खजाने की खोज सच्चा आप बीता अनुभव भाग 5
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। खजाने की खोज सच्चा आप बीता अनुभव यह भाग 5 है। चलिए पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं कि आगे इनके इस सफर में क्या घटित हुआ था? नमस्कार गुरु जी, पिछली बार मैंने आपको बताया था कि मैं जब तांत्रिक के पास गया तो उसने कहा कि तुम्हें अपना खजाना अगर वापस प्राप्त करना है तो केवल एक ही शर्त है। तुम डेढ़ फुटिया की साधना करो और उसकी सिद्धि प्राप्त करो। अगर तुम ऐसा कर पाए तो अवश्य ही तुम अपना खजाना वापस प्राप्त कर सकते हो। इसके अलावा कोई अन्य मार्ग नहीं बचा क्योंकि तुम्हें वह तांत्रिक तो अब मिलने से रहा। मैंने उससे कहा, कहते तो तुम ठीक हो, चलो, यह भी कर के देख लिया जाए। इसके बाद मैंने उस तांत्रिक से वह विधि प्राप्त की जिससे मैंने डेढ़ फूटिये की साधना शुरू की। यह एक बच्चे की हड्डी होती है और इसकी विशेष तरह की तांत्रिक क्रियाओं द्वारा साधना की जाती है। यह 3 तरह का तांत्रिकों ने मुझे बताया था। एक ब्रह्मचारी कहलाता है जोकि सबसे अधिक शक्तिशाली होता है। एक काला होता है और एक सफेद रंग का होता है। तीनों स्वरूप अलग-अलग हैं। मैंने उससे पूछा तो उसने बताया ब्रह्मचारी जो सबसे अधिक शक्तिशाली है। इसकी साधना तुम्हारे लिये कठिन पड़ेगी और समय भी अधिक लगेगा। इसलिए तुम काले डेढ़ फुटिया की साधना करो और मैंने फिर वह साधना शुरू कर दी। इसके विषय में मैं ज्यादा आप लोगों को नहीं बताऊंगा। गुरु जी आपके भी इंस्टामोजो अकाउंट में यह साधना पड़ी हुई है। बस उसी तरह मैंने साधना कंप्लीट की और आखरी दिन सिद्धि मुझे इसकी प्राप्त हो गई। सबसे पहले जब यह काली परछाई के रूप में मेरे सामने आया तो इसने पेट भरने की शर्त रख दी तो मैंने कहा कि मैं तेरा पेट भर दूंगा और यही मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। इसके बाद मैंने उसे पहला काम सौंपा और कहा कि मेरे लिए तू पैसा निकाल कर ले आ उसने मुझसे कहा कि ठीक है। मैं तेरे लिए पैसा लेकर आ जाऊंगा। लेकिन अगर तूने मेरा पेट नहीं भरा तो मैं फिर से उसे वही रख कर आ जाऊंगा। मुझे सिद्धियों का कोई विशेष ज्ञान नहीं था और यह मेरे लिए एक नई बात हुई थी। इसलिए गलती होना स्वाभाविक ही था। मैंने उससे कहा ठीक है तब मैंने कहा अच्छा तुझ में अगर ताकत है तू? आरबीआई से ही मेरे लिए एक करोड़ रुपए लेकर आ जा। उसने कहा ठीक है और वह दौड़ कर गया और थोड़ी ही देर बाद मेरे सामने मैंने अपनी खुली आंखों से नोट बरसते हुए देखे। 500-500 के नोट लगातार हवा से नीचे गिर रहे थे। इस स्थान पर मैं बैठा हुआ था उसके सामने ही। अप्रत्याशित रूप से ऐसी चीज हो रही थी जो आज के समय में कोई यकीन ही नहीं करेगा। मैं यह भी दावा करता हूं कि इस अनुभव को सुनने वाले आधे से ज्यादा लोग इस बात पर विश्वास ही नहीं करेंगे। उनको लगेगा कि मैं झूठ बोल रहा हूं। पर जिसने अपनी आंखों से यह सब देखा हो भला वह क्यों विश्वास ना करें। यह कैसी माया थी गुरु जी मैं आज तक समझ नहीं पाया। उस डेढ़ फुटिया में इतनी अधिक शक्ति थी कि वह सच में आरबीआई से 10000000 