तिरिया राज की शक्तिशाली जादूगरनी भाग 3
नमस्कार गुरु जी सबसे पहले मैं आपसे क्षमा चाहूंगा, क्योंकि मुझे काफी समय लग गया। इस पत्र को भेजने में, क्योंकि मैं किसी विशेष कार्य में उलझ गया था। गुरुजी पिछली बार मैंने आपको बताया था कि किस प्रकार परदादी ने अपनी सतीत्व की शक्ति का प्रयोग किया और जिसका असर मेरे परदादा को महसूस भी हुआ, उन्हें सब कुछ याद आ गया था। तब उन्होंने बहुत कोशिश की। वह चुपचाप उस नगरी में जहां और जिस जंगल में वह निवास कर रहे थे। भाग कर इधर-उधर मार्ग ढूंढने की कोशिश की ताकि वह उस जगह से बाहर निकल सके। क्योंकि यही वह समय था जब वह जादूगरनी उनसे दूर थी और उन्होंने सोचा कि अगर इसी वक्त मैं किसी भी प्रकार से इस जादुई नगरी से बाहर निकल गया तो फिर मैं अवश्य ही अपने घर पहुंच सकता हूं। थोड़ी दूर भागने के बाद जिधर भी जाते उधर केवल जंगल ही दिखाई पड़ता। उन्होंने सभी अलग-अलग दिशाओं में कोशिश की लेकिन कुछ भी नहीं हो पा रहा था। जब उन्होंने काफी देर कोशिश की तब उन्हें लगा कि वह इस जगह से बाहर नहीं निकल पाएंगे। तो अब केवल एक ही विकल्प है शेष है।
वह वापस उसी स्थान की तरफ लौट गए जहां से वह आए थे। थोड़ी देर बाद जादूगरनी भी वहां आ गई और उसने इनसे कहा कि चलो फिर से हम लोग आपस में आनंद प्राप्त करें और ना चाहते हुए भी मेरे परदादा के साथ वह सब कुछ हो रहा था जो एक शादीशुदा जोड़े में होता है। अपने इस कर्म से संतुष्ट होकर जब वह जादूगरनी सोने के लिए चली गई तो फिर यह बकरा बने चारों तरफ घूमते रहे। कि शायद कोई तो रास्ता होगा जिससे वह इस नगर से बाहर निकल सके।
तब एक घर के पास। उन्हें एक दूसरा बकरा दिखाई दिया। और उससे इन्होंने बात की तब वह कहने लगा कि तुम ऐसी बातें क्यों कर रहे हो?
यहां से बाहर जाने की बातें करना बहुत गलत बात है। मैं अपनी मालकिन को तुम्हारे बारे में बता दूंगा। तब मेरे! परदादा समझ गए कि यह तो पूरी तरह वश में है। इसीलिए यह मेरी कोई बात नहीं समझने वाला। क्यों ना दूसरी तरह से इससे बात की जाए, शायद यह कुछ जानता हो? तब वह उससे कहने लगे। यह बताओ कि तुम्हारी मालकिन नगर से बाहर दूसरी दुनिया में कैसे जाती हैं? मुझे अगर वह जगह तुम दिखा सको तो बहुत अच्छी बात होगी। तब वह कहने लगा, अरे तुम मूर्ख हो क्या? अब कुछ दिनों बाद जब सारी जादूगरनी एक जगह इकट्ठा होंगे जिस पेड़ के सामने!
