काम या भोग पिशाचिनी की कहानी भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । काम या भोग पिशाचिनी की कहानी आपको मैं बताता हूं । किस प्रकार से ध्रुवी के जीवन में परिवर्तन आया । जैसा कि मैंने कहा ध्रुवी ने प्रेत का आवाहन किया था । वह प्रेत उनकी डलिया खींचने लगा और वह खींचता हुआ चला गया कि कुछ ही घंटों में अंडमान से लेकर के भारत की भूमि तक पहुंच गए । बंगाल पहुंचने पर जब वहां उतरी तो गोपाल बहुत खुश हुआ । गोपाल ने कहा अब तुम मेरे जीवन से निकल जाओ कारण कि मैं तुम्हारे साथ अब भोग नहीं कर सकता । मैं तुम्हें संतुष्ट नहीं रख पाऊंगा । इसलिए तुम चली जाओ ध्रुवी ने कहा नहीं तुम्हें मैं अपने पति के रूप में प्राप्त कर चुकी हूं । और अब मैं कभी भी नहीं बदलने वाली हां मैं तुम्हें शपथ देती हूं मैं तुम्हारा अब रक्त नहीं पियूंगी । केवल तुम्हारे साथ तुम्हारी पत्नी बनकर रोज उपभोग अवश्य करूंगी । लेकिन अब कभी भी तुम्हारा रक्त नहीं पियूंगी । मुझे अपनी पत्नी स्वीकार कर लो । मैं तुम्हारे अलावा किसी और पुरुष आकर्षित नहीं होंगी । अपनी पत्नी मुझे स्वीकार कर लो ।
उसके गिड़गिड़ाना और याचना करने पर गोपाल का मन पिघल गया । गोपाल ने सोचा चलो कोई बात नहीं अगर यह बदलती है तो सब सही हो जाएगा । फिर उसने कहा सबसे पहले तुम वस्त्र पहनना सीखो वस्त्र पहनने की तुम चेष्टा करो । गोपाल उसके लिए वस्त्र ले आया । और फिर उसे पहनना सिखाया उसे साड़ी बांधना वह तब जान पाई अब ध्रुवी साड़ी पहन कर उसके साथ रहने लगी । उसने कहा कि तुम जीवन में अपने कार्य करो और मैं आज से तुम्हारे पत्नी और ग्रहणी बनकर रहूंगी । और तुम यह बात किसी को मत बताना इस प्रकार से वह उसने उस बंगाल में फिर से उस तरह की औषधि बना ली जिसका वह रोज अपने पति को पिलाती । और स्वयं पी लेती और वह पूरी रात भोग करते । लेकिन अब ध्रुवी ने अपनी शक्तियां गोपाल को भी देना शुरू कर दी इसलिए रात भर भोग करने के पश्चात बिल्कुल भी थकावट गोपाल को नहीं लगती थी । इस प्रकार दिन बीते चले जा रहे थे सब कुछ अच्छा चल रहा थाव। इधर इस द्वीप पर जो महा पूजारनी थी । उसे जब पता लगा उनकी एक पिशाचिनी बच कर निकल गई है यहां से उसे बड़ा क्रोध आया ।
उसने कहा कुछ भी करके या तो उसे वापस लाओ या तो मृत्यु दंड दे दो । मृत्युदंड ही देना उपयुक्त है क्योंकि वह वापस तो आएगी नहीं । इसलिए उन्होंने एक गोपनीय तंत्र करने की सोची जिसके लिए 6 या 7 कन्याएं वहां उपस्थित की गई । महा पिशाचिनी की पुजारनी ने उनको ऐसा समझाया किसी प्रकार से भी अगर ध्रुवी का स्वच्छता भंग कर दो । उसका उल्टा प्रभाव ध्रुवी पर ही पड़ेगा । और गोपाल का रक्त दूषित हो जाने की वजह से ध्रुवी के साथ जब वह संबंध बनाएगा । तो ध्रुवी धीरे-धीरे करके मृत्यु का कारण बन जाएगी। इस गोपनीय तंत्र के साथ उस पुजारनी ने अपनी कन्याओं को वहां भेजा । दिव्य शक्तियों की वजह से वह कन्याए उड़ती हुई वहां तक पहुंच गई । पहुंचने के बाद में उन्होंने सुंदर स्त्रियों का भेष बनाया । और नीचे दरवाजे पर आकर के भिक्षा मांगने लगी । ध्रुवी ने बाहर निकल कर के उन्हें भोजन कराया और उन देव कन्याओं ने ध्रुवी से कहा । हे कन्या अपने पति के साथ सुख प्राप्त कर रही हो पर तुमने अपने पति को बहुत सी चीजें नहीं दी है । जैसे घर बार में जो समान होता है । वह चीजें तुम्हें उपलब्ध करानी चाहिए ऐसा करो अपने पति को कहीं भेज दो और वह चीजें मंगा लो । ताकि आप दोनों सुख प्राप्त कर सके क्योंकि ध्रुवी ने दुनिया नहीं देख रखी थी । उसने इनकी बात मान ली और अपने पति को सामान लाने घर का भेज दिया ।
