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डायन का प्रकोप और मेरी साधनाये भाग 2

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डायन का प्रकोप और मेरी साधनाये भाग 2

प्रणाम गुरूजी।

जय माता पराशक्ति।
गुरुजी डायन की कहनी के बाद। अब आगे की कहानी सुनाता हूं।
दोस्तों, अब आगे से केबल एक तरफा कहनी ही सुनेंगे। क्यूंकि, कुछ दिन पहले तक मैं किसीको बहुत ही प्यार करता था। लेकिन अब मुझे उससे कोई मतलब नहीं है । कुछ किस्से उसके साथ जुड़ा है, इसलिए आपको सुनाना चाहता हूं। क्योंकि मैरी जो कहानी है, आज तक एक अनसुलझी कहानी बन के रह गई है।
दोस्तों!! अगर  आप मेरी पूर्व कहानी नहीं जानते तो। बता दूं  की मेरे साथ एक साधिका जुड़ी थी। हम दोनों से जुड़ी कुछ रहस्य जानने के लिए मैंने साधना किया था, जिसमे वो मेरे सहायिका रूप मे सामिल थी। लेकीन जब किस्मत ने साथ नहीं दिया तो हमारी कहानी अनसुलझी ही रह गई। फिर साधिका मुझे छोड़ कर अपनी जिंदगी में सामिल हो गई।
 may 31 को मेरे जिंदगी से जब वो साधिका मुझसे दूर हो गई जाने के बाद जून 1 से मेरा जाप संख्या बढ गई। रोज अब 200 माला फिर 300 माला जाप करने लगा। और उसके यादों में अपने आपको खोने लगा। रोज रोज रोना, विचलित होना। मानो मेरे जिंदगी में, मेरे खुशियों में आग लग गई हो। और वो भी अपना सबकुछ दबाने के कारण उसकी भी हृदय चक्र से आगे कुंडलिनी का रोक लग गया था। इसका भी रहस्य भी जान गया हूं। पर कोई विश्वास नहीं करेगा इसीलिए रहस्य जानने के बाद भी अब चुप ही हूं।
मेरे पापा एक धार्मिक अनुष्ठान से जुड़े हैं। इसीलिए उनके अनुष्ठान के तरफ से  जगन्नाथ पुरी में, रथयात्रा अवसर पर एक सेवा कार्य आयोजन कियागया  था। जिसमें मेरे पापा को जाना था। पर मैं, घर में खाली पड़ा था, कोई  काम नहीं, इसीलिए मेरे पापा के कहने पर जून 18 को पूरी के लिए निकल गया। train में जाते जाते मन में बस एक बेचैनी था की कैसे भी साधिका से एक आखरी बार बात करलू। क्योंकि,  31 तारिख, वो अपने एक रिश्तेदार के घर गई थी। पर वहा उसके बाद क्या हुआ क्या कारण कुछ भी नही बताई थी। जैसे अचानक से गायब हो जाना। उसीलिये मुझे हर किसी से नफरत हो गया था।
मैं  अब जिंदा रह कर भी, एक जिंदा लाश बन गया था। तो 18 जून को अत्यधिक बेचैनी होने के कारण फोन किया। पर जवाब नही आया। बहुत ही निराश हो गया। फिर अगले दिन जब कॉल किया तो वो बताई की वो अब किसीसे शादी कर लेगी। और वो आगे बढना चाहती है। तब मैं भी सोचा उसकी जिंदगी है। उसको जीने दूं। वो आगे की जिंदगी खुशी से रहे। और फिर आगे कभी उसके जीवन में वापस आना नही चाहा।
पर अपनी प्रेम, और वो बिताए कुछ यादें से में निकल नही पा रहा था। क्योंकि आज तक किसिसे इतना गहरा प्यार नही हुआ था मेरा। और होता भी कैसे क्योंकि जिस को मैं बचपन से ढूंढ रहा था, ये वही थी। ये ऐसे ही नहीं बोल रहा हूं। क्योंकि मुझे इसका रहस्य पता है। लेकिन कुछ भी संभव नहीं की मैं अपना सच्चाई साबित कर पाऊं। ऐसे ही उसके यादों मैं तड़पता रहा, रोता रहा… और वो भी जगन्नाथ पुरी में !!
