दिवाली की रात पिशाचिनी या लड़की के साथ भाग 1
नमस्कार दोस्तों, धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम जो अनुभव लेने जा रहे हैं, यह दिवाली से ही संबंधित एक साधक महोदय का है, जिन्होंने यह पत्र ईमेल के माध्यम से लिखकर भेजा है और उनके इस अद्भुत अनुभव को आज हम लोग सुनेंगे। तो चलिये। पढ़ते हैं इनके ईमेल पत्र को और जानते हैं इस अद्भुत अनुभव के विषय में।
नमस्कार गुरूजी, सबसे पहले मैं आपका शुक्रिया करता हूँ कि आपने मेरे इस अनुभव को प्रकाशित करने के लिए हामी भरी है। क्योंकि आपके चैनल पर मैं कई वर्षों से अनुभव सुनते आ रहा हूँ। इसलिए मेरी भी इच्छा हुई कि एक सच्ची घटना को आपको बताऊँ। गुरु जी। यह कहानी सुनने में बड़ी ही अच्छी लगेगी, लेकिन। इसके पीछे एक खतरनाक बात भी छिपी है जो कहानी पूरी होते ही। आप सभी जान पाएंगे। गुरूजी, मैं बात बता रहा हूँ दिवाली की। वह दिवाली का एक ऐसा साल था जब यह अनुभव घटित हुआ था। मैं और मेरे चार और दोस्त। कुल मिलाकर हम पांच लोग थे। दिवाली का समय। अच्छा होता है। और हमारा कॉलेज जाना अभी शुरू ही हुआ था, इसलिए? सबके मन में। एन्जॉय करने और पार्टी करने का विचार बना रहता है। गुरूजी? येस? ऐसा ही समय होते हैं जब। आदमी खुलकर अपना जीवन जीता है। बाद में तो अपना जीवन केवल कष्ट में ही दिखाई पड़ता है और जिम्मेदारियों से भरा होता है। इसलिए ये समय जिंदगी के मज़े लेने के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। और शायद इसी वजह से। हम सभी दोस्त पार्टी मनाने घूमने। और विभिन्न प्रकार के अन्य कार्य करने के लिए। इस प्रकार, हम। एक नया प्लैन बनाते हैं।
प्लान में एक बात शामिल थी। की गुरु जी हम सभी। शहर से थोड़ा दूर जंगल की तरफ जाएंगे और वहाँ बेरोकटोक अपनी पार्टी करेंगे। आप जानते ही है कि आजकल। पार्टी किस प्रकार की जाती है? तो हमने बीयर की बोतल भी ले ली और थोड़ी सी नमकीन और स्नैक वगैरह भी खरीद लिए। और क्योंकि बाकी सारे दोस्त। वहाँ जा रहे थे। तो क्योंकि दिवाली में। वापस आकर पटाखे भी जलाने थे। इसी लिए हम सभी इस बात के लिए तैयार हो गए कि चलो घूम कर आते हैं। घर में रहकर बोर हो रहे हैं। सारे अभी के जीतने भी सदस्य मेरे साथ उपलब्ध है वह सारे के सारे मेरे पास आये और हम चल दिए शहर से बाहर उस स्थान पर जहाँ पर। हम। घूमने जाना चाहते थे। रास्ते में हमने क्योंकि हम सभी अपनी अपनी बाइक से थे इसलिए हम सभी ने यह सोचा कि चलो घूमते हुए निकलेंगे। तभी मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया और कहा कि सुनो। मैं एक बात बताता हूँ। यह समय तांत्रिक साधनाओं के लिए बहुत ज्यादा। उपयुक्त माना जाता है। मैंने कहा, यह तांत्रिक लोग क्या होते हैं और यह क्या करते हैं? तब। मेरे एक दोस्त ने बताया कि तांत्रिक लोग सिद्धियां प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। इसके लिए दिवाली की रात बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। क्योंकि दिवाली में तांत्रिक शक्तियां भूत प्रेत, पिशाच। ऐसी शक्तियां जाग्रत भी होती है।
यह वर्ष की सबसे बड़ी अमावस्या की रात होती है। इस दिन काली शक्तियां धरती पर आती है। और पाताल लोक से भी शक्तियां ऊपर आती है। माता लक्ष्मी की पूजा भी इस दिन की जाती है ताकि वह हमारे लिए धन संपदा, वैभव पाताल लोक से लेकर आए। तो मैंने कहा चलो अच्छी बात है लेकिन इसमें मज़ा कहाँ है? तो एक दोस्त बोला। सुनो यार ऐसा करते हैं कि पास के श्मशान में ही चलते हैं। जंगल जाने से अच्छा है हम शमशान के पास जाए। वहाँ पर कोई ना कोई तांत्रिक साधना कर रहा होगा। पटाखे चलाना और बाकी चीजें करना बाद में कर लेंगे। कोई