खजाने की खोज सच्चा आप बीता अनुभव 6 अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। खजाने की खोज सच्चा आप बीता अनुभव भाग 5 में अभी तक आप नहीं जाना कि उन्होंने डेढ़ फुटिया का आवाहन किया था और उसे तालाब पर बुलाया था। अब आगे जानते हैं कि उनके साथ इस घटनाक्रम में आगे क्या घटित हुआ।
नमस्कार गुरु जी और धर्म रहस्य चैनल के सभी दर्शकों को प्रणाम मैं अब आगे की बात को आपको बताता हूं। गुरु जी उसके बाद मैंने जैसा कि अपनी बुद्धि का प्रयोग किया था और सोचा कि अगर मैं सारे फल तालाब में डलवा दूं तो पानी में गिरते ही फल सड़ने और घुलने लग जाएंगे। और इनके सड़ने और घुलने की वजह से पूरा तालाब उसे पीना पड़ेगा। अगर पूरा तालाब वह नहीं पी पाया तो सुबह होने तक मैं जीत जाऊंगा। मैंने तो यही सोचा था लेकिन मेरी सोच से परे वह घटना घट गई। शक्तियां कितनी तेज होती हैं, उनकी सामर्थ्य क्या होती है, उस दिन मुझे अच्छी तरह समझ में आया था। गुरु जी आपको यकीन नहीं होगा। उस डेढ़ फुटिया ने तालाब में पड़े एक-एक सारे फल को खा लिया। और तालाब बिल्कुल भी गंदा नहीं होने पाया। केवल 5 मिनट में वह सारा फल समाप्त कर गया और सारे फल वहां जैसे कभी थे ही नहीं, छोटे-छोटे अंगूर जो तालाब की तलहटी में पहुंच गए थे, वह भी अब वहां पर नहीं दिख रहे थे।
अब उसके मुंह से बोलने से पहले ही मैं घबराने लगा था क्योंकि अब उसकी अगली मांग यही होगी कि अगर इसका पेट नहीं भरा है तो यह फिर से मांग करेगा और मेरे में इतनी अब सामर्थ्य नहीं है कि फिर से इसके लिए भोजन मंगवा लूंगा। पैसे की कोई कमी नहीं थी, लेकिन कमी थी तो उस वस्तु की जिसे वह खा सकता जैसे ही उसने अपना आखिरी फल खाया। वह मेरे सामने आकर कहने लगा। मुझे भूख लगी है। मेरा पेट अभी नहीं भरा है। तुम मेरे लिए और फल लेकर आओ तब मैंने उसे हाथ जोड़कर कहा। मैंने अपनी पूरी कोशिश कर ली है और अब अगर कोई फल लेने गया भी तो वह दूसरा शहर जाना होगा और वहां से आते आते सुबह हो जाएगी और तुमने कहा था कि रात भर में तुम्हें अपना पेट भर लेना है। यानी अगला दिन लग जाएगा। इसलिए मुझे इस बात के लिए माफी दो। तो वह हंसकर कहने लगा। मैंने तो तुमसे पहले ही कहा था। मेरा वचन सत्य था। अब चाहो तो इस वचन को तोड़ दो और चाहो तो प्रयास जारी रखो, लेकिन याद रखना रात भर से पहले तुम्हें मेरा पेट भरना ही होगा। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैंने उसे प्रणाम किया और कहा, मैं तुम्हारी माया से हार चुका हूं। तुम कोई मार्ग निकालो तो वह कहने लगा। मैं कोई मार्ग निकालने नहीं आया। तुमने मुझे सिद्ध किया था और वचन दिया था। मैंने तो सिर्फ तुमसे एक ही शर्त रखी थी। मेरी दूसरी शर्त तो तुम जानते ही नहीं थे। पर मुझे पता था तुम मेरी पहली शर्त को ही पूरा नहीं कर पाओगे। इसलिए अब मैं अपनी सारी सिद्धियाँ समेट कर यहां से जा रहा हूं। इसके साथ ही तुम्हारी सिद्धि भी नष्ट हो जाएगी और मैं हमेशा के लिए यहां से चला जाऊंगा और उसके बाद वहां से सब कुछ गायब हो गया। वह जितने भी रुपए पैसे और नोट लेकर आया था, वह सारे गायब हो गए। चमत्कारिक बात यह थी कि जितने भी फल लाए गए थे, वह भी उन्हीं स्थानों पर वापस पहुंच गए। जहां से उनको लेकर आया गया था और वहां रखे वह सारे पैसे भी वह वहां से लेकर चला गया । आखिरकार जो पैसे लाए गए थे आरबीआई से वह फिर से वही वापस वह रखकर चला आया। इस बात से मैं यह तो समझ गया कि सिद्धियां किस प्रकार मनुष्य के साथ खेलती हैं।
