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डायन का प्रकोप और मेरी साधनाये भाग 1

डायन का प्रकोप और मेरी साधनाये भाग 1

जय माता पराशक्ति गुरूदेव।
अपके और मां पराशक्ति के चरणों में सदैव अपना आत्म समर्पण कर रहा हूं।
गुरुजी मेरे साथ साथ जो भी घटना हुआ है आज मैं अपने अनुभव के माध्यम से बाकी सभी लोगों तक पहुंचाना चाहता हूं।
नमस्कार दोस्तों, मैं कोन हूं आप अनुभव सुनते ही धीरे धीरे जान जाएंगे। इसीलिए अपने बारे में जानकारी देना या ना देना उचित नहीं समझा। सबसे पहले तो मैं आप सभी लोगों से अपनी जानें या अनजाने किए गलतियों के लिए माफी मांगता हूं। मुझसे क्या गलती हुआ है, और ये किस शक्ति के वजह से हुआ है, वो भी आप लोग जान जाएंगे। फिलहाल अपनी कहानी हमारे ओडिशा के कुछ रहस्य से सूरवात कर रहा हूं।
ओडीशा भी तंत्र से भरा एक राज्य है। जैसे की कामाक्ष्या और बंगाल। मुझे भी उतना ज्ञान नही था लेकिन जब एक पुराने तांत्रिक पंडित से मेरा मिलना हुआ तब जाना। यहां कमाक्ष्या की मयोंग जैसे एक जगह भी थी। जिसे त्रि पाटना कहा जाता था। और यहां केवल और केवल स्त्रियां ही रह कर विद्या सीखती है.. जो की गुप्त है। इसीलिए यहां ओडिशा बहुत ही अद्भुत तंत्र और रहस्यों से भरा है। यहां घर घर में तंत्र विद्या फैली हुई है। और शक्तियों का गड़ भी कहा जाता है। जिनमे से पुराने समय में पटनागढ़ बहुत ही प्रसिद्ध था। और आज भी पटनागड की बातें चलती है। और  ये वही पटनागढ है और जिसके विषय में मैने महासप्तमि के दिन कालरात्रि अनुभव में जिक्र किया था। ज्यादा तो त्रिपटना के विषय में चर्चा नही करना चाहता, पर इतना जान लीजिए जो भी विद्या मयोंग में चलता है वही सब यहां ओडिशा में भी चलता था। ऐसे ही महिलाएं अपने भैरव को चुन कर ले जाते थे और उनके साथ अपना तंत्र क्रिया करते करते अपना सिद्धी जाग्रत करते है। और साधक को हार जाने पर अपना वश में करके उसको पशुओं में बदल दे रहे थे। आज भी ये सब चल रहा है। पहले बहुत कठिन परिश्रम करने के पश्चात इस जगह का ज्ञान मिलता था। और वहा तक पहुंच पाना किस्मत ही समझ लीजिए।लेकिन अब गुप्त हो गया है। क्योंकि जितना ज्यादा आधुनिकता उतना ज्यादा ही गुप्त रहस्यों का विनाश। आज कल लोग बहुत आसानी से कहीं भी जा रहें है, आसानी से फोन के माध्यम से गुप्त रहस्य दूर दूर तक फैल रहा है। और इसीलिए उन आध्यात्मिक चीजों का गुप्त हो जाना आवश्यक है।
आज भी उस तरह के कई तंत्र विद्याएं  भरे पड़े है हमारे ओडीशा में ।  खास करके कालाहांडी जिले में बहुत ही ऐसी विद्या है। पटना विद्या, जो की कंध लोगों से चली आ रही है। इसीलिए आज भी लोग कलाहांडी और पटनागढ़  के नाम सुनते ही कहते है की वहा बहुत सारे तंत्र विद्या चलती है थोड़ा बच के रहना।
खैर आप इन सभी बातों को जाने देते हैं। क्योंकि जो तंत्र विद्या हमारे पश्चिमी ओडीशा में  चल रहा है उसकी परिचय देना आवश्यक था।
