नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। मंजूषा की साधना यात्रा में अभी तक आपने जाना कि वह एक व्यापारी की लड़की को पिशाच से बचाने की कोशिश करती हैं, लेकिन शादी वाले दिन वह लड़की कहीं गायब हो जाती है। अब क्योंकि यह घटना घटित होने की वजह से परिवार में बहुत अधिक चिंता बनी हुई थी। इसी कारण सभी लोगों ने उसे चारों तरफ ढूंढना शुरू कर दिया। लेकिन इसमें उन्हें सफलता नहीं मिल रही थी। मंजूषा को व्यापारी ने बुला लिया और कहा देवी! कुछ कीजिए कहीं मेरी बच्ची के साथ कुछ बहुत बुरा ना हो जाए। इसी कारण मंजूषा ने अपनी तंत्र शक्ति का प्रयोग किया और उसके चरण चिन्ह बनते चले गए। चरण चिन्हों का पीछा करते हुए सभी लोग।गांव से बाहर जाने लगे। अभी कुछ दूर ही पहुंचे थे।
तभी अचानक से गांव के कई लोग व्यापारी के पास दौड़ते हुए आए और उन्होंने कहा, अपनी पुत्री को संभालो! वह क्या कर रही है उसने तो लोग लज्जा और मर्यादा नष्ट कर दी है। जल्दी चलो! व्यापारी ने पूछा, आखिर ऐसा क्या घटित हो गया जिसकी वजह से तुम लोग ऐसा कह रहे हो? तो लोगों ने कहा, तुम्हारी पुत्री जिस जगह कुआं पूजन होता है उस जगह पर पूरी तरह नग्न जमीन में लेटी।अलग-अलग तरह की आवाजें निकाल रही है। जैसे कि वह खेल रही हो। वह जमीन में पड़ी हुई अपने सारे कपड़े खत्म कर चुकी है।
और? लोक लज्जा त्याग कर पूरी तरह नग्न हुई उस कुएं पर लेटी हुई जैसे आनंदित हो रही हो। जल्दी चलो और देखो चलकर वह ऐसा क्यों कर रही है। क्या वह पागल हो गई है? तब? मंजूषा के साथ में उन पद चिन्हों का पीछा करते हुए लोग तेजी से कुआं पूजन स्थल पर पहुंचे। कुए पर? नजारा देखकर सभी ने अपनी आंखें बंद कर ली। क्योंकि? वह व्यापारी की कन्या पूरी तरह नग्न होकर जमीन में पड़ी थी। और मुंह से अजीब अजीब शब्द निकाल रही थी।मंजूषा ने अपने मंत्र का प्रयोग किया और वास्तविकता उन्हें दिख गई। उन्होंने देखा कि जमीन में उसके साथ वह पिशाच बलात्कार कर रहा था। इसी कारण से वह जमीन में पड़ी अजीब अजीब से शब्द मुंह से निकाल रही थी।
और उसके साथ होते बलात्कार को कोई नहीं देख सकता था। सबको यही लग रहा था कि यह लड़की पागल हो चुकी है और अपने आप को नग्न करके खुश हैं। किंतु मंजूषा की आंखों से कुछ भी नहीं बचने वाला था। देवी मंजूषा अब तैयार थी। उन्होंने अपने मंत्रों का प्रयोग किया। और उस प्रयोग में पिशाच बंध गया लेकिन वह निकल जाता था।और जैसे ही वह निकला वह हंसने लगा। उसने कहा तुम्हें शायद पता नहीं। तुम चाहे कितनी बड़ी भी तांत्रिक हो, चाहे तुम्हारे पास कैसी भी शक्तियां हो? लेकिन तुम मुझे ना तो मार पाओगी ना ही पकड़ पाओगी। लेकिन मैं अवश्य ही इस कन्या को मार डालूंगा और जब तक इच्छा होगी, अपनी पत्नी की तरह इससे संभोग करता रहूंगा। यह बात सुनकर मंजूषा को बहुत अधिक क्रोध आया।
उन्होंने अपने मंत्रों का प्रयोग किया और पिशाच को पकड़ कर खींच लिया। लेकिन उन्होंने देखा यह तो कोई और पिशाच है। फिर उन्होंने अपने दूसरे मंत्र का प्रयोग किया। और पिशाच को फिर से खींच लिया। लेकिन देखा कि यह तो कोई दूसरा ही पिशाच है। यह देखकर वह हंसने लगा और कहने लगा। मैंने कहा ना। मैं 1000 साल पुराना पिशाच हूं। तुम मुझे ना तो पकड़ पाओगे ना मर पाओगे? हमेशा किसी दूसरे पिशाच को ही पकड़ती रहोगी। एक हजार बार ऐसा करने के बाद ही मैं तुम्हारी पकड़ में आऊंगा लेकिन इतना समय मेरे लिए बहुत होगा इस कन्या को मारकर अपने साथ अपने लोक में ले जाने के लिए।
मंजूषा यह बात समझ चुकी थी। इस को पकड़ना संभव नहीं है? और किसी भी तंत्र में इसे ना तो बांधा जा सकता है और ना ही मारा जा सकता है। क्योंकि? 1000 पिशाचों को नष्ट किए बिना? इसे पकड़ सकना असंभव है।इसीलिए उन्होंने कुछ नहीं किया तभी व्यापारी की कन्या कुएं में छलांग लगा देती है।और सभी उसको बचाने के लिए दौड़ते हैं। मंजूषा अपने तांत्रिक मंत्र प्रयोग के द्वारा कन्या की रक्षा कर लेती है।पिशाच वहां से भाग जाता है। अब व्यापारी की कन्या घर लाई जाती है मंजूषा कहती है। अब इसे बचाने का कोई रास्ता मुझे दिखाई नहीं पड़ता।
