नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना यह भाग 13 है और इसमें हम किस प्रकार से एक तांत्रिक? इतना अधिक कृषकाय हो गया था। यानी पूरी तरह से उसका शरीर कमजोर पड़ चुका था। क्यों हुआ अभी तक की कहानी में जाना है? पिछली बार हम लोगों ने जाना था कि कैसे रक्त पिशाचिनी ने महल पर कब्जा करके। वहां!तांत्रिक की मदद से नरबलि की शुरुआत करवा दी थी और इसके कारण वह बहुत अधिक शक्तिशाली हो गई थी। अब आगे की कहानी जानते हैं। जब नित्य! बलि दी जाने लगी। तो इसकी चर्चा चारों ओर फैलने लगी थी। इस खबर को पहुंचने में देर नहीं लगी। और उस दुर्गा भक्त और रानी जब इस बात को सुने तो उन्हें लगा कि अब बहुत देर हो रही है। हमें जल्द ही कुछ करना होगा। रानी ने उस दुर्गा भक्त को उस शक्तिशाली तांत्रिक के विषय में बताया और कहा कि उस पर कोई भी शक्ति और बल काम नहीं आएगा। सबसे पहले हमें अपनी स्वयं की रक्षा करनी होगी। और इसके लिए आप जो भी कीजिए, किंतु ऐसा उपाय कीजिए जिसका कोई तोड़ ना हो। तब उस देवी भक्तों ने कहा। मैं मां भगवती दुर्गा के कवच को धारण कर लेता हूं।मैं इसे सिद्ध कर अपने और आपके गले में पहना दूंगा और चलेंगे हम युद्ध करने सीधे उस तांत्रिक से। मैंने जितनी भी साधना और भक्ति देवी मां की की है उस के बल पर मैं उसका सामना करूंगा। इस प्रकार!देवी भक्त ने स्वयं को और अपनी रानी को सुरक्षित करते हुए। देवी कवच को पहना दिया था। अब दोनों निकल चले राजमहल की ओर। राज महल के सैनिक जब इन दोनों को देखें तो उन्होंने गुपचुप इन्हें अंदर जाने का मार्ग दे दिया। क्योंकि वह यह बात जानते थे कि यहां पर शक्ति के बल पर साम्राज्य स्थापित किया गया है और यह ज्यादा दिन नहीं चलने वाला।इस प्रकार! स्थान जहां पर।उस पिशाचिनी की मूर्ति स्थापित थी।वहां पहुंचकर देवी भक्त ने कहा, सबसे पहले हमें इस मूर्ति को गिरा देना होगा। ताकि यह? मूर्ति! टूट जाए। इसके टूटते ही। तांत्रिक की आधी शक्ति नष्ट हो जाएगी। दोनों जैसे ही उसे गिराने के लिए आगे बढ़े। वहां पर उस मूर्ति से रक्त पिशाचिनी प्रकट हो गई। उसने इन दोनों पर हमला शुरू कर दिया, लेकिन आश्चर्य की बात यह थी कि इन पर किसी भी प्रेत या अन्य प्रकार की तांत्रिक शक्ति कुछ भी काम नहीं कर पा रही थी। यह देखकर रक्त पिशाचिनी आश्चर्य में पड़ गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी अधिक शक्तिशाली होने पर भी वह रानी और देवी भक्त को छू तक नहीं पा रही। ना ही उसका कोई प्रेत उनके नजदीक भी पहुंच पा रहा है। यह देखकर अब उससे रहा नहीं गया और उसने सैनिकों को कहा, इन पर हमला करो! तभी रानी ने जोर से कहा, क्या तुम सब मूर्ख हो? मैं तुम्हारी रानी हूं यह लोग। कल को आए और उन्होंने राज्य हथिया लिया है। तुम इनका साथ दोगे या हमारा। सैनिकों को दिए गए इस? भाषण ने अपना जादू दिखाया सैनिकों ने अब उस तांत्रिक को अपने। अधीन करने की कोशिश की पर रक्त पिशाचिनी ने उन सभी सैनिकों को वहां से उठाकर फेंक दिया। कोई भी उसके आगे टिक नहीं सकता था। तब?