जिनसेन का अज्ञात मंदिर और नंदो का खजाना भाग 2
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है जैसा कि हमारी कहानी जिनसेना का अज्ञात मंदिर और नंदो का खजाना भाग-1 अभी तक आपने पढ़ा और वहां तक आप समझ गए होंगे कि किस प्रकार तांत्रिक कृतिका जो है वह भानु देव को अपने वशीकरण में लेने के प्रयास से आई है । कारण है नंदो का खजाना जिसे प्राप्त करना चाहती है इसीलिए उसने वहां पर जाकर के भानु देव आकर्षित करने की कोशिश की । ओर वहां पर भोजन की सहायिका यानी कि भोजन बनाने वाली बनकर के प्रकट हो गई और कहने लगी कि मैं आपके लिए भोजन बनाऊंगी । क्योंकि इससे उसके कार्य में सहायता मिलती वह इस बात को जानती थी इसलिए भानु देव भी इस कार्य के लिए तुरंत राजी हो गया । अब हम लोग आगे जानते हैं कि भानु देव जब अपने गुरु के पास आया तो किस प्रकार से गुरु ने उसे मना किया । और तब तांत्रिक कृतिका ने क्या किया । जैसे ही भानु देव ने अपने गुरु पूछा कहा कि एक स्त्री आ चुकी है बेचारी अबला है और वह कार्य में सहायता देना चाहती है भोजन बनाने की प्रक्रिया को अच्छी तरह से जानती है आपकी इच्छा हो तो मैं उससे अवश्य ही भोजन बनवा करके स्वादिष्ट भोजन आपको अर्पित करूंगा । गुरु ने गुस्से से कहा नहीं मैं किसी अज्ञात स्त्री के हाथ का बना भोजन ग्रहण नहीं कर सकता हूं और यह भी नहीं पता कि वह कहा कि है और कहां से आई है । इसलिए मैं उसके हाथ का बना हुआ भोजन ग्रहण कर सकता हूं । भानु देव ने कहा जैसे आपकी आपकी आज्ञा गुरुदेव आप विचार कीजिएगा ।
मैं एक बार फिर से उस स्त्री से बात करके आता हूं इस प्रकार भानु देव वहां से तांत्रिक कृतिका के पास आ गया । वहां पर उसका मित्र अर्थात भानु देव का मित्र रावल था वह भी वहां पर आया था वह उस खूबसूरत स्त्री को देखकर के प्रभावित था । और उसकी सहायता करने के बहाने उससे अपनी नजदीकियां बढ़ा रहा था । रावल को वहां देखकर भानु देव ने उसे गले लगाया और कहां तुम मित्र यहां कैसे । उसने कहा मैं यहां मार्ग से ही गुजर रहा था सोचा तुमसे मिलता चलूं और गुरुदेव के भी दर्शन कर लूंगा । क्योंकि भानु देव और रावल दोनों ही शिष्य थे गुरु के । अपने इसलिए उनको आपस में बातें करने में सहजता हो रही है तब उसने पूछा यह स्त्री कौन है । तो भानु देव ने सारी बात बता दी साथ ही साथ भानु देव ने स्त्री से बात किया यानी कृतिका से कहा कि वह आप कौन है । आपका बना भोजन ग्रहण नहीं करना चाहते है अगर आप चाहे तो आप सिर्फ अपने लिए भोजन बना सकती है । कृतिका ने कहा आप चिंता ना कीजिए आप दोबारा जाइए और अवश्य ही वह मेरी इस बात को सुनेंगे और तुरंत ही कृतिका ने एक छोटा सा शंख अपने हाथ में निकाला और उसे कहा कि यह अपने गुरु को दे दीजिएगा । भानू देव ने कहा जैसी आपकी आज्ञा मैं अवश्य ही गुरु के पास जाकर के और अपने गुरु को यह आपकी भेंट दूंगा । अगर उनकी इच्छा होगी तो आज आपको भोजन बनाने को मिलेगा नहीं तो सिर्फ अपने लिए ही भोजन बनाईएगा । इस प्रकार से वह अपने गुरु की तरफ बढ़ गया अपने गुरु के पास पहुंच कर उसने वह संख जैसे ही अपने गुरु को दिखाया वह आश्चर्य से उसे उस संख को देखने लगे ।
