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तारा पीठ शमशान भैरवी की साधना भाग 4

तारापीठ श्मशान भैरवी के साधना भाग 4

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में का एक बार फिर से स्वागत है-जैसा की आप लोगों ने तारापीठ श्मशान भैरवी की साधना भाग 3 में जाना । किस प्रकार महोदर बाबू अपनी साधना करते करते कई बार फस चुके थे । और इस बार उनका सामना ऐसी शक्ति से था उस शक्ति ने उन्हें जकड़ लिया था अपनी बाहों में । इस तरह से कुश्ती चली जा रही थी कि उनके प्राण ही निकल जाए । महोदर बाबू कुछ देर तो प्रयास करते रहे लेकिन उसके बाद उन्हें कुछ समझ में नहीं आया तो उन्होंने चिमता पकड़ लिया और उसे जोर जोर से पटकने लगे । और अपने मंत्रों का जाप उन्होंने नहीं रोका अपने मंत्रों का जाप वह लगातार करते रहे । वह यह बात जानते थे कि वह जिस तरह की तामसिक शक्ति की साधना कर रहे हैं उसमें गलती के लिए कोई क्षमा नहीं है । अगर उनकी साधना अधूरी रह गई तो भी नुकसान है और अगर वह किसी भी प्रकार से लड़ने का प्रयत्न करेंगे तो स्वयं ही वह साधना खंडित हो जाएगी कुछ नहीं समझ में आया था इसलिए उन्होंने उस चिमटे को बजाना शुरू कर दिया ।

और चिमटे की ध्वनि को गुरु श्याम पंडित ने सुना वह हर बात को समझ गए उन्हें महसूस हो गया की कोई शक्ति निश्चित रूप से महोदर बाबू जकढ़ने का प्रयत्न कर रही है । और वह अपने प्रयत्न में सफल भी होती जा रही है महोदर बाबू का साथ देना मुश्किल होता चला जा रहा था ।गुरु श्याम पंडित ने तुरंत ही चककरणी प्रेत विद्या का प्रयोग किया । चककरणी प्रेत विद्या में गुरु मंत्र की शक्ति से महानतम प्रेतों को प्रकट किया जाता था । इस विद्या की जानकारी कम लोगों को थी । इस साधना में प्रेतों की एक सेना होती थी जो आपके कार्यों को संपन्न करती थी । लेकिन शर्त यह है प्रेत तभी प्रकट होंगे जब प्रेतों से युद्ध करने के लिए कोई दूसरी शक्तियां मौजूद हो अन्यथा यह विद्या प्रयोग करने वाले व्यक्ति पर ही हमला कर देती थी ।इसीलिए इस विद्या का प्रयोग बहुत कम किया जाता था । तो गुरु श्याम पंडित अपने गुरु मंत्र शक्ति का प्रयोग के द्वारा श्मशान से उन प्रेतों और आत्माओं को जगाने लगे । करीब 100 प्रेत वहां प्रकट हो गए और गुरु श्याम पंडित ने इशारा करते हुए उन्हें महोदर बाबू की ओर उंगली दिखा दी ।

सारे प्रेत त्रिविता से दौड़ते हुए महोदर बाबू के ऊपर हमला करने के लिए पहुंच गए । जैसे ही महोदर बाबू के शरीर को उन्होंने छुआ कई प्रेत चक्कर खाकर गिर पड़े कारण यह कि वह शक्ति महोदर बाबू को जो जकड़े हुए थे उसके कार्य में वीवधान प्रकट हुआ । यही तो गुरु श्याम पंडित चाहते थे कि दोनों शक्तियां आपस में टकरा जाए प्रेतों को गुस्सा आ गया । प्रेतों ने उस शक्ति को पकड़ना शुरू कर दिया कुछ प्रेतों को तो उस शक्ति ने अपने बाएं हाथ से दूर फेंक दिया ।लेकिन सो प्रेतों की शक्ति आकर के अब उस स्त्री से युद्ध करने लगे । स्त्री को भी भयंकर क्रोध आया उसने एक महान मुंड को प्रकट किया और मुंड पर फूंक फूंक कर के उसकी अग्नि प्रज्वलित कर और चारों तरफ उन शक्तियों से युद्ध करने लगी । स्थिति इतनी भयंकर प्रतीत होती थी उधर चल रही सारी चिताओं में अजीब अजीब तरह के स्वर पैदा हो रहे थे । उन स्वरों की आवाजें जलते हुए वासु वासु जैसी थी । भयंकर वातावरण हो गया था वहां मौजूद पशु पक्षी जो लाशों का भोजन करते हैं वह सब वे क्षेत्र छोड़कर भागने लगे । पुराने समय में श्मशान ज्यादातर जीवो के रहने और खाने वहां पर एक बहुत अच्छा साधन होता था ।वह आजकल की व्यवस्था जैसा नहीं था । इसलिए ज्यादातर जीव श्मशान में रात्रि समय में उधर जाया करते थे  ।

