Table of Contents

कालिया जिन्न और गुप्त नवरात्रि अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे। दो अनुभवों को एक अनुभव गुप्त नवरात्रि से संबंधित है। वहीं दूसरा अनुभव एक कालिया, जिन की साधना विधि और उसके अनुभव से संबंधित है। चलिए पढ़ते हैं पहले गुप्त नवरात्रि संबंधित अनुभव को।प्रणाम गुरु जी, मैं आज अपना गुप्त नवरात्रि स्वप्न अनुभव शेयर करना जा रहा हूं। कॉपीराइट to धर्म रहस्य ओनली।आप चाहे तो वीडियो बना सकते हैं क्योंकि मेरा यह समस्या बाकी साधक लोगों की भी समस्या है। यह बात जुलाई महीने की गुप्त नवरात्रि की है। मैंने अपना घर में भैरव और 10 महाविद्या यंत्र को रखा और हर दिन 11 माला गुरु मंत्र का संकल्प लिया था। इस दौरान मैंने अपने ब्रह्मचर्य मेंटेन रखा था। नवरात्रि के दो-तीन दिन बाद से मुझे गुस्सा और कामुक होना की शुरुआत हो गई। ऐसा लगता था मेरी शरीर में कुछ करंट इनर्जी बह रही है। केवल छाती हाथ और उंगलियों के हिस्से में।एक सनसनाहट सी महसूस होती थी नवरात्र के दौरान गुस्से में घर के सामानों को फेंक देता था लेकिन मैं अपने आप को बहुत कंट्रोल करता था गुस्सा भी बहुत आता था  जिन बातों को गुजरे 10 साल से ज्यादा हो गया है। वह और मेरी शादी को लेकर में हर दिन यही सोचता रहता कि काश मेरी शादी नहीं हुई होती। मैं हनुमान चालीसा बचपन से पढ़ रहा हूं मेरा! शादीशुदा जीवन!

सही न चलने के कारण आखिरी महीने हनुमान जी की पूजा के समय बोल दिया कि आप मेरी शादी रुकवा सकते थे, पर आपने नहीं करा और आप मेरी कुछ हेल्प भी नहीं करते। इस वजह से आज से मैं आपकी पूजा प्रसाद त्याग रहा हूं। उस दिन के बाद से मैंने नहीं हनुमान चालीसा पढ़ा और उनका प्रसाद खाया पर अजीब बात यह है कि मैं कुछ दिन बाद अपने आप सपने में हनुमान मंदिर में पाया जहां हनुमान की आरती और प्रसाद का इंतज़ार कर रहा था। ऐसा दो-तीन टाइम हो चुका है। मेरे साथ ऐसा ही एक्सपिरियन्स हुआ। जब मैं गुस्से में था। 1 दिन पूजा करते समय श्रीकृष्ण को बोल दिया। अगर आप मेरा काम नहीं कर सकते हैं तो मैं आपका दर्शन करने बांके बिहारी धाम कभी नहीं आऊंगा। उसी रात में ने अपने आप को स्वप्न में बांके बिहारी मंदिर में पाया। उसके अगले दिन मेरा बिगड़ा काम भी बन गया। गुरु जी यह बात सत्य है यह।की भक्त के बस में भगवान होते हैं। हम एक दूसरे से अलग नहीं है। टाइम और समय का खेल है। कभी अच्छा होता है कभी बुरा, मेरे क्वेश्चन है। कामुकता और गुस्से को कंट्रोल कैसे करें। मेरे शरीर में करंट जैसा क्यों था और दूसरी जगह ट्रांसफर कैसे हो रहा था जैसे कोई कीड़ा रेग रहा हो। सपने में अपने आप को हनुमान मंदिर में देखने का क्या मतलब है। मुझे जितना याद है। आज तक मैंने दो बार सपने में माता रानी उनकी योगिनी के दर्शन किए लेकिन नारायण भगवान के दर्शन नहीं हुए। ऐसा क्यों लेकिन मैंने श्री कृष्ण को लेकर एक्सपीरियंस करा उसका एक अलग ईमेल करूंगा। जिस प्रकार काली भैरव महारानी देवताओं के सवारी चौकी लगती है, वैसे ही नारायण की भी होती है। आपसे पर्सनली मीटिंग कब होगी? मैं अपना स्वप्न अनुभव जल्दी भेजने का ट्राई करूंगा। इंग्लिश में लिखने के कारण राइटिंग मे समस्या है। इसके लिए माफ कर देना आपका अमन!