और देखते ही देखते कहने लगे कोई बात नहीं ठीक है उसे भोजन बनाने को कहो भानू देव भी आश्चर्य में पड़ गया अभी तक जहां गुरुदेव मना कर रहे थे अचानक से इस बात के लिए राजी कैसे हो गए हैं । कुछ तो रहस्य अवश्य है उसने सोचा चलो कोई बात नहीं उनकी भेंट शायद काफी पसंद आई है गुरुजी को शायद । यह कोई चमत्कारिक शंख हो जिसके कारण से वह प्रभावित हो गए हैं । भानु देव वापस आकर के कृतिका से मिला रावल वही था । भानु देव ने कहा आप भोजन बनाइए मैं आपकी सहायता करूंगा मैं जितनी भी साग सब्जियां है और बाकी चीजों की व्यवस्था करता हूं । और इस प्रकार से वह रावल को भी वहां से लेकर के चला गया और जितनी भी भोजन की व्यवस्था थी उन सब की व्यवस्था के लिए वहां पर और भी चीजें इकट्ठा करनी होती है वह सारी की सारी लेने के लिए वह दोनों निकल पड़े । और कुछ ही देर बाद वापस घर आ गए । कृतिका ने अपनी अद्भुत चमत्कारिक शक्तियों से इसी बीच में पिशाच को फिर से प्रकट किया पिशाच ने कहा मैंने कहा था ना कि कोई भी संख वशीकरण से नहीं बच सकता है । आपने संख वशीकरण देकर के उनके गुरु को अपने आकर्षण जाल में फंसा लिया है कृतिका ने कहा वह तो ठीक है लेकिन जिसका गुरु इतनी आसानी से वशीकरण में आ जाए उसका शिष्य भला खजाना कैसे निकाल पाएगा ।
मुझे इस पर शक हो रहा है तो फिर पिशाच ने कहा आप क्यों नहीं इसकी परीक्षा ले लेती है कृतिका ने कहा ठीक है आज मैं अपनी योगिनीयो की शक्तियों से अवश्य ही इसकी कोमार्ये की परीक्षा लूंगी । मैं भी देखना चाहती हूं क्या वास्तव में यह कुंवारा है और कुंवारा बना रहना चाहता है क्योंकि ऐसा होने पर ही वह खजाना निकाल पाएगा अन्यथा पिशाचनीया उसे मार डालेगी । और मेरा किया कराया सारा कार्य खत्म हो जाएगा कुछ ही देर बाद जब वह लोग जब दोनों वहां से भोजन की सारी सामग्री लेकर के कृतिका के पास पहुंचे । तब तक कृतिका अत्यंत ही सुंदर हो चुकी थी । उसे देखकर भानु देव ने कहा देवी अभी जैसा हम आपको देख कर गए थे तब मे और अब में बहुत बड़ा अंतर आ चुका है क्या आप सौंदर्य प्रसाधन का उपयोग करती है । कृतिका ने कहा हां मेरे पास ऐसी जड़ी बूटियां है जिनका मैं अपने शरीर पर लेपन कर लूं तो कोई भी स्त्री जैसा कि आप मुझे देख पा रहे हैं मैं अत्यंत ही सुंदर हो गई हूं । इसी प्रकार कोई भी स्त्री इसको लगा कर के बहुत ज्यादा सुंदर हो जाती है । भानु देव ने कहा वास्तव में आप देवी की तरह चमक रही है रावन की नजरें उनके शरीर को ही देख रही थी । यह बात कृतिका को समझ में आ चुकी थी कृतिका ने सोचा चलो रावल और भानू देव दोनों की ही परीक्षा ले ली जाए । इस प्रकार थोड़ी देर बाद भोजन बना लिया गया और जब उस भोजन की सुगंध चारों तरफ फैलने लगी । तो भानु देव और रावल दोनों आश्चर्यचकित रह गए दोनों ने कहा कि यह तो अद्भुत है इतनी अधिक खुशबू पहले भोजन में नहीं आती थी ।
वैसे भी पुरुषों को भोजन बनाना इतना अच्छा कहा आता है जितना स्त्रियों को आता है । इस प्रकार से कृतिका की बात हो चुकी थी उस का मायाजाल फैल चुका था । अब जब भोजन करने सभी लोग गुरु सहित बैठे तो उनको वह भोजन परोसने लगी और अभी भी रावल की नजर कृतिका के शरीर पर ही चली जाती थी । जबकि भानु देव अभी भी उसे पूरी तरह से इज्जत दे रहा था । और किसी भी प्रकार से उसके मन में कोई भी गलत भावना नहीं आ रही थी । कृतिका यह सब बातें देख रही थी और समझ रही थी तभी थोड़ी देर बाद उनको भोजन कराया गया । भोजन को खाकर सभी संतुष्ट थे कि भानु देव ने भी तारीफ करके कहा देवी भोजन तो मैंने बहुत किया लेकिन आपके हाथ का बना यह भोजन तो अद्भुत