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केशिनी अप्सरा परिचय और साधना

केशिनी अप्सरा परिचय और साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम एक विशेष अप्सरा की साधना के विषय में जानकारी प्राप्त करेंगे। यह अप्सरा का वर्णन हमें प्राचीन महाकाव्य महाभारत में मिलता है और उस समय पता चलता है कि आखिर यह दुर्लभ अप्सरा कौन थी। इस अप्सरा की सिद्धि हो जाने के बाद जो सबसे बड़ा फायदा देखने में आता है। कोई भी कन्या या पुरुष सुंदरता को प्राप्त करता है। इसके अलावा उसके बाल हमेशा के लिए अच्छे हो जाते हैं। अगर इसकी सिद्धि मिलती है तो, इसलिए इस साधना को सात्विक तरीके से करने के विषय में बहुत सारे साधक लालायित रहते हैं लेकिन क्योंकि इस साधना के विषय में ज्ञान का अभाव है। इसलिए आप सभी के लिए आज मैं इस अप्सरा के बारे में वर्णन लेकर आया हूं। हिंदू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत में एक वर्णन आता है कि कैसे दक्ष की कन्या प्राधा का विवाह ऋषि कश्यप के साथ संपन्न होता है। कश्यप ऋषि वही हैं जिनके नाम पर कश्मीर आज का बना हुआ है और दक्ष की लगभग सभी कन्याओं ने इनके साथ विवाह किया था। उन्हीं में कश्यप ऋषि को प्राधा से बहुत सारे पुरुष और कन्याओं की प्राप्ति हुई थी। यानी इतनी संताने उन्हें मिली थी। इसमें अनवद्या, मनु, वंशा, असुरा, मार्गणप्रिया, अरूपा, सुभगा, भासी और केशिनी इत्यादि कन्याओं का जन्म हुआ था और पुत्र के रूप अतिबाहु, हाहा, हूहू तथा तुम्बुरू 4 पुत्र गंधर्व प्राधा से ही उत्पन्न हुए थे।

इस प्रकार ऋषि कश्यप और प्राधा की संतान के रूप में इस अप्सरा का जन्म हुआ था? बचपन से ही यह अप्सरा बहुत ही अधिक सुंदर थी। लेकिन इनकी जो सबसे बड़ी शक्ति थी, वह थे इनके बाल, अपने बालों को फैला कर यह आकाश में उड़ सकती थी। इसके अलावा इनके बाल लंबे थे और बहुत ही ज्यादा सुंदर थे। कोई भी पुरुष की नजर जब इनपर पड़ती थी तो इनके बालों की सुंदरता को देखकर वह सदैव ही पूर्ण रूप से आकर्षित हो जाता था। केशिनी अपने केशों की शक्ति को बढ़ाने के लिए एक विशेष पौधा इसको आज हम भृंगराज के नाम से जानते हैं। इसका इस्तेमाल सिद्धि रूप में करते थे। भृंगराज के पास जब यह खड़ी होती थी तो भृंगराज का पौधा बोल उठता था और पहली बार इस पौधे को छूते ही इसके अंदर तेज आ गया और तब भृंगराज के पौधे ने बताया कि मैं आपके बालों को सुंदर बनाने के लिए ब्रह्मा जी के द्वारा पैदा किया गया हूं तब वह इनका इस्तेमाल करने लगी और यह एक अदभुत औषधि भृंगराज का इस्तेमाल करने के कारण। ब्रह्मा जी की! शक्ति के माध्यम से शरीर के लिए केशिनी के बाल अद्भुत रूप से सुंदर हो गए। वह जिस भी पुरुष पर अपने बालों की लटाओं को छोड़ देती थी, वह ऐसा हो ही नहीं सकता कि इनके वश में ना हो जाए। किस प्रकार अद्भुत रूप से फायदेमंद और लंबे बालों वाली अति सुंदर केशिनी अप्सरा? पृथ्वी से स्वर्ग, स्वर्ग से पृथ्वी की ओर अपने बालों की सहायता से उड़कर गमन करती थी और सदैव के लिए उनको सिद्धि मिलती चली गई और फिर उनका पृथ्वी पर आगमन कभी-कभार ही होने लगा। बाकी वह अधिकतर स्वर्ग में ही निवास करती हैं। कहते हैं इनकी शक्ति को प्राप्त करके अगर भृंगराज के पौधे का इस्तेमाल किया जाए तो विभिन्न प्रकार के फायदे उठाए जा सकते हैं।

उनमें कुछ फायदे में आज आप लोगों को बताऊंगा कहते हैं जिनके भी बाल झड़ रहे हो, गंजापन आने की समस्या हो। असमय बाल पकने की समस्या हो तो उसे भृंगराज का तेल निकालकर बालों पर लगाना चाहिए और 4 से 6 महीने अगर वह लगाता है और देवी केशिनि के मंत्रों का जाप करता है तो निश्चित रूप से उसके सिर पर बाल उग आते हैं और बालों के झड़ने की समस्या पकने की समस्या समाप्त होती है। इसके अलावा भृंगराज का पाउडर बनाकर नारियल के तेल में मिलाकर बालों की जड़ों में मसाज करने से भी अद्भुत फायदे देखने को मिलते हैं।