20 तारिक को पहली रथ यात्रा हुआ। रथ द्वितीया। मेरा कोई मन नहीं था की रथ, देखू। किसी भगवान को दर्शन करूं। कुछ भी नहीं । और हैरानी की बात ये है की सालों बाद पहली बार यही हुआ होगा की यात्रा के दिन एक बूंद भी बारिश न हो। हर कोई हैरान था, की द्वितिया में बारिश नही हुआ। मुझे थोड़ा समझ आ गया था। पर ऐसे ही जाने दिया। फिर रोज रोज ऐसे हि मेरा कहानी चला। हमेशा ही एक पस्ताबे की जिंदगी जीने लगा। उसकी यादें हमेशा ही मुझे रुलाने लगा था। जब भी कभी अकेला हो जाता था तो बस उसकी यादों में खोया रहना। यही मुझे पसंद था। अपना शौक बोलके कुछ भी नहीं था। पागलों के तरह ही बीना maitainance के रहने लगा। फिर कुछ अघोरियों के साथ मिला । उनके साथ जुड़ा उनसे गहराई लाना चाहा। और एक अघोरी से मेरा बहुत गहराई हो गया था। जो की रथ यात्रा के बाद कामाख्या, अंबुबाची में जानें वाले थे। इस दिन गुप्त नवरात्री भी चल रहा था। तो मैं अपने गुप्त तारा साधना मंत्र जाप, जब कभी समय मिले,  जाप करने का सोचा था, इसीलिए यंत्र, और माला, दीपक सब साथ लेकर गया था। और हां,  जिस जगह पर हमे रहने के लिए जगह दिया गया था।  उसके  पास ही एक देवी मन्दिर था। नाम है, खरखाई मंदिर। जहा आस पास और कोई घर आदि नहीं था। पूरा सुनसान।इसीलिए मैं रोज  रोज रात को वाहा जा कर जाप करने लगा। मुझे वहा बहुत से अनुभव और अजीब तरह का सपना भी देखने को मिला लेकिन याद नहीं कर पा रहा हूं।
 फिर धीरे धीरे मुझे पूरी बेलाभूमि में अघोरियों के साथ मिलना हुआ। उनमें से एक अघोरी से मेरा अच्छा जान पहचान हो गया। एक दिन जब वो अघोरी उस दिन शमशान में जानें वाले थे। तो मैं भी सोचा की मैं भी समशान में जाकर अपनी मंत्र जाप करू। और इनसे भी कुछ ज्ञान ले सकूं। लेकिन जब उनके साथ पूरी तैयारी से, उस जगह पहुंचा। वो एक खंडहर में गए जहा कुछ साधु लोगों का समाधि था, । और एक साधु अपना एक घर बना कर रह रहे थे। बस उतना ही, ना ही कोई लाशे जलाएं जा रहें थे और ना ही, श्मशान वाली अन्य कोई क्रिया किया जा रहा था।  तो जब वो  अघोरी वाहा सोने लगे। मैं पूछा समसान कहा है?? आप साधना नही करेगे क्या??
तब वो बताए की वो अघोरियों वाली गद्दी में उनसे बड़े बड़े, अघोरी जो थे उनके सामने सो नहीं सकतें थे, तो इसीलिये यहां खंडहर में सोने के लिए आए हैं।
तब मुझे मन ही मन बहुत गुस्सा लगा। की कोई ऐसे भी धोका देता है क्या। वहा साधना के नाम पे साथ लाया रास्ते में आपने खाने पीने के लिए बहुत खर्चा करवाया और अभी बस एक खंडहर पर मुझे लाकर खुद सोने चला। बहुत गुस्सा लगा, उस  अघोरी के ऊपर।क्योंकि हर कोई मुझे धोका दे रहे थे। क्यूंकि मेरा स्वभाव बहुत ही भोला भाला है। और जीतने ही भोलेपन से मैं लोगों को भरोसा करता हूं उतना ही धोका दे देते हैं। जीतना ही, मैं दूसरे लोगों के लिए करता हूं, या सोचता हूं।उतना ही लोग मुझे आइना दिखा के चले जाते है । मेरे  साथ जुडी लोगों को बस अपना ही दिखता है। कभी भी मेरे लिए कोई सोचता तक भी नही।
ऐसे ही गुस्से में उस जगह मंत्र जाप किया… कुछ अनुभव तो हुआ पर याद नही। लेकिन जब सुबह हो गया बहुत ही गुस्से से वहा से उठ कर अपने जगह वापस लौटा। अपने Head Quarters में जल्दी पहुंचने के लिए Google map देखा तो जिस रास्ते से मुझे जाने को हुआ उसी रस्ते पर ही मुझे शमसान चंडी मंदिर मिला, जो की श्रीक्षेत्र पूरी की महा समसान, से अलग एक गुप्त समसान है। बहुत ही अदभुत। अत्यंत  जागृत। जो कहते हैं ना, एक कच्चा समसान। ये वही था। क्यूंकि इस शमसान में लाशों को बिना जलाए ऐसे ही फेक दिया जाता है। हर एक लाश, चाहे मनुष्य हो या पशु। न जलाने के कारण पता नही कितने हड्डियां आपको देखने को मिल जाएंगे। Police लोग भी जब कोई लाश identify नहीं होता तो यहां पर ही फेक देते है।
