओर चीखने लगी इसके बाद उसने उस लड़के की भी हत्या कर दी जोकि वहां सजा धजा बैठा था । दोनों को मारकर आकाश में चारों और हंसते हुए घूमती हुई और इधर उधर आनंदित होती रही । अब आनंद भैरव ने उससे पूछा क्या तेरी इच्छा पूर्ण हुई । इस पर उसने कहा हां प्रभु मेरी सारी इच्छाएं पूर्ण हो चुकी है और मैं अब शांत हूं और अब मैं इन दोनों को माफ भी करती हूं । जैसे ही उसने यह कहा तुरंत ही वहां पर वह कन्या जमीन से उठ खड़ी हुई साथ ही साथ वह लड़का भी जो उसके साथ विवाह हुआ था । दोनों ने केसी को प्रणाम किया । केसी यह देखकर आश्चर्य में पड़ गई और कहने लगी कि मैंने तो इनका वध कर दिया था फिर यह जीवित कैसे हो गए । इस पर आनंद भैरव कहने लगे जैसे तूने मारने की इच्छा अपनी नजर में रखी । मैंने इन्हें जीवित करने की रखी और इस प्रकार तेरा वचन भी रह गया और मेरा वचन भी । इस पर केसी कहने लगी आपने मुझे धोखा दिया है और मैं इसका वध नहीं कर पाई । तब आनंद भैरव ने कहा यह संपूर्ण जगत ही माया है एक माया तब भी थी जब तू शक्ति प्राप्त कर राजकुमार से इच्छा प्राप्त करने की इच्छा से वन में गई और सिद्धियों को प्राप्त किया । एक इच्छा तेरी यह है कि इच्छा से प्रभावित होकर जब तेरी इच्छा पूरी नहीं हुई तो एक नई बदले की इच्छा ने तेरे हृदय में निवास बना लिया ।

यह संपूर्ण जगत माया का विकार है इस विकार में फस कर तू सब कुछ गवा रही थी । इसलिए मैंने यह माया रची और तुझे समझाने का प्रयत्न किया की जगत में सारे रिश्ते नाते संबंधी विभिन्न प्रकार क्रियाएं अवस्था रुपी है और अवस्थाएं समय-समय पर बदलती रहती है । इसलिए कुछ भी सत्य नहीं संपूर्ण जगत ही माया का है । इस नगर को भी मां पराशक्ति के एक रूप माया देवी का रूप माना जाता है । इसलिए मैं यहां अपनी माया से जगत की रक्षा करता हूं और इसी माया नगरी को अपना संरक्षण प्रदान करता हूं । इसलिए यहां का कोतवाल भी कहलाता हूं । सारी बात और सारा रहस्य समझाने के बाद में केसी अब शांत हो गई थी । केसी रोते हुए कहने लगी मेरा पूर्व जन्म और यह जन्म दोनों निरर्थक हो गए हैं प्रभु । प्रभु आप अगर प्रसन्न हो तो मुझे सदैव के लिए अपनी शरण में ले लो । आनंद भैरव प्रसन्न हो जाते हैं और कहते हैं आज से तू मेरी शक्ति बनकर सदैव मेरी सेवा में रहेगी । इस प्रकार केसी पिशाचिनी सदैव के लिए आनंद भैरव की शक्ति बन गई । तो इस प्रकार से यहां पर यह कथा समाप्त होती है । मलन को यहां पर गुरु ने इस कथा के विषय में समझाया और कहा किसी भी इच्छा से साधना करना ही विनाश को जन्म देता है । इसलिए केवल लोगों की भलाई के लिए और आनंद प्राप्त करने के लिए ही आनंद भैरव की साधना करनी चाहिए । मलन इस बात को स्वीकार कर लेता है और सदैव के लिए आनंद भैरव की भक्ति में खो जाता है । तो यह थी कथा आनंद भैरव और शक्तिशाली केसी पिशाचिनी की । अगर आपको यह कथा पसंद आई है तो चैनल को लाइक करें शेयर करें सब्सक्राइब करें शेयर करें । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

 

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