काम या भोग पिशाचिनी की कहानी भाग 1
धर्म रहस्य आपका एक बार फिर से स्वागत है । यह कई समय से मांग चल रही थी । काम पिशाचिनी या भोग
पिशाचिनी इसकी उत्पत्ति हुई तो हुई कैसे । और कैसे इसकी साधना की जाती है । कोई भी साधना से पहले यह जानना
जरूरी है कि वह साधना आई कहां से है । इसके पीछे का राज क्या है । तो काफी खोज के बाद मैंने यह चीज निकाली है ।
असल में इसकी जो कहानी है । इसके साथ जुड़ी हुई और जो बात है । वह मैं आज आपको बताऊंगा ।यह भाग-1 है और
इसके बाद मैं पूरी तरह से समझाऊगा और कैसे साधना के बाद इसका विकास हुआ । बाद में यह आगे आकर बहुत ही
भयानक साधना बन गई । सबसे पहले आप यह जान लीजिए। हमारे यहां जो नालंदा विश्वविद्यालय था । पुराने जमाने में
सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय में से एक था । यहां पर तंत्र मंत्र के साथ योग चिकित्सा भी सिखाया जाता था ।
एक समय
यहां आचार्य शीलभद्र नाम के विश्वविद्यालय के कुलपति थे । जो यहां के मालिक थे । जोकि इस गांव के विश्वविद्यालय को
बहुत से गांवो का अनुदान प्राप्त होता था और कई राजाओं ने इस विश्वविद्यालय को स्वर्ण अनुदान दे रखा था । यहां की
परीक्षा भी काफी कठिन होती थी । और हजारों बच्चे परीक्षा देते थे । 10000 में से 2000 या 1000 बच्चे परीक्षा को ही
संभव हो पाते थे । और वही यहां पर पढ़ाई कर पाते थे। देश-विदेश से लोग यहां आते थे । तंत्र मंत्र और आयुर्वेदिक चीजें
सीखने के लिए मध्यकाल की यह बात है । इनमें इनका एक शिष्य हुआ करता था । जिसका नाम गोपाल था । उसको वह
एक बार कहीं से एक स्वर्ण प्रतिमा प्राप्त हुई । तो वह स्वर्ण प्रतिमा अपने गुरु के पास लेकर आया उनको बताया कि यह
मुझे प्रतिमा एक साधु ने दी है । और कहा इसका अपने गुरु से पता लगाइए यह क्या है । जब श्रीभद्र गुरु ने उसे खोला
उसमें एक नक्शा था । और उस नक्शे का ऐसा एक दीप बना हुआ था । जो आजकल के भारत के नक्शे में अंडमान और
निकोबार दीप समूह है ।तो उस जगह का यह चित्र था ।
उसमें आचार्य श्री भद्र ने उस नक्शे में ऐसी जगह देखी । और
जिसमें लग रहा था कोई स्पेशल वहां पर है प्रतिमा सोने की थी । और सोने की संभावना लग रही थी । इस वजह से
आचार्य श्रीभद्र ने गढ़ बनाया । गोपनीय तरह से उसको रवाना करने के लिए भेजा । कि नक्शे में जो जगह है वह जगह
पता लगाया जाए ।क्योंकि वह समुंदर में आता था और नाव भी नहीं चलती थी । इस वजह से एक पूरा समूह जो है इसे
जानने के लिए भेजा 25 आदमियों का समूह जाए । आखिर पता लगाइए कि उस दीप पर ऐसा है क्या । उस नक्श के
हिसाब से लोग चलते गए । तूफान वगैरह काफी उन्हें झेलना पड़ा पानी की बरसात भी झेलनी पड़ी और धीरे-धीरे करके
अंडमान और निकोबार दीप जो भारत का है । वहां पर पहुंचने लगे उस इलाके में इनका जहाज ठहरा नक्शे के हिसाब से
और उन्होंने सोचा यही शायद वह स्थान हो सकता है । वह असल में इलाका बहुत ही घना जंगल था । और समुंदर एक
ताबूत था । उसे आज अंडमान और निकोबार कहा जाता है । उसी स्थान पर जहां आजकल जनावा जनजाति है काफी
प्रसिद्ध जनजाति है । जनावर जनजाति के आसपास कोई क्षेत्र था ।
वहां पर उनका जहाज का जहाज जब रुका तब नीचे
उतरे लोग और नक्शे के हिसाब से ढूंढने लगे क्या कोई ऐसी जगह है । यह चीज जो साधु के द्वारा मिली है तो गोपाल भी
उनके साथ ही था । एक नेता की तरह था । जो गोपाल के नाम से उसे जानते हैं । उसने कहा ठीक है चलिए अब अंदर
चलते हैं तो यह लोग जब अंदर वहां गए जाने के बाद अभी जंगल में विश्राम ही कर रहे थे । तीरो की बौछारें एकदम से
हुई तो यह लोग इधर-उधर भागने लगे । ऐसा तीरो की बौछारो से हो रहा था । धीरे-धीरे करके जब भागते भागते काफी
लोग जब मरते चले गए । तब गोपाल ही बचा उसमें बचा गोपाल भागते हुए । वह झड़ने के पास गया और झरने में घुस
गया डर के मारे । लेकिन सबसे आश्चर्य वाली बात यह थी कि वह झरना खुद ही एक द्वार सा था । उस झरने में एक बड़ी