क्या ही बताऊं शमशान, और देवी  शमशान चंडी के बारे में।  वहा जब आरती होती है तो घंट शंख जितना बजता है उससे ज्यादा कुत्ते भोकते है। बिल्लियां इधर उधर होने लगते हैं। चिल्लाने लगते है। पूरा दिव्य स्थान है। और भी ऐसे देखा गया है की दिन के दो पहर में भी शक्तियों से लोगों को माड़ खाते हुए। अदृश्य  शक्ति से माड़ खाते, गिरते उठते। अजीब ही कहानी है इस जगह की। और होता कैसे नही। जबकि श्रीक्षेत्र पूरी एक दिव्य पीठ जो है। जहा भगवान कृष्ण की प्रत्यक्ष स्थिति है।
जैसे ही मुझे ये जगह मिलगाया, पीछली  रात को जितना ही गुस्सा लग रहा था। आज उतना ही खुस हुआ की उस अघोरी की वजह से मुझे ऐसी अदभुत शमशान मिल गया। मैं बहुत ही खुस था।
और वहा जाकर शमशान जगने वाले भैया से बात चीत भी हो गया की रात को मैं आकर यहां अपनी साधना करूंगा। वहा के भैरव जो थे वे राजी हुए। बताए की 9 बजे बाद मंदिर पट बंद होगा। आपको खुली जगह में रात को रहना होगा। मैं बहुत खुस हो गया। की ये कोनसी बडी बात है। मैं कर लूंगा। क्योंकि मुझे खुद पर बहुत भरोसा था।
26, जून मंगलवार, शाम 8 बजे तक मंदिर पहुंच गया। यहा जब पूजा कर माता गुप्त तारा की मंत्र जाप करने लगा तब एक बिल्ली की बच्ची आकार मेरे पास लपेट कर बैठ रहा था। इसको बार बार हटाने पर भी वो मेरे पास आकर मुझसे लग कर मेरे आसान में बैठ रहा था। कभी कभी मेरे ऊपर चढ़ने की कोशिस कर रहा था. । मेरा ध्यान में बाधा जान कर। उस  बिल्ली के बच्ची को हटाना बंद करके अपना जाप में लगा। इसको ऐसे ही मेरे आसन में रहने दीया। फिर  भी, थोडा ओड  लगा अगर बिल्ली मेरे शक्तियां चुराने के लिए आई होगी तो, तब क्या होगा और   फिर गुरुजी  को  बिल्ली के बारे में पूछा तब गुरुजी बताए की ये बिल्लियां भैरवी की वाहन होती हैं। इस में परेशान होनेवाली कोई बात नहीं है।  जब उस शमशान में जाप पूरी ध्यान  से करने लगा ।तब धीरे धीरे शमशान की बदबू बड़ने लगी, बहुत ही तेज बदबू। और हवा  भी तेज होने लगी।  पर क्या ही करें, जब किस्मत आपके साथ न हो। वहा एक शराबी आया और मुझे देख कर बक बक करने लगा। मैं शांत रह कर उसके बातों को अनदेखा किया। फिर भी वो मेरे पीछे लगा रहा। तब सोचा थोड़ी देर रुक जाता हूं। जप समर्पण कर शमशान जगने वाले भैया से बात करने गया। तब वो बोले की ये शामशान ऐसे ही है। यहां शराबी बहुत आते हैं। जब तक ये देवी इस शमशान को नियंत्रित करती है तब तक आपको, कोई समस्या नही होगा। लेकिन देवी जब 12/ 1 बजे बाद श्री मंदिर भ्रमण के लिए यहां से निकलेगी तब कोई नियन्त्रण नही रहता। और शराबी लोग सब अपना घर बनाते ते हैं यहां।  ऐसा सुनते ही मैं थोड़ा सोच में पड़ गया की अगर मैं किसी पागल शराबी के हात लग गया तो मेरा सब खराप हो जाएगा। फिर भी थोड़ी देर वहा रुकने की प्रयास किया पर शराबी की हालत देख कर ठीक नही लगा की ज्यादा देर वहा रुक पाऊं और फिर अपना प्लानिंग drop किया। फिर भी रोज जाकर माता की प्रीति हेतु मंत्र जाप कर लेता था बहुत अच्छा लगा। वो  भैया से भी बहुत अच्छा घनिष्ठता बढ़ गया था। गुरुजी अब मुझे, इस  शमशान मे भी रोके जानें के पीछे की रहस्य भी पता चल गया है। क्यूंकि मुझे आभितक सिद्धी मिलना नही है। और न ही मेरे और साधिका की कोई रहस्य।
