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तांत्रिक की शमशान भैरवी साधना भाग 4

तांत्रिक की शमशान भैरवी साधना भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। तांत्रिक की शमशान भैरवी साधना आगे की घटना के विषय में जानते हैं तो जैसा कि। हम लोगों ने अभी तक जाना था कि ऐसी विषम परिस्थिति में वह स्त्री बहुत ज्यादा भयभीत हो गई थी क्योंकि शेर और शेरनी उस की ओर बढ़ रहे थे और बाहर डाकू थे तो उसने बहुत ज्यादा घबराकर आंखें बंद कर ली और। शायद आंतरिक प्रेरणा के कारण उसने उन्हीं मंत्रों का जाप करना शुरू कर दिया जो अभी तक वह छोड़ दी थी। और फिर? अचानक से उसे जो महसूस हुआ वह और भी ज्यादा अचरज भरा था क्योंकि उसे ऐसा लगा जैसे की जीभ से कोई उसे चाट रहा है। ऐसा अनुभव उसने सोचा ही नहीं था कि उसके साथ घटित हो सकता है। और वह जब अपनी आंखें खोल कर देखती है तो सामने उसे शेर और शेरनी दोनों उसे चाटते हुए नजर आते हैं। लेकिन यह कैसे संभव है एक जंगल का रहने वाला प्राणी इतना प्रेम किसी मनुष्य को कैसे कर सकता है जैसे कि वह कोई पालतू पशु कुत्ता जैसा हो। एक कुत्ता ही इतना वफादार और अपने मालिक के प्रति समर्पित होता है कि उसके आने पर उसे चाटने लगता है लेकिन यहां पर उस स्त्री को। वह दोनों चाट रहे थे। एक तरफ तो उसे बहुत डर लग रहा था कि कहीं यह चाटकर उसे साफ करके खाना तो नहीं चाहते और उसे ऐसा ही लग रहा था कि इनकी आंखों में गुस्सा जब भूख दिखाई नहीं देती है तो शायद यह दोनों उसे प्रेम कर रहे हैं।

लेकिन ऐसी परिस्थिति ज्यादा देर नहीं रहने वाली थी तभी वह दोनों गुस्से से दहाड़ने लगते हैं। उनकी दहाड़ बहुत तीव्र होती है। यह सोच कर अब वह स्त्री और भी ज्यादा डर के मारे कांपने लगती है क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि अब यह उसे मारकर बस खाने ही वाले हैं, लेकिन उसकी आंखों ने जो नजारा देखा, वह किसी चमत्कार से कम बिल्कुल भी नहीं था। डाकू! अब गुफा के अंदर आ चुके थे। शेर और उस स्त्री को देखकर भी वह डर नहीं रहे थे क्योंकि उनके हाथों में हथियार थे। और वह बड़ी तेजी के साथ इस स्त्री की तरफ लपकने लगे जैसे कि वह तैयार हो कि अगर शेर उन्हें रोकेंगे तो उन्हें वह भगा सकें। और डाकुओ ने उनके ऊपर हमला कर दिया। शेरों का हमला इतना भी तेज था कि वहां पर दोनों डाकू बुरी तरह घायल हो गए। उनके शरीरों को बुरी तरह शेरों ने चीर फाड़ दिया था। उनकी आवाज सुनकर वहां बहुत सारे और भी डाकू लोग आ गए। तब उनके सरदार ने कहा। शेर ऐसे नहीं हटेंगे इस लड़की को। अगर पकड़ना है तो हमें शेरों को जान से मारना या भगाना होगा। इसलिए सब मशालों में तेल डालकर उसे जला लो और मशालों के माध्यम से से आगे नहीं आएंगे क्योंकि मशालों आग से भरी होती है और आग के आगे जंगल का कोई भी जानवर वहां खड़ा नहीं रह पाता है। इसीलिए उन सब ने बहुत सारी मशालों जला ली।

इस प्रकार अब वह स्त्री यह सोचने लगी कि आखिर यह शेर उसकी रक्षा के लिए इस प्रकार। स्वयं को खतरे में क्यों डाल रहे हैं?

