नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग बात करेंगे माता तारा कि एक गुप्त योगिनी साधना के विषय में । ज्यादातर इसके बारे में वर्णन नहीं ही मिला है और बहुत ही कम लोग इस साधना के विषय में जानते हैं। देवी के! बहुत सारे ऐसे स्वरूप हैं जो उनके साथ में विनाश करते हैं और उस दौरान उनकी बहुत सारी योगिनी शक्तियों को सिद्ध किया जाता है। उन्ही देवियों में एक देवी परानंदा नाम से पुकारी जाती हैं। देवी परानंदा
एक ऐसी योगिनी हैं जिनकी सिद्धि अगर कर ली जाए तो यह सब कुछ देने में समर्थ है क्योंकि देवी माता के जो भी आंशिक रूप और शक्तियां हैं। वह भी उसी प्रकार फलदाई है जैसे देवी मां स्वयं है। यहां पर यह उनकी पुत्री स्वरूपा है और देवी के साथ ही विहार करने वाली हैं। जब संसार का नाश किया जा रहा होता है तब देवी तारा अपनी शक्तियों से संपूर्ण संसार को।
अपनी गैसों के माध्यम से संहार करती हैं, ऐसा माना जाता है। की माता तारा भयंकर गैस के रूप में ही विध्वंस करती हैं। विषैली गैसों के माध्यम से
उनके साथ जो योगिया चलती है।
उन सब में इनका विशेष महत्व माना जाता है तो देवी परानंदा ऐसी शक्ति है जो देवी के साथ ही चल कर विनाश करती हैं। इसीलिए माता तारा की साधना जो लोग संपन्न नहीं कर सकते उन्हें इनकी योगिनी साधना संपन्न कर।
पूरा लाभ प्राप्त कर सकते हैं माता तारा साधना के जैसे ही इस साधना मे विभिन्न प्रकार की कामनाएं तो सिद्ध होंगी ही वाक शक्ति, शत्रु, नाश, भोग इत्यादि सभी कामनाओं को देवी पूर्ण करेंगी। महर्षि वशिष्ठ ने भी इनकी साधना का विधान बताया था देवी! शांत स्वभाव में जब आ जाती हैं तो उनके साथ ही परानंदा खड़ी मिलती है।
कहते हैं देवी की कृपा अगर प्राप्त हो जाए तो संसार में सभी प्रकार के सुखों को प्राप्त किया जा सकता है। देवी तारा के साथ रहने वाली उनकी यह पुत्री योगिनी।
साधक के तीनों रूपों में ही सिद्ध होती है मां बहन! पत्नी या प्रेमिका रूप में जैसा साधक चाहे। लेकिन योगिनी शक्तियों को साधने से पहले आपके अंदर गुरु मंत्र की संपूर्ण ऊर्जा का समावेश होना चाहिए। आपके अंदर सामर्थ्य होनी चाहिए। क्या आप इनकी ऊर्जा को झेल सकें? क्योंकि योगिनी शक्तियों में बहुत ही तीव्र ऊर्जा होती है। इनकी मात्र 7 दिन की साधना।
तामसिक तरीके से की जाती है इसलिए उसके बारे में मैं ज्यादा यहां पर वर्णन नहीं करूंगा। सिर्फ थोड़ी सी बात बताऊंगा। लेकिन? साधना इसलिए संभव नहीं है क्योंकि आज के युग में इस तरह करना संभव नहीं है आपको इसके लिए।
किसी भी शमशान में जाकर वहां। किसी मृत? व्यक्ति या स्त्री के शरीर पर उसकी छाती पर बैठकर के केवल 7 दिनों तक आपको मंत्र का जाप करना होता है। इससे देवी उस स्त्री के शरीर में ही आकर बोलने लगती हैं।
लेकिन यह विधि अब! योग्य नहीं रह गई है इसलिए यह साधना। उत्तम नहीं मानी जाती है और सरकार की तरफ से भी ऐसी साधना ऊपर बैंड लगाया हुआ है जिसको हम शव साधनाओं के नाम से जानते हैं। इसलिए यहां पर हम लोग! उनकी दूसरी तरह की साधना के विषय में बात करते हैं।
सर्वप्रथम आप? किसी जलती हुई चिता की राख को मिट्टी में मिला कर अपने घर में ले आए। जिस स्थान पर यह साधना आप करेंगे। वह स्थान!
