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तारा पीठ शमशान भैरवी की साधना भाग 3

तारापीठ श्मशान भैरवी की साधना भाग 3

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य में आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसा कि अभी तक की कहानी में आपने जाना किस प्रकार से महोदर बाबू काफी ज्यादा डरे हुए थे । वह इस बात से परेशान थे कि किस प्रकार से वह साधना को संपन्न कर पाएंगे । लेकिन गुरु श्याम पंडित बाबू जो है उनको लगातार समझाते चले जा रहे थे । कि आप इस बात के लिए परेशान नहीं होइए और अपने मन को पक्का कर लीजिए तभी आप इस तारापीठ में श्मशान भैरवी साधना को संपन्न कर पाएंगे । इस प्रकार से तीन-चार दिन बीत जाने के बाद में एक रात को जब वह शमशान में साधना करने के लिए गए । तो वहां पर सबसे बड़ी बात देखने में आई कि श्मशान काफी सुन्य सा नजर आ रहा था । बिल्कुल चारों तरफ एक अजीब सा सन्नाटा फैला हुआ था ।आज कुछ भी चहल-पहल नहीं दिखाई दे रही थी जो बाकी दिनों में थोड़ा बहुत दिखाई पड़ती थी । इस बात को इशारों इशारों में गुरु श्याम पंडित ने उन्हें समझाने की कोशिश की और बताया कि आज का दिन खतरनाक हो सकता है । और क्योंकि साधना का दिवस बीते बीते चौथी रात आ चुकी थी । तो महोदर बाबू ने कहा मुझे आज लग रहा है जैसे मेरी चौथी ना हो जाए । तो गुरु श्याम पंडित ने हंसते हुए कहा महोदय आप को  घबराने की जरूरत नहीं है ।आपके केवल मन को कड़ा और पक्का कीजिए ।

साधना में निश्चित रूप से सफलता मिलती चली जाएगी । यह 21 दिन की प्रक्रिया को पूरी तरह से संपूर्ण कर लेना है । हां आज ऐसा मुझे भी लग रहा है कि आप की कठिन परीक्षा होने वाली है । इसलिए आप सावधान होकर के साधना कीजिए और आपने जो चिमटा रखा है उसे बजा दीजिएगा । ताकि अगर कोई बड़ी समस्या आती हुई नजर आए हैं तो मैं आपकी सहायता के लिए आ सकूं । मैं दूर बैठा आपकी साधना देखता रहा हूं यह पुरानी प्रक्रिया है जब किसी साधना में शिष्य को खास तौर पर जब कठिन साधना होती थी उनको कराया जाता था । तो गुरु भी वहां पर मौजूद रहता था जब बहुत ही ज्यादा खतरनाक साधना होती थी वहां गुरु का उपस्थित रहना अनिवार्य होता था । लेकिन वह इतनी दूर उपस्थित रहते थे कि साधना में किसी भी प्रकार का विघ्न या सहयोग किसी भी प्रकार से नजर आता हुआ ना दिखे । ताकि वह शक्ति भी उसकी पूरी तरह से परीक्षा ले सके । लेकिन गुरु की वजह से ऐसा ना हो कि वह साधना अधूरी हो जाए । इसलिए गुरु को काफी दूर स्थित होकर रहना पड़ता था ताकि किसी तरह की कोई समस्या होने पर उसकी सहायता के लिए वहां पर पहुंचा जा सके । जैसे ही उन्होंने साधना शुरू की उनके चारों तरफ एक काला सा धूआ तेजी से इधर उधर इधर उधर जाने लगा । जिसको वह अच्छी तरह से महसूस कर सकते थे उससे भयंकर बदबू आ रही थी ।

