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गुरु मंत्र साधना में नीलिमा भैरवी के दर्शन

जय मां पराशक्ति  🙏🙏🙏
प्रणाम गुरुजी 🙏🙏🙏
गुरुजी को चरण स्पर्श और गुरु माता को भी चरण स्पर्श । गुरुजी मैंने आपको यह पत्र जन्माष्टमी वाले दिन लिख के भेज था लेकिन शायद पूजा के काम की वजह से आप मेरा पत्र नही देख पाए इसलिए मैं आपको दुबारा से लिख के भेज रहा हु क्योंकि मुझे आपसे अपने प्रश्नों के उतर जानने है इसलिए । गुरुजी अगर आप इस अनुभव पे वीडियो बनाना चाहते है तो बना सकते है लेकिन कृपया करके मेरी कोई भी जानकारी किसी के साथ सांझा न करे । मैं आपसे अनुरोध करता हु । आपका शिष्य कुश हु । गुरुजी मैंने आपको पहले भी बहुत से अनुभव भेजे है जिन्हे आपने प्रकाशित किया था उसके लिए मैं और मेरी माता जी आपका दिल से धन्यवाद करते है । मैंने जो आपको पहले अपने अनुभव भेजे थे वो यह थे । गुरुमंत्र के द्वारा कृत्या से रक्षा , माता का युद्ध जिन्न बादशाह से । गुरुजी इस बार भी मुझे और मेरी माता जी को बहुत ही विचित्र तरीके का अनुभव हुआ है जो को मैं आपको अब बताने जा रहा हु । गुरुजी इस अनुभव का अर्थ आप जरूर बताना क्योंकि मैंने और माता जी ने बहुत कोशिश करी इसको समझने की लेकिन हम इससे नही समझ पाए । क्योंकि गुरुजी मेरी आदत है की मुझे जब कोई अलौकिक अनुभव होता है या माता जी को होता है तो हम एक दूसरे को जरूर बताते है और उसे समझने का प्रयास करते है । और एक चीज मैं सभी अपने धर्म रहस्य परिवार के भाई और बहन से यह कहना चाहूंगा की इस समय आप मेरे बारे मैं यह मत सोचना की गुरुमंत्र के जाप के दौरान अनुभव होते है तो मैं अपनी माता जी को क्यों बता देता हु । बल्कि मुझे गुरुजी के अतिरिकत किसी को बताना नही चाहिए ।
उसका कारण यह है की वो भी गुरुजी की शिष्य है । अब मैं अपने अनुभव पे आता हु जो की यह था गुरुजी की मैं जैसे ही जाप करके और ध्यान करके सोने के लिए गया तो मैंने सपने मैं देखा की मेरे नाना जी और मेरी नानी जी हमारे घर आई है वो भी रात को १० भजे को करीब । उनके हमारे घर पर आने से मेरी माता जी बहुत प्रसन्न थी लेकिन गुरुजी उस समय मेरे मन में एक सवाल ही चल रहा था की यह कैसे हो सकता है की नाना जी यहां चल कर आ जाए क्योंकि उनका शरीर को लकुआ हो चुका है और मैंने आपकी अष्ट चक्र भैरवी से प्रार्थना की थी तो उनके प्राण बच गए थे और अब थोड़ा बहुत चल भी लेते है लेकिन सीढ़िया नही चढ़ सकते और मेरा घर पहली मंजिल पे है तो वो कैसे आ गए और दूसरा सवाल मेरे मन में यह था की नानी जी तो इस दुनिया से जा चुकी है तो यह कोन है जो आई है । गुरुजी जब मैं एक तरफ खड़ा हुआ उन्हे देख रहा था तो तभी सपने मैं मेरी माता जी मुझे डाटती है और कहती है की उनकी सेवा और सत्कार अच्छे से करु क्योंकि आप ही कहते है की पता नही भगवान कब किस रूप मैं किसके घर आ जाए । तो मैंने भी उनकी बात में सिर को हिलाते हुए उनकी बात का पालन करना शुरू कर दिया । ओर उनकी सेवा सत्कार बहुत अच्छे से किया की तभी मेरे दोस्त का फोन आता है और वो कहता है की जो तुम्हारे घर आए है तुम्हे उनके लिए ५६ भोग बनाना चाहिए । लेकिन मैंने उससे यही कहा की भाई मैं इस चीज को करने मैं असमर्थ हु क्योंकि ५६ भोग मैं बहुत धन लगेगा जो की मेरे पास नहीं हो । ओर हमारे गुरुजी ने यही सिखाया है की इंसान के प्रेमभाव सबसे ज्यादा एहमियत रखता है ।
