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जब हुए राधा कृष्ण के साक्षात् दर्शन सच्चा अनुभव 2 अंतिम भाग

जब हुए राधा कृष्ण के साक्षात् दर्शन सच्चा अनुभव 2 अंतिम भाग

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिछले भाग को आगे बढ़ाते हुए अब हम जानेंगे कि साधक के साथ आखिर भगवान कृष्ण के गोलोक में क्या हुआ था?

साधक जब भगवान कृष्ण को निहार रहा था कि तभी अचानक से।

भगवान कृष्ण की आंखें खुल जाती हैं और वह सामने एक साधक को देखते हैं और मुस्कुराते हुए कहते हैं। वत्स इधर आओ साधक उन्हें प्रणाम करता है। उसके लिए यह बहुत सौभाग्य की बात थी कि स्वयं भगवान कृष्ण ने दर्शन दिए थे। उनके पास पहुंचता है और प्रणाम करते हुए कहता है प्रभु आपने आप मुझे इस प्रकार दर्शन दिए हैं। मेरा तो कई जन्मों का सौभाग्य आज उदित हो गया। भगवान कृष्ण मुस्कुराते हुए कहते हैं। तुम इस योग्य हो तभी यहां पहुंचे हो तब साधक सबसे पहले उनको प्रणाम करके कहता है प्रभु आपने इस योग्य समझा यह मेरा सौभाग्य है किंतु आपको देखकर, पर आपको मंत्र जाप करते देखकर मैं आश्चर्य में आ चुका हूं। आप बताइए यह सब क्या है? हे प्रभु, आप इस रहस्य से मुझे अवगत करवाइए। आप यह जो मंत्र का जाप कर रहे हैं। यह किन का है और मैं भी स्वयं इसी मंत्र का जाप करता हूं। भगवान श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए कहते हैं। सुनो बस तुम नहीं जानते हो, मैं तो क्या सभी आदि देवता इसी मंत्र का जाप करते हैं। पराशक्ति से सभी ऊर्जा प्राप्त करते हैं। उन्हीं की कृपा से ही हम। तीनों! पालन जन्म और मृत्यु देने में सक्षम है इसलिए उनकी महिमा का बखान करना संभव ही नहीं है। तब साधक ने कहा, हां, माता दुर्गा के इस मंत्र में बहुत शक्ति है तो वह हंसते हुए कहते हैं। सामान्य जन की भाषा तुम भी बोल रहे हो। तुम्हें लगता है कि यह मंत्र माता दुर्गा का है किंतु दूं मंत्र से उच्चारित होने वाली माता दुर्गा का यह मंत्र नहीं है। यह तो माता पराशक्ति का मंत्र है। इसके विषय में लोगों को ज्ञान नहीं है। बड़े-बड़े संत भी नहीं जानते हैं कि आखिर माता पाराशक्ति कौन है?, उनका भेद जानना किसी के बस की बात नहीं है। उनकी सामर्थ्य को समझना किसी के लिए संभव नहीं है।

साधारण जन ऋषि मुनि तो बहुत छोटी बात है। हम तीनों आदि देवता भी उनके पूरे रहस्य को नहीं जान पाते हैं। अब देखो मुझे यहां पर तुम्हें लगता होगा कि मैं ध्यान कर रहा हूं और बैठा हुआ हूं किंतु मुझे अपने सभी भक्तों को देखना पड़ता है और इस मायाजाल को रचने वाली भी वही है। उन्होंने ही मुझे अपने भक्तों के साथ बांध दिया है। तब साधक ने कहा, प्रभु आपको बांधने की क्षमता किसी के अंदर नहीं है। आप यह क्या कह रहे हैं तब वह कहने लगे नहीं। यह सत्य है। इस संसार में केवल वही है जो सर्वोपरि हैं। इस ब्रह्मांड में ऐसा कोई भी अस्तित्व धारी नहीं है जो उनके वशीभूत ना हो। अब उनकी माया का जाल ही देखो कि मुझे यहां पर मेरी संगिनी के साथ बांध दिया है और स्वयं तुम उन के मधुर स्वर को अभी सुनोगे कि तभी वहां पर एक बांसुरी बजने लगती है जिसकी ध्वनि अति मधुर थी। वह बहुत ही सुंदर थी। उसको सुनकर ऐसा लगता था जैसे कि कानों में किसी ने मिश्री घोल दी हो। ऐसी अद्भुत सुंदर आवाज वहां आनंद ही आ गया। तब साधक कहता है प्रभु यह बांसुरी कौन बजा रहा है? बांसुरी तो आप का वाद्य यंत्र है तब वह कहते हैं।