ऐसी बदबू जैसे कि कोई व्यक्ति मरा हुआ हो और वह सड रहा हो वह बदबू वाला धुआं ऊपर नीचे आगे पीछे इस तरह से घूम रहा था । और उनको लगा कि वह धूआ उनके मुंह में घुस जाएगा और हुआ भी वही थोड़ी ही देर बाद वह धुआ उनकी नाक में घुस गया । उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी और वह इस बात से बहुत ही ज्यादा घबरा गए । डर उनके ऊपर बहुत ही ज्यादा हावी हो रहा था साथ ही साथ बेहोशी सी भी छा रही थी इतनी भयंकर बदबू उन्होंने आज तक कभी भी महसूस नहीं की थी । लेकिन अपने दिल को कड़ा करके वह मंत्र जाप करते रहें बीच-बीच में मुंह से सांस लेने लगे ताकि कोई समस्या ना आए । मंत्रों के जाप की गति उतनी तीव्रता से नहीं हो पा रही थी क्योंकि नाक में अंदर काली शक्ति घुस रही थी । बहुत ही भयंकर उन्हें ऐसे आभास हो रहे थे जैसे कि कोई बड़ी आपदा उनके ऊपर आने वाली है । थोड़ी देर तक ऐसी स्थिति होने पर उन महोदर बाबू को एक बात याद आई जो गुरु श्याम पंडित ने उन्हें समझाई थी । कि अगर कभी बहुत ज्यादा भय हो या स्थिति बिगड़ने लगे तब तुम्हें गुरु मंत्र का जाप कर लेना है मन ही मन गुरु मंत्र का जाप उन्होंने किया और उसका अच्छा फल उन्हें देखने को मिला । वह काली शक्ति जो नाक में प्रवेश कर रही थी वह बाहर निकल कर अंतरिक्ष में विलीन हो गई ।

महोदर बाबू एक बार फिर से साधना में जुट गए । अपने ध्यान को केंद्रित करते रहें और उस ध्यान केंद्रित होने की वजह से अचानक से उन्हें लगा चारों तरफ पंखों की फड़ फड़ आहट की तीव्र आवाज आ रही है । उन्होंने महसूस किया और उन्हें पता लगा की काले रंग के कौवे वहां बहुत सारे आ चुके हैं वह कौवे चारों तरफ उड़ रहे हैं । उनमें से कुछ चमगादड़ भी है और कुछ काले कौवे है लेकिन दोनों तरह की काली शक्तियां दोनों बहुत ही तीव्रता से उनके चारों तरफ घूमने लगे । एक भय का माहौल पैदा हो रहा था लगातार उनके फड़फड़ाहट की आवाज से महोदर बाबू को डर लग रहा था । लेकिन साधना हर प्रकार की परीक्षा ले लेती है । इसलिए महोदर बाबू लगातार बैठे-बैठे साधना करते रहे और उन्होंने पिछली बात को याद करके सोचा कि उस भयंकर धुए से यह कम ही भयानक है । इस आधार पर उन्होंने अपने मन को शांत करने की कोशिश की हमें डरना नहीं है । और साधना को करते रहना है और यह बात वह जानते ही थे कि जितना भी उन्हें उस धुए से लग रहा था । अब उतना भय पक्षियों से नहीं लग रहा जोकि वह रात में उड़ रहे थे पता नहीं वह यह सब देख कैसे पा रहे थे । चमगादड़ में तो शक्ति होती ही है लेकिन कोए कैसे उड़ रहे हैं । यह उन्हें समझ में नहीं आ रहा था खैर जो उनके साथ घटित हो रहा था वह अजीब सा था । लेकिन वह स्थिति इतनी साधारण रहने वाली नहीं थी धीरे-धीरे करके वह साधना और ज्यादा बिगड़ने लगी ।बिगड़ती हुई स्थिति को देखकर उन्हें कुछ समझ में नहीं आया कि यह हो क्या रहा है ।