आज कोई व्यक्ति इस बात के लिए यकीन ही नहीं करेगा कि मैंने सिद्धि भी प्राप्त थी। सारी रात चमत्कार भी देखा और सब कुछ ऐसे गवा दिया जैसे कुछ हुआ ही नहीं था। आज अगर यह बात मैं किसी को बताता तो यकीन ही नहीं करता। इसीलिए मेरे मन में यह भाव था कि मैं आपको बताऊं। कम से कम कुछ लोग तो इस बात पर यकीन करेंगे। बाकी तो मेरी इस कहानी को मनगढ़ंत मान कर सिरे से नकार देंगे। गुरु जी आप ही बताइए कि सिद्धियों का हर मायाजाल अगर मनुष्य के सामने प्रकट हो जाए तो बेचारा भक्त करें भी तो क्या करें लेकिन उस सिद्धि के चले जाने के बाद मेरे मन में एक बात और आई थी। ऐसी सिद्धियों को करने से पहले व्यक्ति को हर प्रकार से गुरु मंत्र से दीक्षित होना जरूरी है ताकि कुछ तो उस व्यक्ति की बुद्धि भी कारगर रहें और अपने कार्यों को सिद्ध करने के लिए उसे पूरी समझ और मार्गदर्शन ही मिलता रहे। इसीलिए गुरु की आवश्यकता होती है शायद अगर मेरे पास उस वक्त गुरु होता तो कुछ ना कुछ अवश्य ही मार्ग बताता कि मुझे इस समस्या से कैसे निकलना है और इस अनुभव के माध्यम से मैं यह भी बताना चाहता हूं कि शक्तियों को जब वचन दें तो बड़े सावधान होकर दें क्योंकि वह वचन से बंधे होते हैं। वह इंसानों की तरह नहीं होते कि अपनी बात से पलट जाए। उनके लिए वचन ही सबसे बड़ी वस्तु होती है। इसलिए आप जो वचन दे सोच और समझ कर दे। जल्दबाजी में कोई वचन ना दें और बिना वचन लिए कोई सिद्धि भी ना रखें वरना वह टिकेगी नहीं। इस प्रकार गुरु जी, मैंने उस साधना को दोबारा सिद्ध करने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह कभी भी मुझसे सिद्ध नहीं हुई। मैं बार-बार प्रयास करता रहा, लेकिन जैसे कि डेढ़ फुटिया की सिद्धि हमेशा के लिए मुझसे नाराज हो गई थी। मैं केवल साधना करता रह गया। मैंने उसके बाद 9 बार प्रयास किया था, लेकिन एक बार भी मुझे सफलता नहीं मिली। लेकिन एक बार जब मैं नवरात्रि में उसकी साधना कर रहा था तब अचानक से ही स्वप्न में मुझे दिखा और वह मुझ को आकर कहने लगा। तुमने बहुत मेहनत की है। मैं अब तुमसे सिद्ध नहीं हो सकता क्योंकि इसे भी जब धारण करने योग्य साधक नहीं रह जाता या उससे हार जाता है तो फिर वह सिद्धि दोबारा नहीं मिलती है। एक बार परीक्षा में असफल हो जाने पर दोबारा सिद्धि हासिल नहीं होती। इसीलिए तुम्हें अब सिद्धि नहीं मिलेगी। तब मैंने उससे कहा, क्या मेरी सारी मेहनत नष्ट हो जाएगी तो वह कहने लगा नहीं। आखिर तुम बताओ तुम्हें क्या चाहिए। मैं तुम्हारी एक छोटी सी मदद कर सकता हूं। तब उसने मुझे एक जगह का रहस्य