ऐसे ही एक तंत्र शक्ति हमारे यहां बहुत प्रबल हो गई है। जिसको हम Tandhei टनढेई कहते है हम या फिर आप डायन कह सकते हैं। और ये कोई अदृश्य शक्ति नही बल्कि। महिला एवं पुरूष,  एक द्विपदी (दो पद वाला) मंत्र को अपने गुरु से प्राप्त कर जाप करते है।  इसिलिय इनमे बहुत शक्ति संचार होती है। ऐसे तक की अपना रूप भी बदल सकती है। वायु विद्या गमन आदि कुछ भी संभव है।
 लेकिन एक विडंबना यह है की इस शक्ति को धारण करने वाला व्यक्ति हमेशा अतृप्त रहता है। दूसरो की खुशियों से जलता है। कभी भी सामने वाले को अपने से आगे बढ़ते देख नही सकता। इसीलिए ये बहुत ही मारात्मक हैं। मैं स्वयं इसका भुक्त भोगी हुं। मेरा हर एक काम बिगड़ रहा था। यहां तक की मेरे पास के एक डायन हमेशा मेरे ऊपर नजर बनाए रखा था। क्योंकि उसकी बेटा मेरे ही classmate है।  और मैं पढ़ाई में बहुत तेज था, उसके बेटे से हमेशा आगे निकल जा रहा था। ऐसे की मुझे पढ़ाई में  Scholarship भी मिला था। तब उसकी मम्मी बहुत ही जलती थी मुझे ले कर। और धीरे धीरे मेरा सबकुछ बिगड़ने लगा। मेरा खुशी कभी भी वो देख नहीं सकती थी। अपना कोई भी काम या आगे की प्लानिंग के बारे में मुंह से उच्चारण करता था, तब उसकी खबर उस डायन तक पहुंच ही जाति थी और मेरा काम बिगड़ना तय था ही। इसीलिए जब मुझे गुरुजी से गुरुदीक्षा लेना हुआ तब एक भी शब्द उच्चारण नही किया, केवल फोन में या कॉपी में लिख कर रखता था। किसी को कोई खबर तक नहीं था मेरे निर्णय  के ऊपर। जिस शिवरात्री को मैने दीक्षा लिया, उस दिन बहुत भयंकर हुआ मेरे साथ। जो हर किसी को बताना ठीक नहीं। और अन्त में मैंने दीक्षा भी ले पाया। ऐसे ही धीरे धीरे मैं जाप करते करते मुझे दो साल होने को आ गए थे। मैं कितना जाप किया क्या किया कुछ हिसाब नही रखता था। क्योंकि मैं अपना सबकुछ माता को समर्पित करके चल रहा था। उनकी जब इच्छा हो तब अपने आप ही सब कुछ होगा। मैं कोन होता हूं कुछ करने वाला। ऐसा  ही मेरा सोच था। इसीलिए कभी जाप को गिनने की कोशिश नही किया। जब समय मिले जाप कर रहा था। कोई निर्धिस्ट संख्या का ज्ञान नहीं ले रहा था। बस जाप और ध्यान करके मुझसे जो बन पड़े गुरु सेवा में लगा रहा था।
इसी बीच वही डायन बोल रखी थी की जबतक मेरे बेटे का नौकिरी नही हो जाती तब तक किसी को भी नौकीरी नही मिलेगी। और सच भी यही है की हमारे आस पास की कोई भी व्यक्ति कोई भी job हासिल नहीं कर पा रहे थे। आज उसकी बेटा बड़े नौकिरि में लग गया है पर फिर भी हमारे आस पास के लोग बहुत अधिक talent होने के बाद भी नौकीरी नही पा रहे हैं। केवल हमारे घर गुरुमंत्र की जाप हेतु हमारे घर उसकी प्रभाव कम हो गई थी। और उसके इतनी बड़ी घोषणा के बाद भी मेरे भैया को सेमी Govt का एक job मिल गया । फिर उनका शादी भी तय हो गया। जब देखा की लड़की बहुत ही सुंदर है। ये डायन और उसकी एक दोस्त जो स्वयं अपने ही बड़े बेटे की बलि दे कर बहुत अधिक शक्ति शाली ही चुकी थी। वो दोनो ऐसे ही कुछ बहाना बना कर मेरे भावी तक भी पहुंच गए। और वहा उनको सुंदर देख कर जलने लगे। वहा पे कुछ क्रिया की थी पर हमारे  यहां गुरु मंत्र जाप के वजह से हमारे पितृ और भगवती के कारण मेरे भावी के ऊपर कोई असर नहीं हो पाया। जब मेरे ताऊ जी का लड़के का शादी पिछली साल 12 feb 2023 को होना तय हो गया। तब उन डायन लोगों का बेचनी और बढ़ गया। क्योंकि हमारा कुछ बिगाड़ नहीं पा रहें थे। इसीलिए वो लोग अब मेरे बुआ (मेरे पिताजी की बहन), जो की हमारी गांव में ही उनके पूरे परिवार रहते है। और दूसरी डायन जो है। वो मेरे बुआ की ही देवरानी है।
