काली माता सिद्धि तांत्रिक से खीचकर मेरे पास आयी यह गहरा राज भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। काली माता की सिद्धि तांत्रिक से खींच कर मेरे पास आई। यह गहरा राज यह तीसरा भाग है इस सत्य घटना का तो पिछली बार की बात को आगे बढ़ाते हुए आज हम लोग जानेंगे कि उस साधक के घर पर जब इतने सारे लोग पहुंच गए थे तो आगे क्या घटित होता है?
साधक ने अपने पिता को सावधान किया कि मुझे यहां पर कुछ भी पॉजिटिव एनर्जी फील नहीं हो रही है। लेकिन उनके पिताजी नहीं माने। उन्होंने कहा, घर आए हुए किसी भी व्यक्ति को जो कि मेहमान होता है, ऐसे ही नहीं छोड़ सकते। तब तक यह लोग यही रहेंगे। जब तक हम इस कार्य को पूरी तरह नहीं कर देते। तो बाहर वाला एक कमरा। इन सभी लोगों के लिए दिया गया।
इसमें जो मसान वाला तांत्रिक था, वह सबसे ज्यादा विशेष था। उसका स्वभाव भी बाकी लोगों से पूरी तरह से अलग था जब? इस प्रकार की स्थिति। हो गई तभी क्योंकि उस कमरे में एक टेबल जो कि ऊपर से कांच लगी हुई थी उसकी स्थिति को देखकर साधक ने कहा कि इसे हटाना जरूरी है। इसे हटा देने से जगह ज्यादा बन जाएगी। इस प्रकार के लोग जो आए हैं, इन सभी के लेटने की व्यवस्था जमीन में गद्दे डालकर हो सकती है।
पर इस बात के लिए उनके पिताजी राजी नहीं थे। उनका कहना था अन्य कमरों में भी बाकी लोगों की व्यवस्था कर देना चाहिए। इस बात पर भी साधक ने कहा, क्योंकि घर परिवार का मामला है और इस घर में स्त्रियां भी रहती है। इसलिए अंदर के कमरे किसी को ना दिए थे। पर यह बात! पर थोड़ी बहुत बहस भी हुई तो साधक ने जबरदस्ती ही टेबल को हटाने की कोशिश की कि तभी टेबल का ऊपर का कांच सरक कर नीचे आकर टूट गया। ऊपर से पूरी टेबल का कांच नीचे फर्श पर गिरा और टूट गया। इस बात पर भी साधक के पिता ने उन्हें कहा, यह बहुत गलत बात है। एक तो तुम अपनी मर्जी से यह कर रहे हो और उसका फल तुमने देख लिया। उस दिन साधक के पिता का बर्ताव बदल रहा था। साधक को पूरी तरह महसूस हो रहा था, न सिर्फ यह बात साधक को लग रही थी बल्कि परिवार के अन्य सदस्यों को इसी तरह का अनुभव महसूस हो रहा था। तब साधक ने कहा ठीक है। इसके ऊपर लकड़ी की प्लाई लगवा दी जाएगी। आप चिंता ना करें और कांच को हटा दिया गया। घर में अगर कांच टूट जाती है, इसका अर्थ होता है। निश्चित रूप से कोई बाधा और परेशानी आने वाली है। तब थोड़ी देर बाद भोजन बनाने के लिए कहा गया। साधक की पत्नी भोजन बनाने के लिए गयी तब? उस मसान तांत्रिक ने कहा कि? आप सभी जो भी खाते हैं पर मैं केवल भैंस का ही दूध पीता हूं।
और कुछ नहीं लेकिन साधक के परिवार में जो चाय बनती थी, वह गाय के दूध से ही बनती थी। यहां भैंस के दूध का इस्तेमाल नहीं किया जाता था। जो चाय बनाई गई वह। गाय के दूध से बनी हुई थी। सभी ने उन मेहमानों ने चाय का आनंद लिया लेकिन?
जैसे ही मसान पूजने वाले तांत्रिक ने उस चाय को ग्रहण किया, उसे जोर से खांसी आने लगी। वह कहने लगा क्या यह गाय के दूध से बनी हुई है? तो सबने कहा हां!
