नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। मंजूषा जब अपने रथ लेकर के उस महल की ओर जा रही थी तभी रास्ते में उनका रथ खराब हो जाता है। और इस वजह से अब वह परेशान थी क्योंकि बिना रथ के काफी दूर की यात्रा नहीं की जा सकती थी। रथ का पहिया बिगड़ गया था।उसने उस कन्या से पूछा, क्या कोई सहायता यहां मिल सकती है? तब उस कन्या ने कहा, पता नहीं। यहां आसपास नजदीक कोई गांव है अथवा नहीं। हमें यही इंतजार करना पड़ेगा। मंजूषा और वह कन्या उस स्थान पर किसी के आने का इंतजार करने लगे। इस प्रकार शाम हो गई। तभी वहां एक व्यक्ति आता दिखाई दिया। वह व्यक्ति जब उनकी रथ के पास पहुंचा तो मंजूषा ने उससे कहा, हमारा रथ खराब हो गया है। क्या कोई आस पास गांव है जहां हम रह सकें अथवा कोई ऐसा व्यक्ति जो रथ का पहिया बना सके? तब उस व्यक्ति ने कहा, यहां आस-पास! कुछ दूरी पर एक गांव है। लेकिन उतनी दूर आपको पैदल चलकर जाना पड़ेगा। चलिए मेरे साथ वहां चलिए रथ को यही छोड़ दीजिए। उसी गांव में एक लोहार रहता है। आप उसे लेकर आ जाइएगा। तब वह आपके इस रथ के पहिए को बना देगा। तब मंजूषा और वह कन्या उस व्यक्ति के बताए गए मार्ग पर चलकर एक गांव में पहुंचे। गांव के लोगों ने उनका स्वागत किया। भोजन पानी और रहने की व्यवस्था उनके लिए कर दी गई। इस प्रकार! उन्होंने वह रात वही बिताई! अगले दिन? वहां एक लोहार उनकी सेवा में उपस्थित हो गया। तब लोहार ने कहा, आप मुझे रथ तक पहुंचने का मार्ग बताइए और साथ में चलेंगे। मैं वहीं पर आप के रथ के पहिए को ठीक कर दूंगा। मंजूषा और वह कन्या उस लोहार को लेकर अपने रथ के पास पहुंचे। थोड़ी देर की मेहनत के बाद लोहार ने उनके रथ के पहिए को ठीक कर दिया। अब मंजूषा और वह कन्या चल पड़े एक बार फिर से उस पथ की ओर। तभी सामने वह महल आ जाता है। और महल पहुंचकर जब उन्होंने देखा तो उस महल में कोई भी नजर नहीं आ रहा था। मंजूषा आश्चर्य में थी। तब उन्होंने उस कन्या से पूछा, क्या इस महल में कोई सेवक नहीं रहते हैं? क्योंकि यहां तो मुझे कोई दिखाई ही नहीं पड़ रहा। तब उसने कहा, मैं भी आश्चर्यचकित हूं। मेरा चाचा इस स्थान को छोड़कर कहीं चला गया है। अगर ऐसा है भी तो मेरे लिए यह तो बहुत ही अच्छी बात है। चलिए अंदर चल कर विश्राम करते हैं। और वह लोग अंदर! उस स्थान पर गए जहां पर राजकुमारी रहा करती थी उन्होंने! उसी स्थान पर। रात्रि बिताना सही समझा। उसी स्थान पर लेट गए किंतु मंजूषा को अच्छी अनुभूति नही हो रही थी वह यह बात नही समझ पा रही थी की यह सब यहाँ पर क्या हो रहा है उनके हृदय की वास्तविकता बिल्कुल सत्य थी। उन्होंने जब चारों तरफ देखा तो उन्हें कुछ ऐसा महसूस हुआ। कि कुछ ना कुछ यहां पर बहुत बड़ी गड़बड़ी है। तब उन्होंने अपने मंत्रों का प्रयोग कर जल छिड़का। और उसके साथ ही वह दृश्य उत्पन्न हुआ जिसे देखकर वह भी हैरान हो