उसी पेड़ में एक ऐसा रहस्यमई रास्ता है जिससे इस दुनिया से दूसरी दुनिया में जाया जा सकता है। लेकिन भला वहां कौन जाना चाहेगा? मैं तो अपनी मालकिन की सेवा करके बहुत खुश हूं। थोड़ी देर बाद उनकी कृपा से मुझे मनुष्य का शरीर मिलेगा और मुझे वहां पूरी रात बहुत अधिक प्रेम करेगी। अब ऐसे प्रेम को छोड़कर भला मैं कहीं क्यों जाऊंगा? मेरे परदादा इस बात को अच्छी तरह समझते थे कि वशीकरण के प्रभाव के कारण कोई भी मनुष्य। इस जगह को छोड़कर नहीं जाएगा। चाहे वह बकरा बना रहे या फिर पुरुष का रूप धारण किए हो? केवल वह अकेले हैं जिनके ऊपर से वशीकरण का प्रभाव मुक्त हो चुका है। लेकिन समस्या तो यह है कि सब कुछ जानते हुए भी वह इस नगरी से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
इस बकरे की बात पर विचार करते हुए अब उन्होंने सोचा कि चलो! इसकी बात को। स्पष्ट करके देखा जाए। इसी प्रकार 3 दिन बीत गए और सारे बकरों को लेकर उस नगर में रहने वाली सारी जादूगरनिया।
उस पेड़ के पास आकर खड़ी हो गई और वहां सभी नृत्य करने लगी। सभी वहां पर कोई त्यौहार मना रही थी जिसके विषय में किसी को भी कोई ज्ञान नहीं था। भला होता भी कैसे जादूगरनी की बातों को? वहां उपस्थित कोई मनुष्य कैसे समझ सकता था, लेकिन मेरे परदादा ने कोशिश जारी रखी। वह उन सब को बड़े ध्यान से देख रहा था। एक बात अच्छी तरह समझ में आ चुकी थी। मेरे परदादा को कि जब यह नृत्य करती हैं उस वक्त इनका ध्यान अपने बकरों पर बिल्कुल भी नहीं रह जाता। शायद यह किसी तरह की तांत्रिक साधना का नृत्य करती हैं। इसी वजह से इन्हें कुछ भी पता नहीं चलता है। चुपचाप उन सभी के बीच से होता हुआ बकरा स्वरूप में।
मेरे परदादा का शरीर! अब उस पेड़ के पास पहुंच चुका था क्योंकि वह जानना चाहते थे कि इस पेड़ में कहीं ना कहीं कोई गुप्त मार्ग है जिससे वापस उस रास्ते पर पहुंचा जा सकता है। जहां से वह इस दुनिया में आ गए थे। थोड़ी देर बाद अचानक से एक पेड़ में एक गोपनीय द्वार बनता सा नजर आया और उसमें से एक जादूगरनी अपने साथ एक पुरुष को लेकर। अपनी इस दुनिया में आ चुकी थी। इससे यह तो स्पष्ट हो चुका था कि सारी जादूगरनियां यही काम करती हैं। अब मेरे परदादा उस जगह को तो जान चुके थे जहां से उन्हें प्रवेश करना है, लेकिन यह होगा कैसे?
लेकिन इसका भी हल सामने कुछ ही देर बाद मौजूद हो गया। सभी जादूगरनियों में से एक जादूगरनी ने कहा। मेरे पति यानी बकरे की बलि का समय हो चुका है अब मैं अपने एक पति से काफी ज्यादा बोर हो चुके हैं। और मुझे नए पुरुष की तलाश है इसलिए मैं अपने इस पुराने पति की बलि बकरे के रूप में देकर इस दुनिया के बाहर जाकर वहां से कोई नया पुरुष लेकर आऊंगी और उसने उसी पेड़ के आगे अपने! बकरे को खड़ा किया और उसके ऊपर तलवार से वार किया। उसका सिर कट कर नीचे गिर गया जिसे देखकर मेरे परदादा बहुत ज्यादा घबरा गए। क्योंकि अब उन्हें एक बात तो अच्छी तरह से पता चल चुकी थी कि यहां पर सारे पुरुष इन जादूगरनी स्त्रियों का मनोरंजन मात्र हैं ।
इस मनोरंजन में अगर कोई जादूगरनी! तभी तक उस पुरुष को पसंद करती है जब तक उससे वह सुख प्राप्त करती हैं। जैसे ही जादूगरनी का मन अपने पुरुष से भर जाता है, फिर वह उसकी बलि उसी पेड़ के सामने देकर के नए पुरुष की तलाश में लग जाती है और फिर कोई नया पुरुष उसे मिल ही जाता है और उसे बकरा बना कर फिर उसके साथ भी वह वही करती है। इस प्रकार पुरुषों की ऊर्जा से उनकी शक्तियां बढ़ती जाती हैं और यह पेड़ हमेशा के लिए दूसरी दुनिया के द्वार को बंद रखता है।
इसलिए आगे जहां से बाहर निकलना है तब सबसे अच्छा अवसर वही है। जब बकरे की बलि दी जाए और द्वार खुलता है तभी पूरी कोशिश करके द्वार से बाहर निकला जा सकता है।
ऐसा ही एक अवसर कुछ दिनों बाद मेरे परदादा को मिल गया क्योंकि अब एक और जादूगरनी अपने बकरे की बलि देने वाली थी। अब मेरे परदादा तैयार थे। आगे क्या हुआ आपको अगले पत्र के माध्यम से मैं बताऊंगा नमस्कार गुरु जी!