तिरिया राज की शक्तिशाली जादूगरनी भाग 2
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। तिरिया राज की शक्तिशाली जादूगरनी भाग 1 में अभी तक आपने जाना कि कैसे एक व्यक्ति के परदादा नीलांचल पर्वत के रहस्य में खुद को फंसा लेते हैं। अब पढ़ते हैं इनके पत्र को और जानते हैं आगे की घटना के विषय में।
नमस्कार गुरु जी, पिछली बार मैंने आपको बताया था कि उन खूबसूरत स्त्रियों के माया जाल में। वह अपने नौकरों समेत गायब हो जाते हैं। थोड़ी देर बाद जब उन्हें होश आता है। तो उन्होंने सामने जो नजारा देखा, वह बहुत ही अद्भुत था। सामने एक विशालकाय नगर था। जो कि अपने आप में बड़ा ही सुंदर रहस्यमई और दैवीय लग रहा था। ऐसे नगर को देखकर मेरे परदादा आश्चर्य में आ गए थे। उनके साथ इस वक्त कई सारी खूबसूरत स्त्रियों और वहां पर बहुत सारी संख्या में पुरुष बंदी रूप में मौजूद थे। तभी जिस पालकी वाली स्त्री को इन्होंने थोड़ी देर पहले देखा था? वह इनके पास आकर कहने लगी। चलो आज से तुम मेरा कार्य करोगे। तुम एक खूबसूरत पुरुष हो। इसलिए अब तुम मेरे ही अधीन रहोगे और उसने पता नहीं। कौन से तंत्र का प्रयोग किया कि मेरे परदादा एक बकरे में बदल गए और खुद को बकरे के रूप में देखकर वह और भी ज्यादा आश्चर्य में थे।
इसी के साथ अपनी सारी पुरानी बातें भी वह भूल गए। वह सिर्फ इतना जान पा रहे थे कि इस स्त्री का उन्हें सेवक बने रहना है।
वह जाकर उसके करीब खड़े हो गए और प्यार से दुलार देने लगे। उसने भी इनके शरीर को छूकर इनसे अपना प्रेम दर्शाया और लेकर चली गई अपने एक रहने के स्थान पर। उसके बाद वह! इन्हें कहते जाओ, यह कार्य कर लाओ, वह कार्य कर लाओ और यह खुशी खुशी आधा बकरा और आधा इंसान के रूप में कार्य करते। जब कोई कार्य नहीं रहता तब यह पूर्ण रूप से बकरा बन जाते थे।
लेकिन जब पहली रात घटित हुई तब इन्होंने!
मेरे परदादा से कहा कि अब मैं तुम्हें थोड़ी देर के लिए पुरुष बना रही हूं। तुम मेरे पति हो, मुझे सुख पहुंचाओ और वह इनके साथ एक मखमली बिस्तर में पहुंच गई। मेरे परदादा उसके इतने अधिक वशीभूत थे कि उसकी बात को ऐसे मान रहे थे जैसे कोई छोटा बच्चा बड़े लोगों की बात को सीधा सहर्ष स्वीकार कर लेता है।
मेरे दादा अब उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने लगे। वह भी उसकी इच्छा के अनुसार! उसने! अपनी रंगीनियों दिखाते हुए विभिन्न प्रकार से उनके साथ शारीरिक सुख का आनंद लिया।
उसका तरीका इतना विचित्र था कि मैं यहां पर लिख कर भी नहीं भेज सकता। लेकिन वह जैसा कहती वैसे ही। आनंद मेरे परदादा को उसे प्रदान करना पड़ता।
थोड़ी देर बाद जब वह संतुष्ट हो गई तब उसने मेरे परदादा को फिर से आधा इंसान और आधा बकरा बना दिया।