वो दोनों अब इस शादी को रोकने के लिए मेरे बुआ को target करने लगे। इस तरफ मैं अपने आध्यात्मिक रास्ते में चलने के लिए अपना सारा काम छोड़ कर बस एक छोटा सा part time accounting साथ रखा था ।इसीलिए मेरे पास बहुत समय था तो हमारे घर के ऊपरी हिस्सा को बनाने के लिए मैं अपना पूरा समय घर बनाने में लगा दिया। ऐसे की खुद का शरीर का बीना खयाल रखे। बालू, गिट्टी इट खुद रात रात भर ऊपर तक पहुंचा कर सुबह labour का काम करके घर बनाने में लग गया था। मेरा स्वभाव ही ऐसा है कभी खाली नही बैठता। कुछ ना कुछ करता रहता हू। ऐसा मत सोचिए की मैं सबकुछ छोड़ कर मंदिर में खाली रहता हूं। यहां भी कुछ न कुछ कार्य करते रहता हूं या फिर अपने ही मंत्र जाप आदि में लगा रहता हूं। और सच भी है मैं जिस अंधेरी रास्ते से गुजरा हूं। अब कोई काम करने का मन भी नही था। अपने शांति के लिए कभी कभी खाली एक जगह में गुम सुम होकर बैठा रहता था। कभी कभी किसीकी यादों में रोया भी करता था। खैर उस बातों को रहने देते हैं।
अब मेरे भईया की शादी भी पास आ गई थी।  घर का काम तेजी से करना था। इसीलिए मैं एक दो दिन तो काम के बाद शाम को बिना नहाए धोए काम में जुड़ जाता था। Cement काम होने के वजह से नहाने के बाद भी खुदको साफ नहीं लग रहा था। इसीलिए अब गुरु मंत्र जाप करना बंद होने लगा था।
अब वो डायन लोगों के प्रभाव से मेरे बुआ की हालत बहुत गंभीर होने लगा था।  उनकी दोनो किडनी काफी damage हो गई थी। अब डॉक्टर ने भी आस छोड़ दी थी। उनको घर भेज दी। मेरी बुआ की मुंह, हात पैर सब हाथी जैसे फूल गया था। जब मैं ये सब देखा तब परेशान में आ गया की अब क्या किया जाए। एक तो अपनी बुआ है। जो की डायन मार कर अपनी गुलाम बना देगी। दूसरी तरफ बुआ की मौत अगर शादी वाले दिन हो जाए तो शादी भी रुक जाएगी। उतना सारा मेहनत, बैंड बजा सभी को एडवांस दे कर सब कुछ रेडी हो गया था। Card भी दूर दूर तक हर तरफ बट चुका है। लोग उसी दिन आयेंगे ही। एक बार वापस जाने के बाद next time  आयेंगे या नहीं। कोई ठीक नही। बहुत बड़ी नुकसानी उठाना पड़ेगा। और लास्ट में ज्यादा late होगा तो पिछे से कई लोग शादी को तोड़ने के लिए आगे आ जाएंगे। और इसी बीच अपना घर का काम को अंजाम देना था। तब परिस्थिती हर तरफ से बिगड़ा हुआ था। इसीलिए मैं आगे शादी के अंत तक अब गुरु मंत्र जाप नही कर पाऊंगा ये जान कर मैने गुरु मंत्र जाप के साथ एक क्रिया किया, जो कि अपने स्वयं के अंतर मन से निकला था। क्योंकि गुरु मंत्र का प्रयोग केवल मोक्ष के लिए गुरूजी बताए हैं… इसीलिए मेरे द्वारा जैसे प्रयोग हुआ वो गुप्त है। और ये कहना चहता हूं कि मैंने ना तो गुरु मंत्र की प्रयोग की है। और न ही करने का खयाल लाया। बस अपने में जो अंदर से जो