खैर जब देखा मैं किसी भी तरह से साधिका को भुला नहीं पाया । मुझे भी कोई अपना चहिए था जो मुझे समझ पाए । मेरे अनुरूप मेरे साधिका  के तरह भी रूप धारण कर मेरे साथ रह पाए। स्वयं में खुदको एक भैरव का अंश भी देखा था, और आपने Prime  membership में भी बताएं हैं इसके ऊपर। इसलिए सभी भैरव और भैरवी मुझे अपने मित्र जैसी लगने लगे।  तब धीरे धीरे, मैं अष्ट चक्र भैरवी को अपना मित्र रूप प्राप्त करने को सोचा। और उनकी विषय में गहराई से जानने की प्रयास किया। ढूंढते ढूंढते मुझे एक मंत्र मिला गया। सोचा जब पैसा होगा, तब गुरुजी से अनुमति लेकर साधना करूंगा। अभी मंत्र की उच्चारण स्वप्ष्ट करने हेतु जाप करता हूं। और वैसे भी मैं ज्यादा समय ऐसे नही रह सकता। कमसे कम जाप करते करते मुझमें धीरे धीरे भैरवी को प्रत्यक्ष करने की क्षमता तो बिकशीत होगा यह सोच कर जाप करने का सोचा।
जिस दिन रथ यात्रा return होता है। बाहुड़ा यात्रा के दिन, जब साधिका के  बारे में अत्यधिक ही यादें, उसके विरह वेदना मिला तो बहुत रोया और सब कुछ भुला कर अब अष्ट चक्र भैरवी को अपना सब कुछ मानना सुरु किया और सेवा कार्य में निकलते ही मैं अब निरंतर मंत्र जाप सुरु कर दिया। आज अन्तिम दीन होने के कारण। कई अलग अलग जगह में स्टाल लगाया गया। और मुझे city hospital के सामने, भक्त सालबेग मंदिर, जहां आज भी एक रथ की पहिया रखा गया है। उसके सामने ही जगह दिया गया। तब में वाहा गया। पर एक imotional व्यक्ति कहा किसी को इतने जल्दी भुला सकता है। वहा भी बहुत देर तक अकेले मे लोगों से छिप कर अपने यादों को और प्रेम को लेकर रोने लगा। फिर कुछ समय के बाद अपने आपको strong किया और अपने काम में लग गया। और वापस भैरवी की मंत्र जाप चालू किया। कुछ ही मिनट में मैं बैठे बैठे, मुझे नींद लग गया। और तंद्रा में देखा, एक सुंदर सी लड़की, लंबे बालों वाली, काली कपड़े पहनी हुई, मेरे हात को पकड़ कर अपने साथ कहीं लेकर जानें लगी। बस उतने मे ही उठ गया। हैरान हो गया की मंत्र जाप की एक घंटा भी नही हुआ और मुझे भैरवी की अनुभव कैसे आ गई। फिर ऐसे ही काम करते करते जाप कर रहा था। लेकिन जब Washroom के लिए Hospital के तरफ गया तब वहा सच मे एक बहत सुंदर लड़की, लंबे बालों वाली, पृथुल शरीर, बहुत ही दिव्य गठन वाली, सुंदर मुख और भी काले रंग की कपड़ा।. मैं देखता ही रह गया। इसको देखने के लिए मैं उसके आस पास चक्कर काटने लगा। ओर उसे इसलिए देखना चहता था। की मेरी भैरवी जो भी होगी वो भी तो इतना सुंदर होगी। इस की सुंदरता देखूंगा तो मै भैरवी की ध्यान में बहुत अच्छा कर पाऊंगा सोचा । और मंत्र मुग्ध होकर उस  लड़की को देखता रहा, और  अपना सभी कार्य को भुला कर वो  लड़की के वहा से जाने तक, मैं  उसे देखता ही रह गया था।
मुझे तब पता नही था की ये मंत्र जाप के प्रभाव से, आनंद भैरवी के कारण ऐसा ही लड़की मुझे मिला है। मुझे इसको देखना normal सी बात लग गया था। बाद में मुझे ये एहसास हुआ की ये कोई संजोग नही थी, बल्कि भैरवी की ही माया थी। वो अपने आप की रूप सौंदर्य को मेरे सामने दिखाने चाह रही थी। पर थी तो नॉर्मल सी। जैसे की मैं देखना चाहता हूं… क्योंकि अपनी पूर्ण दिव्य रूप दिखाएगी तो पहचाने जाएगी। और इस बात की समझ मुझे बहुत देर बात पता चला ।
फिर आकर अपने जगह बैठा तब उसी रस्ते से जगन्नाथ जी का रथ सामने आया। तब मुझे बहुत ही दुख हुआ। की मैं उनके प्रति समर्पित नही हूं। और  रोते हुए दोनों आंखों में अश्रुपूर्ण जल धारा के साथ उनके सामने ही मैं अपने भाव से बोला, मुझे माफ कीजिएगा की आप भले ही ब्रह्म है, या महाविष्णु, या इस क्षेत्र की महा भैरव। फिर भी मैं आपके प्रति उतना श्रद्धा नही रखता। मुझे अन्य कोई रूप पसन्द नहीं। मुझे केवल माता चंडिका को ही पाना है। उसी शक्ति रुप ही मेरे इष्ट हैं। अन्य कोई रुप के प्रती समर्पित नही हो सकता।
