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देवाल मंदिर की विषकन्या कथा भाग 2

देवाल मंदिर की विषकन्या कथा भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । जैसा कि अभी तक आपने देवाल मंदिर की विषकन्या भाग प्रथम में जाना कि माधवी नाम की एक लड़की जो एक विषकन्या बन चुकी है । उसकी कहानी कृपा देव जी अपने एक शिष्य को सुना रहे हैं । और राजा ध्रुव कीर्ति जो माधवी का पिता भी है उसने उसकी मुंह बोली मां एक विषकन्या को जान से मार दिया है । बाण चला करके । इस कहानी में क्योंकि माधवी ने अपनी मां की लाश को देख लिया है । तो वह क्रोध से गुस्से से भर जाती है । और राजा ध्रुव कीर्ति को मारने के बारे में प्रतिज्ञा ले लेती है । लेकिन इससे पहले कि वह राजा ध्रुव कीर्ति के पास पहुंचे उसे एक बात याद आती है । जो उसकी मां ने उसे बताई थी । उसकी मां विषकन्या ने उसे यह कहा था कि यह स्थान प्रसिद्ध विशेष रूप से नाग देवता के लिए और यह नाग देवता लाटू देवता के नाम से जो है जाने जाएंगे । और नाग देवता लाडो देवता के नाम से जो है आगे चलकर जाने जाएंगे । और इन नागराज देवता को प्रसन्न कर लोगी तो नाग शक्तियों की प्राप्ति तुम्हें हो जाएगी ।

नाग शक्तियों को प्राप्त कर लेने के बाद में फिर तुम्हें कोई नहीं जीत पाएगा । और तुम एक बहुत ही शक्तिशाली विषकन्या के रूप में हो जाओगी । यद्यपि तुम्हारे पास अभी भी विषकन्या की शक्तियां हैं । लेकिन तंत्र की शक्ति और जादुई शक्तियां तुम्हारे पास अभी नहीं है । तो अगर कभी जरुरत पड़े तो लाडो देवता की उपासना करना तो वहां स्थान जहा पर उत्तराखंड के चमोली जिले में देवाल नाम का एक ऐसा मंदिर है । ठीक उसी स्थान पर माधवी ने नागराज को प्रसन्न करने के लिए देवता को प्रसन्न करने के लिए अर्थात लाडो देवता को प्रसन्न करने के लिए वहां पर साधना करने की सोची । अपनी मां की बताई हुए गोपनीय विद्या के द्वारा नागदेव का गोपनीय मंत्र ओम जूम नाग देवताय नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए । वहां पर बैठकर पद्मासन मुद्रा में साधना करने लगी । इस प्रकार उसकी साधना शुरू हो गई और उस साधना में वह धीरे-धीरे करके तीव्रता लाने लगी ।घंटों तक मंत्रों का जाप करती थी । दिन रात का उसे पता नहीं चलता था इस प्रकार लगभग 41 दिन बीतने के बाद में अचानक से आधी सी वहां पर चलने लगी ।

उस आंधी में उसके ऊपर काफी पत्ते आ करके गिर गए और वह जगह पूरी की पूरी पेड़ के पत्तों से ढक गई । जहां पर वह बैठकर के साधना कर रही थी । तभी तेजी से वहां पर प्रकाश उत्पन्न हुआ उस तीव्र प्रकाश की किरणें उस पूरे क्षेत्र में पड़ने लगी । उन किरणों से स्वता ही पत्तों ने उस विषकन्या की रक्षा करी । और उसको किसी भी प्रकार से उसकी आंखें नहीं चोंधयाई । मणी की रोशनी बहुत ही ज्यादा तीव्र थी । और वहां पर जितने भी जीव जंतु थे वह सब उस मणि के प्रकाश से भयभीत हो कर के और बेचैन होकर के भागने लगे । वहां पर थोड़ी देर में बिल्कुल वह स्थान खाली हो गया । अत्यधिक तीव्र रोशनी के कारण वहां पर कई तरह की जो गुप्तनिय शक्तियां थी । वह सब शक्तियां वहां से गायब होने लगी । और इसके बाद उस मणि के प्रकाश से बहुत ही तीव्रता के साथ नागराज नाग देवता लाटू देवता जो थे प्रकट हो गये । उन्होंने देखा कि उनके इस प्रकार का सामना करने की क्षमता किसी में भी नहीं । लेकिन एक विषकन्या उनकी जो तपस्या कर रही है । वो वहीं पर बैठी हुई अभी भी तपस्या कर रही है । इस बात से लाडो देवता बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो गए और उन्होंने नागराज के स्वरूप में आकर के अपने सात फन वाले स्वरूप को धारण किया और अपनी फूकार से उसके ऊपर जितने भी पत्ते पढ़े हुए थे । उन सब को उड़ा दिया ।