क्योंकि अब पक्षी उड़ उड़ कर इनके पास आने लगे उन्होंने तुरंत आ करके महोदर बाबू पर पंखों की चोट करनी शुरू कर दी । कोई आता तो उनके सिर पर तमाचा मार कर चला जाता । कोई मुंह पर कोई छाती पर कोई पीठ पर और इतनी तेजी से आकर पक्षी लड़ते ऐसा लगता कि वह उनकी जान ही निकाल लेंगे । ऐसी मार उन्होंने पहले कभी नहीं खाई थी । यह पक्षियों की मार थी थोड़ी देर साधना करने के बाद महोदर बाबू काटने लगे और साधना उन्होंने छोड़ी नहीं तो एक बार उन्होंने चिमटे को पकड़ा सोचा इसे बजा दू । फिर उन्होंने सोचा कि अगर मैंने इसे बजाया तो गुरु श्याम पंडित वहां पर दौड़ते हुए चले आएंगे और मेरी साधना भंग हो जाएगी । फिर उन्होंने चिमटे को वापस नीचे रख दिया और मन को पक्का करके फिर से साधना में जुट गए । अपने मन को उन्होंने समझाया उन सब चोटे सहते रहना है और मंत्र जाप करते रहना है । लेकिन कहते हैं ना अगर किसी चीज को सहने की सामर्थ किसी में आ जाए तो स्थिति और बिगड़ती है । वही उनके साथ हुआ अभी तक जो पंछी उनको चोट दे रहे थे । कभी माथे पर तो कभी मुंह कभी छाती पर कभी पैरों पर चोटे दे रहे थे अब वह सब आ करके उन्हें चोच मारने लगे । बहुत ही तेजी से चोचे चुभती थी जैसे किसी ने सुई चुभा दी । उन सूइयो की चुगने की तीव्र दर्द उन्हें होने लगा उनके मुंह से मंत्र के साथ साथ आह अभी निकलती थी । लेकिन मंत्र जाप श्मशान भैरवी का करते चले जा रहे थे । और उन्हें पता चला कि श्मशान भैरवी की साधना सबसे खतरनाक साधना क्यों मानी जाती है ।

इस साधना में उन्हें ऐसे अनुभव हो रहे थे जैसा कहीं भी नहीं संभव है । थोड़ी ही देर बाद गुरु श्याम पंडित यह सब दूर से देखा की काली शक्तियां उन पर हमला कर रही हैं । तो वहा जा करके उन्हें बचाने की कोशिश करने लगे । लेकिन गुरु श्याम पंडित के साथ जो हुआ वह अचरज भरा था तभी वहां पर कई सारे पक्षी तेजी से गुरु श्याम पंडित की ओर दौड़े और इतनी जोर से उन्होंने टक्कर मारी गुरु श्याम पंडित 10 से 12 फुट दूर उछलकर गिरे । गुरु श्याम पंडित को बात समझ में आ गई थी की साधक और साधना अर्थात जिसकी साधना वह करना चाहता है उन दोनों के बीच कोई तीसरा नहीं आ सकता है । यह साधना श्मशान भैरवी की है यह कोई साधारण भैरवी नहीं है यह सबसे शक्तिशाली और खतरनाक भैरवी में इनका नाम आता है और भैरवी नहीं चाहती कि उनके और उसके साधक के बीच में कोई तीसरा ना आए । गुरु श्याम पंडित जी को दी गई टक्कर से यह आभास हो चुका था कि अगर उन्होंने दोबारा उन्हें बचाने की कोशिश की तो उनकी मौत भी हो सकती है । इसलिए श्मशान भैरवी को महोदर बाबू की परीक्षा लेने दी जाए और वह चुपचाप अन मनासा मन बनाए गुरु मंत्र का जाप करते हुए वहां से खिसक गए । और दूर से देखने लगे की स्थिति अब कैसी होगी । थोड़ी देर बाद चोच मारने के बाद जब महोदर बाबू वहां से नहीं हटे तो तीसरी क्रिया अर्थात उन पक्षियों ने तीसरी क्रिया का प्रयोग किया । और वह क्रिया अत्यंत ही गंदी थी । सभी के सभी पक्षी आकर के अपने-अपने बीट उनके ऊपर करने लगे बीट का अर्थ होता है ।