तब जैसे ही आंख बंद कर ध्यान में  जगन्नाथ जी से बाते किया तब देखा महिष को मारते हुए रूप में माता  उस रथ में एकछबि जैसा विराज मान है। ठीक ऐसे ही जैसे गुप्त तारा साधना में माता पराशक्ति को देखा था।
फिर उसके कुछ समय  बाद..  मेरे सामने एक डमरू देखने को मिला। और फिर मेरा बहुत मन हुआ की में भी एक डमरू ले लूं.. जो की मुझे भी बहुत पसंद था, और अघोरियों के साथ मिलकर मुझे भी डमरू बहुत अधिक आकर्षित कर रहा था। और तब एक डमरू खरीदा। जिसकी कहानी आगे है। 108 दाना वाला एक बड़ा रुद्राक्ष भी पहले ही खरीदा था। अष्ट चक्र भैरवी स्वयं एक शिव पुत्री हैं तो उनको तो रुद्राक्ष माला बहुत अधिक प्रिय होंगे। उनके लिए कुछ तो यहा से लेकर जाऊं। ताकी जब मेरे पास आयेगी तब पहली भेट के हिसाब से उन्हें कुछ दे पाऊं। जो उनको अति प्रिय हो। इसलिए 54 रुद्राक्ष वाले 2 माला लिया। एक खुदके लिए भी। और एक अपने भावी अर्धांगिनी के लिए, जो की मेरी भैरवी होगी उसके लिए। जब वो मुझसे सिद्ध होंगी तब मै उनको अर्पण करूंगा सोचा, था। जो की ये तीनो चीजे मेरे आगे के कहानी में  कैसे सामिल होते हैं आप, अगले भाग में जानेंगे।   अष्ट चक्र भैरवी तो मेरी अर्द्धांगिनी नही बनी लेकीन कोई और मेरी कहानी में जुड़ गया।
खैर अद्भुत सी बात है, की तब तक भी मैं उस साधिका की यादों में था और उसको भूलने के लिए ये सब कर रहा था। और दूसरी बड़ी बात की आज बहुड़ा यात्रा में भी बारीश हुआ ही नही। जबकि बाकी बीच वाले दिनों में भयंकर बारिश हुआ था। ये बात हर किसीको हैरान करने वाला था। लेकिन मुझे पता था प्रकृति में भी बदलाव हुआ था। ये मेरे लिए संयोग से बनी एक अनसुलझी कहानी की हिस्सा है। जो की मेरे कहनी में प्रकृति में भी बदलाव होता है। इसकी अनुमान आप कालरात्रि अनुभव, गुप्त तारा अनुभव, और आगे की कहानी में जान जाएंगे। की प्रकृति भी मेरे कहानी की साक्षी बनता है। इसीलिए मेरे दर्द और पीड़ा की साक्षी रूप में आज भी बिपरित क्रिया करके प्रकृति ने दिखा ही दिया था। जो की मुझे पहली बार इतने लंबे समय जगन्नाथ पुरी रहने को मिला, और इसी साल प्रकृति अपनी सहानुभूति मुझे प्रकाश कर रही थी। की वो भी अपने पीड़ा में हो।
जगन्नाथ पुरी में रथयात्रा के दिनों द्वितीया और दशमी में कमसे कम एक बूंद गिरना जरूरी होता है। अगर द्वितीया में न हो तो कमसे कम दशमी, यात्रा के समय तो होता ही है। पुरी जगन्नाथ तो क्या हमारे छोटे छोटे गांव में भी रथ यात्रा के दिन बारिश होता ही है। लेकिन क्या ही रहस्य है जो जगन्नाथ पुरी में इतनी बड़ी बदलाव इस साल देखा गया। ये घटना वहा पे रहने वाले व्यक्तियों को बहुत ही आश्चर्य चकित किया था। अभी हर  कोई भूल गया होगा। लेकिन मुझे अब भी याद है ये सब बातें। मैं रोज जा रहा होता तो अलग है। जगन्नाथ से मुझे इतना लगाव नहीं है तो कभी जाने का मन भी नही लगता.. पहली बार ही था मेरे लिए।