कि तभी उन शेरों के बच्चे धीरे-धीरे। अपने मां-बाप की दहाड़ ने की आवाज सुनकर! बहुत तेजी से। उस स्त्री के पास आने लगे।

इधर मशालों की जलती हुई आग को एक साथ करके डाकू आगे बढ़ने लगे। इस बात से? शेर घबराने लगे और वह पीछे होते जा रहे थे। कि तभी उनके वह मासूम बच्चे उस स्त्री के पास आकर बैठ गए और डरने लगे। क्योंकि वह यह सब नजारा देख रहे थे।

तो एक डाकू ने कहा। इसके बच्चों को भी उठा कर फेंक दो और स्त्री को अपने कब्जे में ले लो।

कि तभी अभी तक शांत बैठे दोनों शेर जो आग के कारण डर रहे थे, बहुत ज्यादा क्रोधित हो जाते हैं। और इस क्रोध का वास्तविक कारण था परिवार! शेरनी कभी भी अपने बच्चों की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकती है जो आग उसे अभी तक भयभीत कर रही थी। अब बिल्कुल भी उसे डर नहीं लग रहा था। वह तैयार थी पूरी तरह से।

चाहे उसके लिए उसके प्राण ही क्यों ना चले जाए? शेर शेरनी की हिम्मत को देखकर उसके साथ हो लिया और दोनों ने बहुत तीव्रता से उन डाकुओं पर हमला करना शुरू कर दिया।

आग का डर उनके मन से निकल चुका था। और जब डर खत्म हो जाता है तो विजय भी निश्चित ही मिलती है। एक-एक करके डाकुओं को घायल करना शुरू कर दिया। हालांकि इसके कारण शेर और शेरनी के शरीर को कई जगह जलना भी पड़ा। जलन उन्हें महसूस हो रही थी क्योंकि मशालों को उन्हें पूरी तरह जला कर उनके शरीरों में भाले की तरह चुभोया था।

इसी कारण से शेर और शेरनी भी घायल हो चुके थे। लेकिन दोनों की तीव्र हमले की शक्ति ने डाकू को वहां से भगा दिया। और अब दोनों वापस अपने बच्चों की तरफ आने लगे और वहां पहुंच कर उन्होंने अपने बच्चों को प्यार देना शुरू कर दिया। इधर यह स्त्री यह बात समझ नहीं पा रही थी कि यह सब कुछ क्या हो रहा है?

ऐसा तो आज तक कहीं देखने को नहीं मिला। क्या मैं इनका परिवार हूं?

ऐसा शेर क्यों करते हैं?

शेरों की शक्ति कई गुना ज्यादा होती है लेकिन उनके अंदर बुद्धि नहीं होती। और यहां पर तो इन्होंने पालतू शेरों का काम किया है। आखिर उन्होंने मेरी मदद क्यों की है, उसे कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन अब वह चुपचाप उठती है और। शेरों को बड़े प्यार से छूकर वहां से बाहर निकलती है क्योंकि उसे ऐसा लगता है कि आज किसी शक्ति ने ही उसकी रक्षा की है। धीरे धीरे चलते हुए वह उस स्थान तक पहुंच जाती है। जहां पर उसका पति बैठा हुआ था और अपनी साधना कर रहा था। वह देखती है कि उसका पति अभी भी अपनी साधना में पूरी तरह तल्लीन है। ऐसे में उसे किसी भी प्रकार से।

डिस्टर्ब करना या उसकी साधना को भंग करने की चेष्टा करना उचित नहीं होगा इसलिए वह भी उसके ही बगल में उसी प्रकार बैठकर अपनी तांत्रिक साधना को शुरू कर देती है। थोड़ी देर साधना करने के बाद अचानक से वहां पर भयंकर विस्फोट होता है। सामने एक बहुत ही भयानक। शक्ति प्रकट होती है जो कि नरमुंड हाथ में लिए हुए एक हाथ में उसके तलवार थी। उसका रूप और स्वरूप बड़ा ही भयानक था। उसे देखकर ऐसा लगता था जैसे कि वह बहुत ही भयानक तरीके से।

इन लोगों को खा जाने वाली है। ऐसा देखने में बहुत ही कम आता है लेकिन यहां पर तो सचमुच में ऐसा ही कुछ घटित हो रहा था। स्त्री जोर से चिल्लाती है। इसकी चिल्लाने की वजह से उसके पति का भी ध्यान मंत्र साधना से हटकर भटक जाता है और वह अपनी आंखें खोल देता है। सामने एक भयानक विशालकाय नर मुंडो से। सजी-धजी हाथ में कपाल और एक हाथ में तलवार पहने हुए एक भयानक मुख मंडल वाली स्त्री जो की बहुत ही भयानक दिखने में थी। सामने नजर आती है। उसके विशालकाय स्वरूप में बहुत शक्ति समाहित थी ऐसा लगता था जैसे कि उसके साथ पूरी एक भूत प्रेतों की विशालकाय अनंत सेना खड़ी है। उस अनंत सेना में इतनी शक्ति थी कि वह पल भर में किसी नगर को समाप्त कर सकती थी शक्तिशाली उस! देवी और भयानक आकृति वाली देवी को देखकर वह अपनी पत्नी के साथ।

उस स्त्री पर!