टट्टी पिशाब प्रक्रिया करने लगे यानी कि वह पक्षी अपना मल त्याग रहे थे । और अपना मल महोदर बाबू के शरीर पर हर जगह गिर रहा था । महोदर बाबू उस टट्टी की बदबू को महसूस कर सकते थे और साथ ही साथ उस खतरनाक विधि को भी कि यह क्या हो रहा है । अभी तक डराने का प्रयास हो रहा था दुर्गंध का प्रयास हो रहा है । ऐसी स्थिति देखते हुए महोदर बाबू को कुछ समझ में नहीं आ रहा था उन्हें बस इतना विश्वास था । कि अगर गुरु श्याम पंडित ने मुझे किसी कार्य में लगाया है तो मेरा भी कर्तव्य बनता है वह कुछ भी करें लेकिन इस साधना को पूर्ण करें । और वह तीसरी स्थिति को भी झेलने को तैयार हो गए उन्होंने अपनी जीभ अंदर डाली अर्थात पीछे खींच ली । क्योंकि उनके मुंह पर वह मल गिर रहा था वह नहीं चाहते थे उनकी जीभ गंदी हो । जीभ गंदी हो जाएगी तो मंत्र का जाप किस प्रकार करेंगे लगातार स्थिति खराब होती चली जा रही थी । एक साधक के लिए ऐसी चीजें होना अलग ही तरह का माहौल पैदा करता है । उन्हें कुछ समझ में नहीं आया फिर उन्होंने मन ही मन विचार उनके मन में आया कि मुझे गुरु मंत्र से सहायता लेनी चाहिए । गुरु श्याम पंडित द्वारा दिए गए महानतम गुरु मंत्र का उन्होंने ध्यान किया और सहायता की प्रार्थना की और उसके बाद जो उनके साथ घटित हुआ ।

वह बहुत ही आश्चर्यजनक था धरती फाड़ कर कमर तक निकल कर के एक स्त्री उन्हें सामने दिखाई पड़ी । जिसने अपने हाथों से उनके शरीर को पोछना शुरु कर दिया वह स्त्री कौन थी । क्या वह शमशान भैरवी थी या फिर उसकी कोई शक्ति थी या फिर गुरु मंत्र की शक्ति आकर्षित होकर कोई शक्ति वहां पर पास आ गई थी । यह उनके समझ में नहीं आया लेकिन वह जो भी कर रही थी इनको काफी बढ़िया लग रहा था । ऐसा समझ में आ रहा था कि इनके साथ में इन्हें कोई सांत्वना दे रहा हो और उसकी सांत्वना इनके लिए भरी हुई थी । उसने अपने हाथों से उनके पूरे शरीर को पोछा और हर प्रकार की गंदगी मिट गई । और तुरंत ही वहां पर खुशबू सी आनी शुरू हो गई । वह ऐसे फूलों की सुगंध थी जो देव भवन में चढ़ाए जाते हैं अर्थात मंदिरों में पुष्प अर्पित किए जाते हैं । उस तरह की खुशबू उस वक्त उनके शरीर से आने लगी उन्हें इस बात का काफी अच्छा महसूस हो रहा था । कि जो भी घटित हो रहा है अब कुछ बढ़िया है और इस प्रकार उन्होंने वह साधना रात की संपन्न की । इसके बाद जैसे ही उन्होंने साधना संपन्न करी उन्होंने अपने भोग के लिए लाए हुई शराब को उस चिता में चढ़ाने लगे ।

चिता पर चढ़ाने के वक्त उस कन्या ने वह पूरी बोतल पकड़ ली और घट घट करके पी गई । जिसे देख कर के महोदर बाबू आश्चर्यचकित हो गए । उसे पहली बार उन्होंने जब आंखों से देखा तो उनको नजर आया । यह क्या है यह कैसी है उसके सिर के बाल खुले हुए थे । आंखों से रक्त बह रहा था लहंगा पहने हुए थी और चूकि लहंगा उसका लाल रंग का था अत्यंत ही काला था । उसको देख कर के अत्यंत ही भय नजर आ रहा था । लेकिन उसने जो भी क्रिया की थी उनको सब कुछ अच्छा लगा । इसके बाद वह कूदकर के महोदर बाबू की गोदी में बैठ गई और इनके शरीर को जकड़ लिया । इस प्रकार से उसने इनके शरीर को जकड़ा कि इनकी सांस लेना भी दूभर होने लगा । अभी तक जिस शक्ति ने उनकी सहायता की थी अब वही शक्ति उनको अपनी बाहों में भर के तेजी से दबाने लगी है । इनकी छाती उन्हें ऐसा लगा जैसे फट जाएगी । आगे क्या हुआ यह हम जानेंगे अगले भाग । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

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