संदेश -देखिए यहां पर जो पहली बात है कि जब हम मंत्र जाप करते हैं तो? स्पंदन की वजह से कई सारे नाड़ी तंत्र जो है। शरीर में वह जागृत होते हैं तो कभी छाती कभी आपकी दोनों आंखों के बीच भ्रकुटी में कभी आंखों में कभी सिर में कभी हाथ पैर में इस ऊर्जा का प्रवाह होता है। इसी कारण से इस तरह के अनुभव होते हैं जैसे आपको हुए। अधिकतर सपने में जब हम किसी देवता को चुनौती पूर्वक कुछ कहते हैं तो उनका सपना आने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है क्योंकि एक प्रकार से हम अपनी अब तक की पूजा और ऊर्जा को समाप्त कर रहे होते हैं उनको चुनौती देकर के। ऐसा कभी ना करें दूसरी बात हनुमान जी की साधना व्यक्ति को ब्रह्मचारी बनाती है, इसलिए गृहस्थ साधक इसकी अलग विधि से ही साधना करें, जिसमें भगवान राम और माता सीता को जरूर शामिल करें। वरना पारिवारिक जीवन जिसे कहते हैं। आपका सांसारिक जीवन आपकी पत्नी से नहीं अच्छा नहीं रह पाएगा। ऐसे मैंने बहुत सारे उदाहरण देखे हैं जहां हनुमान जी की साधना करने वाले साधकों के जीवन में। निश्चित रूप से उनके पारिवारिक जीवन अच्छे नहीं बीत रहे हैं। इसलिए अगर हनुमान जी की साधना करते हैं तो भगवान राम और माता सीता को उस में जरूर शामिल कीजिए।अनुभव की जहां तक बात है, हो सकता है कभी हम भगवान विष्णु की उपासना करें और दर्शन माता के हो कभी माता की उपासना करें और शिव भगवान के दर्शन हो, क्योंकि हमारी उर्जा गति करती है और वह किस लोक में पहुंचेगी, वह सीमित नहीं है बल्कि उस शक्ति! को उपासना करने के कारण अन्य शक्तियां भी आकर्षित हो जाती हैं तो यह एक अनुभव है जो होता रहता है। इसमें परेशान होने की आवश्यकता नहीं है और इस तरह के अनुभव लगातार होते ही रहते हैं। बस इतना ध्यान रखें जो मैंने आपसे कहा है ।अब हम लेंगे अगला अनुभव और साधना को।

पत्र-नमस्कार गुरु जी, मेरा नाम रियांश दत्ता है। कोलकाता,सोडेपुर से मैं कुछ दिन पहले भी आपको एक अनुभव भेज चुका हूं। आज मैं आपको एक और अनुभव भेज रहा हूं। यह अनुभव मेरे कालिया जिन्नात साधना का है और आप चाहे तो इसके ऊपर वीडियो बना सकते हैं। यह अनुभव सिर्फ मैं आपको भेज रहा हूं और किसी चैनल पर यह अनुभव प्रकाशित नहीं होगा। मैं अनुभव बताना शुरू करता हूं पर पहले मैं साधना विधि बता देता हूं। साधना विधि- कालिया जिन्नात की साधना आप कृष्ण पक्ष के किसी भी रात से शुरू कर सकते हैं। यह साधना आप शमशान या खंडहर में कर सकते हैं। यह साधना दक्षिण दिशा में मुंह करके करनी पड़ती है। पहले घेरा खींच ले और घेरे को चारों दिशा में 4 दीए जलाएं और एक दिया घेरे के बीच में जलाएं। भोग में मांस और शराब को अपने पास मिट्टी के बर्तन में काले कपड़े से ढक कर रखें। फिर पहले गुरु मंत्र पढ़ें फिर शिव मंत्र 108 बार पढ़ ले। फिर माता काली का मंत्र 108 बार पढ़ें। फिर मूल मंत्र का 11 माला पाठ करें। जब जिन्नात हाजिर हो तब उसे वचन ले ले। फिर उसे भोग दे दें और काले हकीक की माला का प्रयोग करें।