इस तरह गोपनीय होना चाहिए उस जगह किसी का भी प्रवेश वर्जित हो।
दूसरा घर वालों के साथ अगर आप रहते हैं। तो उन्हें समझा दीजिए कि आप उन्हें किसी भी प्रकार से डिस्टर्ब ना करें और अनुभव होने पर डरे नहीं। आपको इसके लिए उसी मिट्टी और उस राख से उस स्थान को लिखना होगा जहां पर आप का स्थान या जहां पर बैठकर आप जप करेंगे। उसके ऊपर आपको फिर! काला कंबल बिछाकर बैठ कर वहीं पर नग्न शरीर साधना करनी है सामने बाजोट पर माता तारा की प्रतिमा स्थापित करनी है उसी के आगे। उन्हीं के जैसी छोटी प्रतिमा स्थापित करनी है जो कि परानंदा देवी की होगी। क्योंकि बिना माता तारा की आज्ञा के वह आपसे सिद्ध नहीं होंगी। इसलिए दोनों लोगों की साधना एक साथ ही की जाती है। इनके आगे आपको सरसों के तेल का दीपक जलाना है। साधना काल में यह दीपक बुझना नहीं चाहिए। यह साधना 41 दिन तक आपको करनी है। रोज 50 माला मंत्र जाप आपको इस साधना में करना होता है।
इस साधना में आपको दिशा दक्षिण रखनी होगी। रात्रि कालीन यह साधना है। और? इस साधना को करने के लिए आपको मन वचन से पूरी तरह तैयार हो जाना पड़ता है।
इस साधना को आप किसी भी शुभ मुहूर्त! पर्व काल! कालरात्रि महारात्रि, होली, दिवाली, शिव चतुर्दशी ग्रहण काल ।
इसके लिए घर में आपका एकांत कक्ष होना अनिवार्य है और उस स्थान को बंद कर लेना आवश्यक है। वहीं पर आपको एक बिस्तर बिछा देना है और वही सो भी जाना है। ताकि आपको सिद्धि। और आपके बीच में कोई व्यवधान उपस्थित ना हो। देवी जब आप को दर्शन देती हैं तो आप उनसे वचन मांग कर उनसे कोई भी संबंध स्थापित कर सकते हैं।
देवी और आपके बीच में गोपनीय वार्तालाप होगा और आप जीवन में जैसे आगे बढ़ना चाहते हैं, उसी अनुसार वह आप को निर्देशित करेंगी यह बहुत अधिक शक्तिशाली होती है। इसलिए सभी प्रकार के कर्मों को करने में वह सक्षम है।
रुद्राक्ष की माला का आपको इसमें इस्तेमाल करना होगा और नग्न शरीर बैठकर ही यह जाप आपको 50 माला। रोज करना है।
अपनी चारों तरफ! रक्षा कवच तारा कवच पढ़कर लगा ले।
माता तारा का कवच –
तारा कवचम्
प्रणवो मे शिरः पातु ब्रह्मरूपा महेश्वरी।
ह्रींकारः पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥
स्त्रींकारः पातुवदने लज्जारूपा महेश्वरी।
हूंकारः पातु हृदये भवानी शक्तिरूपधृक्॥
फट्कारः पातु सर्वांगे सर्वसिद्धि फलप्रदा।
नीलाभां पातु देवेशी गंडयुग्मे भयावहा॥
लंबोदरी सदा स्कंधायुग्मे पातु महेश्वरी।
व्याघ्रचर्मावृतकटिःपातु देवी शिवप्रिया॥
पीनोन्नतस्तनी पातु पार्श्वयुग्मे महेश्वरी।
रक्तवर्तुलनेत्रा कटिदेशे सदाऽवतु॥