ओर मेरे पास इस समय जो भी है वो मैं पूरे अपने प्रेमभाव से उन्हे खिला रहा हु तो वो भी इस बात से मेरी सहमत हो जाता है की तू सही ही बोल रहा है और फिर वो मुझे कहता है की सुबह जल्दी उठ जाइयो । हम सब सुबह हॉस्पिटल जायेंगे अपना लेडिकल करवाने के लिए । उसके बाद गुरुजी वो फोन रख देता है और हम सब खाना खा के सोने ही वाले होते है की तभी रात को २:३० या ३:०० भजे के करीब मेरे दरवाजे पर जोर जोर से दस्तक होती है । तो हम सब आपस में एक दूसरे को देखने लगते है और सभी यही कहने लगते है की इस समय कोन आया होगा तो माता जी मुझे कहती है की जाओ और देख के आओ की कोन है इस समय दरवाजे पे । तो गुरुजी मैं दरवाजे के पास आकर जोर से आवाज देता हु की कोन है , कोन है लेकिन बहार से कोई आवाज नहीं आती फिर मैंने गेट में जो होल होता है बहार का देखने के लिए उससे मैंने जैसे ही बाहर का नज़ारा देखा तो मेरे पैरों तले जमीन ही निकल जाती है । गुरुजी मैंने जो देखा वो यह था की एक स्त्री नीले कमल के आसन पे बैठी हुई है और पूरी नग्न अवस्था मैं है । उनकी जिब से खून टपक रहा है और उनके दस हाथ है जिसमे उन्होंने अपने शस्त्र और एक हाथ मैं मुंड ले रखा है । ओर उनकी आंखे पूरी लाल हो रखी थी । गले मैं ६४ मुंड की माला पहनी हुई थी । उनके केश खुले हुए है और जैसे नाग जब चलता है तो वैसे बालों की लट हो रखी है । उनका इतना भयंकर रूप देख कर तो मेरा दिमाग काम करना ही बंद कर गया की क्या करू और क्या नही । गुरुजी जब मैं इन देवी को देख रहा था तो ठीक उसी समय मेरी माता जी की नींद खुल गई थी और उन्होंने मुझे सुबह बताया की जिस समय तुमने उन देवी को देखा था उसी समय हकीकत मैं दरवाज़े के बाहर एक बिल्ली मौजूद थी जो की बहुत ज्यादा ही मियाओ मियाओं कर रही थी । अब मैं आपको वापस से अनुभव के आगे की बात बताता हु जो की यह थी की तभी मैं अपनी सारी बात माता जी को भी बताता हूं ।
ओर सारी बातों को सुनकर माता जी भी विचलित हो जाती है तभी हम आपका ध्यान करने लगते है और आपकी आवाज आती है की तुम खिड़की के रास्ते कूद के माता काली के मंदिर जाओ । वो ही इस समस्या का हल करेंगी । गुरुजी तभी आपकी आज्ञा का पालन करते हुए । मैं खिड़की से कूद जाता हु और माता के मंदिर की तरफ प्रस्थान करता हु । की तभी मेरी दोस्त वहा आ जाते है और मुझे मेडिकल करवाने के लिए ले जाते है । मैंने जल्दी जल्दी अपना मेडिकल करवाया और जैसे ही मैं वहा से निकलने वाला था तो एक लड़की वहा आ जाती है जो की गूंगी और बहरी थी और वो बिल्कुल भी पढ़ी लिखी नही थी । उसने मुझे इशारे मैं कहा की मैं उसका मेडिकल का फॉर्म भर दू । तो मैंने उसका जैसे ही फॉर्म भरके दिया वो बहुत खुशी से मेरी ओर देखने लगी । मैं उसका फॉर्म