और फिर से उसे घर के सारे कार्य सौंप दिए। उससे कहा कि तुम यह कार्य कर लाओ। इसी प्रकार चलता रहता। जब वह वहां से जाती तो गले में रस्सी बांधकर अपनी सखियों के साथ निकल जाती थी ऐसे ही एक! पूर्णिमा की रात आती थी जिस रात में। सारे नगर कि वह जादूगरनी स्त्रियां पुरुषों को खुले मैदान में घास चरने के लिए लेकर आ जाती थी और केवल उसी दिन सभी अपने-अपने बकरों को एक दूसरे को देख कर बदलती रहती थी और फिर वही क्रिया रोजाना जो मेरे परदादा के साथ वह जादूगरनी करती थी। दूसरी जादूगरनी भी वही कार्य। यानी शारीरिक संतुष्टि वाला मेरे परदादा को करना पड़ता था। स्त्रियां कोई भी कार्य नहीं करती थी और सारे कार्य वहां बकरा बने पुरुष की करते थे।
यह एक अद्भुत बात की। कहते हैं इसी प्रकार 11 वर्ष तक मेरे परदादा उस स्थान पर लगातार रहते रहे। उन्हें अपना पिछला कुछ भी ज्ञात नहीं था। इधर मेरी परदादी बहुत अधिक परेशान हो गई। कोई भी व्यापारिक यात्रा पर गया हुआ पुरुष 1 वर्ष के अंदर तो जरूर लौट आता है, लेकिन इन्हें गए हुए 11 वर्ष बीत चुके थे। ऐसे में उनके हृदय में भय का आना। साधारण सी बात थी। उन्होंने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ माता कामाख्या के दर्शन और अपने पति का पता लगाने की बात कही और फिर परिवार के सारे सदस्य इस बात के लिए राजी हो गए।
अब एक पतिव्रता नारी स्वयं माता के दर्शनों के लिए निकल चुकी थी। उसे विश्वास था कि माता उसे उसके पति को अवश्य ही लौटा देंगे और फिर वह माता कामाख्या के सिद्ध पीठ पहुंच गई। वहां पर उन्होंने माता के दर्शन किए। रोते हुए माता से प्रार्थना की कि उनके पति की रक्षा कीजिए और उन्हें वापस लौटा दीजिए। इसी प्रकार वह एक स्थान पर जाकर बैठ गई और रोने लगी। तकरीबन रोते हुए अर्धरात्रि भी चुकी थी। कि तभी उन्हें वही स्त्री आती हुई नजर आई जिसने मेरे परदादा को अपने भैरवी रहस्य के विषय में बताया था।
वह आकर इनके पास बैठ गई और इनसे पूछने लगी। पुत्री यहां पर इस प्रकार बैठी रो क्यों रही हो?
तब उन्होंने सारी बात बता दी तब उन्होंने कहा। मैं तुम्हारे पति की मदद अवश्य करती लेकिन उसने मुझे एक बार भी नहीं पुकारा है।
किंतु एक मार्ग है तुम अपने सतीत्व की शक्ति का प्रयोग करो। और? उससे तुम्हारे पति को केवल 1 घंटे के लिए पूरी याददाश्त वापस आ जाएगी। तब तुम माता से प्रार्थना करना और अवश्य ही वह सुन लेंगी।
तब मेरी परदादी ने कहा, किस प्रकार मैं अपने सतीत्व की शक्ति का प्रयोग कर सकती हूं। तब उन्होंने कहा, तुम अपने हाथ की तर्जनी उंगली का रक्त माता। कामाख्या को अर्पित करो और कहो कि जिस प्रकार मेरे शरीर में यह शुद्ध रक्त बह रहा है मेरे शरीर में कहीं भी रुकावट नहीं है। मैं अपने सतीत्व की शक्ति से अपने पति को समस्त भ्रम शक्ति से दूर करती हूं। तब मेरी परदादी ने बिल्कुल वही किया और इधर उस! तिरिया राज में अचानक से मेरे परदादा को लगा जैसे कि उन्हें सब कुछ याद आ गया है।
आगे क्या हुआ, मैं आपको अगले भाग में बताऊंगा। नमस्कार गुरु जी..
सन्देश- तो देखिए यहां पर इन्होंने आगे की घटना का वर्णन किया है। अब हम लोग अगले पत्र के माध्यम से जानेंगे कि आखिर परदादा संकट से मुक्त हुए अथवा नहीं।
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