घटारानी मंदिर का रहस्यमयी शेर 3 अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। घटारानी मंदिर का रहस्यमई शेर यह तीसरा और अंतिम भाग है। अभी तक आपने जाना कि एक शेर का सामना गणेश से होता है और दोनों एक दूसरे को ज्ञान की बातें बताते हैं और समझाते हैं। गणेश आध्यात्मिक ज्ञान से बहुत अधिक प्रभावित होता है और अब वह उस शेर के रहस्य को जानना चाहता है कि आखिर वो कौन है। उनके चरणों में गिरकर बार-बार वंदन करते हुए उस शेर से पूछता है। अब इस रहस्य को आप बता ही दीजिए कि आप कौन हैं तब वह शेर कहता है कि माता के जो भी भक्तिमय स्थान है और जहां भगवान शिव का अंश पहले से विद्यमान है उन स्थानों पर हम सभी गण अपनी अपनी इच्छा और दर्शन के लिए आते जाते रहते हैं। मैं माता भगवती का गण सेवक एक शेर हूं और इसीलिए इस स्थान पर प्रत्येक 100 वर्ष के बाद यहां आता रहता हूं। लेकिन कोई विरला पुरुष ही मुझे देख सकता है। इन शेरों के बीच में महाशक्तिशाली शक्ति के रूप में कभी कभी आकर माता के दर्शन कर लेता हूं। अब क्योंकि मेरा रहस्य तुमको पता चल चुका है। इसलिए अब मुझे यहां से जाना होगा तब गणेश कहता है आप जैसी दिव्य शक्ति का यहां पर दर्शन देना पता नहीं। मेरे कितने जन्मों का पुण्य उदय हुआ होगा। इसीलिए आपके दर्शन हुए तब शेर कहता है, मैं तो जा रहा हूं, लेकिन यह एक अति शुभ स्थान है। दुनियादारी छोड़ो और इस स्थान पर बैठकर मां भगवती और भगवान शिव की उपासना करो। यहां पर माता अपनी घटा शक्ति के माध्यम से कई हजारों वर्षों से यहां पर विद्यमान है। तुम इस रहस्य को नहीं जानते। यह गंगा स्वरूपा, यमुना रूपा और बहती हुई घटाओ के जैसी दिव्य शक्तियों से विभूषित अंश रूप में यहां पर विद्यमान है। जिस प्रकार माता काली के सारे बाल उड़ते रहते हैं उसी तरह उनके स्वरूप में जल राशि यहां बरस कर इस स्थान को पवित्र करती है। अब मेरा जाने का समय हो चुका है। मैं यहां से जा रहा हूं। इस प्रकार व रहस्यमई शेर वहां से गायब हो जाता है। कि तभी वहां पर एक अंग्रेज पहुंच चुका था। उसने गणेश को देख लिया और तुरंत ही बंदूक से फायर कर दिया। वह गोली गणेश को छूती हुई निकल गई। लेकिन तभी जो गणेश ने देखा और भी अधिक रहस्यमई था। उस! अंग्रेज अधिकारी को एक सांप ने डस लिया था। और इससे वह अधिकारी नीचे गिरता हुआ। वहां से भागने लगा। तब गणेश ने उस सर्प को देखा जो कि काफी बड़ा था, वह फन उठाएं था। उसके फन को देखकर। अब यह समझ में आ रहा था कि यह भी कोई दैवीय शक्ति है। उस सर्प ने भी अब मनुष्य की आवाज में बोलना शुरू कर दिया और कहा, अब केवल माता घटारानी ही आपकी रक्षा कर सकती हैं। भगवान घटेश्वर की जय मैं उनका एक सेवक हूं जो इस स्थान पर उनके दिव्य दर्शन के लिए आया था और यह कहते हुए वह सर्प भी गायब हो जाता है। अब गणेश को यह बात समझ में आ चुकी थी कि यह स्थान दिव्य है। इसलिए अब मुझे दुनियादारी छोड़कर इसी स्थान पर देवी मां की भक्ति करनी चाहिए और फिर वह गुफा के अंदर माता की पूजा करने लगा। इधर अंग्रेज अधिकारी किसी प्रकार अपनी बटालियन तक पहुंचा और सब के सब अब उस स्थान की ओर चलने लगे जहां पर गणेश। अपनी पूजा कर रहा था। गणेश को जान से मार देने का निर्णय हुआ। पूरी की पूरी अंग्रेजों की एक टुकड़ी गणेश को मारने के लिए निकल चुकी थी पर गणेश आध्यात्मिक रहस्य को समझ कर अब माता की पूजा में पूरी तरह तल्लीन था। वह पूजा करता रहा। पीछे से अंग्रेज अपनी सेना के साथ वहां पर आ गए और सब ने अपनी बंदूके उठा ली। अंग्रेज अधिकारी ने चेतावनी दी कि वह उठ जाए वरना उसे तुरंत ही मार दिया जाएगा। लेकिन अपनी साधना में लीन गणेश उठने को तैयार नहीं था। उसने अपनी समस्त ऊर्जा शक्ति माता को अर्पित जी उनका ध्यान किया और उनसे कहा माता मैं तो आपकी भक्ति में तल्लीन हूं। आप चाहो