है । इतनी अच्छी तरह से कोई भोजन बना सकता है मैं पहली बार देख रहा हूं तभी लोग विवाह करते हैं अगर इतनी अच्छा भोजन की सामग्री रोज प्राप्त हो तो भला मेरे जैसा भी विवाह करने के लिए सोचने लगेगा । और इस प्रकार भानु और कृतिका रावल तीनों हंसने लगे रात्रि के समय कृतिका ने कहा मैं क्या आपकी ही कुटिया में सो सकती हूं । रावल ने और भानू देव ने कहा हां हम आपके लिए अलग से खाट लगा देंगे क्योंकि गुरु की कुटिया में तो गुरु के अलावा कोई भी नहीं रहता है । और यहां कोई दूसरी कुटिया है भी नहीं तो इस तरह की कुटी केवल हमारी ही है । आपको असहज ना लगे तो आप यहां सो सकती है मैं आपके लिए खटिया बिछा दूंगा । तांत्रिक कृतिका ने कहा भानु देव मेरे नजदीक आईए भानु देव उनके नजदीक पहुंचे ।
तो कृतिका ने बहुत ही शांत स्वभाव में धीरे से कहा मुझको एक बात आपको बतानी है भानु देव ने कहा देवी आप जो भी कार्य हो मुझे तुरंत बताइए मैं आपके सारे कार्य को करने के लिए क्योंकि आप मेरी मेहमान है भानु देव की बात से कृतिका ने कहा मुझे श्राप है । क्या भानू देव ने पूछा यह श्राप क्या होता है किस श्राप के बारे में आप कहना चाहती है । कृतिका ने कहा कि मेरे साथ समस्या यह है कि मुझे सोना होता है तो केवल और केवल पूरी तरह नग्न होकर शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं होना चाहिए भानू देव ने कहा ऐसा यह तो अद्भुत है । ऐसा श्राप आपको कैसे मिल गया क्या है बात तो कृतिका ने कहा कि एक बार मैंने गलती से एक नाग की बांबी तोड़ दी थी इसकी वजह से वह बाहर आ गया और उसका शरीर दिखने लगा । शरीर दिखने की वजह से लोगों ने मार डाला और तब नागिन ने गुस्से से आकर कहा कि अगर मेरे पति का नग्न शरीर नहीं दिखाई देता तो शायद वह बच जाता उसकी मृत्यु नहीं होती । इसलिए उसने मुझे श्राप दे दिया और कहां जब भी तुम सोओगी तो तुम्हें नग्न होकर सोना पड़ेगा नहीं तो तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी । भानू देव ने कहा यह तो बड़ी अजीब बात है तो आप क्या करेगी क्या हम दो पुरुषों के साथ में आप सामने वाले अपने शयन में किसी प्रकार से छुपा कर के सोएंगी या फिर ऐसे ही सो जाएंगी । कृतिका ने कहा आप लोग चिंता मत कीजिए मैं आराम से सोऊंगा और मुझे आप लोगों पर पूरी तरह से भरोसा है कि आप मेरी गरिमा को खंडन नहीं होने देंगे । कृतिका की बात को सुनकर के भानु देव तो सहज था लेकिन रावल को अजीब सी चीजें मन में विचार आने लगे । और दोनों के दोनों इस प्रकार सो गए कृतिका को देख कर के उधर ही मुंह करके रावल सोने लगा रावन की नजरें उसी को देखने लगी ।
क्योंकि अब उसके सामने ऐसी अद्भुत सुंदर स्त्री थी जो निर्वस्त्र थी धीरे-धीरे रात के समय रावल के मन में गलत भावनाएं आई । और वह उधर की ओर बढ़ने लगा तभी उसने सामने देखा कि उसके शरीर पर बहुत सारे नाग बैठे हुए हैं । उसके शरीर के अंग पर कम से कम 18 से 20 नाग बैठे हुए थे और उन बहुत सारे नागों को देखकर के वह आश्चर्यचकित हो गया और डर गया । इसी बीच में जैसे ही उसने अपने कुटी के दूसरी जगह पर जहां पर वह सोता था की और पैर बढ़ाएं और फिर से नजर हटा कर देखा तो वहां फिर से सर्प गायब थे । अब जब उसने ऐसा देखा तो फिर से वही भावनाएं आई और फिर उसने उनकी तरफ बढ़ करके देखा तो एक बार फिर से नाग उसके शरीर पर बैठे हुए थे । उस नग्न शरीर पर इतने