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दरोगा भुल्लन सिंह और बाबा अघोरी पूरन नाथ सच्ची घटना

दरोगा भुल्लन सिंह और बाबा अघोरी पूरन नाथ सच्ची घटना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज   केसी सरस्वती जी ने एक और अपना अनुभव भेजा है‌। और यह अनुभव एक अघोरी और एक पुलिस वाले के बीच की का से जो आपसी मनमुटाव है‌। उसी कहानी पर आधारित है।  इसमें उन्होंने बताने की कोशिश की है कि कोई भी संत हो उसको जो है छोटा नहीं समझना चाहिए चाहे वह बुरी क्यों ना हो चाहे वह कोई अन्य किसी तरह का व्यक्तित्व होगा पूजा-पाठ और संत लाइन से जुड़ा हुआ है। तो उसका कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए और किसी भी प्रकार से किसी भी पंथ का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए। क्योंकि फिर आपके लिए यह बहुत भारी पड़ सकती क्योंकि उसके मुंह से कुछ गलत शब्द भी निकल सकते हैं। आपके लिए जो बद्दुआ आपको लग सकती है। श्राप लग सकता है ।और वह आपकी जिंदगी बिगाड़ सकता है। यहां पर उन्होंने इस कहानी के माध्यम से यह बताने की कोशिश की तो आइए चलिए सुनते हैं कि क्या उन्होंने कहा है और क्या यह सच्ची घटना कौन सी है। तो चलिए उनके से सुनते है प्रणाम सभी धर्म रहस्य चैनल के सदस्यों को जिनके माध्यम से मेरी बातें पहुंच जाती हैं।
और आप लोगों को भी मिल जाती हैंं। जैसे कि मैं बताना चाहता हूं आज यह मेरे पिताजी ने घटना बतलाई थी। और  बाकी की  बातें मेरी माता जी ने पूरी की है‌ जो आज भी 87-88 की हो चुकी है  यह इसका शीर्षक में देना चाहता हूं दरोगा भूल्लन सिंह और बाबा अघोरी पूरण नाथ यह घटना सन 1955 और 60 के बीच की है भूल्लन दरोगा जिला मेरठ के गांव के रहने वाले थे और इनकी पोस्टिंग आपकी रुड़की में हुई थी और मेरे पिताश्री भी वही गांव के थे। और हमारे यहां पर इनका आना-जाना था और मेरे पिताजी की शादी में भी यह भूल्न्ल सिंह दरोगा गए थे या घटना मेरी ताई ने बताई थी मुझे तो यह घटना जो आपने बता चुका हूं सन 1955 और 60 के बीच की हैै। कि मैं आपको बताना चाहता हूं कि कोई भी आदमी अगर साधक है तो वह साधारण नहीं होता उसे उसके ऊपर अगर कोई कानूनी कार्रवाई कि जाती है तो भी सोच समझकर करनी चाहिए तो मेरे बताने का माध्यम यही है‌। यह जगह रुड़की के पास है उसके पास में पड़ता है  वहां पर सोलानी नदी बहती है वहां पर वह अघोरी पड़ा रहता था। वह हमेशा नंगा रहता था कभी लंगोटी बांध लेता था।
वहां पर कूड़ा कचरा फैला रहता था ज्यादातर उस अघोरी के पास भीड़ लगी रहती थी। लोग वहां पर सट्टे का नंबर लेने के लिए आया करते थे। कुछ लोग वहां पर उसका आशीर्वाद लेने आते थे और मैं नौवीं की क्लास में पढ़ रहा था तो मैं भी उस का आशीर्वाद लेने के लिए वहां पर पहुंचाा।  मैं जा कर के वहां पर उनको नमस्कार किया उन्होंने मुझे कुछ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और उन्होंने मुझे कहा अगर आप लोगों को बुरा नहीं लगता है तो मैं बता सकता हूं ।