प्रेरणा मिल रही थी उसी हिसाब से किया। और एक काली शक्ति मेरे ही अंदर से निकल कर  मेरे बुआ के घर के और जाते हुए कल्पना में मेहसूस किया। और उसका कार्य यही था की वो उस घर के अंदर नहीं जाना है। बस बाहर बाहर चक्कर लगा कर बुआ की और उनकी। घर वालो की सुरक्षा करना, कोई भी डायन या उसकी शक्ति अंदर न आ पाएं। और ये शक्ति मेरे शरीर से नही बल्कि मेरे कुंडलिनी से निकली हुई थी। मैं जब जाप के बाद ध्यान से उठा तब मुझे लगा ये मेरे कल्पना ही है।
पर उसका असर अब तीसरे दिन दिख गया था। मेरी बुआ जो हाथी के तरह फूल गई थी वो एक दम स्वस्थ हो गई थी। हर कोई हैरान था। पर किसी को मेरे क्रिया के बारे में पाता नही था। लेकिन उस बेचारी की कर्म में दुख लिखा हुआ था। जब चौथे या पांचवे दिन वो होस में ठीक से आ गई थी तब वो मेरे भांजे का शादी है जल्दी जाऊंगा बोलके निकाल रही थी और गिर कर उसकी पैर टूट गई। अब वो ऐसे ही रहने लगी।
भैया  की शादी तो बड़े अच्छे से हो गया। बड़े  धूम धाम से मनाई गई। कोई असुविधा नहीं हुआ। पर लास्ट वाले दिन दुल्हन का शादी वालावस्त्र गायब हो गया। बाकी सब ठीक ठाक चला। गुरुजी के दीर्घ  आयु निमित्त अपना महामृत्यंज अनुष्ठान भी फरवरी 18 तारीख शिवरात्रि को होना था इसीलिए मैं अब घरवालों के किसी विषय में कोई ध्यान नही दिया। शादी अच्छे से खतम हुआ था मेरे लिए इतना ही काफी था।
दोस्तो मेरे द्वारा ये शक्ति प्रयोग, केवल एक कल्पना सोचा था, लेकिन उसकी सच्चाई मुझे तब पता चला, जब शादी खतम होने के कुच दिन बात, free होकर जब उनके घर गया तब वहा मेरे भावी बोली की कोई एक तांत्रिक बुला कर घर को सिखाया  गया था तब वो तांत्रिक बोला की आपके घर के चारो तरफ दक्षिण काली घूम रही है। हालाकि वो आपको कुछ नही कर रही है, पर फिर भी आप लोगों को डर लग सकता हैं ऐसे  ही वो तांत्रिक बताई। और बताई अगर आप इनको अपने  घर में जगह देना चाहते हो तो आप इनकी पूजा करके आगे भी अपने साथ रख सकती हो।
ये सुनने के बाद मेरा तो खुशी से ठिकाना ही नहीं था। की ये कैसे संभव हो गया। जो क्रिया किया हुआ था बहुत ही नॉर्मल सी थी। मेरे कल्पना सच कैसे हो सकता है। मेरे कुंडलिनी से शक्ति का उत्पन्न होना। वो भी दक्षिण काली ये कैसे संभव है। खैर जो भी हुआ खुद पर गर्व लगा। हालाकि ये भी एक रहस्य की बात है की ऐसा संभव कैसे हो सकता है। मैं कोन हूं ?? मेरे लिए इसकी कहानी भी अनसुलझी है। गुप्त तारा में आप देख सकते हैं.. कई सारे ऐसे संजोग से मेरे द्वारा अलग तंत्र आपने आप ही हो गया है। जब की मुझे तंत्र का ज्ञान उतना नहीं है।
मेरे बुआ के घर में सब कुछ सही था लेकिन गलती तब हो गया जब मेरे बुआ को पूछा गया की क्या आप दक्षिण काली को मानते थे। तब मेरी बुआ बोली की मैं तो नही मानता पर मेरी मम्मी बोलती थी तो कभि कवार घर में धूप दीप करते वक्त उनकी नाम बोल देती हूं।
और ये बात धीरे धीरे हर तरफ फैल गई। लोग अब मेरे बुआ को डायन समझने लगे। इस बात का फायदा अब उनकी देवरानी  उठाने लगी। वो अब धीरे धीरे सबको बोलने लगी की ये बहुत दिनो से डायन सिख रही थी। मेरे बेटे को भी इसी ने खा गई। ऐसे ही  मेरे बुआ की बदनामी फैलाने लगी।हर कोई मेरे बुआ को डायन समझने लगे।  उनके आस पास के लोग डर के मारे घर से निकलते नहीं थे।
