नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज जो हमें साधना प्राप्त हुई है यह चंद्रदेव प्रत्यक्ष दर्शन साधना। भेजने वाले हैं रोमिनराज। चलिए पढ़ते इनके पत्र को और इन्होंने किस प्रकार चंद्रदेव प्रत्यक्ष दर्शन साधना को हमारे पास भेजा है? उसको जानने की कोशिश करते हैं।
हाय दोस्तों नमस्कार गुरु जी! मैं रोमिनराज बजराचार्य एक बार फिर से नई साधना लेकर आया हूं। गुरुजी सूरज प्रताप को और धर्म रहस्य देखने वाले सभी दर्शकों को मेरा प्रणाम साधना है। यह मैं रोमिनराज बजराचार्य धर्म रहस्य चैनल को ही 3 जून 2020 को भेज रहा हूं और धर्म रहस्य चैनल को ही भेज रहा हूं। आज मैं जो साधना भेज रहा हूं वह पूरी की पूरी। यूट्यूब को हिलाकर रख देने वाले साधना जैसी है क्योंकि यह जो साधना है यह पूरे यूट्यूब में कहीं पर भी नहीं है। यानी तक आज तक इस साधना के बारे में किसी भी यूट्यूब पर नहीं पब्लिश किया गया है। यह साधना अब तक किसी भी यूट्यूब चैनल पर प्रकाशित नहीं की गई है और यह पहली बार है। मेरी तरफ से यूट्यूब को दिया जा रहा है।
यह सिर्फ और सिर्फ धर्म रहस्य चैनल पर ही दिया जा रहा है। मेरी तरफ से केवल धर्म रहस्य को यह साधना प्रेषित की गई है और इस साधना को यहीं पर पब्लिश किया जाएगा। अन्य किसी भी चैनल इस साइट पर प्रवेश नहीं किया जाएगा। मैं विराट नगर सिटी नेपाल से हूं और मेरा नाम से यानी कि मेरे रोमिनराज बजराचार्य के नाम से साधना किसी यूट्यूब चैनल पर या किसी और साइट पर कभी पब्लिक नहीं की जाएगी। इसकी गारंटी मैं लेता हूं।
गुरु जी आज फिर से बहुत दिनों के बाद मैंने एक पोस्ट भेजा है। गुरु जी आज का जो पोस्ट है वह बहुत ही लाजवाब है और मजेदार भी। क्योंकि आज मैंने जो साधना दे रहा हूं, वह है चंद्र देव प्रत्यक्ष दर्शन साधना है इस साधना को चंद्रदेव प्रत्यक्ष दर्शन मंत्र साधना कहते हैं। इस साधना से साधक को चंद्र देवता के प्रत्यक्ष दर्शन हो जाते हैं और उनसे वचन भी प्राप्त हो जाते हैं। कोई भी मनोवांछित वरदान भी प्राप्त हो जाया करता है। चंद्रदेव, जैसे ही हम सब जानते ही हैं कि हमारे हिंदू धर्म के प्रमुख देवी देवताओं में से एक माने जाते हैं। चंद्रदेव बहुत ही सुंदर और रूपवान है।
इनका निवास स्थान चंद्रलोक है। इनका वाहन एक हिरण है। इनकी माता अनुसूया और पिता अत्री हैं। इनको बुध ग्रह का पिता भी माना जाता है और इनकी पत्नी का नाम रोहिणी है जो 27 नक्षत्रों में एक मानी जाती हैं। चन्द्र सोम का पर्याय है। अन्य नामों में इंदु (उज्ज्वल), अत्रिसुता (“अत्रि का पुत्र”), सचिन (“हरे द्वारा चिह्नित”), ताराधिप (“सितारों का स्वामी”) और निशाकर (“रात बनाने वाला”) जैसे अन्य नामों से भी इनको जाना जाता है। किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में अगर चंद्रमा उच्च स्थान पर है तो उस व्यक्ति का जातक, संसार में हर प्रकार के सुख और भोगों को प्राप्त करता है। चंद्रमा मन का कारक होता है और इसलिए नवग्रह में चंद्रमा का महत्व बहुत ही ज्यादा है।