इसके अलावा जिन के बाल झड़ रहे हो या समाप्त हो रहे हो उन्हें भृंगराज की ताजी पत्तियों का आधा से एक चम्मच पेस्ट बना लेना चाहिए और इसकी जड़ों पर यानी बालों की जड़ों पर 5 से 8 घंटे के लिए लगा करके छोड़ देना चाहिए।

और फिर पानी से सुबह उठकर धो लेना चाहिए। सप्ताह में दो से तीन बार इस प्रयोग को करने से भी अद्भुत लाभ होता है। इसके अलावा भृंगराज का जूस निकालकर पीने से भी खाना खाने के पहले बहुत फायदा मिलता है और अगर शहद मिलाकर हल्का खाना खाने के बाद इसका सेवन करते हैं तो भी कई सारे फायदे देखने को मिलते हैं। शरीर की बीमारी को हटाने के लिए भी इसके पेस्ट का उपयोग जूस और पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन सदैव इसका फायदा तभी मिलता है जब आप देवी केशिनि के मंत्रों से सिद्ध हो चुके हैं। ताकि पूरा फायदा देवी केशिनि के प्रभाव और मंत्र का भृंगराज के पौधे से आपको मिलने लगे। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि अगर आप में मधुमेह की समस्या है और मधुमेह यानी शुगर के कारण आप परेशान हैं। और किसी वजह से कोई चोट या कोई समस्या और दवाओं से नहीं ठीक हो रही होती है तब भृंगराज का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करना चाहिए। इस बात को थोड़ा समझते हुए भृंगराज का अद्भुत इस्तेमाल किया जा सकता है और अद्भुत फायदे उठाए जा सकते हैं। अब बात करते हैं कैसे किशनी अप्सरा को आप सिद्ध कर सकते हैं।

इसके लिए सबसे पहले आप प्रातः काल के पूर्व अथवा शाम को पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके इनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। इनकी साधना के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय सबसे अच्छा माना जाता है। जिस भी स्थान पर इनकी साधना करें वह पूरी तरह से शुद्ध और स्वच्छ हो माला जाप करते समय सुमेर का उल्लंघन ना करें और फिर से माला उलट देनी चाहिए। 108 मनके वाली शुद्ध भृंगराज की माला को ही इसमें इस्तेमाल करना चाहिए और भृंगराज के पौधे के सामने बैठ करके इनका जाप करना अति उत्तम माना जाता है। इसके अलावा साधना करते समय खुशबू आए या फिर किसी के चलने या आपके सिर के ऊपर किसी स्त्री के बालों का स्पर्श। महसूस हो तो सावधान होकर अपने मंत्र जाप को करते रहे। किसी भी प्रकार से भयभीत अथवा आश्चर्यचकित ना हो। मन में निर्मल और निष्कपटता का भाव रखें। आप इनको इनके पौधे के ऊपर भृंगराज के ही सफेद फूल को चढ़ाये। इनको पुष्प अर्पित करने के लिए के अलावा अगर पुष्पों का अभाव है तो मानसिक रूपसे भी आप अर्पित कर सकते हैं।

रोज एक निश्चित समय पर इनके मंत्रों का 21 माला जाप करना चाहिए और ऐसा 41 दिन तक करने से। इनकी सिद्धि आपको मिलने लगती है और केशिनी अप्सरा सिद्ध हो जाने के बाद सब से पहले दिखाई देता है। साधक के अंदर उसका चेहरा चमकदार हो जाता है। आंखों में तेजस्विता जाती है। बाल सुंदर और खुशबूदार हो जाते हैं। इसके अलावा इनकी पूर्ण सिद्धि होने पर यह साक्षात आपके सामने प्रत्यक्ष रूप से प्रकट हो जाती है। आपकी प्रेमिका अथवा स्त्री साधकों के लिए उनकी सहेली बनकर उनके साथ निवास करती हैं। स्त्री के लिए उनके सुंदर बाल हो जाते हैं। इनके मंत्रों का जाप करके भृंगराज का इस्तेमाल करना चाहिए। इससे यह देवी जल्दी प्रसन्न होती है और अद्भुत चमत्कार आपको अपनी सुंदरता में देखने को मिलते हैं। इसके अलावा मंत्र सिद्धि के बाद इस मंत्र को आप जिसको भी प्रदान करेंगे। निश्चित रूप से उसका भी कल्याण होता है। लेकिन गुरु मंत्र का साधक ही इसके लिए फायदेमंद माना जाता है। ऐसी अवस्था में आपको केशनी अप्सरा की साधना को गुरु मुख से प्राप्त कर करना चाहिए और गुरु को दक्षिणा देकर उनके मंत्र को प्राप्त करके आगे बढ़ना चाहिए। तो यह थी केशिनी अप्सरा की साधना। अगर आपको आज का वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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