आगे क्या हुआ ये बताने से पहले मैं आपको मेरे बुआ की देवरानी (छोटी बुआ) के डायन शक्ति के ऊपर छोटा सा परिचय दे रहा हूं। सबसे पहले तो ये अपने बड़े बेटे को बलि चढ़ा दी। लेकीन लोगों इसके पीछे के की रहस्य पता नहीं चला। लोगो को लगा की ये इलेक्ट्रिक fan ठीक कर रहा था और झटका लग गया। लेकिन current लगना तो एक दिखावा है असल में जब घर में कोई भी नही थी उसकी जो शक्ति थी पूरी तरह से उसका खून पी कर उसको मार दी थी। और तबसे छोटी बुआ और भी अधिक शक्तिशाली हो गई।
और एक घटना है। मेरे फूफा लोग बैल खरीदने गए थे, जहां उनके पसंद में दो बैल आ गए थे। वहा कीमत आदि सब पटा कर घर वापस आ गए थे। अगले दिन उनको बस पैसा लेकर जाना था। वो जब जाते उनके पहले ही उनकी पड़ोसी 500 रुपए ज्यादा दे कर वो बैलों की जोड़ी घर ले आया था। तब तो छोटी बुआ बहुत ही गुस्से में आ गई और बड़बडा ने लगी। उसके बाद से उनमें से एक बैल जो की बहुत सुंदर था। ज्यादा वो बीमार रहने लगा। फिर कुछ दिन बाद क्या हुआ की, उनके जो पड़ोसी, बैल लाया था। उसके पास पराली चारा कुछ नही था तो मेरे  फूफा के वहा से मेरी छोटी बुआ की सामने ही उनका चारा ले गए। तब तो छोटी बुआ की गुस्सा आसमान छू रहा था। और वो बहुत ही गुस्से में दूर जाकर बोलने लगी की हमारी बैल को छीन लिए फिर हमारी चारा भी ले रहे है.. ऐसे ही गुस्से से बड़ बडाई थी। फिर क्या अगले सुबह उसमे से एक बैल अपना पेट फुलाकर मरा हुआ मिला।
और छोटी बुआ दिखावे आकार हाए तौबा करने लगी। बोल रही थी की कितना बढ़िया बैल था। बेचारा पता नही क्या खाकर मर गया । बहुत ही दुख लग रहा है आदि । ऐसे ही वो दूसरों  के सामने, अपना दिखावा कर रही थी।
ज्यादा तर डायन अपने आपको छुपा कर रखते हैं। किसी को कुछ दिखाते नही। पीठ पीछे अपनी क्रिया करके सामने वाले का सर्वनाश कर डालते हैं। यहां भी छोटी बुआ अपने आपको परदे के पिछे रख दी थी।
दोस्तों आपको अगर याद होगा तो बताना चाहता हूं की गुप्त तारा अनुभव में बताया था की हाल ही में मुझे 3 बार सपना के साथ साथ पैरालाइज भी होना हुआ था। तो मेरा दूसरी बार 10 मार्च के रात को ये हुआ। इस वक्त जो मुझे दिखाया गया आपको बताता हूं,  मैं देखता हुं मेरी छोटी बुआ एक उल्टा चार पाई में मरने के स्टेज में लेटी है.. उसके अगल बगल उसके कुछ डायन दोस्त पास में थे । ऊपर से तो वो लोग उसको देखने आए थे लेकिन मन में सबके लालच था की बुआ की मौत होते ही उसकी शक्ति पाना। मैं जब उसके चार पाई के पास गया तब पिछे से दो डायन इसरो इसरो में कुछ बात किए। मैं समझ गया की ये सब मेरे साथ कुछ करना चाहते है। तब मैं बुआ को देखने के बाद अपने घर के तरफ आया तो देखता हूं की मेरे रास्ते के अगल बगल दूर दूर में एक एक डायन खड़े हो कर मुझे घूर रहे हैं.. मुझे इनकी कोई खातिर नही था। और जैसे ही मैं अपने घर आकर अपने Bed पर लेटा तब सभी डायन आकार मेरे बेड के चारो तरफ घेर के मुझे दावोच ने की कोशिश की.. और सच है इसी समय में अपने सपने के बाहर भी पैरालाइज हो गया था। तब मेरे में से गुरुमंत्र उच्चारण निकला और सारे शक्तिया गायब ही हो गए।  