बताया और कहा, यहां पर तुम्हें एक खजाना मिलेगा। लेकिन इस संसार में कुछ ही लोग ऐसे हैं जो इसे निकाल सकते हैं क्योंकि यह पूरी तरह तांत्रिक खजाना है और इसे विशेष बंधन क्रियाओं द्वारा बांधा गया है। इसमें कई टन सोना, चांदी, हीरे, जवाहरात और माणिक है। लेकिन आंखों के सामने होने पर भी इसे कोई प्राप्त नहीं कर सकता है और फिर उसने मुझे उस जगह का पता बताया। गुरु जी मैं उस जगह पहुंच गया और मैंने उस जगह का वीडियो बनाकर आपको। अब भेज रहा हूं आप रहस्यमई इस वीडियो को देखिए और मुझे इस विषय में बताइए कि यहां पर खजाना कैसे निकाला जा सकता है और यह तंत्र से किस प्रकार बंधा हुआ है। गुरुजी बस यही मेरा आखिरी पत्र है और मुझे बस इतना ही जानना है। बाकी आपकी कृपा से मैंने जबसे गुरुमंत्र आपसे लिया है तब से मेरा व्यवसाय अच्छा चल रहा है और मैं अब भक्ति मार्ग की ओर बढ़ता ही जा रहा हूं। माता के अलावा और कुछ प्राप्त करने की इच्छा नहीं है। बस इस खजाने का रहस्य मैं आपसे पूछना चाहता हूं। आपको कोटि-कोटि प्रणाम गुरुजी! संदेश-तो देखिए यहां पर इन्होंने उस खजाने का रहस्य जिस जगह पर यह खजाना है। वीडियो के माध्यम से आप सभी को दिखाया है। स्थान मै स्पष्ट रूप से समझ गया हूं। कहां पर स्थित है लेकिन मैं यहां पर स्पष्ट रूप से बोलना नहीं चाहता क्योंकि इससे कई तरह की परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। इस जगह को तांत्रिक बंधन से एक राजा ने बंधवा दिया था और इस खजाने को क्योंकि ब्राह्मण सेना से लूटा गया था। इसीलिए इसको विशेष तंत्र से बांधा गया है। इस मंदिर में एक ऐसा गोपनीय रास्ता है जिस का संकेत दिया भी गया है लेकिन इसे कोई ऐसे ही प्राप्त नहीं कर सकता और इसके लिए महा तपस्वी व्यक्ति तंत्र साधक जब साधना करेगा और तभी वह इस पर रखे गए विशेष भैरव, बेताल, योगिनी और दसमहाविद्या के रक्षा कवच को तोड़ने लायक बन सकेगा क्योंकि इसे विशेष प्रकार के तांत्रिक मंत्रों द्वारा बांधा गया है और इसकी खोज करने वाला मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा। अगर उसने थोड़ी सी भी गलती कर दी तो यह एक विशेष खजाना है और मैंने इस वीडियो को आप लोगों को अवश्य दिखा दिया है। सब समझ जाएंगे कि यह किस जगह का है। अगर उन्होंने कुछ भी पहले रिसर्च कर रखी होगी। तो आप? देख सकते हैं इस खजाने के विषय में जानकारी जो वीडियो इन्होंने भेजा है। अगर कोई तंत्र साधक विशेष और उच्च कोटि का है तो इसके बारे में पता भी अपनी सिद्धियों के माध्यम से कर सकता है और मिलकर खजाना निकाल भी सकता है। लेकिन यह सब इतना आसान नहीं है क्योंकि इस खजाने को विशेष तांत्रिक बंधन से बांधा गया है। अवश्य ही इसके लिए एक विशेष प्रयोजन और विशिष्ट क्रियाएं करनी आवश्यक है। इसमें लंबा समय भी लगेगा। तो यह था आज का इनका खजाने की खोज का सच्चा आपबीता अनुभव अगर आपको भी यह वीडियो पसंद आया है। लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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