तब व्यापारी रोते हुए मंजूषा से कहता है। अगर आप ऐसा कहेंगी तो फिर कैसे यह संभव होगा?मंजूषा ने कहा, मैं इसलिए यह बात कह रही हूं क्योंकि अगर मैंने इसे बार-बार पकड़ने की कोशिश की। तो यह किसी समय मौका पाकर तुम्हारी कन्या का वध कर देगा। उसका नाश कर देगा, मैं कुछ भी नहीं कर पाऊंगी क्योंकि मैं हर समय यहां उपस्थित नहीं रह सकती।मैं इसे? एक हजार बार मौके नहीं दे सकती।बड़ी ही विकट समस्या थी।लेकिन उस व्यापारी की प्रार्थना पर! आखिरकार!मंजूषा को साधना के माध्यम से।अपने लिए कुछ?ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करनी पड़ी। उन्होंने माता त्रिपुर भैरवी की साधना शुरू कर दी ताकि उनके निर्देश उसे प्राप्त हो सके।
माता ने स्वप्न में मंजूषा को पिशाच को सिद्ध करने की विधि बताई और कहा कि इसे तुम्हें ना मारना है और ना ही बांधना है क्योंकि इतना पुराना पिशाच कभी भी बंध नहीं सकता है। जब तक कि उसके अधीन सभी सेना समाप्त ना हो जाए और एक बार में केवल एक ही पिशाच आता है। इसलिए! इसमें सदैव असफलता ही हाथ लगेगी। इसलिए मैं तुम्हें एक युक्ति का मार्ग बताती हूं। तुम इसी पिशाच को सिद्ध कर लो। यह तब तुम्हारे अधीन हो जाएगा और कन्या की रक्षा भी होगी और इसका जीवन भी सुधरेगा क्योंकि तब यह अपनी इच्छा से कुछ और नहीं कर पाएगा। यह बात मंजूषा को समझ में आ चुकी थी।
अगले दिन ही कृष्ण पक्ष के शुक्रवार को दक्षिण की ओर मुख करके। नग्न अवस्था में बैठकर। सामने! काले रंग के आसन और तांबे की प्लेट में सिंदूर में चमेली का तेल मिलाकर।एक पुरुष की आकृति बनाई और उस आकृति के हृदय में पूजन करना शुरू किया। उस पर पिशाच सिद्धि गोलक उन्होंने स्थापित किया। काले हकीक की माला से गुरु मंत्र के पश्चात पिशाच मंत्र का 21 माला जाप इन्होंने किया। यह साधना कुल 3 दिनों तक उन्हें करनी थी। रात्रि के पहले पहर से लेकर जब तक 21 माला का जाप पूर्ण ना हो जाए।इस प्रकार उन्होंने सबसे पहले देह रक्षा मंत्र के माध्यम से अपनी सुरक्षा की और फिर! पिशाच सिद्धि मंत्र का जाप करना शुरू कर लिया।
ll ऐं क्रीं क्रीं ख्रिं ख्रिं खिचि खिचि पिशाच सिद्धि खिचि खिचि ख्रिं ख्रिं क्रीं क्रीं ऐं फट ll
इस प्रकार इस मंत्र के माध्यम से उन्होंने! अपने पिशाच सिद्धि गोलों का प्रयोग करते हुए। उस पिशाच को सिद्ध कर लिया। पिशाच सामने प्रकट होकर माफी मांगते हुए उनसे कहने लगा। आपने मुझे क्यों याद किया है? तब? मंजूषा ने अपना उद्देश्य बताया और कहा, आज से तुम मेरे अधीन रहोगे। मेरी इच्छा के बिना कोई कार्य कभी नहीं करोगे। जब भी जिस कार्य हेतु में तुम्हें बुलाऊं वह तुम तुरंत करोगे? मेरे सदैव अधीन रहो। इस प्रकार इस 1000 वर्ष पुराने पिशाच की सिद्धि मंजूषा को प्राप्त हो गई थी और इसी के साथ व्यापारी की कन्या भी मुक्त हो चुकी थी हमेशा के लिए .
उसके बाद व्यापारी की कन्या का विवाह संपन्न हुआ और मंजूषा खुशी खुशी। अपने! आश्रम लौट आई पर यह यात्रा अभी समाप्त कहां होने वाली है? वह यह जानती थी क्योंकि कई ऐसे लोग हैं जो उसकी सहायता के लिए तड़प रहे हैं। तभी 1 दिन वहां पर एक व्यक्ति आया और कहने लगा।मेरे महल में एक बहुत बुरी! प्रेत शक्ति रहती है। वह इतनी शक्तिशाली है कि उसने? मेरी! कन्या को। महल में ही कैद कर दिया है। आप रक्षा करें।
मंजूषा के सामने नया प्रश्न आ चुका था। और अब प्रयास था राज महल से। उस कन्या की मुक्ति कराना। आगे क्या हुआ हम लोग जानेंगे अगली कहानी के पहले भाग में। तो अगर यह कहानी और यह सीरीज आपको पसंद आ रही है। तो लाइक करें शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
तांत्रिक भैरवी मंजूषा साधना सीखना भाग 7