कब्रिस्तानी परी साधना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक विचित्र साधना लेकर के आए हैं और यह साधना। एक ऐसी साधना है जो। कुछ ही दिनों में सिद्ध हो जाती है और इसमें 100% अनुभव भी होता है। इसलिए इस साधना को प्राचीन काल से गोपनीय रखा गया। कई मुस्लिम पीर फकीरों ने और हिंदू तांत्रिकों ने भी इस साधना को किया हुआ है। इस साधना के विषय में जो भी ज्ञान अब उपलब्ध है इसी को मैं आप लोगों के साथ आज शेयर कर रहा हूं। यह साधना कब्रिस्तान में की जाती है। इसलिए कमजोर दिल वाले साधक और जिनकी विशेष रूप से ब्रम्हचर्य शक्ति कमजोर है वह यह साधना ना करें क्योंकि जो शक्ति को ना संभाल पाए उसके लिए यह साधना करना उपयुक्त नहीं होता। इस साधना के लिए आप किसी भी नौचंदी जुमेरात जिसे कहते हैं यानी कि संक्रांति के बाद का प्रथम शुक्रवार को शुरू कर सकते हैं। लेकिन सबसे पहले महत्वपूर्ण है एक ऐसे? 500 वर्ष पुराने कब्रिस्तान की तलाश करना, एक ऐसा कब्रिस्तान जहां पर पिछले 500 वर्षों से एक ऐसी स्थिति पैदा की जा रही हो जब?
वहां हमेशा ही कब्रे आती हो। कब्रे वहां होना बहुत ही आवश्यक होता है? कब्रों में कई सारी शक्तियां पहले से ही निवास करती रहती हैं। इसीलिए ऐसी साधना ओं में आप लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता अवश्य होती है तो जब भी ऐसी साधना करने जाएं, आप अपने योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही साधना करें। इसके अलावा अपनी रक्षा के लिए आपके पास सुरक्षा ताबीज भी होना आवश्यक है। सुरक्षा ताबीज कैसे बनाया जाता है यह आप अपने गुरु अथवा किसी योग्य तांत्रिक के माध्यम से बनवा सकते हैं। तब आपके लिए यह साधना करना सरल हो जाएगा क्योंकि शक्तियां अगर मस्तिष्क पर हावी हो या फिर आपके साथ कुछ गलत करने की कोशिश करें तो आप सावधानीपूर्वक अपनी रक्षा कर सकें। इसलिए अब यह इंपॉर्टेंट हो जाता है कि अब आप जो साधना करने जा रहे हैं उसके लिए आप स्वयं को किस प्रकार तैयार कर चुके हैं। इस साधना के लिए आपको सबसे पहले नौचंदी जुमेरात यानी शुक्रवार को इस साधना के लिए घर से निकलना है इस साधना में। आपको रात के 11:00 बजे से बैठना होता है। इसलिए कब्रिस्तान में कोई आपको डिस्टर्ब ना करें या कोई भी आपकी साधना रोकने या उसे देखने के लिए वहां पर उपस्थित ना हो यह आवश्यक है। आप किसी भी पुरानी? जो सबसे पुरानी नजर आ रही हो उस कब्र पर बैठकर सबसे पहले हरे रंग का एक कपड़ा बिछाने उस पर वज्रासन मुद्रा यानी जैसे नमाज पढ़ी जाती है, उसी तरह बैठ जाना है। लेकिन सबसे पहले आप नहा धो ले और उसके बाद पूरी तरह नग्न होकर। आपको वज्रासन मुद्रा में बैठकर इसके मंत्रों का जाप करना होता है। सामने चमेली के तेल का दिया जला ले और जगह ऐसी होनी चाहिए। जहां हवा तेज ना चले वरना आपका दीपक बुझ जाएगा और आपकी साधना भी खंडित हो जाएगी। साधना काल में जब तक दीपक जलता है तब तक आपको साधना करनी होती है। और सूरज के प्रकाश को निकलने से पहले ही आपको अपनी साधना पूर्ण कर लेनी होती है। इसीलिए रात्रि में ऐसे समय पर जाए जिससे आपकी साधना पूर्ण हो जाए। भोग के लिए आप फल और मिठाई अपने पास रख लीजिए। इसके अलावा एक पानी का पात्र लोबान की धूनी आदि वहां पर रखकर जलाते है। चमेली का इत्र भी अपने पास रखें। थोड़ी सी रुई भी अपने पास रखें। उसे इत्र का फोया दे मतलब थोड़ी