चुकी थी। वह दोनों एक खुली जगह श्मशान में खड़े थे। और वही! महल होने का आभास हो रहा था किंतु वहां महल तो दूर। कोई इंसान आसपास नहीं था। अपनी तांत्रिक शक्तियों का आवाहन कर मंजूषा ने सत्य जानने की कोशिश की। तो उसे पता चला कि अभी तक जब से उनका रथ खराब हुआ है। अब तक की सारी कहानी इसी श्मशान में घटित हुई थी। और जो भी व्यक्ति उन्हें मिले थे वह सभी प्रेत आत्माएं थी। और उन सब ने अपनी माया के जाल से हमें गांव लोहार और महल! सभी चीजें दिखाई थी। और उनकी लीला में फंसकर हमले एक श्मशान में रह रहे थे। पता नहीं कितनी देर उनकी यह लीला चलती जिसका अंत केवल मृत्यु होता। तब मंजूषा ने उस कन्या को उठाकर वास्तविक बात बताई। वह कन्या अपने आपको जब श्मशान में पाती है तो यह देखकर आश्चर्य में भर जाती है। उसे यकीन नहीं होता कि उसके साथ यह क्या घटित हो चुका है? वह प्रेत लीला को नहीं समझ पाई। अब वह मंजूषा से पूछती है देवी! आप हमारी मदद कीजिए। अपनी तांत्रिक शक्तियों का प्रयोग कीजिए। और इस रहस्य को इसी स्थान पर समाप्त कीजिए, वरना हम कभी भी महल तक नहीं पहुंच पाएंगे। मंजूषा ने अपने शक्तिशाली मंत्रों का आवाहन किया। और उन के माध्यम से वहां पर उपस्थित सभी प्रेत आत्माएं भाग गई। केवल एक प्रेतात्मा उनके सामने आकर खड़ी हो गई। एक दुल्हन! एक शक्तिशाली दुल्हन! जो उनके सामने आकर खड़ी हो गई थी। उसने कहा। तुम दोनों की मृत्यु? जब तक नहीं हो जाती तब तक मैं यहां से नहीं जाऊंगी। मुझे रोकने की शक्ति किसी के भी पास नहीं है। मंजूषा ने उसके ऊपर मंत्रों का प्रयोग किया, लेकिन उस दुल्हन को कुछ भी प्रभाव नहीं पड़ा। दुल्हन हंसते हुए कहने लगी। जब तक मेरी अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो जाती। तब तक मैं यहां से नहीं जाने वाली। अब या तो तुम मेरी अंतिम इच्छा पूरी करो या फिर मृत्यु को स्वीकार करो। मंजूषा ने कहा, ठीक है हम तुम्हारी बातें मानेंगे। लेकिन सबसे पहले तुम अपने सत्य को उजागर करो और मुझे बताओ फिर तुम्हारी कहानी क्या है? हम तुम्हारी पूरी कथा जानना चाहते हैं। मंजूषा यह बात जानती थी कि प्रेत आत्मा अपनी मुक्ति के लिए ही इतना अधिक अधीर है। इसीलिए इसकी कहानी जानने से इस रहस्य से पर्दा उठेगा। तब मंजूषा ने उस प्रेतात्मा से कहा। आप अपना परिचय दीजिए और पूरा सत्य बताइए? तब वह शांत मुद्रा में उनके सामने आकर खड़ी हुई और कहने लगी। मेरा नाम! सर्वांगी है। मैं यहां से 300 कोस दूर एक राज्य की। रानी बनने वाली थी। इस लड़की के! पिता की जो पत्नी थी। उसका जो पिता था उसने हमारे राज्य पर आक्रमण कर दिया। मेरी शादी एक व्यक्ति से होने वाली थी। मैं इस लिए बहुत अधिक खुश थी पर उसने हमारे सामने ही। सारे राज महल के स्त्री और पुरुषों की हत्या कर दी। मैं? खजाने पर बैठकर। अपनी रक्षा का प्रयास करने लगी, लेकिन वह नहीं माना और उस! खजाने