मंत्र ह- ओम ऐम हरीम क्लीम कालिया जिन्नात प्रभावी! हाजीदे सिद्धिम! प्रकटय प्रत्यक्षम हाजिर माता कालिका की दुहाई।मेरा स्वयं का अनुभव है ।अब मैं आपको मेरा अनुभव बताता हूं। मैं यह साधना एक खंडहर में किया था। मैं एक मित्र को अपने साथ। इस साधना के लिए ले गया था साधना में सब अरेंज करने के लिए सब दिया जला कर।मतलब अरेंजमेंट जब खत्म हो गया था, मंत्र जाप से पहले मैंने उसे घर भेज दिया। फिर मंत्र जाप शुरू कर दिया। जैसे ही दो माला मंत्र जाप कंप्लीट हुआ। मुझे मेरे पास से किसी के चलने की आवाज आने लगी। मैंने सोचा मेरा दोस्त अभी घर गया नहीं। वापिस यही है तब मैंने इग्नोर किया। फिर पांच माला जाप कंप्लीट होते ही मुझे एक परछाई अपने आसपास घूमती दिखी। फिर मैंने सोचा, वह मेरा दोस्त है तो गुस्सा आ गया। मैंने कहा, तुम घर क्यों नहीं गए, दूर जाकर बैठो साधना में विघ्न क्यों डाल रहे हो, कोई जवाब नहीं आया। तब मैंने उठकर धेरे से निकलकर अपने चारो दिशा में देखा आसपास भी। जाकर देखा तो वहां पर मेरा दोस्त नहीं था, कोई भी नहीं था। मैं डर गया और वहां से सीधा सामान चप्पल सब छोड़ घर की तरफ दौड़ा। फिर मैंने सुबह जाकर अपना सामान लेकर वापस आया। गुरु जी तो यह था अनुभव मैं आपसे कुछ प्रश्न करना चाहता हूं। मैं जब क्लास 3 में पढ़ता था तब मेरे स्कूल में सब बच्चों को एक-एक करके कुछ डिटेल पूछ कर एक मंत्र कान में दिया और बोला कि इस मंत्र को किसी को मत बताना। वह पूरा गुरु मंत्र देने की विधि से ही इस मंत्र को दिया था पर तब मैं नहीं जानता था कि वह गुरु मंत्र है।

इसलिए मैंने सबको बता दिया। मेरे स्कूल का नाम महर्षि विद्या मंदिर है क्योंकि मेरे स्कूल को महर्षि नाम के एक इंसान ने बनाया था। जब मैंने बाद में पता किया तो मुझे पता चला कि मुझे महर्षि जी का गुरु मंत्र दिया गया है। गुरु जी तब मुझे मेरे बिना अनुमति से गुरु दीक्षा दिया गया। तुम क्या वह मान्य होगा वैसे मैं महर्षि जी का गुरु मंत्र नहीं रखना चाहता क्योंकि मेरे बिना अनुमति से मुझे दीक्षा दिया गया था तो मैं क्या करूं। मैं आपसे गुरु दीक्षा लेना चाहता हूं।संदेश –यहां पर कालिया, जिन की साधना का प्रारंभिक एक अनुभव इन्होंने किया जो कि प्रारंभिक लक्षणों जैसा ही यहां पर दिखाई पड़ता है। अगर इस पर मेहनत की जाती तो सिद्धि प्राप्ति की संभावना बढ़ सकती थी। लेकिन यह प्रयोग कितने दिन करना है यह इसमें प्रकट नहीं हुआ है। रही बात गुरु मंत्र प्राप्त करने की तो जिसे साधक स्वयं स्वीकार ना करें, वह गुरु मंत्र नहीं माना जाता है क्योंकि जब तक साधक गुरु से स्वयं आज्ञा लेकर और उनकी अनुमति से स्वयं इस बात को स्वीकार नहीं करता कि मुझे आपसे गुरु दीक्षा लेनी है। वह गुरु दीक्षा नहीं मानी जाती है। इसलिए!वह केवल आपके लिए एक मंत्र है। आप चाहे तो किसी भी गुरु से गुरु दीक्षा ले सकते हैं और? उसी महर्षि मंत्र की भी आराधना कर सकते हैं, लेकिन किसी गुरु के माध्यम से ही मंत्र प्राप्त करके और चाहे तो आप मुझसे भी गुरु मंत्र की दीक्षा ले सकते हैं। तो यह थे आज के दो अनुभव! अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

error: Content is protected !!
Scroll to Top