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नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। ऋषि गणक और उनके शिष्य राजकुमार उज्जवल की कहानी में अभी तक आपने जाना कि किस प्रकार राजकुमार उज्जवल अपनी गुप्त गणेश साधना को शुरू कर लेता है। अब उसके सामने एक ही लक्ष्य था। किस प्रकार भगवान गणेश को प्रसन्न कर ले और उसके उपरांत राजकुमारी को प्राप्त करने का प्रयास करें? यह तभी संभव था जब भगवान गणेश की सिद्धि उसे प्राप्त हो जाए। गुरु गणक ने उन्हें विशेष प्रकार से इसके लिए तैयार किया था। गुप्त विद्या भी बताई थी कि किस प्रकार से उन्हें यह साधना करनी है। केवल कुछ ही दिनों की साधना से वह चमत्कार कर सकते थे। उन्होंने साधना शुरू कर ली।
साधना के तीसरे दिन अचानक से जंगल में एक क्रोधित हाथी चारों ओर घूमने लगा और इनकी ओर क्रोधित अवस्था मे आने लगा उसने इन्हे अपनी सूँण मे लपेट लिया और दर्द के मारे यह कराहने लगे ।लेकिन हाथी ने इन्हे और कसना शुरू कर दिया, फिर भी उज्ज्वल ने गणेश मंत्र जाप नही छोड़ा और मंत्रों का उच्चारण कर उन्हें पुकारते रहे। अचानक से हाथी ने अपनी सूँण को खोल लिया। हाथी उनके सामने खड़ा रहा। लेकिन वह अब इन पर वार नहीं कर रहा था। यह देखकर यह भी आश्चर्यचकित हो गए। कि आखिर हाथी इन पर हमला अब क्यों नहीं कर रहा धीरे-धीरे हाथी शांत होता गया? इन्हें लगा कि अवश्य ही भगवान गणेश की कृपा से यह हाथी अब मेरा नुकसान नहीं करेगा। इस प्रकार हाथी इन्हें कुछ देर देखता रहा और फिर चला गया। इस प्रकार उनकी इस प्रकार साधना संपन्न हुई।
साधना में अंतिम दिन एक बार फिर से वह हाथी सामने खड़ा था। इस बार! उसने! इन्हें अपने? दांतों में उठा लिया। ये फिर भी साधना करते रहे? और अंततोगत्वा हाथी। ने इन्हें आकाश में अपना भयंकर स्वरूप दिखाया। तब उन्हें पता लगा कि यह कोई और नहीं भगवान गणेश जी हैं। भगवान गणेश हाथी के रूप में इन्हें दर्शन दे चुके थे। भगवान गणेश ने इनसे कहा, तुम्हारी सभी इच्छाएं पूर्ण होंगी। किंतु? जीवन में जो कार्य जिस पद्धति से किया जाता है, उसी पद्धति से संपन्न होता है। इसलिए मैं तुम्हें आगे की विधि बताता हूं। उस कन्या के बाएं पैर की मिट्टी लाकर मेरी प्रतिमा के नीचे रखना। जब राज्यसभा में जाना तो नदी का जल अभिमंत्रित कर मुख़ प्रक्षालन करके जाना। इस प्रकार आशीर्वाद देकर भगवान गणेश वहां से अदृश्य हो गए। मंत्र की सिद्धि हो चुकी थी। राजकुमार उज्जवल बहुत ही अधिक प्रसन्न था।
सबसे पहले वह अपने गुरु के पास गया उन्हें प्रणाम करके। अब आगे की योजना बनाने लगा। जैसा कि भगवान गणेश ने कहा था उसने नदी से अपना मुंह धोया और राज्यसभा की ओर चल दिया। राज सभा में पहुंचकर उसने महाराज को संबोधित कर कहा। मुझे आपकी पुत्री से विवाह करना है। राजा ने कहा, इसे पकड़ लो और मार डालो। लेकिन वहां उपस्थित सारे राज्य कर्मचारी वशीभूत होकर उसे देख रहे थे। सब ने कहा, यह गलत कार्य है महाराज हम आपकी आज्ञा नहीं मानेंगे। यह देखकर राजा आश्चर्य में पड़ गया। सभी कर्मचारी वशीभूत से हुए वहां पर खड़े हुए उस राजकुमार उज्जवल को देख रहे थे। मंत्री ने जोर से आदेश देकर कहा इस राजकुमार का वध कर दो। लेकिन कोई भी उसकी आज्ञा पालन ही नहीं कर रहा था। इस पर? वह मंत्री बोल उठा।
महाराज अगर राजकुमारी इसके साथ जाना स्वीकार कर ले तभी आप इसका विवाह उस राजकुमारी से होने दें अथवा नहीं होने दे। इस पर राजकुमार ने कहा, अवश्य ही किंतु एक बार मुझे उससे मिलने तो दीजिए। राजा और मंत्री दोनों राजकुमार के साथ राजकुमारी के पास पहुंचे। राजकुमारी उन्हें देखकर मोहित सी हुई जा रही थी। यह देख कर! उस महामंत्री ने एक बार फिर से तंत्र प्रयोग किया और राजकुमारी क्रोधित होकर कहने लगी। निकल जाओ मेरे राजमहल से। इस पर राजकुमार उज्जवल ने उन्हें बगीचे की ओर चलने को कहा। इस पर महामंत्री को कोई आपत्ति नहीं हुई क्योंकि वह जानते थे कि राजा और राजकुमारी दोनों ही उसके तंत्र में बंधे हुए हैं।