इस पर वो कहने लगा, मैं गाय का दूध नहीं पी सकता। वह मुझे नहीं पचता है। इसलिए आप भैंस के दूध को ही। मुझे दीजिए, मैं वही दूध पीता भी हूं और चाय में भी भैंस के दूध का ही इस्तेमाल करता हूं। यह बात कुछ अचरज भरी थी। लेकिन? केवल उसके लिए अलग से भैंस के दूध का प्रबंध किया गया और तब जाकर बहुत संतुष्ट हुआ।
सभी लोग लगभग 1 दिन और वहां रुके! इंतजार कर रहे थे कि वह प्रधान स्त्री। कब उन्हें बुलावा भेजेगी? लेकिन उसने वहां से! कहा कि आप सभी लोग यहां मत आना है क्योंकि यहां जनता को बहुत ज्यादा शक हो गया है पर सभी यहीं पर डेरा जमाए हुए बैठे हैं।
और तब साधक के पिता ने कहा, ठीक है तब तक किसी और कार्य के लिए देखा जाए। तब मसान पूजने वाले उस तांत्रिक ने कहा, इन सब की तो आवश्यकता ही नहीं है। अगर आपके पास डेढ़ फुटिया हो? तुम? इन छोटे-मोटे कामों का कोई मतलब नहीं है।
उस तांत्रिक के साथ में एक वकील भी थे जो कि पिताजी के मित्र हैं। उन्होंने तब एक बात बताई और कहा कि मैंने खुद डेढ़ फुटिया का चमत्कार होते देखा है।
एक बार हम लोग एक जगह गए थे जहां पर एक तांत्रिक ने कहा कि मैं आपका काम कर दूंगा। कोई भी सामान यहां से वहां पहुंचाने की क्षमता डेढ़ फुटिया में होती है। आत्मा बहुत ही बुरी होती है। इसे हर कोई धारण नहीं कर सकता है। तब उसने कहा कि मैं तुम्हें चमत्कार भी दिखा सकता हूं। तब सब ने उससे कहा था कि मैं अलग-अलग पैसों की शर्त लगाता हूं तो उन सभी लोगों ने मिलकर करीबन ₹5000 की शर्त लगा दी तांत्रिक ने बताया कि उसने कहा देखो मैं जाकर सामने जो ट्रक है इसे गायब करके दिखाता हूं और वह गया। उसने उसको छुआ और वापस आकर बैठ गया। तब उसने कहा देखते जाओ अगले 5 मिनट के अंदर यह ट्रक यहां पर दिखाई ही नहीं देगा और सच में उन लोगों की आंखों के सामने वह ट्रक गायब हो गया। यह तांत्रिक बाद में बहुत प्रसिद्ध हो गया था और फिर इसके बाद वह कनाडा भाग गया।
आखिर वह क्यों गया यह बात आज तक किसी को नहीं पता है?
लेकिन हो सकता है वकील का कहना था कि कोई बड़ा काम करने के बाद उसने यहां से हमेशा के लिए जाना ही उचित समझा होगा।
यह भी कहने लगा जो मसान तांत्रिक था। की
यह आत्मा अलग-अलग तरह की होती है। और डेढ़ फुटिया में भी एक पुरुष एक स्त्री और एक ब्रह्मचारी तीन तरह की आत्माएं होती है।
यह सब बातें हो ही रही थी कि साधक की पूजा का समय हो चुका था तो वहां जाकर अपने घर के मंदिर में साधना करने लगा। जो उसकी रोज का कार्य था। लेकिन मंत्रों का उच्चारण यह लोग स्पष्ट रूप से सुन पा रहे थे। पर यह बात साधक को भी अच्छी नहीं लगती। कि कोई उनके मंत्र जाप को सुनें। तब उस मसान पूजने वाले तांत्रिक ने यह सारी चीजें सुनी और कहने लगा। मुझसे ज्यादा शक्तिशाली कोई भी नहीं है। मैं आपको? अपनी पूजा! करके दिखाता हूं।
आज की पूजा आपके घर में ही करूंगा। क्योंकि आज मेरे पास व्यवस्था नहीं है। कहीं बाहर जाकर के इस तरह की कोई साधना कर पाऊं। तो उसकी बात को मानते हुए। उसने अपने लिए कुल! पांच थालियां मंगवाई। बाकी उसके पास पान सुपारी और विभिन्न प्रकार की अन्य चीजें पहले से ही उपलब्ध थी। वह! कहने लगा कि आपका घर मुझे बहुत शुद्ध नजर आता है। ऐसा लगता है जैसे यहां पर हर कोने में।
बहुत ही सुंदर शक्तियां विद्यमान है। यह पूरा घर ही शुद्धता से भरा हुआ लगता है। इसीलिए मेरा मन हो रहा है कि मैं यहां साधना अपनी आज के दिन की पूरी कर लूं। तो उसी कमरे में पिताजी ने एक बड़ी गलती की। उन्होंने उसे वहां पूजा करने का मौका दे दिया। याद रखें कोई भी तांत्रिक सिद्धिवान या कोई भी स्थिति वाला पुरुष आपके घर में किसी विशेष प्रयोजन से अगर साधना करता है तो उसके बारे में आपको पूरी जानकारी होनी चाहिए। किसी बात का क्या प्रभाव पड़ेगा यह कोई नहीं बता सकता है? तांत्रिक ने सामने 5 थालियां सजाई।