उस देवी भक्त को एक विचार आया , क्योंकि वहां कोई भी मंत्र का प्रयोग उस पिशाचिनी पर करता तो उसके प्रेत सामने आकर स्वयं समाप्त हो जाते थे। लेकिन अपनी देवी रक्त पिसाची को कुछ भी नहीं होने देते थे। इसी कारण से। उस पिशाचिनी का कोई भी? बाल बांका नहीं हो रहा था। तब? देवी भक्त को एक उपाय सूझा। बहुत तेजी से दौड़ता हुआ तांत्रिक की ओर पहुंचा। तब उसने तांत्रिक को यानि मुझको! देवी कवच पहना दिया, वह कवच मेरे गले में पड़ते ही। मुझे अजीब सा आभास हुआ जैसे कि मैं किसी भार से मुक्त हुआ हूं। मेरी बुद्धि तुरंत खुल गई। अभी तक किए गए मेरे सारे दुष्कर्म मेरे सामने घूमने लगे किस प्रकार मैंने कामुकता में? अपना अस्तित्व ही नष्ट कर दिया था। और रक्त पिशाचीनी के रक्त की प्यास बुझाने के लिए पता नहीं कितने मनुष्यों की बलि दे डाली? मुझे इस बात का आभास हो रहा था कि मुझसे बहुत अधिक गलत कर्म हो चुके हैं। मैं उस महल से बाहर बाहर आ! गया क्योंकि मैं अब इसके नियंत्रण में नहीं रहना चाहता था। रक्त पिशाचिनी भी मेरे पीछे भागी, क्योंकि वह मुझसे ही जुड़ी हुई थी। अगर मैं उसका साथ नहीं देता। तो वह भी अस्तित्व हीन थी। इसलिए उसे भी महल और अपनी मूर्ति छोड़कर भागना पड़ा। उसके बाद रानी ने। उस मूर्ति को तोड़ दिया। मूर्ति के तोड़े जाने के साथ ही महल पर अब रानी का फिर से कब्जा हो गया। यह बात! सर्व प्रसिद्ध हो गई कि रक्त पिशाचिनी को मार डाला गया है पर ऐसा नहीं था। मैं भागते हुए कुछ दूर जंगल में पहुंचा तभी वहां रक्त पिशाचिनी प्रकट हो गई और कहने लगी। 1 दिन बीत गया है। अब मुझे रक्त पीने की इच्छा हो रही है। इसलिए तुरंत ही मेरे लिए किसी नर की बलि प्रस्तुत करो! मैंने कहा, मैं यह सब कुछ छोड़ चुका हूं। तब उसने कहा ठीक है तब तक मैं तेरा ही रक्त पी लेती हूं जब तक तू मुझे। बलि का रक्त नहीं देगा तब तक तेरा रक्त पीकर मैं काम चलाऊंगी। और इस प्रकार वह तब से मेरा रक्त पी रही है। इसीलिए मेरा शरीर इतना अधिक सूखा हुआ है। मैं पूरी तरह से रक्त हीन हो चुका हूं। पता नहीं कब मृत्यु को प्राप्त हो जाऊं? मैं कोई साधना भी नहीं कर पा रहा हूं। क्योंकि पता नहीं कब मेरे गले से वह कवच नीचे गिर गया था जब मैं महल से भाग रहा था। अब आप ही मेरी मदद कर सकती हो? देवी मंजूषा ने यह सारी बातें जब सुनी। तब उनके मन में इसके प्रति दया उत्पन्न हुई। उन्होंने कहा, ठीक है। पहले मुझे वचन दो आज के बाद कोई गलत कर्म नहीं करोगे और सदैव माता की भक्ति में ही जीवन व्यतीत करोगे। तब मैंने उन्हें वचन दे दिया और अब हम दोनों उस स्थान की ओर निकल पड़े जहां पर रक्त पिशाचिनी