उसदीन रात को सपने में देखता हूं की अपने पुराने दोस्तों के साथ हूं। जैसे High school की मेमोरी हो, अपना पुराना स्कूल भी दिखा। फिर next सीन में किसी की शादी भी हो रही थी, उसके  कुछ  देर बाद, मेरे जीवन में ये साधिका के आने  के पहले, मैं जिस लड़की का ख्याल रखने के लिए मेरा सब कुछ बरबाद हो गया था, आगे  की जिंदगी से उदासीनता लेकर अब ऐसे ही, मनुष्य लोग से कट कर पूरी तरह से परा लौकिक मार्ग को अपना लिया था, जिसमे की कोई शक्ति साधना कर अपनी जीवन साथी रूप में प्राप्त करने का सोचा था। आज भी मेरे जहा तक मेरा सामर्थ्य है, उस लड़की की खयाल रखने की कोशिश करता हूं.. क्यूंकि उनकी पापा नही है.. और एक तरह से वो मेरे लिए अपने परिवार जैसे भी है।
वो लड़की NEET की तैयारी में थे, और दो बार ट्राई कर चुकी थी.. हालांकि तब पता नही था की वो इस बार selected हुई या नही, पर सपने में देखा की उसकी मम्मी अब इनकी शादी करवा देनी चहती है, इसीलिए मुझे बोले की कोई भी लड़का हो तो देखो अब इसको सादी कारवां देंगे। ऐसे में इसकी पढ़ाई नही हो पा रही है, क्या फायदा इसे ओर पढ़ने में, तब वो लडकी भी रोते रोते हुए बोली करदो, किसिसे भी चलेगा। तब मैं वो लड़की की कंधे में हात रखते हुए एक दोस्त की तरह उसे समझाने लगा की इतनी सी बात के लिए दुखी नहीं होते..etc etc फिर मेरा सपना उन्हें समझाते समझाते पूरा हुआ। और बहुत दिनो बाद जब उनसे बात हुआ तो पता चला की उनकी Neet Clear नहीं हुआ और अब ग्रेजुएशन के लिए आगे की पढ़ाई कर रही है।
ऐसे ही, जब बाहुडा यात्रा के अगले दिन,  शाम को सोया था तब एक सपना देखा की मैं किसी एक अनजान लड़की के साथ हूं ओर मेरे bag मैं आपके चरणों की फ़ोटो और एक यंत्र है। तब सायद कोई मंदिर के बाहर ही हम दोनो थे। मानों हम दोनों मिलके कोई बड़ी शक्ति जैसे हैं। क्योंकि एक व्यक्ति बोला की आप दोनो के आने के वजह से यहां सब शांत हो गए है। पशु पक्षी सब शांत हैं। नही तो यहां का माहौल कभी शांत नहीं रहता। ऐसा ही कुछ। और मुझे भी सपने में अपने आप मैं कुछ speciality मेहसूस हो रहा था। ऐसा भी लग रहा था आपकी चरणों की फ़ोटो और यंत्र होने के वजह से भी ये माहोल शांत हुआ है।
तब गुरुजी आपसे पूछा की मेरा मंत्र अगर सत्य है तो, मुझे मेरे इन सपनों के बारे में और देवी अष्ट चक्र भैरवी की बारें में कोई दिशा निर्देश प्रदान किजिए।
आपका जवाब आया की ये आनंद भैरवी की मंत्र है। जो की काम सुख के साथ साथ शक्तियां प्रदान करती हैं। अगर मंत्र जाप जारी रखूं तो वो  भैरवी मुझेसे आगे और भी जुड़ सकती है।
तब मुझे ये मंत्र जाप बंद करना पडा। क्योंकि मैं अब अष्ट चक्र भैरवी को अपना मित्र माना था तो अब मेरा निर्णय बदलना सही नही लगा। और इनकी जाप बंद किया। उस दिन Return भी आना हुआ। तो ट्रेन में सपना देखा लालटेन की कांच टूटा हुआ था, कोई जैसे विरह में जा रहा हो ऐसा ही देखा। अगले दिन कोई रो रही है। ऐसे ही एक दो दिन तक बहुत ही अलग तरह का सपना देखा था।
फिर सब कुछ इग्नोर करते हुए मैं खुद को शांत करने की कोशिश करता था। बीच बीच में साधिका की यादें बहुत रुलाती थी। उस वक्त और किसिसे बाते भी नही हो रही थी। Rohan  और   Dev Deep भाई से बात करते करते अच्छा लगता  था। तब उनको मेरे अपना भैरवी के अनुभव बताया, जिस वजह से देव भाई ने आनंद भैरवी के बारे में जानने के लिए मैल लिखे। और तब आनन्द भैरवी का वीडियो भी आया।