उससे देकर जल्दी से माता जी के मंदिर गया तो वो बंद हो चुका था । तो मेरा मन निराश हो गया क्योंकि दिन के १:०० बज गए थे मेडिकल के चक्र में । मैंने अपनी दोस्त की स्कूटी स्टार्ट करी और निराश मन से आपसे गुरुजी क्षमा मांगते हुए । घर वापस आने लगा की तभी मुझे माता काली के मंदिर से आपकी आवाज आती है की वापस आओ । तो मैं आधे रास्ते से स्कूटी को घुमा के वापस आने लगता हु क्योंकि मेरे घर से माता काली का मंदिर थोड़ा दूर है और जब आपने वापस बुलाया तो उस समय शाम के ६:३० बज गए थे । मैं मंदिर की तरफ आ ही रहा था की मैंने देखा एक अघोरी ने रेत का एक छोटा टीला बनाया हुआ है और उसपे उसने सीधा नारियल खड़ा करके रखा है । उसने उसके सामने ५ सरसो के दीपक जला रखे है । ओर उनके आगे ५ पताशे पे ५ जोड़े लोग के और ५ इलाची के रखे हुए है । ओर भोग मैं उसने मदिरा , बकरे के मास और माछी के मास के टुकड़े रख रखें है । ओर अघोरी पूरी तरह नग्न होकर अपने शरीर पे भस्म लगाए हुए हवा मैं उड़ते हुए उसके चारों तरफ घूमते घूमते मंत्रो का जाप कर रहा है की तभी उसकी नज़र मेरे पे पढ़ती है और वो जैसे ही मुझे देखता है उससे मैं थोड़ा विचलित हो जाता हु क्योंकि वो जैसे ही मेरी तरफ अपना मुंह करता है उसकी आखों से सफ़ेद रंग की दूधिया रोशनी निकल रही थी ।
मैंने यह दृश्य देखते ही तेज़ी से स्कूटी को भाग्या और माता के मंदिर पे जाकर ही रुका । मैंने माता काली को मूर्ति को प्रणाम किया और माता से अपनी ओर आपने परिवार को रक्षा के लिए प्रार्थना करी । की तभी गुरुजी माता काली की मूर्ति के अंदर से आपकी आवाज आने लगी और आपने बताया की माता प्रशक्ति की कृपा से अब तुम्हारे घर मैं सब ठीक है कोई भी चिंता की बात नही है । तो मैं यह सुनकर बहुत प्रसन्न हो गया था गुरुजी । गुरुजी लेकिन तभी मेरे मन में वो सवाल उमड़ आया जो की मैंने मंदिर आते हुए रास्ते मैं देखा  था । तो उसका जवाब आपने यह दिया की वो एक अघोड़ दानी अघोरी नही है । जैसे की बाकी होती है । वो एक लालची अघोरी है और दूसरो का अनहित करना ही उसका स्वभाव हो चुका है । ओर जिस समय तुम यहां माता के मंदिर आ रहे थे उस समय वो महापिशाचनी की सिद्धि कर रहा था और उसमे माता की लीला ही थी की उसकी सिद्धि जो की नष्ट हो गई वो भी तुम्हारी वजह से क्योंकि वो पहले ही अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता आया है इसी वजह से माता ने यह लीला खेली थी की जिससे इसकी समस्त सिद्धि नष्ट हो जाए और वो हो भी गई । लेकिन तुम थोड़ा ध्यान से रहना पता नही कब कोन पीछे से हमला कर दे या मीठे में विष दे दे । उसके बाद आप मुझे सीधा निधिवन में ले जाते है जहां राधा रानी और बाके बिहारी प्रेम रास कर रहे होते है ।