रह रही थी। जैसे ही रक्त पिशाचिनी ने मुझे देखा मेरी ओर तीव्रता से बढी और कही की क्या तू बली लाया ? अगर नहीं लाया है तो आज मैं तेरा बचा हुआ खून पीकर अपना गला तृप्त करूंगी। वह मेरी ओर तेजी से बढ़ी लेकिन तभी देवी मंजूषा वहां पर अपनी मंत्र शक्ति का प्रयोग करने लगी। उन्होंने सबसे पहले उस पर अपनी तीव्र शक्तियों का प्रहार किया। तब पिशाचिनी ने अपने! सभी प्रेतों को युद्ध के लिए भेज दिया। एक-एक करके प्रेत देवी मंजूषा की ज्वाला अग्नि में नष्ट होने लगे। धीरे-धीरे करके सारे प्रेत समाप्त हो गए। वहां पर अब एक भी प्रेत बचा नहीं था। जितनी भी मनुष्यों की बलि! उस वक्त पिशाचिनी ने ली थी वह सारे के सारे समाप्त हो चुके थे। मंजूषा की शक्ति के आगे वह ज्यादा देर नहीं टिके और सभी जलकर भस्म हो गए। अब बारी थी रक्त पिशाचीनी की। तब? देवी मंजूषा ने उस पर शक्ति का प्रहार किया। उसे भस्म कर दिया। इस प्रकार मैं उस पिशाचिनी के चंगुल से निकल पाया। मैंने देवी मंजूषा को धन्यवाद कहा आज से मैं वचन देता हूं कि मैं देवी मां की भक्ति करूंगा। और किसी भी प्राणी को कभी परेशान नहीं करूंगा। इस प्रकार उस व्यक्ति की रक्त पिशाचीनी से मुक्ति करवाकर देवी मंजूषा अपने आश्रम वापस लौट आई। लेकिन एक और! नई चुनौती उनका इंतजार कर रही थी। जैसे ही वह अपने आश्रम में पहुंची, वहां पर एक लड़की उपस्थित थी। उसने कहा मेरी रक्षा कीजिए। आपने? कई लोगों की रक्षा की है। अब मेरी भी कीजिए। देवी मंजूषा अब एक नई चुनौती के लिए फिर से तैयार थी। आगे जानेंगे कि वह नई चुनौती कौन सी थी? अगर आज क्या वीडियो और कहानी आपको पसंद आई हो तो लाइक करें, शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 14
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तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 13
Dharam Rahasya
धर्म रहस्य -छुपे रहस्यों को उजागर करता है लेकिन इन्हें विज्ञान की कसौटी पर कसना भी जरूरी है हमारा देश विविध धर्मो की जन्म और कर्म स्थली है वैबसाइट का प्रयास होगा रहस्यों का उद्घाटन करना और उसमे सत्य के अंश को प्रगट करना l इसमें हम तंत्र ,विज्ञान, खोजें,मानव की क्षमता,गोपनीय शक्तियों इत्यादि का पता लगायेंगे l मै स्वयं भी प्राचीन इतिहास विषय में PH.D (J.R.F रिसर्च स्कॉलर) हूँ इसलिए प्राचीन रहस्यों का उद्घाटन करना मेरी हॉबी भी है l आप लोग भी अपने अनुभव जो दूसरी दुनिया से सम्बन्ध दिखाते हो भेजें और यहाँ पर साझा करें अपने अनुभवों को प्रकाशित करवाने के लिए धर्म रहस्य को संबोधित और कहीं भी अन्य इसे प्रकाशित नही करवाया गया है date के साथ अवश्य लिखकर ईमेल - [email protected] पर भेजे आशा है ये पोस्ट आपको पसंद आयेंगे l पसंद आने पर ,शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें l धन्यवाद