रुपए निकाल कर लाया था और मेरे सामने नोटों की बारिश हो रही थी। मुझे कुछ समझ में नहीं आया क्योंकि जिस जगह पर मैं बैठा था। वह मेरे घर का आंगन था और लोगों को देखने में कोई परेशानी नहीं होने वाली थी। भले ही यह रात का समय था, लेकिन अगर नोट की बरसात चलती रहती और कोई देख लेता तो बहुत गड़बड़ हो जाती तो फिर मैं तुरंत ही उन नोटों को उठा उठा कर कमरे के अंदर फेकने लगा ताकि मैं वहां का दरवाजा बंद कर सकूं और कोई जान ना पाए। कितना रुपया मेरे सामने गिरा। मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला। और मैं भी पसीने से भीग गया, लेकिन मैंने उन नोटों को उठाकर कमरे में फेंकना बंद नहीं किया और इस प्रकार मैंने तुरंत ही 10000000 रुपए कमरे के अंदर यूं ही फेंक दिया। डेढ़ फुटिया मेरे सामने था। मैंने कमरे को ताला लगा दिया। और तब डेढ़ फुटिया ने कहा, मुझे भूख लग रही है ला मुझे मेरा भोजन दे। मैंने पहले से ही कुछ केले इकट्ठे कर रखे थे। तकरीबन 20 से 25 किलो क्योंकि मुझे पता था। यह ज्यादा खाएगा। मैंने उसे कहा केला खाना शुरु कर पर उसने 1 मिनट के अंदर ही सारे केले खाकर वहां पर ऐसे फेंक दिए जैसे कि उसने उनका पूरा प्रभाव ही चूस लिया हो। मेरे सामने पूरा खाना खत्म हो चुका था। उसने कहा मुझे भूख लगी है तू और खाना ला। मेरे सामने कोई विकल्प नहीं था। मैंने उस से प्रार्थना की कि मैं अभी तेरे लिए खाना ले आऊंगा। वह कहने लगा। मैं सिर्फ इस रात भर ही तेरे साथ रहूंगा। मेरा पेट भर दे तो मैंने तुरंत ही दो गड्डियाँ निकाली और पास के घर में एक जान पहचान के लड़के को कहा कि फल की दुकान से जितने भी फल तू ट्राली में लादकर ला सके। सब ले आ वह भी आश्चर्य में पड़ गया। उसे तो यकीन ही नहीं था। ऐसा भी कुछ मैं उससे कह सकता हूं, लेकिन गड्डी पकड़ाते ही शांत हो गया, क्योंकि नोटों की गड्डी देखकर उसे समझ में आ चुका था कि सच में इसे इतनी रात को भी फलों की आवश्यकता है, वह यह बात तो जानता ही था कि इतनी रात अगर यह फल मांग रहा है तो अवश्य ही इसे कहीं ना कहीं तांत्रिक कार्य में जरूरत होगी। वह लड़का विश्वासपात्र था। इसलिए ज्यादा कुछ उसने सवाल नहीं किए, लगभग मैंने उसे दो ₹300000 दे दिए थे और वह दौड़ते हुए गया। उसने किस प्रकार से व्यवस्था की होगी, मुझे नहीं पता। इधर मै डेढ़ फुटिया से बातचीत करता रहा। वह कहने लगा मुझे भूख नहीं बर्दाश्त, तू जल्दी से और खाना मंगा मैं उसे समझाता रहा। शांत हो जा धीरे-धीरे खाना आएगा। मैं खाना बनाता थोड़ी हूं और लगभग 1 घंटे बाद वह लड़का पूरी ट्रैक्टर ट्राली फलों से भर कर ले आया। और मैंने कहा, सामने यहीं पर गिरा दे और अपने घर चला जा। उसने कोई सवाल नहीं किया और सारा एक साइड में गिरा दिया और उसके बाद वह घर चला गया। मैंने डेढ़ फुटिया को कहा, तू अपना भोजन कर तब उसने अपना भोजन करना शुरू किया, लेकिन तकरीबन दो ही मिनट में वह सारी ट्राली का फल खा गया। और मुझसे कहने लगा, मुझे भूख लगी हुई है। तूने मुझसे वादा किया था। मेरा दिमाग खराब हो गया था। मैंने सोचा अब मैं क्या करूं? अब तो रात को दोबारा उस लड़के को बुला सकता हूं तो वह कहेगा। यह क्या