सी गुफा थी । और उसमें एक पूरी की पूरी नगरी बसी हुई थी ।
उस नगरी के अंदर जब वह प्रवेश कर गया थोड़ा ही आगे
बढ़ा था । तब सट से एक तीर लगा उसे भी । और उसके बाएं हाथ में लगा वह बेहोश हो गया ।बेहोश होने के बाद थोड़ी
देर में जब उसे होश आया । तो देखता है कि उसके सामने बहुत सारी स्त्रियां खड़ी है । नग्न शरीर में है और पूरी तरह से
सब स्त्रीया ही स्त्रियां थी । वहां पर कोई भी पुरुष नहीं था । सब उसको घूरती नजरों से देख रही थी । और एक ने जब
उसका तीर निकाला तब उसका खून पीना शुरु कर दिया। जहां पर उसका खून निकल रहा था दाएं हाथ पर वहां से खून
पीना शुरू कर दिया । और यह घबरा गया तब उन स्त्रियों ने इसे पकड़कर बांध दिया ।वह खून चुस्ती रही चूसने के बाद
वह चिल्लाकर अपनी भाषा में कुछ कहने लगी । और वहां खुशियां बनाने लगे और सब स्त्रियां नाचने लगी । तो वह जो
लड़की थी और वहां जो सारी स्त्रियां थी खुले बालों वाली वस्त्र के नाम पर वह कुछ भी नहीं पहनती थी । केवल थोड़ा
बहुत पत्तों से शरीर ढक लेती थी । तो यह बड़ी अजीब सी बात थी उसके लिए उसने यह देखा और सोचा यह क्या चीज है
। तो वह कुछ समझ नहीं पा रहा था । क्योंकि उनकी भाषा अलग थी । थोड़ी देर बाद जब उसकी नजर जहां वह बंधा
हुआ था ऊपर गई । तो देखा दीवारें थी वहां सब सोना ही लगा हुआ था । उस सोने को देखकर उसके मन में विचार आया
लगता है यह सोना जो है इसी की मूर्ति थी । वह यहीं से आई थी ।कुछ देर तक इन सब चीज को वह देखता रहा वहां की
जनजाति वाली स्त्रियों को देखता रहा । सब की सब एक बीच में मसाल सी जला रखी थी ।
उसके चारों तरफ एक बड़ी
मूर्ति बनी हुई थी । मूर्ति में एक ऐसी प्रतिमा बनी हुई थी । जिसमें उसके दो दांत बाहर आगे की तरफ निकले थे । वहां
की स्त्रियां उस मूर्ति की पूजा कर रही थी । चारों ओर जोर जोर से नाचते हुए गाना गा रहे थे । उन्हीं में से एक लड़की थी
जो उसे छुप कर देख रही थी । जिसने उसका खून पिया था । वह बहुत सोच में पड़ा था उस स्त्री को देखकर कुछ विचार
आ रहा था । थोड़ी देर बाद जब रात हो गई सब स्त्रियां चली गई । तब वह स्त्री इसके पास आकर खड़ी हो गई तब गोपाल
ने उससे कहा कौन हो तुम । मुझे बताओ क्या तुम हमारी भाषा जानती हो । यह सब क्या है तो वह स्त्री बोली हां मैं
जानती हूं । तुम अकेले नहीं हो दूसरी दुनिया से यहां पर आए हो । और हमारे ही बाणो से घायल होकर तुम्हारे सारे
सैनिक मारे गए हैं । तुमको भी हमने बाण मारा है । और हमारे झरने से राज्य में आने का एक रास्ता था । तो तुम चुपके
से यहां आ गए तुम्हें भी बाढ़ मारा गया है । मैंने तुम्हारा खून चखा है और इस खून चखने के बाद ही अपनी देवी यहां की
जो महा पिशाचिनी देवी है।
उसके पास गई और पूछा तो उसने बताया जो तुमने रक्त पिया है वह रक्त तुम्हारे योग्य है । अगर तुम इस पुरुष से
विवाह करती हो तो निश्चित रूप से तुम्हें पिशाचिन का वह प्रसाद होगा । और वह प्रसाद देवी को लगाया जाएगा । देवी
प्रसन्न होगी और तुम महा पिशाचिनी की देवी हो जाओगी । उसने पूछा तुम्हें तो हमारी भाषा नहीं आती है ।तुम कैसे
जानती हो हमारी भाषा । तो उस स्त्री ने कहा हमें आत्माओं से संपर्क करने आता है । तुम्हारे ही साथी जो मारे गए हैं ।
उन्हीं में से किसी एक आत्मा से मैंने संपर्क किया। तो उसी ने मुझे तुम्हारी भाषा सिखाई । उसी वजह से मैं तुमसे बात कर
पा रही हूं और जान पा रही हूं । कि तुम क्या सोच रहे हो तो यह बड़ी अजीब सी बात थी । महा पिशाचिनी या देवी की
पूजा करते हैं । और उन्हें पिशाचिनी यों की वजह से सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त हैं । और मैं तुम्हें यह बताऊंगी हम और
हमारी प्रजा यहां पर आई कैसे, तो यह थी इस कहानी का पहला भाग और आगे क्या होता है । यह जानेगे अगले भाग में धन्यवाद आपका दिन
मंगलमय हो