एड्वेंचर करते हैं। तब सभी दोस्त उसकी बात को मान लेते हैं। हम लोग श्मशान घाट के एक गेट के किनारे चुपचाप अपनी बाइक खड़ी कर के। एक तरफ खड़े हो जाते हैं ताकि हमें आने जाने वाला कोई देख ना पाए। ऐसा हमने इसलिए किया ताकि अगर कोई आता है तो हम। उसकी नजरों से छिपे रहे। दोस्तों के मन में इसी तरह की बातें आती है। इसलिए। सभी लोग। इस मज़े को लेना चाहते थे। मेरे एक दोस्त ने कुछ पटाखे भी रख लिए थे, मैंने उसे मना किया। की ऐसी बदमाशी मत करना। उसके मन में यह विचार था कि अगर कोई ऐसा साधु या तांत्रिक। साधना करते मिले तो चुपचाप उसके पीछे पटाखा रख देंगे। तो जब पटाखा दगेगा तो अपने आप हड़बड़ाकर इधर उधर भागेगा। और उसमें जो मज़ा आएगा उसकी तो कोई कल्पना ही नहीं है।
पर मेरे एक दूसरे दोस्त ने बोला। यह करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है। क्योंकि कोई व्यक्ति अपने किसी प्रकार के तांत्रिक प्रयोग को कर रहा है। ऐसे में। यह करना बहुत बुरा भी हो सकता है। ऊपर। दोस्तों का क्या है? उन्हें तो जिंस चीज़ में मज़ा आए वहीं कार्य करना चाहते हैं। इसलिए सबने। उसकी बात को इग्नोर किया। कि तभी हम लोग चुपचाप बैठे ही थे की एक दोस्त ने बोला, अरे तुम सब हंसना बंद करो। क्योंकि देखो, दूर से एक अघोरी टाइप का इंसान आ रहा है। अगर यह इस शमशान भूमि में जाता है। तो हम लोग इसका पीछा करेंगे। और सभी चुपचाप उसे देखने लगे। तब वह धीरे से कुछ मन्त्र पढ़कर शमशान भूमि में। प्रवेश करता है। और अंदर चला जाता है। तो हम सबने। सोचा चलो अच्छा है। आप इसके पीछे हम लोग भी शमशान भूमि में जाते हैं। और पता करेंगे कि आखिर यह वहाँ पर क्या करेगा। इस प्रकार हम धीरे धीरे उसके पीछे जाने लगे। इसी बीच मेरे एक दोस्त ने कहा। क्या मैं इसकी पैंट में ही बम बांधो? बेचारा घोड़े की तरह कूदता हुआ इधर उधर भागेगा। सब उसकी बात पर हंसने लगे।
और बाकी दोस्तों ने कहा। बाद में करना यह सब पहले चलकर देखते तो है कि यह लोग आखिर तांत्रिक साधना में करते क्या है? और वहाँ अघोरी धीरे से एक स्थान पर जाकर बैठ जाता है। और। सामने एक नरमुंड को रखता है। उसके आगे एक दीपक प्रज्वलित करता है। और बाकी सारे लोग? हम सभी उसे गौर से देखते हैं। वहाँ मंत्र जाप करना शुरू करता है। थोड़ी देर तक तो हमें मज़ा आता है। पर इसके बाद सभी दोस्त कहने लगते हैं यह पूरी रात बैठ कर। यही मंत्र चिल्लाते रहेगा क्या? ऐसे तो हमारा सारा मज़ा ही किरकिरा हो जाएगा। अब क्या करे? तब मेरे एक दोस्त ने जिसे मैं बहुत पसंद करता था। उसने कहा। चलो ऐसा करता हूँ। मैं जाकर पीछे से इसके। एक। सुतली बम रखकर आ जाता हूँ। इसमें जो मज़ा आएगा। इसके बारे में तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है। और बहुत धीरे धीरे जैसे। सेना में सैनिक। घुटनों के बल चलकर आगे सरकते हुए। चार पैरों वाले जानवर की तरह। शिकार के लिए आगे बढ़ते हैं, ठीक वैसे ही वह चला गया। हम सब उसे रोक रहे थे। पर वह। हमारी ओर इशारा करता है कि चुप रहे। ओर वह धीरे धीरे उस के बिल्कुल नजदीक पहुँच जाता है। और उसके ठीक पीछे। दो बम रख देता है। उन दोनों की बत्ती एक साथ जोड़ देता है। ओर उसमें भी एक और दूसरी बत्ती लंबी सी। जोड़कर? पीछे चुपचाप आ जाता है। वह इतनी लंबी बत्ती थी। की अगर हम उसे यहाँ से जलाते तो वहाँ तक पहुंचने में भी उसे 1 मिनट लग जाता।
