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किसी व्यक्ति वस्तु का पता बताने वाली दत्तात्रेय साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज मैं आप लोगों के लिए दत्तात्रेय साधना लेकर आया हूं यह साधना व्यक्ति या वस्तु का पता लगाने के लिए कि जाती है यह एक दिन की जल्दी सफल हो जाने वाली कम ही समय में सिद्ध हो जाने वाली साधना है इससे किसी खोए हुए व्यक्ति का पता लगाना किसी वस्तु का पता लगाना या किसी मरे हुए इंसान के मृत्यु का रहस्य जानना कोई ऐसी बात जो वह बताना भूल गया हो उसको जानने की लिए किया जाता है । असल में साधना दत्तात्रेय जी द्वारा बताई गई एक महा यक्षिणी साधना होती है जिसमें वह सब कुछ बता देती है । यह आपको सब कुछ बता सकती है जैसे किसीका बच्चा खो गया हो, किसी व्यक्ति का कुछ सामान खो गया, कुछ जिसके वजह से कोई व्यक्ति परेशान है यह बहुत ही प्राचीन विधि है जो भगवान दत्तात्रेय ने बताई है वही मैं आपको बता रहा हूं कि इस की विधि क्या है और इसमें क्या-क्या जरुरी बातें हैं ।

सबसे पहले आपको शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से यह साधना  शुरू करनी होती है शुक्ल पक्ष मतलब जब पूर्णिमा चाँद उगा हुआ होता है उसे ही कहते हैं । एक अलग से कमरा होना चाहिए अगर आप घर में कर रहे हैं तो और आप एक ऊनी आसन लेंगे लाल कलर का और उसके आगे आप एक लकड़ी का फट्टा रख लेंगे डेढ़ फुट का रख लेंगे जो डेढ़ फुट लंबा और डेढ फुट चौड़ा लगभग हो ।यही पट्टा हर साधना में उपयोग किया जाता है। उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाकर चावल से दत्तात्रेय यंत्र बना लीजिए दत्तात्रेय यंत्र में आपके विडियो स्क्रीन पर डाल दूंगा उसी प्रकार से आप बना लीजिए उसके बाद कासे के कटोरे  मे एक किलो तेल भरकर रख लेंगे और उसके सामने एक दीपक अलग से जलाकर रख लेंगे । अब आपको करना क्या है पूर्णिमा के दिन आप नहा धोकर लाल धोती पहन कर आसन पर बैठ जाना है 9:00 बजे दत्तात्रेय यंत्र की षोडशोपचार पूजा करिए तेल का कटोरा है उसकी भी पूजा करिए जैसे कि किया जाता है। उसके बाद आपको 101 माला फेरनी है मंत्र जान लीजिए कि किस प्रकार है 
मंत्र: ॐ ह्रीं क्लीं ऐं श्री महामहायक्षिन्ये लुप्त प्राणी आगच्छ स्वाहा।। 
यहां पर मैं लुप्त शब्द इसलिए बोल रहा हूं कि जहां पर लुप्त शब्द है वहां पर आपको जो भी वस्तु कोई है जो भी व्यक्ति को आज उसके बारे में आपको जानकारी लेनी है उसका नाम लेंगे। इसी मंत्र की आपको 101 माला करनी है । इसमें आपको काफी लंबा समय लग जाएगा और आपको दिन में केवल एक बार ही भोजन करना है और गलत चीजों को नहीं खाएंगे और इसी मंत्र का आपको तीन रात्रि तक जाग करना है 101 माला जिस प्रकार का आपका संकल्प ले इसे तीन रात्रि सात रात्रि 11 रात्रि आप कर सकते हैं । अगर कोई बड़ी शक्ति हो तो एक दिन का ले लीजिए अगर एक दिन में ना पता चले तो तीन रात्रि या फिर 11 रात्री  का कर सकते है। यह प्रयोग विधि करने से आपको गोपनीय से गोपनीय बातों का पता चलेगा और जो आपका कटोरा है उसमें शुद्ध मूंगफली का तेल डाल लेना चाहिए और साधक को अपने चारों और एक हजार दीपक जलाकर रख लेने चाहिए ।