ललज्जिह्वा सदा पातु नाभो मां भुवनेश्वरी।
करालास्या सदा पातु लिंगे देवी हरिप्रिया॥
पिंगोगेकजटा पातु जंघायां विघ्ननाशिनी।
खड्गहस्ता महादेवी जानुचक्रे महेश्वरी॥
नीलवर्णा सदा पातु जानुनी सर्वदा मम।
नाग कुण्डल धात्री च पातु पाद युगे ततः॥
नागहार धारा देवी सर्वांगे पातु सर्वदा।
नागकंकणधरा देवी पातु प्रान्तर देशतः॥
जल स्थले चांतरिक्षे तथा शत्रुमध्यतः।
सर्वतः पातु मां देवी खंगहस्ता जयप्रदा॥
शुरू करने से पहले सबसे पहले गुरु मंत्र की एक माला। गणेश मंत्र को 21 बार पढ़ें। भगवान शिव के मंत्र का उच्चारण 21 बार करें। और? माता तारा के मंत्र का उच्चारण 21 बार करें। उसके उपरांत ही अब आप अपनी मूल मंत्र की साधना रोज करेंगे।
मूल मंत्र – ॐ ह्नीं स्त्रीं परानंदा हुं फट
साधना काल में ब्रह्मचर्य का पूर्ण
पालन करेंगे। किसी भी प्रकार से ब्रह्मचर्य नष्ट नहीं होना चाहिए।
अपना भोजन स्वयं बनाएंगे।
भोजन केवल दो समय ही करेंगे।
और? भोजन साधना के 3 घंटे पहले कर लेना आवश्यक है। हमेशा नहा धोकर ही साधना में बैठेंगे। जब तक साधना चलेगी तब तक किसी भी प्रकार से कोई व्यवधान नहीं आना चाहिए। उनकी शक्तियां बहुत अधिक तीव्र होती हैं इसलिए! आपको किसी और साधना की आवश्यकता बाद में नहीं रह जाएगी। यह देवी सभी प्रकार की सिद्धियां शक्तियां प्रदान करने वाली हैं। अलौकिक शक्ति संपन्न है।
देवी ब्रह्मचर्य की परीक्षा। भय की परीक्षा!
और अन्य प्रकार की परीक्षाएं ले सकती हैं। उन से घबराने अथवा प्रभावित होने का कोई विकल्प देवी को ना दें ताकि आप की सिद्धि बनी रहे।
इस प्रकार से आप समझ सकते हैं किस प्रकार आपको यह साधना संपन्न करनी है?
इस साधना को करने पर व्यक्ति की सभी प्रकार की कामनाएं संपूर्ण हो जाती हैं। देवी! प्रत्यक्ष रूप अथवा अप्रत्यक्ष रूप से आपके साथ हो जाती हैं। आपके ऊपर यह निर्भर करता है कि आपने उनकी साधना किस प्रकार से कितना अधिक उन पर ध्यान लगाया है।
योगिनी साधना भोग देने वाली साधनाएं कहलाती हैं इसलिए!
साधक को भटकना नहीं चाहिए क्योंकि भोग में पड़ते हुए व्यक्ति काफी आगे निकल जाता है और फिर वह अपने आध्यात्मिक सफर से भी भटक जाता है। इसलिए भोग को एक सीमा तक ही कोशिश करें। क्योंकि? इच्छाओं का कोई अंत नहीं है और एक के पूरी होने पर दूसरी अपने आप जन्म ले लेती है। इस प्रकार से आपको जैसा उत्तम लगे उस हिसाब से अपने जीवन को आगे बढ़ाइए।
इनकी साधना को करते हुए बाद में माता तारा को भी सिद्ध किया जा सकता है। क्योंकि यह उनकी सहायक सेविका पुत्री समान है।
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