थोड़ी ही दूर उसका पति गया ही था । तब तक ध्रुवी पीछे से दौड़ती हुई आई और कहने लगी अरे सुनिए । आपके साथ मुझे भी चलना है मैं भी तो देखूं दुनिया आखिर कैसी है । इस बात पर गोपाल ने कहा ठीक है मगर तुमने घर क्यों खुला छोड़ दिया है ध्रुवी ने कहा कोई बात नहीं आप जहां है वही मेरा घर है । ऐसा कहकर थोड़ी दूर वह चलने लगे रात्रि में एक जगह पर वर्षा होने लगी तो दोनों भागते हुए । एक झोपड़ी थी उसके अंदर चले गए । वहीं पर उन्होंने लकड़ियां जलाकर आग तापना शुरू कर दिया । ध्रुवी ने एक बार फिर से वह प्याला गोपाल को पिलाया और खुद भी पी लिया और वह दोनों भोग करने लगे सुबह हो गई तो गोपाल ने उठकर देखा ध्रुवी नहीं है । वह कुछ समझ नहीं पाया और सामान लेने के लिए आगे बढ़ चला सोचा शायद ध्रुवी वापस तो नहीं चली गई है । लेकिन उसके साथ छलावा हो गया था । वास्तव में उसके साथ 6 7 पिशाचिनी ने संबंध बना लिया था । और ध्रुवी का रूप लेकर के संबंध बना लिया था। और इस बात को गोपाल समझ नहीं पाया था । अब संबंध नष्ट होने की वजह से उसका रक्त दूषित हो चुका था । वह सामान लेकर घर वापस आया और ध्रुवी उसे देख कर बहुत खुश हुई और फिर ध्रुवी पूछने लगी कहां गए थे । गोपाल को कुछ समझ नहीं आया और गोपाल ने कहा तुम तो रास्ते से ही वापस आ गई थी ।
ध्रुवी को भी बात समझ में नहीं आई ध्रुवी ने कहा चलिए छोड़िए । इन सब बातों को और आइए प्रेम पूर्वक खाना खाइए । और इसके बाद दोनों ने मिलकर खाना खाया । रात होने पर ध्रुवी ने गोपाल से रमण का फिर से प्रस्ताव रखा । और उन्होंने फिर वही प्याले में औषधि पी आधी गोपाल ने पि और आधी ध्रुव ने पी ली दोनों भोग करने लगे । जैसे ही भोग होने लगा तो ध्रुवी को अत्यधिक ही कष्ट हो रहा था । इस दौरान और ध्रुवी इस बात को समझ नहीं पा रही थी यह हो क्या रहा है। वह सोच रही थी आज मुझे कुछ सुख प्राप्त नहीं हो रहा है भयंकर पीड़ा महसूस हो रही है । लेकिन वह बात समझ नहीं पाई इस प्रकार सुबह हो गई । ध्रुवी ने देखा कि उसके कमर के चारों तरफ का भाग नीला पड़ चुका है । इस बात को समझने के लिए ध्रुवी ने अपनी तांत्रिक शक्तियों का प्रयोग किया और पता लगाया और उसे पता लगा कि वहां पुजारिणी ने उसके साथ धोखा किया है । और उसकी ही सहेलियां गोपाल के साथ रमण कर चुकी है । इस वजह से उसका पति वर्ता भंग हो चुका है । उसकी शक्तियां अब जाने वाली है धीरे-धीरे करके ध्रुवी का शरीर सड़ता चला गया और वह 1 दिन मृत्यु को प्राप्त हो जाएगी । ध्रुवी इस बात से बहुत दुखी होने लगी उसने यह बात गोपाल को बता दी । गोपाल से उसने कहा शायद अब मेरी मृत्यु हो जाएगी । लेकिन तुम दूसरा विवाह मत करना मैं तुम्हें एक गोपनीय मार्ग बताऊंगी और निश्चित रूप से मैं तुम्हें कान में एक बात बताऊंगी । याद रखना मैं जब भी तुम्हें बताऊं उसे सुन लेना और कहने लगी अब मैं यहां से जा रही हूं।
अगर तुमने अब मुझे छुआ या प्राप्त किया तो मैं मारी तो जाऊंगी साथ ही तुम भी मारे जाओगे । गोपाल के कुछ समझ ना आने पर गोपाल ने कहा चलो ठीक है इससे संबंधित तो छूटेगा । वह बात को समझ नहीं पाया इस प्रकार से ध्रुवी वहां से चली गई रोते-रोते काफी दूर जाने के बाद एक प्राचीन मंदिर नजर आया । वहां पर पहुंचकर के साधु अहोड से मुलाकात हुई ध्रुवी ने उस अहोड साधु से अपनी पूरी बात बताई । ध्रुवी की बात सुनकर अहोड़ ने उससे कहा कि अगर तुम कामकला काली देवी की साधना करो । और मृत्यु से पहले तुम देवी को प्रसन्न कर लो । तो निश्चित रूप से वह तुम्हें ऐसी शक्ति प्रदान करेगी । कि जिससे तुम्हें फिर से तुम अपने पति को प्राप्त कर पाओगी । अब कामकला काली देवी की साधना करने के लिए ध्रुवी उस मंदिर में बैठ गई । लगातार तप करती रही तप करते-करते बहुत से दिन बीते चले गए ।