दीपक बुझने नहीं चाहिए साधक बीच-बीच में दीपकों में तेल डाल सकता है इसमें तेल आप तिल या मूंगफली का प्रयोग कर सकते हैं आपको रात्रि 9:00 बजे से शुरु करना है और सुबह तक करना है ज्यादातर सात रात्रि तक यह किया जाता है ताकि आपको सिद्धि मिले इसमें आप रुद्राक्ष की माला का प्रयोग कर सकते हैं । साधना के बीच में आपको नहीं उठना चाहिए और आपको आखिरी दिन पता चलने लग जाएगा जिस भी विषय में आप जानना चाहेंगे किसी व्यक्ति का पता लगाना हो कोई घर से भाग गया, किसी का कोई वस्तु खो गया हो,किसी की गुप्त जानकारी जाननी हो और इस बात का ध्यान रखें कि दीपक में तेल समाप्त ना होने पाए । यह 7 दिन की साधना होती है और आपको सातवें दिन वह चीज दिखाई देने लगती है जिसके बारे में आप जानना चाहते हैं कि कौन से वस्तु कहां थी, कहां है वह सब आपको पता चल जाएगा आपको दिखाई देने लगेगा ।

इस साधना को गोपनीय रूप से करना चाहिए और आप इसको दूसरे की भलाई के लिए करेंगे तो आपको इसकी सिद्धि लंबे समय तक बंनी रहेगी आप मूंगफली का तेल अलग से बनवा सकते हैं ताकि आपको साधना में किसी प्रकार से परेशानी ना आए । शुद्ध तेल बनवाइए ईस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए क्योंकि हम विशेष प्रकार की चीजों का प्रयोग करते हैं । तेलों का प्रयोग करते हैं मंत्र महा यक्षिणी माता का है महा यक्षिणी का अर्थ है यक्षिणीयो की सम्मलित शक्ति जो महा यक्षिणी शक्ति है वह सबसे शक्तिशाली होती है इसे दत्तात्रेय मंत्र भी कहा जाता है । दत्तात्रेय मंत्र का आपको अलग अलग प्रकार से प्रयोग करना चाहिए । आपको 7 दिन तक आपको यह प्रयोग करते रहना चाहिए। ब्रहमचर्य का पालन करते रहना चाहिए और स्वप्नदोष से भी बचते रहना होगा। वरना आपके किए कराए पर पानी फिर जाएगा ज्यादातर लोग सोचते हैं कि साधना करने जा रहे हैं तो उनकी शक्ति वही पर रुक जाती है हालांकि सिद्धि पूरी तरह से नष्ट नहीं होती साधना का फल कभी नष्ट नहीं होता क्योंकि सिद्धि तो बनेगी ही बनेगी ।

साधना का मतलब होता है उस शक्ति को अपने नीचे ले आना अपना कंट्रोल कर लेना  इसी को वशीकरण कहते हैं किसी को वशीकरण में कर लेना उपासना यह नहीं होती है बल्कि इसका मतलब होता है आपका पूर्ण समर्पण ताकि वह आपके कार्यों को बना तरह आपके कार्यों को संपादित करता रहे आपकी समर्पण की भावना को देख कर । इस साधना मे नुकसान नहीं होता पर आप इसका किसी भी प्रकार से प्रयोग कर सकते हैं क्योंकि आप इस शक्ति के मालिक होते हैं  लेकिन उपासना में वह शक्ति आपका हर प्रकार से कार्यों को बनाती है बिगाड़ती है और  हर प्रकार से आपका सहयोग करती है  यहां पर ताकत आपकी नहीं होती वह निर्धारित करती है कि आपके साथ क्या करना है और क्या नहीं करना  लेकिन जब आपको सिद्धि प्राप्त हो जाती है तब आप निर्धारित करते हो कि इस शक्ति प्रयोग कैसे होगा आपको कैसे करना है और कहां करना है अगर आपको यह साधना पसंद आई है तो धन्यवाद।।

https://youtu.be/iR4LzTHfkbw
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