अपनी नजरें डाल कर देखता है। अपनी स्त्री का हाथ पकड़ लेता है और कहता है यह देवी कोई साधारण नहीं लगती। इसलिए तुम और मैं साक्षात दंडवत प्रणाम करते हैं।

यह जरूर सिद्धि स्वरूपा है इनके अंदर कोई विशेष प्रकार शक्ति है।

यह बहुत ही दिव्य और अद्भुत सामर्थ्य वाली मुझे नजर आती है तो चलो इन्हें प्रणाम करते हैं। तब वह देवी को प्रणाम करते हैं देवी अपना पैर पटक कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करती हैं। वह पूरा स्थल भूकंप की तरह हिलने लगता है। ऐसा लगता है जैसे कि वहां पर एक भूकंप आ गया है। वह कहती हैं, मुझे क्यों जगाया है? और अगर जगाया है तो भोजन दो। तब वह कहता है देवी आप कौन हैं और आप का भोजन क्या है। अगर मेरी सामर्थ्य होगी तो मैं अवश्य ही आपको आपका भोजन दूंगा। तब वह कहती हैं मेरी सामर्थ बहुत ज्यादा है। तुम्हारी समझ से बहुत परे। मैं श्मशान में निवास करने वाली एक देवी शमशान भैरवी हूं। यह शमशान मेरा है। मैं यहां की स्वामिनी हूं।

और मेरा भोजन मनुष्य है। मैं मनुष्य का भक्षण करती हूं। यह जितने भी शरीर है, सब मेरा भोजन है मैंने इन्हें खाकर मिट्टी बना दिया है।

इसलिए मुझे मेरा भोग दो अगर तुमने मुझे जगाया है तो अब मेरी भूख को शांत भी करो। तब वह व्यक्ति देवी को प्रणाम करते हुए कहता है। हे देवी आप सच में बहुत प्रभावशाली हैं। आपके दर्शन करना दुर्लभ है आप साक्षात प्रकट हुई है।

आप बताइए मैं आपको भोग में क्या दूं? क्योंकि आपका भोग भी आप स्वयं ही निर्धारित करती हैं। मुझमें क्या सामर्थ्य है कि मैं आपको कुछ दे सकूं? तब वह कहती है ठीक है यह स्त्री मुझे भोग के रूप में प्रदान कर मैं इसी का भक्षण करूंगी। यह सुनकर वह व्यक्ति सिर से पांव तक कांप जाता है क्योंकि देवी ने उसी की पत्नी को वह भक्षण के लिए मांग लिया था। और अगर यह उन्हें खा जाएगी तो उसकी पत्नी तो समाप्त हो जाएगी। ऐसे में अब क्या होगा?

वह कहता है देवी कुछ और मांगिए क्योंकि मैं अपनी पत्नी को आप को भोजन के रूप में नहीं दे सकता हूं। तब वह कहती है अगर तूने मुझे जगाया है तो भूख के रूप में अब मुझे तेरी पत्नी ही चाहिए। अगर तूने नहीं दिया तो मैं अभी क्रोधित होकर तुम दोनों का सर्वनाश कर दूंगी। यह सुनकर अब वह साधक और भी ज्यादा घबरा जाता है। ऐसी परिस्थिति कि उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उसके साथ ऐसा कुछ घटित होगा। और अगर उसने देवी का भोग उसे नहीं दिया तो उसकी और उसकी पत्नी की दोनों की ही मृत्यु तय है और अगर वह मृत्यु ना भी दे तो भी सर्वनाश कर देंगे। अब! आगे क्या करेगा जानेंगे हम लोग अगले भाग में तो अगर यह जानकारी और कहानी आपको पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें सब्सक्राइब करें आपका दिन मंगलमय हो जय मां पराशक्ति।

तांत्रिक की शमशान भैरवी साधना भाग 5

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