नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है उसी कहानी को मैं अब आपको सुना रहा हूं तो यह कहते हैं कि यह बात लगभग 1930 से 1950 के बीच की है जब मेरा साक्षात्कार एक ऐसे ब्राह्मण से हुआ जो शरीर से जो था मस्त मौला था जिसका रंग था काला था लेकिन वह 55 साल का एक ब्राह्मण व्यक्ति था और उनमें से उन्हें जो है पक्षी तंत्र के बारे में जो है बहुत ही ज्यादा जो है वह विद्वान थे और मैं उनसे मिलने के लिए ही उनके यहां पर गया हुआ था तो मुझे यह नहीं पता चल पा रहा था कि इनके पास बहुत सारे पक्षी थे तो वह ऐसे थे जैसे आप भी समझिए कि वह पक्षियों के विशेष जानकार और पक्षी तंत्र में ही वह महारथी थी और वह जो है हम बोलते थे और अपने मकान से भी वह कम ही बाहर निकला करते थे और वह अधिकतर जो है भांग का नशा उनको चढ़ा रहता था और कभी जो है बातचीत भी कम करते थे तो मैं उनसे मिलने गया मिला और फिर उनसे जो है मिलने के लिए मैंने धीरे-धीरे उनके कमरे के और सीढ़ियों की तरफ चढ़ने लगा उनके पास जाने की कोशिश की मैं एक मकान के भीतर प्रवेश किया और टटोल टटोलकर सीढ़ियां चढ़ते हुए आगे बडा और एक कमरे के अंदर पहुंचा जो दरवाजा बंद नहीं था वह हल्का सा खुला हुआ था वहां पर मुझे पता लगा कि स्वामी जी बैठे हैं और वहां पर देखा कि एक तांत्रिक रहस्यमई स्त्री भी उनके साथ बैठी हुई हैै।
उसके हाथ में एक इंसान की खोपड़ी थी जिसके ऊपर सिंदूर लगााा हुआ था लेकिन में जो है मैंने सोचा कि स्वामी जी के सामने स्त्री है और उस औरत की आयु लगभग 45 साल की रही होगी और दिखने में वह जो है उनसे कम उम्र की नजर आती थी उसका पूरा जो है स्वरूप जो था एक तांत्रिक स्त्री की तरह था और वह किसी खोपड़ी के सामने एक चौमुखा दीपक जला था जिसमें अगरबत्ती सुलग रही थी और चारों तरफ जो है खुशबू फैली हुई थी मुझे लगा कि कोई तांत्रिक प्रयोग यहां चल रहा है और किसी स्त्री के साथ ही तो मेरा यहां रुकना ठीक नहीं है और अजीब अजीब सी आवाज और चीजें हो रही थी तो मैंने वहां से निकलनााही उचित समझा। और मैं वहां से निकल गया दूसरे दिन जो है मैंने उनके शिष्य से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि वह कोई जो है साधना कर रहे होंगे स्वामी जी इसलिए आप वहां मत जाइए कि मेरा मन नहीं माना मैं फिर से उनके पास चार-पांच दिन बाद फिर गया और वह मुझे जो है जो है नदी के किनारे स्नान करते हुए मिले और मैंने उनको प्रणाम किया और पूछा आप जो है काफी व्यस्त हैं तो उन्होंने कहा नहीं मैं व्यस्त नहीं हूं मैं जो है एक साधना कर रहा हूं ।
उसके बाद वह मुझे अपने घर ले गए वह मुझे अपने कमरे में ले गए जहां पर मैंने देखा कि एक असम का उल्लू जो है बैठा हुआ था वह उल्लू जो है लगभग 2 फुट के बराबर ऊंचा रहा होगा उसका चेेेेहरा ही डरावना थाा और उस उल्लू के पैर में पतली ने जनजीर बंधी थी उसके सामने किशमिश काजू बादाम और शराब वगैरह रखी हुई थी और उसी के पास घी का दीपक भी चल रहा है वह उल्लू डरावने चेहरे का दिखाई पड़ता था और उसके पास ही कटोरे में लोबान जल रहा था थे वह किसी मंत्र का जाप कर रहे थे और उनकी आंखें हमेशा उल्लू के ऊपर टिकी हुई थी स्वामी जी लगातार उल्लू को देखतेे हुए जाप कर रहे थे स्वामी जी के चेहरे पर एक अलग