तो मेरे प्राण ले लो अथवा। मेरी रक्षा करो! और तभी चमत्कार हुआ। आकाश में तेज बिजली चमकने लगी। चारों और घनघोर घटाएं छा गई। तेज बारिश होने लगी। बारिश की गति इतनी तीव्र थी और पानी का बहाव अब गणेश की रक्षा के लिए प्रकट हो चुका था। वहां जो हुआ वह किसी चमत्कार से कम नहीं था। चमकती बिजली भयंकर वर्षा और पानी ने पूरी अंग्रेजों की सैन्य टुकड़ी को वहां से बहा दिया और सब के सब मृत्यु को प्राप्त हो गए। इस प्रकार उस जगह माता ने अपने भक्त गणेश की रक्षा की। यही वह स्थान है जिसे हम घटारानी मंदिर के नाम से जानते हैं यह स्थान आज के वर्तमान स्थल जतमई घटारानी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इन्हें हम वन देवी के नाम से भी जानते हैं। कई सौ वर्ष पहले कहते हैं तो 16 वी शताब्दी में कमार जनजाति ने इस दिव्य स्थान को देखा और यहां पर माता की पूजा हेतु मंदिर और मूर्तियों का निर्माण करवाया। यहां मुख्य मंदिर में माता जतमई विद्यमान है जिनके पानी की धारा उनके चरणों को स्पर्श करते हुए गुजरती है। ऐसा माना जाता है कि सारी जलधाराएं ही माता की सेविका शक्तियां हैं। यह स्थान हमेशा दिव्य बना रहता है और हर मौसम में भी यहां पानी कम नहीं होता है। मंदिर इतना सुंदर है दिखने में कि यहां चारों तरफ हरियाली बहते हुए झरने और मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं। नवरात्रि में यहां भारी संख्या में भक्त आते हैं यहां पर। वर्तमान समय में मंदिर के पास भगवान राम और लक्ष्मण को अपने कंधे पर बिठाए विशाल हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित है जो लगभग डेढ़ सौ फीट ऊंची मानी जाती है। यहां पर जो दो गुफाएं हैं उनमें भी देवी देवताओं को स्थापित किया गया है। काली माता की गुफा! मैं माता काली विराजमान है और शेर गुफा में उसी शेर का आगमन 100 वर्षों में अदृश्य रूप में होता है। ऐसा माना जाता है। इसे शेर गुफा का नाम दिया गया है। इसके अलावा नाग गुफा में उस दिव्य नाग का अस्तित्व दिखाई पड़ता है और अदृश्य रूप में यह सभी गण भगवान शिव और माता जगदंबा की सेवा के लिए आते जाते रहते हैं। कहते हैं कि यहां पर पुराने समय में जो भी यात्री रास्ता भटक जाते थे। माता को फूल चढ़ाने से माता उन्हें मार्ग भी दिखा देती थी। भगवान शिव की यहां घटेश्वर नाथ के नाम से विद्यमान हैं और उनका इसी प्रकार पूजन किया जाता है। यहां का जो घटारानी जलप्रपात है, वह काफी सुंदर है और चट्टानों से गिरता हुआ पानी बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। झरने के नीचे कुंड है जहां लोग। नहाते हैं और माता से मनौती मांगते हैं। यह एक अत्यंत ही शुभ और दुर्लभ स्थान माना जाता है। यहां पहुंचने के लिए आप राजधानी जो कि छत्तीसगढ़ की है रायपुर, वहां से करीब 75 किलोमीटर और दूसरे जिले बिलासपुर से करीब 142 किलोमीटर और भिलाई से करीब 98 किलोमीटर की दूरी पर यह जतमई घटारानी मंदिर स्थित है। जतमई और घटारानी मंदिर के बीच में करीब 25 किलोमीटर की दूरी है। कई शहरों में सड़कों के द्वारा इस जगह आप पहुंच सकते हैं। जतमई घटारानी के लिए रायपुर रेलवे स्टेशन नजदीकी रेलवे स्टेशन है और दूसरे राज्यों से आने वालों के लिए रायपुर एयरपोर्ट की सुविधा है। जो कि मुंबई, दिल्ली, विशाखापत्तनम और कोलकाता से जुड़ा हुआ है। यह बहुत ही प्रसिद्ध और दिव्य स्थान है तो माता की इस दिव्य स्थान का भ्रमण! अगर कभी समय मिले तो अवश्य करें क्योंकि यह एक दिव्य और दुर्लभ स्थान है जो की प्राकृतिक सुंदरता के साथ माता की भक्ति इकट्ठा कहता है और आज भी अपनी दिव्यता के लिए संसार भर में प्रसिद्ध है तो यह थी कथा जतमई घटारानी मंदिर की। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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