सारे नाग थे इनको देख कर के वह कुछ समझ नहीं पा रहा था कि यह सब क्या चल रहा है और उसने एक बार भानु देव को हिलाया । क्योंकि भानु देव दूसरी तरफ मुंह करके सोया हुआ था तो भानु देव ने कहा क्या बात है रावल इतनी रात को क्यों उठा रहे हो । तो रावल ने कहा देख तो यह स्त्री कैसी है उन्होंने कहा यह बहुत गलत बात है जो तुम कह रहे हो भला मैं उस स्त्री को क्यों देखूं । इस समय जबकि उसे श्राप है कि वह पूरी तरह से नग्न होकर सोएगी । तब रावल ने कहा एक बार देखो तो सही और भानू देव ने उस तांत्रिक कृतिका के शरीर की ओर देखा तो फिर पूछा की क्या बात है आखिर क्यों तुम इस तरह की हरकत कर रहे हो ।
भानु देव की बात सुनकर रावल ने कहा देखो तो उसके शरीर के ऊपर कितने सारे सर्प बैठे हुए हैं भानु देव ने कहा नहीं मुझे एक भी सर्प दिखाई नहीं पड़ रहा । भानू देव को ऐसा कहते देख कर रावल ने कहा तुम यकीन नहीं मान रहे हो चलो दोनों चल कर देखते हैं । और तुम्हें यकीन हो जाएगा भानु देव ने कहा क्या रात को ऐसी हरकतें करना अच्छी बात है । जबकि कोई मेहमान हमारे घर में आया हुआ है लेकिन रावल की बात और जिद के आगे भानु देव को वह कार्य करना ही पड़ा दोनों धीरे-धीरे करके उसके बिस्तर की ओर बढ़ने लगे । जैसे ही वहां पहुंचे भानु देव ने कहा क्या दिखाना चाहते हो और क्यों उनके स्वप्न में बाधा डालना चाहते हो तब रावल ने कहा देखो तो सामने कितने सारे सर्प है । इसके शरीर के ऊपर भानू देव ने कहा मुझे एक भी सर्प दिखाई नहीं दे रहा है तब रावल ने कहा यकीन नहीं आता तो देखो मैं तुम्हें छूकर और जैसे ही उसने उन तंत्रिका के शरीर को छूने की कोशिश की तुरंत ही सर्पो ने रावल के शरीर को बहुत सारे दंस दे दिए । और वह चिल्लाकर के एक किनारे गिर पड़ा इस चिल्लाहट से इतनी तीव्र ध्वनि हुई की तांत्रिक कृतिका भी उठ कर खड़ी हो गई अब पूरी तरह से नग्न रूप में उन दोनों के सामने थी ।
उस कुटी में जल रही दीपक कि लो में उसका शरीर चमक रहा था । एक प्रकार से अगर कोई अपने शरीर पर वशीकरण नहीं कर सका केवल ऐसा व्यक्ति ही वहां पर खड़ा होकर के उसे देख कर के आश्चर्यचकित ना हो रहा हो ऐसा माहौल तैयार हो गया था । भानु देव एक बार फिर से उसको देख कर के किसी भी प्रकार का कोई व्यवहार जिसे कहते हैं गलत कर व्यवहार उसके मन में नहीं आया । कृतिका यह देख कर के मुस्कुरा गई और इधर रावल के मुंह से झाग निकलने लगा वह डरते हुए चिल्लाते हुए एक बार फिर से और परीक्षा लेने के लिए भानु देव के शरीर से चिपक गई और चिल्लाने लगी बचाओ बचाओ । भानु देव ने उसे अपनी बाहों में भर कर के कहा कि आप चिंता ना कीजिए जरूर कोई मायाजाल है लगता है आपके ही किसी तांत्रिक शक्ति के कारण इसके साथ ऐसा हुआ है । ऐसा कह करके उसने अपनी बाहों में तांत्रिक कृतिका को बचाए रखा क्योंकि अभी तक जो सर्प दिखाई नहीं दे रहे थे वह वास्तव में चारों तरफ प्रकट हो गए । और चारों तरफ सर्पों से घिरे हुए भानु देव और तांत्रिक कृतिका दोनों एक दूसरे के गले मिले हुए थे और सामने रावल की लाश पड़ी हुई थी । जिसके मुंह से झाग निकल रहा था । ऐसे अद्भुत नजारे को देखकर के भय काम दोनों ही उत्पन्न हो रहे थे । लेकिन इसके बावजूद भी वह कार्य नहीं हो रहा था । जिस की परीक्षा कृतिका ले रही थी । आगे क्या हुआ जानेंगे हम लोग अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।