जो निशाचर होते थे इसलिए वहां पर बहुत जानवर इकट्ठा हुआ करते थे । जिनमें सियार लकड़बग्घे कुत्ते और भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव और सिंह भी लाशों को खाने के लिए वहां श्मशान में जाया करते थे । उन सभी भयंकर युद्ध के कारण वहां के सारे जानवरो में हलचल मच गई वह इधर-उधर भागने लगे । वह सब उस क्षेत्र को छोड़कर भागने लगे इस बात का पता गुरुश्याम पंडित को था । गुरु श्याम पंडित का कार्य सही दिशा में जा रहा था अब महोदर बाबू अपनी साधना निश्चिंतापूर्वक कर सकते थे । यद्यपि महोदर बाबू यह सब देख रहे थे उन्हें सब समझ में आ रहा था । प्रेतों में और शमशान भैरवी में युद्ध हो रहा है उस शक्ति का प्रचंड वेग इतना तेज था कि पैर पटकने लगी । तो हजारों की संख्या में वहां पर भैरवी के सेना प्रकट हो गई जो अन्य प्रेतों से युद्ध करने लगे । लेकिन गुरु श्याम पंडित ने पीछे से उन प्रेतों को भेजना जारी रखा । इसलिए प्रेतों की संख्या कम नहीं पड़ रही थी प्रेतों की संख्या बढ़ती चली जा रही थी । प्रेतों का युद्ध लगातार अपने चरम पर था इधर प्रेत खत्म नहीं हो रहे थे उधर भैरवी उनका नाश करती ही चली जा रही थी ।

इसलिए गुरु शाम पंडित की विद्या काम कर रही थी । लगातार प्रेतों की सेना आने की वजह से अब महोदर बाबू अपनी साधना को पूरी कर पा रहे थे । धीरे-धीरे करके सुबह का समय आ गया और महोदर बाबू साधना करते करते वहीं पर बिछ गए और सो गए । साधना पूरी कर लेने के बाद महोदय बाबू ने जैसे ही शराब पिलाई और वह अपनी निद्रा में चले गए । सूर्य का जब तेज प्रकाश आया उस वक्त गुरु श्याम पंडित उनके नजदीक आए और उठकर चलने को कहा । तब महोदर बाबू की आंखें खुली महोदर बाबू ने चारों तरफ देखा और रात की बात पर बड़ा ही विचार विमर्श आ गया । गुरु श्याम पंडित ने कहा यह मामला अब ज्यादा बिगड़ रहा है । श्मशान भैरवी सबसे ज्यादा ताकतवर होती है उसे रोकने की क्षमता किसी में नहीं है । गुरु श्याम पंडित ने कहा यह तो केवल एक उसका दाय मात्र था । आज वह समझ नहीं पाई लेकिन वह तो तुम्हारी साधना होने देना चाहती थी ।

इसीलिए उसने एक क्षण में ही प्रेतों का नाश नहीं किया । लेकिन आने वाले दिन तुम्हारे लिए भारी हो सकते हैं महोदर बाबू ने कहा क्या आप मेरी जान लेना चाहते हैं । आपने एक तो मेरे को इस कार्य में फंसा दिया है । मैं मन का पक्का तो जरूर हूं लेकिन इतना भी नहीं कि मैं हर प्रकार की समस्याओं का सामना कर सकूं । मेरे लिए और मेरी रक्षा के लिए कोई उपाय कीजिए । आप तो काफी जानकार है गुरु श्याम पंडित ने कहा दो ऐसे लोग हैं जो शायद आपकी सहायता के लिए मेरे साथ आ सके । तो महोदर बाबू ने कहा वह जो भी हो और जहां भी हो उनसे मिलकर उन्हें ढूंढ कर किसी भी प्रकार से आप उन्हें ले आइए । महोदर बाबू की बात सुनकर गुरु श्याम पंडित ने कहा हा मुझे पता है केवल इसमें सोने की 10 अशरफिया लगेगी । महोदर बाबू ने कहा कोई चिंता नहीं साधना और सिद्धि के लिए यह कार्य तो संपन्न किया ही जाएगा । इसलिए मैं आपको आज 10 सोने की अशरफिया दूंगा । जो मेरे पास बहुत सारे पढ़े हुए हैं महोदर बाबू अपने घर गए और उन्होंने गुरु श्याम पंडित को 10 सोने के सिक्के दिए । गुरु श्याम पंडित ने कहा कि कुछ तांत्रिक ऐसे हैं जो पैसों के लिए कुछ भी कर सकते हैं ।