उन्होंने मुझसे कहा सिगरेट लेकर आ शराब लेकर आप मेरे लिए और भाग जा भोसड़ी वाले मैंने कहा बाबा जी मैं तो यहां आपके दर्शन की इच्छा लेकर आया हुुं मैं आपसे कुछ मांगने नहीं आया हूं। और आप मुझे ऐसा क्यों कह रहे हैं इसके बाद में वहां से घर आ गया और अपने पिताजी को सारी बात बताई तो मेरे पिताजी मुझे बताने लगे एक घटना जब मैंने पिताजी को अपनी या घटना बताई तो उन्होंने कहा तू वहां पर गया था मेरे पिताजी ने पूछा तू वहां क्या करने का है गया था। मैंने कहा मैं तो उनके वहां दर्शन करने के लिए गया था। मेरे पिताजी ने कहा वह तो एक सिद्ध पुरुष हैं   एक बार  दरोगा कि  पोस्टिंग रुडकी में हुई थी तो उन्होंने देखा कि यह लोगों की कंप्लेंट आ रही है कि यहां पर बहुत जमघट लगा रहता है एक बाबा है वह बाबा बना हुआ है और वह लोगों को नंबर वगैरह बताता है।
क्या कुछ ऐसा है दरोगा को गुस्सा आया और वह उस अघोरी को पकड़कर ले आया और उसकी पिटाई कर दी इस पर गुस्सा होकर उस अघोरी ने उन्हें श्राप दिया कि तुझे 1 हफ्ते के अंदर गोली लगेगी और तेरी मौत गोली लगने से होगी दरोगा ने उनकी बातों को ध्यान नहीं दिया और लोगों के कहने पर उन्हें छोड़ दिया. लोग कहने लगे यह एक अघोरी है। आप  इसे आप पकड़ कर क्या करेंगे   फिर दरोगा  भुल्लन  नेे उस अघोरी को छोड दिया। फिर यह कहानी बनी रुड़की के पास दो भाई रहते थे एक का नाम रूपा था और दूसरे का नाम सरूपा था दोनो डाकु थे और सरूपा छोटा वाला भाई काना था उसे एक आंख से नहीं दिखता था उसकी एक आख खराब थी जब यह बात दरोगा भूलन को पता चली तो दरोगा उनका एनकाउंटर करने के लिए निकल पड़ा वहां एक खेत में इनकी मुलाकात हुई और उन्होंने उन दोनों भाइयों का गोली मार दी पर जो छोटा वाला भाई था छोटा वाला भाई इतना निशानेबाज था कि गिरते हुए पत्तों पर भी निशाना लगा सकता था। और उसने मरते हुए दरोगा भूलन सिंह को गोली मार दी और दरोगा भूल्लन सिंह भी वहीं पर मर गया इस प्रकार अघोरी पूरण नाथ का श्राप पूरा हुआ और दरोगा भुल्लन सिंह की एक मूर्ति रुड़की में बनी हुई है। तो मैं बस यही कहना चाहूंगा कि अगर कोई भी अघोरी या संत है।
तो उसके साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए बदतमीजी नहीं करनी चाहिए। पता नहीं उसकी पहुंच कहा तक है। कब उसके मुंह से कुछ गलत निकल जाए और उसकी  बात पूरी हो जाए फिर मैं आपको बता देना चाहता हूं। फिर मेरे पिताजी ने कहा कि वह एक सिद्ध पुरुष हैं उन्होंने सिगरेट और जो भी तेरे से मांगा है तुझे उनके पास वह सब कुछ लेकर जाना चाहिए। उन्होंने मुझे सामान लेकर के लिए और मै वहा पर पहुंच गया देने के लिए तो काफी साल निकल गए थे। मैंने उनको वह सामान दे दिया और उन्हें कुछ याद नहीं था पर उन्होंने वह सारा सामान ले लिया और उन्होंने मुझे टीने के डिब्बे में चाय बनाई हुई थी गंदी तरीके से और उन्होंने मुझे कहा कि ले  चाय पी और मुझे नहीं पता था। मैं बच्चा था और मुझे उन्होंने चाय पीने के लिए दे दिया डब्बा बहुत गंदा था जो लैट्रिन में लोग इस्तेमाल करते हैं। वैसा ही डब्बा था इसलिए मुझे बहुत गंदा लगा इसलिए मैंने चाय नहीं पिया उसके बाद वो अघोरी घोड़ा बनकर जमीन पर लेट गए  और बोले मेरे ऊपर बैठ जा मैं डर गया और वहां से भागता हुआ घर चला आया तो मेरा यही अनुभव था तो अगर आपको इनका अनुभव पसंद आया तो लाइक करें शेयर करें कमेंट करें धन्यवाद आपका दिन मंगलमय हो।।
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