जिस तरह सूर्यदेव इस संसार को दिन के समय रोशनी प्रदान करते हैं ठीक उसी प्रकार चंद्रदेव संसार को रात्रि के समय रोशनी प्रदान करते हैं। अगर चंद्रमा कमजोर है तो मन कमजोर हो जाता है और अगर चंद्रमा बलवान है तो मन भी बलवान हो जाता है। तो यह है चंद्र देव और चंद्रमा ग्रह के बारे में एक छोटी सी जानकारी। तो अब मैं किसी का भी समय नष्ट ना करते हुए सीधे चंद्रदेव प्रत्यक्ष दर्शन साधना के बारे में बताता हूं। इस साधना के नियम और विधि कुछ इस प्रकार से हैं।
चंद्रदेव प्रत्यक्ष दर्शन साधना के कुछ विशेष नियम
चंद्रदेव की इस साधना को करने के लिए साधक को सबसे पहले चंद्रदेव की एक चांदी की प्रतिमा लाकर रखनी होगी। चंद्रदेव की ऐसी चांदी की प्रतिमा किसी भी सुनार की दुकान में आसानी से बनवाई जा सकती है या मिल जाती है। साधक को चंद्र देव की ऐसी प्रतिमा अपने सामने रखनी है जिससे एक हाथ में शंख, दूसरे हाथ में कमल का फूल है। तीसरे हाथ में फूलों की माला है और चौथे हाथ में कलश है। सिर्फ ऐसी प्रतिमा ही इस साधना में प्रयोग की जाती है। प्रतिमा का आकार मायने नहीं रखता है। कम से कम एक अंगूठा या दो अंगूठे के बराबर का साइज होना चाहिए। चंद्र देव एक सफेद खरगोश पर विराजमान होने चाहिए। बिल्कुल इसी प्रकार की चंद्र देव की प्रतिमा आप की बनी होनी चाहिए। उसके बाद साधक को उस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए।
इस साधना को सिर्फ और सिर्फ सोम पूर्णिमा के दिन से ही शुरू करना चाहिए और रात के समय जब चंद्रमा पूर्ण प्रभाव के साथ अपने पूरे गोलाकार में आता है तभी साधक को यह साधना शुरू करनी चाहिए। साधक को सफेद वस्त्र पहन कर इस साधना को करना है और सफेद आसन पर बैठकर ही साधना को आगे बढ़ाना है। उसके बाद अपने सामने एक चौकी रखनी है और उस पर एक सफेद कपड़ा भी बिछाना होता है। अब यह सब होने के बाद चांदी की प्लेट में यानी कि 1 सिल्वर प्लेट में चंद्र देव की प्रतिमा को रखना है। उसे विराजमान करके वहां पर स्थापित करना है। जब तक साधक साधना करेगा तब तक प्रतिदिन सिर्फ दूध, दही, चावल, सफेद मिठाई और जितने भी सफेद रंग के खाने पीने की चीजें हैं। वही खानी चाहिए।
सिर्फ एक समय ही भोजन करना है और इसके साथ-साथ साधक को एक सफेद खरगोश को भी पालना चाहिए। जब भी साधक खाना खाने के लिए बैठे, सबसे पहले उस खरगोश को खाना खिलाएं और फिर उसके बाद ही खुद खाना खाए। जब तक साधक साधना करेगा तब तक उस खरगोश को प्रतिदिन भरपेट भोजन कराना है। उसको संतुष्ट रखना आवश्यक है। उस खरगोश को बहुत ही ज्यादा प्यार करना चाहिए और पूर्ण भक्ति भावना से उसकी सेवा भी करनी चाहिए। उसके बाद गुरु पूजन और गणेश पूजन करना है और भैरव की पूजा, सूर्य की पूजा, लक्ष्मी नारायण की पूजा और शिव पार्वती की पूजा भी साधक को करनी है। इसके उपरांत साधक को एक संस्कारित मोती की माला से चंद्र देव के प्रत्यक्ष दर्शन हेतु माला का जाप करना है और यह लगातार 6 महीने तक यानि 180 दिनों तक इसे करना आवश्यक है।