है पर मेरे सामने और कोई रास्ता नहीं था। विश्वासपात्र केवल वही लड़का था। मैं फिर उस लड़के के पास पहुंचा और उससे कहने लगा कि जैसे तुम फल लेकर आए हो, वैसे ही और फ़ल भी ले आओ। तो वह कहने लगा दूसरी कोई दुकान अब खुली नहीं होगी। मैंने उससे कहा, सवाल मत करो, मैं तुम्हें पैसे दे रहा हूं। इन में जितने बचे तुम रख लेना, मैंने उसे तकरीबन से ₹700000 और भी और दिये उसे कहा जाओ। किसी भी तरह व्यवस्था करो, वह भी तैयार हो गया क्योंकि उसे लग रहा था कि वह एक डेढ़ लाख रुपए बचा लेगा। जो उसके हो जाएंगे और वहां फिर दौड़ पड़ा। उसने आनन-फानन में गाड़ी बुकिंग की और दूर के एक फल विक्रेता के घर पहुंच गया। अब उसने कैसे फिर से व्यवस्था की होगी। मुझे नहीं पता लेकिन उसने किसी तरह मैनेज किया। अब की बार वह दो ट्राली पूरे फल से भरे हुए लेकर आ रहा था। मुझे इस बात का भय हो गया था कि कहीं इसे भी यह पूरा चटना कर जाए। क्योंकि मुझे किसी भी तरह सुबह तक इसे उलझाए रखना है। मुझसे गलती हो चुकी थी जो मैंने इसकी शर्त मान ली थी। इसके शर्त में इसने मुझसे वचन लिया था कि तुम मुझे मेरी पेट भर भोजन दोगे और मैं तुम्हारी कोई भी इच्छा पूर्ण कर दूंगा। अगर मैंने इस बात पर विचार किया होता की शक्तियों को वचन देने से पहले सौ बार सोचना चाहिए क्योंकि अगर हमसे कहीं पर भी गलती हो जाएगी तो फिर हम उसको कभी नहीं भर पाएंगे। मुझे तो पहले इन बातों पर यकीन ही नहीं था कि यह मेरे लिए इतनी बड़ी चोरी कर पाएगा पर उसने तो सच में 10000000 रुपए चोरी कर लिए था। यह कैसी माया थी जो मैं कभी समझ ही नहीं पाया। शक्तियां कितनी शक्तिशाली होती हैं और अगर उनकी पूर्ण सिद्धि हो जाए तो वह क्या क्या नहीं कर सकती हैं। जब एक डेढ़ फुटिया में इतनी अधिक शक्ति है तो देवी मां की शक्तियां अन्य बड़े देवताओं की शक्तियां कितनी अधिक शक्तिशाली होंगी। एक व्यक्ति कभी समझ ही नहीं सकता। लेकिन समस्या तो यह है कि बड़े देवी-देवताओं को सिद्ध ही नहीं किया जा सकता। केवल छोटी शक्तियां ही सिद्ध हो पाती हैं। बाकी की तो केवल हमें कृपा प्राप्त होती है, लेकिन उनकी कृपा भी बहुत बड़ी होती है। गुरुजी वह किसी प्रकार ट्रैक्टर ट्राली लेकर दुबारा वहां पर आ गया और उसने एक बार फिर से वह सारा फल उस जगह डालने की कोशिश की तभी मेरी बुद्धि काम कर गई। मैंने कहा रुको पास वाले तालाब में यह सारे फल डाल दो। उसने मुझे बड़े अचरज से देखा। मैंने कहा सवाल नहीं जो मैंने कहा, वह करो और फिर उसने तुरंत ही जाकर गांव के पास वाले तालाब में सारे फल डाल दिए। अब इसके बाद में उसी स्थान पर अकेले पहुंचा और उस डेढ़ फुटिया को मैंने आवाहन दिया और कहा अपना भोजन करो। इसके बाद क्या हुआ आपको अगले भाग में बताऊंगा नमस्कार गुरु जी! तो देखिये यहां पर सिद्धि और उसका मायाजाल कैसा होता है। इस अनुभव के माध्यम से आप लोग जान पा रहे होंगे। आगे के अनुभव को अगले पत्र के माध्यम से जानेंगे तो अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है। लाइक करें, शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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