फिर। वो आप कहने लगा चलो ठीक है, अब देखते है मज़ा। कुछ देर इंतजार करते हैं और उसके बाद इसके। पीछे बम दाग देते हैं। मज़ा आएगा। जब यह कूद कूद कर इधर उधर भागेगा और इसे लगेगा कि कोई बुरी शक्ति ने धमाका कर दिया है। और फिर कुछ देर हम लोग इसी प्रकार देखते हैं। की अचानक से। वहाँ तांत्रिक साधु अघोरी उठता है और अपनी चारों तरफ सुरक्षा घेरा बना देता है। और फिर मंत्र पढ़ने लगता है। वहाँ पर। जो नजारा था वो अजीब सा हो गया। वहाँ पर हम देखते हैं कि तेज धुंध छा गई थी। ऐसे में हम आपस में एक दूसरे को तो देख सकते थे। क्योंकि हम सभी आसपास ही थे। लेकिन। वहाँ तक का नजारा साफ दिखाई नहीं दे रहा था। तब मेरे दोस्त ने कहा, अब तो और भी अच्छा है। हालांकि बाकी दोस्त कहने लगे। अब हम को यहाँ से चलना चाहिए। क्योंकि मुझे यह डरावना लग रहा है। हमें कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा है। कोहरा छा रहा है। लेकिन। मेरे उस दोस्त ने कहा। अरे, बिना मज़ा लिए। जाना ठीक नहीं होगा। और यह कहते ही उसने लाइटर निकाला और बत्ती में आग लगा दी। इसके बाद वह आग तेजी से उस। अघोरी की तरफ जाने लगी। हम सभी की नज़रें एकटक अघोरी को देख रही थी और सारा ध्यान तेजी से सुलगते हुए जाते हुए। उस बत्ती पर नजर आता था। आखिर कितनी देर बाद धमाका सुनने को मिलेगा? और लगभग आधा मिनट के बाद ही। बहुत तेज विस्फोट होता है। उस विस्फोट को सुनकर हम सबके तो कान ही झन्ना जाते हैं।
हमारे कान में सीटी बजती है। इतना तेज धमाका हुआ था। लेकिन हम जो सामने देखते हैं। उसने हमारे रोंगटे खड़े कर दिए। वह साधु। एकदम से। खड़ा होकर फिर नीचे गिर जाता है। ओर उसके मुँह से खून निकल रहा था। तब। हम सब बहुत ज़ोर से हंसने लगते हैं। इस बात की गंभीरता पर ध्यान नहीं देते कि आखिर उस अघोरी साधु के साथ क्या हुआ है? और हंसते हंसते हम लोग। एक दूसरे पर लोटपोट हो जाते हैं। मेरा वह दोस्त कहता है। देखा, यह तो बेचारा गिरकर बेहोश हो गया है। और लगता है इसका सिंदूर इसके मुँह में लग गया है। इसीलिए ऐसा लग रहा है। की इसके मुँह से खून आ गया हो। चलो। मज़ा ही आ गया आज तो। लगभग दो ढ़ाई मिनट इस प्रकार हम लोग हंसते रहते हैं। लेकिन। उस। अघोरी के शरीर में कोई हरकत नहीं होती। तब। हम लोग एक दूसरे का चेहरा देखने लगते हैं। मुझे इस बात पर। बड़ा ही गुस्सा आता है और मैं अपने दोस्त को डांटते हुए कहता हूँ। अरे तेरे चक्कर में कहीं वह बेहोश तो नहीं हो गया? अगर उसे कुछ हुआ। तो फिर जिम्मेदार कौन होगा? तब वह हंसते हुए फिर से कहता है। अरे, तू चिंता मत कर। यह बेहोश हो गया होगा। सोचा होगा कि कोई काली शक्ति ने इसे पकड़ लिया है और इतना तेज धमाका किया है। इसीलिए यह बेचारा बेहोश हो गया। चलो, हम सब देखकर इसे आते हैं।
तब। वह और हम सभी। उस। अघोरी साधु के पास पहुंचते हैं। तब मैं कहता हूँ। थोड़ा पानी इसके मुँह पर डालो। ताकि यह होश में आ जाए। तो फिर हम लोग थोड़ा पानी उसके मुँह पर डालते हैं। पर उसे होश नहीं आता। मैं नजदीक जाकर देखता हूँ। तो उसके मुँह और नाक से खून निकल रहा था। और तब मैंने बड़े ध्यान से देखा। तो? उसकी आंखो से भी खून निकल रहा था। तब मुझे बहुत घबराहट हुई। मेरा एक दोस्त। इस बात की गंभीरता को। समझकर उसकी नाक के छेदों पर अपनी उँगली लगाता है। और इसके बाद जो वह कहता है। हमारे तो होश ही उड़ जाते हैं। उस अघोरी की मृत्यु हो चुकी थी। उसकी सांसें बंद थी। गुरु जी, इसके आगे की बात मैं आपको अगले। पत्र के माध्यम से बताऊँगा। आपका विशेष धन्यवाद की आपने मेरे इस सच्चे अनुभव को प्रकाशित किया है। और दर्शकों को भी धन्यवाद कहूंगा। कि उन्होंने मेरे इस अनुभव को सुना है।
सन्देश – देखिए यहाँ पर। उन्होंने। इस घटना को बताया है जो इनके साथ दिवाली की ही रात में हुई थी। अगले भाग में जाने के इसके आगे की घटनाओं के विषय में। अगर आज का वीडियो आप लोगों को पसंद आया है तो लाइक करे शेयर करें, सब्सक्राइब करे, आपका दिन मंगलमय हो।जय माँ पराशक्ति।