उन्हीं में से एक अब्दुल्ला है और दूसरे हैं वनवासी अब्दुल्लाह और वनवासी यह दोनों अलग-अलग तांत्रिक है । अब्दुल्लाह जहां इस्लामी तंत्र को बहुत अच्छी तरह से जानता है । वनवासी अघोर पंथ में काफी अच्छी तरह से दीक्षित है । क्योंकि यह दोनों लालची भी है इसलिए अगर इनको पांच पांच स्वर्ण मुद्राएं दे दूं तो यह मेरी सहायता के लिए अवश्य ही खड़े हो जाएंगे । और आपकी की रक्षा और सुरक्षा जरूर होती रहेगी । चाहे अबकी श्मशान भैरवी कितनी भी ताकत से शक्तियों का प्रयोग करें । लेकिन मैं यह बात जानता हूं कि श्मशान भैरवी को सिद्ध करना आसान नहीं है । और श्मशान भैरवी दिन प्रतिदिन उग्र और महाशक्तिशाली होती है । श्मशान की सबसे ताकतवर और प्रचंड शक्ति श्मशान भैरवी ही है । उसे रोकना आसान नहीं होगा इसलिए दो और तांत्रिकों की जरूरत पड़ रही है ।महोदर बाबू ने कहा आप ठीक कह रहे हैं आप उन्हें रात होते ही ले आइएगा । गुरु श्याम पंडित वहां से अपना झोला उठाएं और चल दिए इधर महोदर बाबू भी बड़ी ध्यान से अन्य ग्रंथों का अध्ययन करने लगे ।

उसी में लिखा था कि जब कोई शक्ति रक्षा ना कर पाए तो केवल और केवल आदिशक्ति ही रक्षा कर पाती हैं । तब महोदर बाबू उस किताब को पढ़ते रहें और अपनी रक्षा के लिए उपाय सोच रखते रहे थे । शाम का समय हो गया गुरु श्याम पंडित के साथ दो लोग और आ गए यानी अब्दुल्ला और वनवासी मतलब दोनों के दोनों वहां पहुंच गए । अब्दुल्ला ने कहा मेरे जिन्नो की ताकत के आगे भला कौन सी शक्ति टिक पाएगी । उधर वनवासी ने कहा मैं भी अपने अघोर प्रेतों की मदद से तुम्हारी रक्षा और सुरक्षा करूंगा । आज शाम को क्या होने वाला यह तो किसी को नहीं पता था । लेकिन एक भयंकर युद्ध की तैयारी जरूर हो रही थी । तो इस प्रकार से युद्ध की बिसात बिछ चुकी थी । और एक भयंकर युद्ध देखने को मिलने वाला था । हुआ भी वही जैसी शाम हुई सब लोग पहुंच गए और थोड़ी दूर पर महोदर बाबू जिस स्थान पर साधना करते थे । उस चिता को ढूंढ कर वह साधना करना शुरू कर दिए ।