चीज है शांति और बेजान चेहरा नजर आ रहा थी कुछ देर में पड़ा ऐसा लगा जैसे कि वह पिशाच जैसा दिखने वाला उल्लू बोल रहा है वह भी मानव की आवाज में मैं आश्चर्य से भर गया कितना अविश्वसनीय और अद्भुत है इंसान की आवाज में बोलना पहली बार में सुन रहा था तांत्रिक साधना तो मैंने भी देखी है लेकिन कभी इस तरह की साधना और शक्ति देखने का जो है जो है मुझे भी नहीं आया लेकिन मैं वहां से बाहर निकलना ही ठीक समझा मैंने समझा मेरे लिए और मेरे मन में इतना डर भर गया कि मैं 10 से 12 दिन तक स्वामी जी से मिलने ही नहीं गया तभी मेरा जो है कहीं और जाना पड़ गया मुझे तो मैं फिर लौटकर आया तो जब मैंने यहां पता किया तो पता चला कि एक बहुत ही विचित्र घटना घट गई है ।
और जो बहुत ही दुख भरी भी है कि स्वामी जी की लाश अपनी साधना वाले कमरे में मरे पाए गए उनका शरीर फूल कर जो बदबु आ रही थी अजीबब सा हो गया था और उस शरीर की दुर्गंध निकल रही थी अजीब बात है कि उनकी दोनों आंखों की जगह दो बड़े-बड़े गड्ढे हो गए थे लगता था जैसे कि उनकी आंखे निकाल ली हो उनके लाश के पास से एक भयानक उल्लू मरा पड़ा था कमरे के चारों तरफ शराब की खाली बोतलें फैैैैलीं हुई थी मेरे मन मे बार बार उस महिला का चेहरा उ्सी के साथ मेरे दिमाग में घूम गया कि आखिर वह कौन होगी सभी लोग जो थे और साधु थे वह दुखी थे और वह कहने लगे कि पक्षी तंत्र में उल्लू साधना जो होती है बड़ी ऊंची साधना होती है अपने नख और शिखा का वर्णन करने के बाद उल्लू जो होता है वह साधक से तीन प्रश्नों के उत्तर देता है और वो तीनों प्रश्न भविष्य से संबंधित होते हैं अंतिम प्रश्न का उत्तर प्राप्त होते ही यदि तलवार से उल्लू की गर्दन नहीं काटी जाए तो आप अपनी चोच से साधक की वो आंखें निकाल देता है यह सुनकर मेरा मन सोचनै लगा शायद यही कारण रहा होगा कि। स्वामी जी की मृत्यु हो गई होगी और वह जो है तलवार से उल्लू की गर्दन नहीं काट सके होंगे और मौका पाकर जो है उल्लू ने जो उनकी आंखे निकाल ली होंगी यह साधना है जो इन्होंने अभी बताई है ।
पुस्तक के लेखक ने बतााया और इस साधना में ऐसा होता है कि उल्लू को जो है आप को पकड़ कर लाना होता है और उल्लू को पकड़कर बांध के रखना पड़ता है 40 या41 दिन तक उसे आपको जो है सोने नहीं देना होता है उस साधना में जो उल्लू होता है उसको सोने नहीं देेेना होता है तो वह बेचैन होने लगता है और आपको इसके लिए आपको जो है कब्रिस्तान से हड्डियां लानी पड़ती है उसको दूध में उबालना पड़ता है और वही भोजन इसको करवाना होता है लेकिन सोने नहीं दिया जाता है 41 दिन तक जो है उल्लू को सोने नहीं दिया जाता साधना में कोई मंत्र नहीं लगता है वैसे यहां पर उन्होंने मंत्र की बात की है लेकिन जितना मैं जानता हूं कि शायद कोई मंत्र भी नहीं लगता है और 41 वें दिन होता है तो उल्लू फिर आदमी की तरह बोल उठता है और फिर वह जो है आपसे तीन सवाल पूछता है वह और तीसरे सवाल का अगर जब से आपको जवाब मिले तुरंत उसकी गर्दन काट देनी होती अगर आप ऐसाा नही करो्गे तो वह उल्टा आप को जान से मार देता है बहुत ही खतरनाक साधना बोली जाती है तो कैसा लगा आपको यह कहानी आपको पसंद आया हो तो लाइक करेंं शेयर सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।।