उन्होंने उसमें पान कपूर लोंग इलाइची और विभिन्न प्रकार की अन्य वस्तुएं रखी। उस पर पांचों में उसने पांच दीपक जलाएं। और वह वहां बैठ करके उनकी आराधना।
विभिन्न प्रकार की तांत्रिक साधनाएं करने लगा। मंत्र जाप वह उपांशु में कर रहा था। इसलिए किसी को यह पता नहीं चलने वाला था कि वह क्या मंत्र जाप कर रहा है? मंत्र जाप करके जैसे ही उठा अपने सिर को हिलाता हुआ वह जोर से कहने लगा। वाह आनंद ही आ गया। इतनी ज्यादा पॉजिटिव एनर्जी इस घर में मौजूद है और फिर वह बैठकर उनके साथ बातचीत करने लगा। उस बातचीत में इतना ज्यादा कॉन्फिडेंस में होकर बात कर रहा था कि एक बात उसने जो बताई वह बहुत ही घातक थी।
उसने कहा। मुझे जब पैसा नहीं मिलता था तो मुझे एक तरीका नजर आया। मैंने जिन्नों की सिद्धि की। मैंने विभिन्न प्रकार की जिन्नों की सिद्धि की पर मेरे पास 4 जिन्न और एक काली माता की सिद्धि है।
यह साधना है। मैंने बहुत पहले से की हुई है और इनकी सिद्धि की वजह से मैं इतना ज्यादा शक्तिशाली हूं कि अगर! मैंने किसी के घर में इन्हें स्थापित कर दिया। तो मेरे अलावा कोई और उन्हें वहां से नहीं हटा सकता है।
इसी तरह मैंने बहुत सारे पैसे भी कमाए हैं क्योंकि मेरे अलावा संसार की कोई भी ताकत उन्हें वहां से हटा नहीं सकती है।
उसकी बातों में बहुत दम था। तब तक साधक भी अपनी पूजा समाप्त करके उन लोगों के पास आ चुका था यह पूछने के लिए कि क्या हुआ सब तैयार है आज के भोजन करने के लिए।
तब उसने भी यह बात सुनी और उसे लगा जरूर कुछ ना कुछ तो गलत होने ही वाला है।
साधना करने के दौरान भी उसे कुछ अलग सा महसूस हो रहा था।
लेकिन क्योंकि घर में मेहमान है इसलिए सब के साथ अच्छे से व्यवहार करना, सब की बातों का ध्यान रखना, भोजन प्रबंध इत्यादि सभी की व्यवस्था करना आवश्यक होता है। अपने कर्तव्य से कभी भी नहीं चूकना चाहिए।
इन सब बातों के होते होते
सुबह के समय।
अचानक से। साधक! उठा और अपनी पूजा कक्ष की ओर गया। उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे की पूजा घर में कोई काला साया घूम रहा है।
लेकिन वह सब कुछ स्पष्ट नहीं था।
यह क्या हो रहा था?
उस दिन भी इसी प्रकार हुआ शाम के समय उस। साधक ने कहा, मैं आज फिर से साधना करना चाहता हूं। तो पिताजी ने उसे फिर पांच थालियां लाकर दे दी और फिर उस दिन साधना करने फिर से बैठ गया।
अब पिताजी का स्वभाव अचानक से उग्र हो चुका था। वह किसी की बात नहीं सुन रहे थे। वह जो भी कहते उसमें कटुता होती।
स्वयं इस बात का अनुभव स्पष्ट रूप से साधक को साधक की पत्नी और माता सभी को हो रहा था।
इस बात से क्रोधित थे कि सभी को उचित प्रकार से भोजन और मान सम्मान नहीं दिया जा रहा जबकि ऐसा कुछ भी नहीं था।
यह अजीब ही बात थी।
तब?
उस व्यक्ति के पास में।
जा कर बैठे साधक ने कहा। कि मुझे स्पष्ट रूप से ऐसा अनुभव हो रहा है कि आपके पास माता काली की शक्तियां मौजूद है। तब हंसकर कहने लगा। हां, लेकिन तुमने इतने अच्छे से पता कैसे लगा लिया?
तुम्हारे पिताजी के पास भी शक्तियां हैं। ऐसा मुझे पता है। लेकिन मेरी जैसी शक्तियां किसी के पास नहीं है। यह कहकर वह हंसने लगा।
और कहने लगा। कि मुझे भोजन में।
भैंस का दूध ही पसंद है आज मेरे लिए जाओ फिर से भैंस का दूध लेकर के आ जाओ।
साधक फिर जाकर उनके लिए भैंस का दूध लेकर के आया।
इधर पिताजी का स्वभाव बहुत ज्यादा उग्र हो चुका था। इस उग्रता का प्रभाव इतना ज्यादा था कि वह बात बात पर सबको डांटने लगे। यह बात साधक को भी समझ में नहीं आ रही थी कि आखिर ऐसा क्या हो रहा है?
इसके बाद क्या हुआ जिसकी वजह से अचानक से एक बड़ा? परिवर्तन आया जानेंगे हम लोग अगले भाग में। अगर आपको यह सच्ची घटना आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।