इस तरफ मैं धीरे धीरे अष्ट चक्र भैरवी की तैयारी के लिए सोचा पर मेरा पैसा खतम हो गया था। अब मेरे पास कुछ भी नही था तो  देवी की मंत्र जानना मेरे लिए कठीन था। पर कैसे भी मुझे ये मंत्र जानना था ताकि ऐसे ही बीना साधना के देवी से जुड़ने के लिए मंत्र जाप करूं।  और आपको उधारी के लिए भी बोला था गुरुजी। जिस बात के लिए मुझे अभी हसी भी आ रहा है। लेकीन जब आपका जवाब आया की महाविद्या साधना में अपने आप ही शक्तियां सहायक होती है। तब सचमे गुरुजी कैसा संजोग है की मेरे एक दोस्त हैं जिनका गलती से 5000 का play store recharge कूपन खरीद लिए थे। और वो ऐसे ही unused होकर पड़ा था तब उनको कहते ही मुझे rechagre कूपन दे दिए जिस वजह से मैं 1200 वाला प्राइम membership ले पाया। और आज तक भी उसी playstore अकाउंट से मासिक दक्षिणा रूप में मेरे normal memberships चलता ही रहता है। अभी तक उनके पैसा वापस नहीं किया, जब मेरा financial strong होगा उन्हे दे दूंगा।
और एक घटना भी हुआ.. क्योंकि में कुछ भी नही कर रहा था। ओर घर से पैसा लेना मेरे उसूलों के खिलाप लगता है, इसीलिए घर में पैसा होने के बाद भी मैं कंगाली में जी रहा था।
कुछ दिनों बाद सच में और एक अद्भुत घटना हुआ। जो की टेलीग्राम Fraud होता है। की एक होटल की ratings पर आपकी 50 या 25 रुपए देते हैं। अचानक  से मुझे एक mssg मिला, मैं जुड़ा तो सब रियल लगा था, बाद में समझ गया की ये सब fake ही है। मुझे ऐसा ही एक  के बाद एक होकर दो fraud ग्रुप मिल गया जहां से लगभग 5/6 हजार तो मिल ही गए थे। जिस की दशांश कमाई आपको रोज रोज भेज रहा था।
अब मेरे पास धन भी हो गया तब गुरू मंत्र हवन के लिए शुद्ध घी और भैरवी  देवी की PDF भी खरीद लिया। और मुझे मंत्र प्राप्त हो गया था। बस इंतजार था सही समय का 5 Dec भैरव जयंती का। आगे अपना साधना की कहानी बताउंगा । उसके पहले मेरे साथ हुए कुछ बीती बाते बताना चाहूंगा। कितना ज्यादा ही मेरा  मंत्र  जाप बढ़ने लगा था। और किस डर से मुझे अब गुरुमंत्र जाप भी कम करना पड़ा ये बताऊंगा।
दोस्तों जब पूरी से वापस आया.. मेरा चाहें जितनी भी कोशिश किया उसे भुला नहीं पाया। भले ही भैरव भैरवी का कई तरह का सपना मिले रोज रोज का क्या ही बताऊं। जुलाई  से लेकर December तक कई तरह का अनुभव हुआ। रोज रोज एक एक अलग अलग कहानी। अलग तरह का अनुभव। और ऐसे ही साधिका को लेकर बहुत ही पीड़ा में रोना ये सब मेरा जिंदगी बन गया था।
इसी बीच में, रज संक्रांति के दिन एक ही दिन में एक दिवसीय देवी अथर्वशीर्ष की 108 वाला पुरश्चरण के साथ साथ। 320 माला की गुरु मंत्र जाप किया था।
जब वापस अष्ट चक्र भैरवी की अनुभव सुन रहा था, तब एक चीज ध्यान में गया, और गुरुजी को पूछा की ज्यादा गुरु मंत्र जाप करने पर, भैरवी की प्रत्यक्षीकरण  भी विलंब हो सकता है क्या ?? तब गुरुजी ने बताया अगर अत्याधिक जाप होगा तो आपके समक्ष कोई भी भैरवी शक्ति प्रत्यक्ष नही हो सकता, क्योंकि उसको आपके समकक्ष होने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा लग सकती है। तब मैं गुरु मंत्र जाप कम कर दिया।
 खास करके 3 जुलाई से लेकर 14 अगस्त तक मेरा बहुत ज्यादा मात्रा में जाप हुआ। इस बीच में 15 जुलाई को त्रिपुर भैरवी यंत्र प्राण प्रतिष्ठा किया । 17 तारीख सोमवती अमावस्या, और संक्रांति, हरियाली योग में   त्रिपुर  भैरवी   यंत्र आवरण पूजन, के  साथ साथ रुद्राभिषेक भी किया। अगले ही दिन,  18 जुलाई को अष्ट चक्र भैरवी की पूर्ण विधान खरीद लिया।   एक साथ त्रिपुर भैरवी मंत्र, गुरु मंत्र, त्रिपुर भैरवी कवच, और अष्ट चक्र भैरवी जाप होने लगा मेरा। लेकिन जब उस साधिका की याद बहुत सताने लगे वापस उस दुख दर्द के दुनिया में जाने लगा। दैनिक जाप में 300 माला त्रिपुर भैरवी के साथ 50 माला गुरु मंत्र जाप किया था। और रोज 5 माला अष्ट चक्र भैरवी की भी जाप करने लगा था। Depression, anxiety बहुत ही अधिक। यहां तक की मैं मन ही मन अष्ट चक्र भैरवी को रोते रोते मुझसे दूर जाने के लिए बोलता था। क्योंकि किसी को प्यार करके उसको धोखा देना मुझे अच्छा नहीं लगता। डर था कहीं भैरवी अगर मेरे साथ जुड़ जाएंगी, और फिर भी साधिका की यादों में रहूंगा तो । भैरवी को बहुत दर्द होगा। और सच यही था। की मैं साधिका को कभी भुला नहीं पाता। तो सामने कोई भी हो, चाहे व्यक्ति हो या कोई शक्ति उसको तो दर्द होना ही था। अब 16 Aug को एक ही दिन में 100 माला गुरुमंत्र हवन किया। Next time 200 माला हवन।