सुनो मेरी राधा रानी इसे बजा रही हैं और जब वह बजाती हैं तो मुझे भी नाच कर वहां पहुंचना पड़ता है। मैंने कहा था ना कि मैं भी वश में हूं यहां पर राधारानी मुझ पर शासन करती हैं और अब देखो मुझे उठ कर उनके पास जाना ही पड़ेगा। तब भगवान श्रीकृष्ण स्वयं उठकर उस ओर जाने लगे जहां पर राधा रानी विराजमान थी। उनके शरीर का तेज अद्भुत प्रकाश से भरी हुई दिव्य और अद्भुत शक्ति से संपन्न नजर आता थी। भगवान श्री कृष्ण ने कहा, अब आगे का कार्य राधारानी ही संभालेंगे। माता पराशक्ति की कृपा से ही तुम यहां तक पहुंचे और उन्हीं के कारण मेरे दर्शन भी हुए और उन्हीं की आज्ञा से मैं तुम्हारा योग क्षेम वहन स्वयं करूंगा क्योंकि मैं पालन करता हूं और अब आगे का कार्य मैं संभाल लूंगा। जाओ पृथ्वी पर वापस लौट जाओ और जैसे ही उन्होंने यह कहा, साधक को बड़ा तेज़ झटका लगा। एक प्रकार से फिर से एक बवंडर आया और उन्हें ठीक उसी जगह वापस पहुंचा दिया। जिस निधिवन से वह ऊपर से गए थे। तब वहां पर थोड़ी दूर पर जो नाग और सर्प दिखाई दे रहे थे, वह सभी श्री बलराम जी की वंदना कर रहे थे क्योंकि वे शेषनाग जी के अवतार हैं। वह कन्या दुबारा उनके पास आई और कहने लगी। यह देखो वृंदावन है। वृंदावन तुलसी का वन है और यह तो भगवान कृष्ण की परम प्रिय वस्तु है। इसीलिए पूरा वृंदावन तुलसी से भरा हुआ था। अद्भुत है ना यह साधक ने कहा, अवश्य सच में भगवान कृष्ण के दर्शन आपने मुझे करवाए। आप कौन हो तो वह हंसकर वहां से गायब हो गई और एक झटके के साथ साधक की नींद खुल गई। साधक ने सामने देखा तो रात के लगभग 3:30 बज रहे थे यह बिल्कुल सुबह का सपना था। अब आखिर आगे क्या होगा, साधक को नहीं पता था लेकिन उसकी जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन होने वाला था।