गुरु श्याम पंडित और उनके साथ दो सहयोगी व्यक्ति वहां पर सहायता हेतु दूर खड़े हो गए । कुछ ही देर हुई थी कि वहां पर एक भयंकर गीदडी आ गई । जिसकी आवाज के स्वर अजीब तरह के थे वह आकर के एक चिता के चारों तरफ घूमती हुई । उस चिता के अंदर की हड्डी को खींचकर बाहर निकालकर दौड़ के दूर चली गई । गुरु श्याम पंडित ने कहा आज मामला बड़ा बिगड़ने वाला है आप लोग तैयार हो जाइए । गुरु श्याम पंडित ने अपने संकल्प शक्ति के द्वारा तुरंत ही वहां पर अलग तरह की शून्य विद्या का प्रयोग किया । शून्य विद्या में एक पक्षी ऐसा होता है जो उस पूरे क्षेत्र पर नजर रखता है ।और कोई भी घट रही घटना के बारे में तुरंत ही संकेत दे देता है । साधना करने वाले को पता चल जाता है कि कौन सी शक्ति आने वाली है और उसके लिए कौन सी तोड़ शक्ति का प्रयोग किया जा सकता है । इसलिए अब यह साधना में उनको मदद मिल सकती थी । और गुरु शाम पंडित की सुन्य शक्ति ऊपर बाज की तरह उड़ने लगी और वह घूमती रही । तभी उसने इशारा किया कि भैरवी आ रही है भैरवी आते ही पैर पटकते हुए तीव्रता से उनकी ओर बढ़ने लगी थी ।

वह पहले ही जान गई थी कि आज की परीक्षा महोदय बाबू के साथ नहीं है लगता है गुरु श्याम पंडित और उनके सहयोगी के साथ है । क्योंकि किसी प्रकार से शमशान भैरवी को यह बात अच्छी नहीं लग रही थी कि कोई उसके साधक और उसके बीच में आए । इसलिए सबसे पहले उसने आते जाते तीव्रता से वहां धूल का एक बवंडर शुरू किया और उन लोगों की ओर बढ़ चली । गुरु श्याम पंडित को पता चल चुका था । तुरंत ही अब्दुल्ला ने सात जिन्नो की फौज इखट्टा की सात जिन्न वह पर आ गए । लेकिन चमत्कार देखिए उसने इतने लंबे हाथ किए तीन जनों को बाहिनी कोख में और चार जनों को दाएं कोख में दबाकर के ऐसे उनकी ओर बढ़ने लगी जैसे कि जिन्नो की ताकत कुछ होती ही नहीं । जिन्न बिचारे हिल भी नहीं पा रहे थे । ना वह मुंह से कुछ बोल पा रहे थे । सब की गर्दने दबी हुई थी । अब्दुल्ला ने सोचा यह तो मौत ही हमारी तरफ आ रही है । अब्दुल्ला ने तुरंत ही अपने साथी को इशारा कि तुम कुछ क्यों नहीं करते हो । मेरे जिन तो उसने ऐसे पकड़ लिए हैं जैसे कि छोटे बच्चे को बड़ा आदमी कोई पकड़ लेता है ।

अब उनके साथी अघोरी ने अपनी शक्ति और प्रयोग की और भिन्न प्रकार की आग और आत्माएं रात में वहां प्रकट हो गई । उन्होंने वहां पर खून की बारिश शुरु कर दी । उनकी बारिश के प्रयोग से उस क्षेत्र में उस जगह पर कोई प्रवेश नहीं कर सकता ।लेकिन भैरवी ने अपनी लंबी जीभ निकाली और सारा खून और जितना भी गिरा हुआ अन्य भक्षणीय पदार्थ सब कुछ चाट गई । उसकी इस हरकत से अब अघोरी को भी डर लगने लगा । वनवासी ने सोचा यह क्या हो रहा है अब तो मुझे भी कुछ समझ में नहीं आ रहा । इधर इतनी तीव्रता से भैरवी ने उन जिन्नो को दबाया कि वह सब ऐसे गल गए जैसे की आग के ऊपर पानी डाल दिया जाता है । उस तरह गल कर जमीन में धराशाई होकर के जमीन के अंदर समा गए । दोनों हाथों से दो तलवार निकालकर के गुस्से से भरी हुई भैरवी ने दोनों पर अपने खंडे चला दी । एक खंडा जाकर अब्दुल्ला को लगा दूसरा बनवासी को लगा दोनों की तत्काल वही पर मृत्यु हो गई । गुरु श्याम पंडित ने गुरु मंत्र से अपने चारों तरफ सुरक्षा घेरा खींच लिया । और गुरु मंत्र का आंख बंद करके जाप करने लगे पता नहीं क्या हुआ लेकिन भैरवी ने उन पर वार नहीं किया । और वह चल पड़ी एक बार फिर महोदर बाबू की ओर । अब आगे महोदर बाबू के साथ क्या हुआ यह हम जानेंगे अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

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