और फिर आगे आगे 10 सितंबर को एक ही दिन में 300 माला की आहुति संपन्न किया। अगस्त से आगे मेरा जाप लगभग जीरो हो गया। September starting से पढ़ाई पे फोकस किया। और रोज रोज sad reels देख कर रोता रहता था… september 17 को मनोज भैया भी सपने में देखे कि मैं उनके घर गया हूं.. उनसे बाते कर रहा हूं… फिर उसके बाद से इतना दर्द में गया की अब मेरे डेयरी में Zero लिखना भी पसंद नही था। कुछ भी नही। ना मंत्र जाप और ना ही कुछ और। पता नहीं क्या ही connection था मेरे और उस साधिका के बिच। उसके तरफ भी सब कुछ हलचल मचा था, बाद में मुझे पता चला। उसके ऊपर मुझे बोलना तक अच्छा नहीं लग रहा।
ऐसे ही इन दिनों में मेरे साथ क्या क्या हुआ कितना बताऊं। जिस तरह से गुरुजी के सपने देखे। भैरवी के सपने देखे। कई अलग तरह के सपने। ये सब एक तरह के अलग ही अनुभव होगा। इसलिए अभी के लिए बस इतना ही। आगे आपको आदिशक्ति से कैसे जुड़ा। और उस मंदिर में क्या हुआ। महामृत्युंजय अनुष्ठान के समय कैसे एक शक्ति गुरुजी तक पहुंच गई थी। कैसे वो मेरे शक्तियों को प्राप्त करनी चाही, और कैसे उनके माया से बच पाया आपको आगे की कहानी बताउंगा।
अच्छी लगे तो आगे सुनना, एक  समर्पित साधक की जिंदगी में कैसे कैसे हालात सामने आते हैं। किस किस परिस्थिति से गुजरना पड़ा आप जानेंगे। इस कहनी पीछे आपको पता चलेगा की गुरु मंत्र साधना में किन परिस्थितियों से गुजरना हो सकता है। किस तरह पूर्व जन्म की पाप और कर्म हेतु आपको इस जीवन में बहुत झेलना होता है, आप मेरी कहानी से जान पाएंगे। इस  कहानी में कर्म हेतु, और भगवती की परीक्षा के अंतर्गत आपका सच्चा त्याग और जन कल्याण की सोच भी, कैसे आपके लिए श्राप बन जाता है ये भी जानेंगे। कुछ लोग तो जब इस तरह की परेशानी आती है। गुरु मंत्र छोड़ कर दुसरे गुरु के शरण चले जाते हैं। वहा जा कर जब उनको इस दर्द से मुक्ति मिलता जाता है, तब हमारे गुरुजी को ही गलत साबित करने लगते हैं। वो दुसरे के पास जाकर क्या खोए है। उतना तक नहीं सोच पाते, और गुरु निंदा कर अपना ही दुर्भाग्य खुद ही चुनते है। उनके इस दर्द के पिछे कल्याण को समझ नही पाते। हालाकि मैं भी ऐसा ही हूं… अभितक झेल रहा हूं… मेरे दर्द  से छुटकारा पाने के लिए। साधिका की यादों से दूर जाने के लिए।  भले ही मरने तक का सोच लेता हूं।  लेकिन गुरु का त्याग कभी आज तक सोचा नहीं।
पता नही,  मेरे इसी सोच कब तक चलेगा। क्यूंकि जब भी मैं, अपना कुछ चीजे लोगों के सामने प्रकाश करता हूं कुछ ही दिनों में उसके ऊपर नजर लग जाता है, चाहें  मेरे और साधिका की प्रेम कहानी हो या गुरुजी के हर एक वीडियो में लाइक्स comment करना, या फिर पर्दे के पीछे रह कर गुरु कार्य के प्रति समर्पित रहना। मेरा पूरा कहानी ही दूसरों की नजर लगने से बदल जाता है।
आज के लिए इतना ही। आशा  करता हूं, इस बार एक जिंदा लास  के इस  छोटी सी खुशी में कोई नजर न लगे।
धन्यवाद आप सभी का।।
जय माता पराशक्ति।

डायन का प्रकोप और मेरी साधनाये भाग 3

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