तब मैं उठ गया और एक बुरा सपना सोचा.. लेकिन हैरानी था सपना अगर है तो Stuck क्यों हो गया क्या सचमे कुछ बुरी शक्तियां मेरे पास आए थे क्या?? या कोई भविष्य की सूचना है.. यही फिर मैं अपने साथी को बताया।  की आज दूसरी बार Stuck हो गया।
कुच दिन बाद हम दोनों से जुड़ी गुप्त तारा साधना आरंभ हो गया था। और साधना खतम होने के बाद गांव में वापस आया कुछ दिन बाद पता चला की छोटी बुआ को cancer हो गई है। तब तक मुझसे मेरे साथी अलग हो गई थी। जब मुझे पता चला।  मैं समझ गया था की मुझे जो सपना दिखाया गया था वो कोई नॉर्मल सी बात नही थी। फिर गुरुजी के पुरानी वीडियो सुनते सुनते मुझे इस की सच्चाई पता चला की जो बड़ी शक्तियां होते है वो अपने साधाक की रक्षा तो करते है अगर फिर भी सामने वाला अपना हरकत बंद नही करता तब वो उसीकी की क्रिया को वापस लौटा देते हैं। इसीलिए भले ही ये सुरक्षा घेरा मेरे माध्यम से बुआ के घर भेजा गया था पर फिर भी वो शक्ति अपना उद्देश्य  के ऊपर पूर्ण समर्पित हो गाए थे। और जब छोटी बुआ मेरी बुआ की कुछ भी बिगाड़ नहीं पाई तब वो घटिया चाल में आ कर मेरे बुआ को बदनाम करने लगी और उसके बदले उसकी मारण क्रिया उसको उल्टा मिल गई….  और छोटी बुआ कोन से दिन इस दुनिया से गई। कैसे उसके शक्ति को लेने के लिए सचमे उसकी एक दोस्त वहा पहुंची थी। मेरे बुआ की मृत्यु भी कैसे हुई । बुआ की मृत्यु के पहले ही मुझे कैसे संकेत मिल गया था ये सब रहस्य आपको बताऊंगा अपनी आने वाली कहानी में ।
दोस्तो मैं जब मेरे आगे की कहनी बताऊंगा आप जान जाएंगे की मेरे साथ क्या क्या घटित हुआ.. कोन कोन सी परिस्थिति में मुझे गुजरना पड़ा। कैसी एक शक्ति मेरे साथ जुडी उसकी स्वभाव कैसी थी। कैसे मैं अपने गुरु शिष्य के परिवार में गलत भी बन गया । फिर कैसे उससे निकालना हुआ।
कैसे मैं किसी को देखते ही, और बाते करते करते ही उसके बारे में सब कुछ जान जाता था।फिर मेरे ये सब क्यों उल्टा पड़ गया । कैसे 10 डायन और दो तांत्रिक मिलके एक व्यक्ति के परिवार को बरबाद किए थे और कैसे उनका बचाव हुआ। क्यों मैं सबके नजरो में एक गलत इंसान बन गया। सब कुछ आगे की कहानी में बताऊंगा। अभी के लिए इतना ही
अगले भाग में बताऊंगा की मेरे साथ जगन्नाथ पुरी में क्या हुआ। और मैं अपने जीवन की राह में आगे कैसे बढ़ा।
इस कहनी का शीर्षक क्या रखना चाहिए मुझे समझ नहीं आ रहा था।और भी कुछ रहस्य है जिसका खोज अभी तक भी  नहीं हो पाया है। तब सोचा आप मेरे पिछली कहनी को याद कर के  कहानी को अच्छे से समझ पायेंगे इसीलिए इसकी  नाम एक अनसुलझी कहानी के नाम से जोड़ रहा हूं।
आप सभी का दिल से धन्यवाद।
और मुझसे जाने या अनजाने किसी के साथ कोई गलती हो गई हो तो माफ कीजिएगा।
जय माता पराशक्ति !!
जय गुरूदेव !!

डायन का प्रकोप और मेरी साधनाये भाग 2

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