सुबह के वक्त उसे अपनी यूनिवर्सिटी को जाने के लिए रेलवे का टिकट बुक कराना अनिवार्य था, इसलिए वह! बस से उस स्थान पर पहुंचता है जहां से रेलवे के लिए टिकट आसानी से मिल जाए क्योंकि दूर की यात्रा और अपनी यूनिवर्सिटी तक पहुंचने के लिए यह आवश्यक था कि वह! टिकट! का रिजर्वेशन अवश्य करवा लें क्योंकि इतनी दूर की यात्रा जनरल डब्बे में नहीं की जा सकती। स्लीपर में जाने पर ही थोड़ी बहुत आराम मिल सकती है। इसीलिए साधक ने रेलवे के रिजर्वेशन काउंटर का रुख किया। वह लाइन में लगा हुआ था कि अद्भुत एक घटना उस वक्त उसके साथ घटित हुई जिसे याद करके साधक आज भी रोमांचित होता है। एक विदेशी लड़की जिसने भगवा वस्त्र धारण किए हुए थे। भगवान श्री कृष्ण की भक्त सी लग रही थी। वह उनके पास आती है और कहती है उसे टिकट की पहली आवश्यकता है। अंग्रेजी में बोल रही थी। तब? साधक ने कहा ठीक है आप मुझसे पहले टिकट ले सकती हैं तो वह मुस्कुराते हुए 18 उन्नीस वर्षीय एक बहुत ही खूबसूरत लड़की जिसके माथे पर वैष्णव होने का संकेत उसके टीके के रूप में मौजूद था और शायद वह किसी दूसरे देश की थी, लेकिन भारत में आकर रह रही होगी और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करती होगी ऐसा उसे देखकर साधक को लग रहा था। वह आगे जाकर टिकट लेती है और साधक से कहती है। आपने अपने से आगे मुझे स्थान दिया है। मैं बहुत खुश हूं। मेरा नाम बहुत ही भाग्यशाली है और निश्चित रूप से अब आपका भी भाग्य बदल जाएगा। यह कहकर वो मुस्कुराते हुए उन्हें प्रणाम करते हुए राधे राधे बोल कर जाने लगती है। साधक अपने टिकट खरीदता है और उसको जाते हुए देखता है। वह बहुत ही ज्यादा तेजस्वी सुंदर और अद्भुत दिख रही थी कि तभी जैसे वह आगे बढ़ती है, उसके हाथ से मोर पंख गिरने शुरू हो जाते हैं। तकरीबन 5 मोर पंख वहां पर गिरते हैं। पहला मोर पंख गिरते ही साधक के मोबाइल में एक मैसेज आता है। और यह था जेआरएफ का पहला पैसा जो कि ₹32000 के रूप में उसके अकाउंट में आया दूसरा जैसे ही उसने देखा मोर पंख गिरा 32000 का दूसरा, तीसरा, चौथा, पांचवा। पांच मोरपंख उसके गिरते हैं और लगातार एक के बाद एक मैसेज आते रहते हैं।

लगभग डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा उसके अकाउंट में आ चुके थे और फिर अचानक से थोड़ा और आगे बढ़ती है फिर उसके हाथ से एक बार फिर एक गुच्छा गिर जाता है जिसमें तकरीबन चार से पांच और मोर पंख थे। यह आपस में घटना इतनी ज्यादा जुड़ी हुई थी कि जब मोर पंख गिरते तभी मैसेज आता एक बार फिर से तेजी से मैसेज आया और डेढ़ लाख से ज्यादा और रुपया गए। तकरीबन साढे ₹ 3 लाख साधक के अकाउंट में आने का मैसेज आ गया था। साधक समझ गया। यह कोई साधारण स्त्री नहीं है। टिकट लेकर वह उनके पीछे भागा लेकिन वह पता नहीं भीड़ में कहां गायब हो गई। साधक मोर पंखों को उठाया और घर लेकर आया आज पहली बार उसके खुद के अकाउंट में इतने पैसे थे जिसको देखकर वह विश्वास कर पा रहा था कि अवश्य कल रात का जो स्वप्न भगवान कृष्ण के दर्शन का देखा राधा रानी का देखा, वह सच में सत्य है। उनकी कृपा आज प्राप्त हुई है। यह बिल्कुल अद्भुत घटना थी। घर पहुंचकर वह मंदिर में मोर पंख उन्होंने रख दिया, लेकिन जब सुबह उठे तो वहां कोई मोर पंख नहीं था। उस दिन से साधक इस बात को समझ गया कि वह लड़की कोई और नहीं स्वयं राधा रानी ही थी। इस प्रकार साधक को भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी के दर्शन हुए थे जिसके बाद से उसके पास पैसे आए और आज तक उसके पास कभी पैसे आना बंद नहीं हुए हैं। ऐसी कृपा है राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण की और इस सब खेल को खिलाने वाली माता पराशक्ति की। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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