चंद्रदेव दर्शन हो जाएं इसलिए मंत्र को इस प्रकार से पढ़ना चाहिए। वह मंत्र यह है।
मन्त्र:-|| ॐ श्री चन्द्रमूर्तये नमः ॐ ऐं श्रीं क्लीं क्रों क्रों कलङ्करहिताय सर्वजनवल्लभाय क्षीरवर्णाय ॐ ह्रीं श्रीं चन्द्रमूर्तये नमः ||
साधना के समय साधना को पूर्ण ब्रम्हचर्य और प्रत्यक्षीकरण के संपूर्ण नियमों का पालन करना होता है। साधक को बहुत ही कम सोना है और खान-पान में विशेष रूप से ध्यान देना है। सत्य बोलना है और एक इमानदार जिंदगी यानी ऑनेस्ट लाइफ जीनी होती है। पेड़ पौधों की सेवा करना है और उनको पानी देना है। उनका बहुत ही अच्छी तरीके से रखरखाव भी करना है। विशेष रूप से ब्राह्मण की सेवा करना चाहिए और उनको आदर सत्कार देना चाहिए। चंद्र देव के प्रत्यक्ष दर्शन होने के बाद साधक को अपने देश में यानी कि अपने राज्य में प्रसिद्धि और विभिन्न प्रकार के मान सम्मान यश कीर्ति प्रसिद्धि इन सब की प्राप्ति होने लगती है। वह सब का परम प्रिय हो जाता है। उसे ऐसी अतुलनीय धन और असीम समृद्धि प्राप्त हो जाती है कि खत्म ही नहीं होती। साधक चंद्रदेव से उनके गुप्त मंत्र भी प्राप्त कर सकता है जिसके फलस्वरूप साधक किसी भी समय चंद्रदेव की प्रत्यक्ष दर्शनों को प्राप्त कर सकता है।
प्रणाम गुरुजी तो यह पोस्ट यहीं पर मैं खत्म करता हूं। आशा करता हूं कि आपको यह पोस्ट बहुत ही ज्यादा पसंद आई होगी और हमारे दर्शकों को भी पोस्ट बहुत ही ज्यादा पसंद आएगी। गुरु जी, अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगी है तो आप प्लीज इस पोस्ट को जरुर शेयर करें गुरुजी! मैं अब विदा लेता हूं नमस्कार जय श्री राम जय महावीर हनुमान।
संदेश – यहां पर इन्होंने चंद्रदेव के प्रत्यक्ष दर्शन की साधना विधि के संबंध में बताया है चंद्रदेव! जो मन के कारक देवता माने जाते हैं। इनकी सबसे अच्छी बात यह है कि इनकी साधना करने वाले व्यक्ति का ढाई-ढाई दिन में ही चमत्कारिक रूप से भाग्य बदल जाता है। इसीलिए चंद्र देव की जो साधना और उपासना करके उनकी पूर्ण सिद्धि प्राप्त कर लेता है, उसके लिए उसका भाग्य बदलने में ज्यादा समय नहीं लगता है। अन्य साधना में जहां काफी समय लग जाता है वही चंद्रमा के प्रभाव से बहुत ही जल्दी! व्यक्ति के अंदर ऐसी तेजस्वीयता आती है कि उसके सारे कार्य बनने लग जाते हैं। इतना ही नहीं वशीकरण की और सम्मोहन की विद्या भी चंद्र देवता की कृपा से अवश्य ही प्राप्त होती है। अगर आपको यह वीडियो पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।