अंतगत्वा जब उसे समझ आया मेरा आज आखिरी दिन है मेरी मृत्यु हो जाएगी । पूरा शरीर उसका सड़ चुका था तो उसने सिर पटकना चालू कर दिया रात्रि के 12: 00 बजे के मध्य में अत्यंत रूपवान शरीर के साथ माता काली कामकला स्वरूप प्रकट हुई । माता प्रकट होकर दर्शन दिए माता ने ध्रुव से इच्छा पूछी और ध्रुवी ने इच्छा बताई कहा मेरी ऐसी ऐसी स्थिति है माता ने कहा संत मन से शक्तियों को ग्रहण करती हूं मैं काली रूप हूं ।
मैं तुमको भी ग्रहण करती हूं लेकिन याद रखना मैं तुम्हें अमर बना रही हूं । कि तू किसी भी प्रकार से अपने साधको का जीवन नाश ना करो मैं तुम्हें अमरता का वरदान ही नहीं और सिद्धि देती हूं । अब से कुछ दिनों बाद पर्वत पर एक कन्या 17 साल की आत्महत्या करेगी । आत्महत्या करने की वजह से उसका शरीर नदी से बहता हुआ तेरे पति के शरीर के पास पहुंचेगा जा उसके कान में जा कर यह बात बता । इसको करने के बाद तु जीवित हो सकेगी । इसी चीज से तू बार-बार जीवित होती रहेगी । और तेरे लोग की सारी कन्या जीवित होती रहेगी । क्योंकि तूने अद्भुत रूप से मेरी तपस्या की है बिना खाए पिए तूने इतने दिन मेरी आराधना की है । मैं काम शक्ति के रूप में तुझे स्थापित करती हूं । और क्योंकि तेरी शक्तियां नकारात्मक है इसलिए तेरे साधक को तू भ्रष्ट भी करेगी । लेकिन तू उसे जीवन भी प्रदान करेगी यह तेरे और तेरे साधक की सोच पर निर्भर करेगा । तुम अच्छे मार्ग की तरफ जाते हो या बुरे मार्ग की तरफ जाते हो । तो जैसा तू और तेरा साधक तेरी शक्तियां होंगी तेरे लोक की जितनी भी कन्याए होंगी । इस प्रकार का अमरता का वरदान देती हूं ।
अब तू जा और तेरी मृत्यु कुछ क्षण में हो जाएगी । और तू फिर से नवजीवन अपना शरीर प्राप्त करेगी । और इस रूप में तू सदैव जीवित रहेगी ऐसा कह कर के देवी अंतर्ध्यान हो गई । कुछ क्षण बाद ध्रुवी के भी प्राण निकल गए ध्रुवी समाप्त हो गई । देवी ने जैसा कहा था वह बात कहने के लिए मृत्यु के बाद तुरंत ध्रुवी आई आत्मा रूप में अपने पति गोपाल के पास कान में कहने लगी कि कल तुम दोपहर जब नदी पर स्नान करने जाओगे । तो एक युवती कन्या की लाश को उठा कर ले आना और उसे अच्छी प्रकार धो लेना । और दिव्य लेप उसके शरीर पर लगाना । और उस पर बैठ कर के मैं तुम्हें यह मंत्र बता रही हूं इसका जाप करना । और तुम्हारे आगे की इच्छा पूर्ण होगी और मैं वापस फिर से मिल जाऊंगी । और उसके बाद मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूंगी । ऐसा उसके कान में यह कह कर चली गई । अब इसके आगे क्या हुआ आगे क्या हुआ हम अगले भाग में जानेंगे । लेकिन मैं आपको यह बता दूं इसी तंत्र की वजह से बाद में कर्ण पिशाचिनी देवी की भी उत्पत्ति हुई क्युकी यह भाग जो कटा और यह वज्रादाय संप्रदाय के इस विधि में अन्य तांत्रिकों ने और भी बहुत कुछ जोड़ा क्युकी काम पिशाचिनी शक्ति कि वजह से की कर्ण पिशाचिनी देवी की भी उत्पत्ति हुई । तो वह कहानी बाद में बताएंगे किसी और कहानी में लेकिन पहले में यह बता दू । आपको की किस प्रकार से काम पिशाचिनीया अमर हो गई । इस वजह से कामकला काली देवी की वजह से और कैसे वह आगे के भाग में वापस आती है उसको गोपाल प्राप्त करता है ।