राजकुमारी जब बगीचे में पहुंची उसके बाद राजकुमार उज्ज्वल ने कहा। आप? कल मेरे पास अगर आ जाएंगी तो मैं मान लूंगा कि आप मुझसे प्रेम करती हैं। अगर आप नहीं आई तो मैं यह मान लूंगा कि आप मुझसे प्रेम नहीं करती और मैं यह राज्य छोड़ कर चला जाऊंगा। यह सुनकर! राजा का मंत्री बहुत अधिक प्रसन्न हुआ। उसने कहा, राजकुमार तुम जाओ! और प्रयास करके देख लो। अगर राजकुमारी तुम्हारे पास जाए तो मैं भी तुम्हें वचन देता हूं कि मैं खुद महाराज से बात करके तुम्हारा विवाह इससे संपन्न करा दूँगा। क्योंकि वह यह बात जानता था कि राजकुमार किसी भी प्रकार से राजकुमारी को इस प्रकार बुलाए तो वह नहीं जाएगी। वह मंत्र में पहले ही बंधी हुई है इसलिए यह संभव ही नहीं। राजकुमार ने कहा, आप लोग इस बाग से पर चले जाएं। राजकुमारी, मंत्री और राजा उस बगीचे से चले गए। राजकुमार ने उस राजकुमारी के पैर के नीचे की मिट्टी वहां से खोदकर निकाल ली। जहां पर वह अपने पैर धरी थी। वह मिट्टी ले जाकर उन्होंने भगवान गणेश की बताई गई हुई विद्या के माध्यम से साधना शुरू कर ली।
कुछ हजार मंत्रों का जाप करने के बाद अद्भुत सम्मोहन आकर्षण विधि की सिद्धि उन्हें हो गई। रात्रि के समय अचानक से राजकुमारी उठती है और प्रेम में पागल हुई सी राज महल से भागने लगती है। राज महल से भागते-भागते उस स्थान तक पहुंच जाती है जहां पर राजकुमार बैठा हुआ तप कर रहा था। वह स्त्री जाकर राजकुमार उज्जवल के पैरों में गिर जाती है और कहती है आपके बिना मेरा जीवित रहना संभव नहीं है। आप मुझे अपनी भार्या स्वीकार कीजिए। आप मेरे! मस्तक को सिंदूर से भर दीजिए मैं आपको अपना स्वामी स्वीकार कर लूंगी। भगवान गणेश के सामने मैं यह वचन आपको देती हूं कि आज से केवल और केवल आप ही मेरे स्वामी होंगे। मैं अपने पति के रूप में आप को स्वीकार करती हूं। इस प्रकार राजकुमार उज्जवल ने भगवान गणेश की मूर्ति के सामने उसकी मांग में सिंदूर भर दिया और अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया।
जब राजा और उनके मंत्रियों को यह बात पता चली। तब अनमने मन से वह मंत्री राजा और सेना को लेकर राजकुमार उज्जवल के सामने आया। उसने राजकुमार उज्जवल को मारने का आदेश दिया। इस पर राजा ने कहा, यह आदेश तुम किस प्रकार से दे सकते हो, मेरी पुत्री का विवाह संपन्न हो चुका है। मैं इसे अपने दामाद के रूप में स्वीकार करता हूं। भगवान गणेश की कृपा से मुझे सद्बुद्धि आ चुकी है। मैं जान चुका हूं कि मुझ पर तंत्र प्रयोग किया गया था। राजा अपने कर्मचारियों को आदेश देता है कि महामंत्री को बंदी बना लिया जाए। इस प्रकार राजा! अपने! उस! महामंत्री के तंत्र से मुक्त हो जाता है और अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार उज्जवल से कर देता है।
ऋषि गणक अपने शिष्यों को बताते हैं कि इस प्रकार से उस मंत्र की सिद्धि कर मेरे इस शिष्य ने भगवान गणेश की कृपा पाई और अपना विवाह अपनी मनपसंद राजकुमारी से कर लिया। यही गुप्त गणेश साधना अगर मनुष्य सफलतापूर्वक सच्चे मन से कर लेता है तो भगवान गणेश की कृपा उसे अवश्य मिलती है। और सिद्धि भी प्राप्त होती है। इस प्रकार से यहां पर यह कथा समाप्त होती है। आप जान सकते हैं कि इस साधना के द्वारा व्यक्ति निश्चित रूप से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त कर सकता है। अगर आप इस साधना को खरीदना चाहते हैं तो मेरे इंस्टामोजो अकाउंट में जा करके इस साधना को खरीद सकते हैं इसका लिंक नीचे दिया है । अगर यह कहानी और साधना आपको अच्छी लगी है तो लाइक करें। शेयर करें, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
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