पर मेरी हत्या कर दी गई। तब से मैं उस खजाने पर बैठ गई थी। इसके बाद इस राजा ने यह सारा खजाना अपने। साम्राज्य में ले जा कर के रख दिया और वहीं से वह शासन करने लगा। मैंने इसके वंश को समाप्त करने की कोशिश की। कोई भी पुत्र जीवित नहीं रहता था। लेकिन एक कन्या होने के कारण मैंने इसकी पुत्री की रक्षा कर दी और उसे नहीं मारा। क्योंकि मैं चाहती थी कि जब इसकी पुत्री दुल्हन बने, तब मैं उसे मारु और उसी खजाने पर ले जाकर मारूं जिस खजाने से मैं बंद गई हूं। किंतु ऐसा हो नहीं पाया। उसकी पुत्री ने भागकर इस लड़की के पिता से विवाह कर लिया और मेरी सारी योजना धरी की धरी रह गई। तब मैंने! निसंतान राजा की सारी संपत्ति। उसके दामाद को दिलवाने की कोशिश की ताकि जब इनकी संतान हो तो मैं उसकी भी बलि खजाने पर दुल्हन के रूप में ले लूं। और? आखिरकार यह लड़की पैदा हुई। इसके चाचा ने इसके माता और पिता की हत्या कर दी और मैं इस इंतजार में थी कि जब यह दुल्हन बनकर खजाने पर बैठेगी और इसकी हत्या होगी तो मैं इस श्राप से मुक्ति पा जाऊंगी। उस तांत्रिक ने यह सत्य समझ लिया था उसने। इसके चाचा के साथ मिलकर इस षड्यंत्र को रचा और दुल्हन के वेश में इसकी हत्या करने की सोची। तब मैं यह बात जान गई थी कि यह दुल्हन नहीं है। क्योंकि अगर यह दुल्हन होती इसका विवाह होने जा रहा होता तो यह इस दर्द को समझ सकती थी इसलिए मैंने इसकी सहायता की। अब मेरी इच्छा है कि यह किसी से प्रेम करें और शादी के लिए तैयार होकर उस खजाने पर चले। मैं इसकी बली लूंगी। तभी मेरी आत्मा को शांति मिलेगी। यह सुनकर मंजूषा और वह कन्या। आश्चर्यचकित हो गए थे आगे क्या हुआ जानेंगे अगले भाग में? अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
|
|
Table of Contents
तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 15
Dharam Rahasya
MPDRST( मां पराशक्ति धर्म रहस्य सेवा ट्रस्ट) -छुपे रहस्यों को उजागर करता है लेकिन इन्हें विज्ञान की कसौटी पर कसना भी जरूरी है हमारा देश विविध धर्मो की जन्म और कर्म स्थली है वैबसाइट का प्रयास होगा रहस्यों का उद्घाटन करना और उसमे सत्य के अंश को प्रगट करना l इसमें हम तंत्र ,विज्ञान, खोजें,मानव की क्षमता,गोपनीय शक्तियों इत्यादि का पता लगायेंगे l मै स्वयं भी प्राचीन इतिहास विषय में PH.D (J.R.F रिसर्च स्कॉलर) हूँ इसलिए प्राचीन रहस्यों का उद्घाटन करना मेरी हॉबी भी है l आप लोग भी अपने अनुभव जो दूसरी दुनिया से सम्बन्ध दिखाते हो भेजें और यहाँ पर साझा करें अपने अनुभवों को प्रकाशित करवाने के लिए धर्म रहस्य को संबोधित और कहीं भी अन्य इसे प्रकाशित नही करवाया गया है date के साथ अवश्य लिखकर ईमेल - [email protected] पर भेजे आशा है ये पोस्ट आपको पसंद आयेंगे l पसंद आने पर ,शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें l धन्यवाद