सी रुई पर इत्र लगाकर आपको रखना है। अब! इसके लिए आप सफेद हकीक की माला से जाप करेंगे। क्योंकि आपको कोई वस्त्र नहीं पहनना है। और पूर्णता नग्न होकर ही यह साधना करनी है। इसलिए सावधानी पूर्वक ही सही जगह का चुनाव करें। दिशा पश्चिम की ओर मुंह करके ही यह साधना करनी होती है। साधना करते वक्त ज्यादा हिले दुले नहीं और मंत्र का जाप करते रहे। सबसे पहले अपने गुरु का पूजन करें उससे आज्ञा मांगे उसके बाद। अपने शारीरिक रक्षा मंत्र का एक बार जाप कर। प्रार्थना करें कि मेरी रक्षा हर प्रकार से हो। आपको मंत्र की? 41 माला करनी होंगी। आप जप से पहले आसन पर बैठकर सिगरफ़ से चारों तरफ एक रेखा भी खींच ले, दूध का बना प्रसाद, बर्फी इत्यादि सब लेकर वहां पर बैठे और अपनी साधना शुरू करें। सबसे पहले तेल का दीपक जोकि चमेली के तेल का दीपक है। उसे जला ले और फिर लोबान सुलगा दे। इस प्रकार आपको यह साधना को 21 दिन तक करनी होती है। इसमें रोज रात को आपको जाना है और यह साधना पूर्ण करनी होती है। इसमें आपको जो मंत्र पढ़ना है वह इस प्रकार से है। बिस्मिल्लाह सुलेमान कब्रिस्तान परी हाजिर हो, आकर मेरी इज्जत रख!
बिस्मिल्लाह सुलेमान कब्रिस्तान परी हाजिर हो, आकर मेरी इज्जत रख। इस मंत्र को ही आपको जाप करते रहना है और माला पूर्ण करने के बाद सारा सामान लपेट कर के आपको किसी जगह गड्ढा खोदकर उसके अंदर डाल देना है और इस प्रकार आपको रोज 21 दिनों तक ऐसा ही करना है। किसी भी दिन आपको जब वह आएगी तो खुशबू अपने चारों तरफ महसूस होगी। जिस तरह आप नग्न होकर बैठे हैं उसी तरह पूर्ण नग्न अति सुंदर शरीर के साथ आपके पास उपस्थित होती है और फिर आप के जाप के दौरान ही आपकी जांघों पर बैठकर आपके साथ संभोग करने लगती है। इस दौरान सावधानी पूर्वक अपना मंत्र जाप आपको पूर्ण करना होता है। अन्यथा आपका दिमाग भटक जाएगा और आपका वीर्य निकल जाएगा। इससे आपकी साधना भंग हो जाती है। लेकिन अगर आप ध्यान पूर्वक साधना करते रहे तो आपका ब्रह्मचर्य नष्ट नहीं होगा। इसके बाद हार कर वह आपके सामने बैठ जाएगी। आप का जाप पूर्ण हो जाने पर। अपने पास रखी हुई गुलाब की माला उसके गले में पहना दे और उससे कोई निशानी मांग ले। ज्यादातर हम अंगूठी मांगते हैं। वह अंगूठी अपने हाथ में पहन लीजिए यह अंगूठी की वह शक्ति होगी जिसके माध्यम से इस मंत्र को सात बार जब कर अंगूठी को रख देंगे तो वह प्रत्यक्ष आपके सामने उपस्थित हो जाएगी और फिर आप उससे शारीरिक सुख धन, रुपया, पैसा, कोई सामग्री मंगाना या फिर किसी का कार्य करवाना इत्यादि विभिन्न प्रकार की। जो भी इच्छाएं हैं, वह पूर्ण कर सकते हैं, लेकिन यह सब इतना आसान नहीं होगा। साधना काल में भूत प्रेत, जिन्न इत्यादि शक्तियां आपकी साधना भंग करने की कोशिश करेंगे और स्वयं परी भी आपकी ब्रह्मचर्य परीक्षा लेगी और आपके वीर्य को निकालने की कोशिश करेंगी। वीर्य के निकलते ही साधना भंग हो जाती है। इस बात का सदैव ख्याल रखें और संभोग करते या जब वह संभोग आपके साथ कर रही होगी तो उस दौरान आपको अपना ध्यान केवल मंत्र जाप में लगाना है। इससे आपका ब्रह्मचर्य नष्ट नहीं होता है। यह एक प्राचीन और अति गुप्त साधना थी जो मैं आज आप लोगों के लिए लेकर आया था। तो यह थी आज की साधना अगर आपको आज का वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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