किंतु वो दृश्य सिर्फ आप देख पा रहे थे मैं तो मुरली की धुन सुन पा रहा था जो प्रेम रास करते हुए प्रभु माता के लिए बजा रहे थे । तो मैंने आपसे पूछा की गुरुदेव मैं यह मनोहरम दृश्य क्यों नही देख पा रहा तो आपने कहा उचित समय आने पर सब दिख जायेगा । उसके बाद आप आप हवा में चले हुए एक जगह से दूसरी जगह जाने लगे तो मैं भी आपके पीछे आने लगा तो मैं एक दम उपर से गिरने लगा तो आपने वहा एक दिव्य नागिन को प्रकट करा । जिन्होंने मुझे गिरने से बचाया और कहा की तुम मुझे पकड़े रहो । मैं तुम्हे वहा छोड़ आती हु जहा तुम्हारे गुरुदेव इस समय जा रहे है । तो वो हवा में उड़ती हुई मुझे हरिद्वार लेकर आ गई जहां पर आप थे । फिर आपने मुझे कहा जाओ पहले माता गंगा का आशीर्वाद प्राप्त करो और मैं तभी माता गंगा के जल में जाकर स्नान किया और गुरुमंत्र का जाप करते हुए माता प्रशाक्ति के इस सात्विक स्वरूप माता गंगा को प्रणाम करके आपके पास आया । फिर आपने प्यारी से मुस्कान से साथ देखते हुए मुझे कहा की अब माता गंगा की आरती को आशीर्वाद प्राप्त करो और फिर मैंने आपके साथ माता गंगा की दिव्य आरती होते हुए देखी और सभी उपस्तित गंगा तट पर निवास करने वाले व्यक्तियों ने एक चमत्कार आपका देखा की माता गंगा की आरती हो ही रही थी को गंगा जी का जल अचानक से उपर  की ओर आने लगा और जल का बहाव बहुत तीवर हो गया ।
सब यह देख कर परेशान हो गए की माता अपने उग्र स्वरूप मैं क्यों आने लगी है । मैं भी उस दृश्य को देख कर गुरुमंत्र का उच्चारण मन ही मन करने लगा की तभी आप माता चंडी के मंदिर की तरफ देखते है और माता को प्रमाण करते है । ऐसा ही आप माता मनसा देवी के मंदिर की तरफ देख कर भी करते है । ओर प्यारी सी मुस्कान से साथ जय मां प्रशक्ति का उच्चारण जोर जोर से करते हुए जल मैं जाने लगते है की तभी पंडित गण और समस्त वहा पर उपस्थित लोग आपको देख चिलाने लगते हैं की वहा मत जाए अन्यथा माता के बहाव से कही बह ही न जाए । की तभी वहा आपने ऐसा चमत्कार किया की सभी देख कर माता प्रशक्ति के गुणगान करने लगे और वो यह था की आप अपना सीधा पैर जैसे ही गंगा जी मैं रखते है माता का उच्चारण करते हुए माता का उग्र स्वरूप शीतल स्वरूप मैं परिवर्तन हो जाता है और पुहाना मां शांति रूप से अपने जल को प्रवाह करने लगी की तभी वहा पर गंगा जी मैं से आवाज आती की यह व्यक्ति मेरी आरती करेंगे । ओर आप माता की दिव्य आरती करके आप अतर ध्यान हो जाते है ।
ओर मेरा सपना भी टूट जाता है गुरुजी आपका बहुत बहुत ध्यानवाद की आपकी वजह से मैं प्रभु की मनोहर बासुरी की धुन सुन पाया , आपकी वजह से दिव्य नागिन के दर्शन प्रपात हुए और गंगा माता का आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ । गुरुजी मेरे कुछ प्रश्न भी है कृपया कर उनका भी उतार दे की वो नीले रंग की स्त्री कोन थी और उसी समय सच मैं दरवाजे से बिल्ली भी मोजोद थी तो वो कोन सी शक्ति थी ।  ओर नाना नानी के रूप में कोन हो सकता है । और वो अघोरी किस तरीके की साधना कर रहा था जो की मुझे पूरा विधान दिखा और आपने बताया की वो महापिशाचानी थी । क्या गुरुजी तंत्र मैं ऐसे तरीके से भी पिशाचनी साधना होती है । वो दिव्य नागिन जो आपने प्रकट करी कोन सी नागिन थी । कृपा गुरुजी इन प्रश्नों का उतर जरूर दीजेगा।
https://youtu.be/rfDDIGO3Mbo
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