आपने सामने विशालकाय नाग को देखकर के विषकन्या भयभीत हुई । लेकिन जो कि वह देख रही थी कि काफी समय से वह तपस्या रही है । तो यह निश्चित रूप से कोई अद्भुत शक्ति है । जो उनके सामने प्रकट हुई है और यह नाग देवता है । और निश्चित रूप से कोई माया नहीं है ऐसा कह कर उसने हाथ जोड़कर उनको प्रणाम किया । उसके नाम से प्रसन्न होकर नागराज ने मानव रूप धारण किया और उनके सामने प्रकट हो गए ।और उसे कहने लगे कि । हे विषकन्या तुम्हारी क्या इच्छा है । इस पर माधवी ने कहा कि मुझे अपनी मां का बदला साथ ही साथ मुझे ऐसी शक्तियों से संपन्न कीजिए कि मेरा सामना कोई नहीं कर पाए । ऐसा कहने पर नागराज देवता बहुत ही प्रसन्न हो करके उसे गोपनीय शक्तियां प्रदान की । उसे वशीकरण की शक्ति उसे फूकार की शक्ति को और तीव्रता करना और किसी भी जीव को बेहोश कर देने की शक्ति के साथ कई जादुई शक्तियों उसे प्रदान की । और साथ ही साथ उससे कहा कि तुम्हें सावधान रहने की आवश्यकता है माधवी । क्योंकि जैसा तुम समझ रही हो वैसा कुछ नहीं है । मेरी मर्यादा है कि मैं तुम्हें कुछ बता नहीं सकता हूं । लेकिन यह जान लो कि जो तुम सोच रही हो वह गलत दिशा में जा रहा है । माधवी ने कहा हे देव आपकी कृपा से मुझे शक्तियां प्राप्त हो चुकी हैं ।

आपके अनुग्रह के कारण अब मै बहुत ही शक्तिशाली विषकन्या बन चुकी हूं । किंतु मैं अपना बदला अवश्य पूरा करूंगी कारण कि जिस मां ने मुझे बचपन से अभी तक पाला पोसा और बड़ा किया उस मां की हत्या किसी राजा ने कर दी है । मैं उस राजा से अपनी मां की मृत्यु का बदला अवश्य लूंगी ।और इसके लिए चाहे मुझे कोई बड़ी से बड़ी कीमत क्यों न चुकानी पड़ जाए । इस पर नाग राजा ने कहा कि हे देवी जिस राजा के संबंध में तुम ऐसा सोच रही हो वह राजा तुम्हारा कोई संबंध भी निकाल सकता है । इसलिए शांत रहना हर एक तथ्य को समझना और उसके बाद ही कोई उपाय करना । लेकिन उनकी इस बात पर राजा शब्द पर उसने ध्यान नहीं दिया । और वहीं पर उनसे प्रणाम करके आज्ञा ली कि । वह अब उस नगर की ओर जाना चाहती है जहां पर वह उस राजा का वध कर सके । तब नागराज ने उनसे कहा कि वहां पर एक भयंकर तांत्रिक राजा के संरक्षण में है उससे तुम्हें बचने की आवश्यकता होगी । क्योंकि वह यह सब विद्याओं में बहुत ज्यादा पारंगत है । और वो राज्य की और राजा की रक्षा और सेवा का कार्य भी करता है । इसलिए तुम्हें सदैव उससे बचने की आवश्यकता होगी । केवल तुम्हें वहीं पराजित कर सकता है । वह बहुत ही बड़ा तांत्रिक है और उसने कई तरह की मायावी विद्या हासिल की हुई है । तो इस वजह से तुम्हें उस तांत्रिक से बचना पड़ेगा । याद रखना वह तांत्रिक कोई साधारण तांत्रिक नहीं है । और उसने बहुत ही गोपनीय से गोपनीय विद्या में पारंगता हासिल की हुई है । और भाल उसका नाम है ।

भाल से तुम्हें बचना होगा वह बहुत तेज है । और अत्यंत ही बुद्धिमान भी है । इसलिए जब वहां जाना अपनी ऐसी माया की उससे तुम्हारा सामना कम से कम होए । इस पर माधवी ने कहा जैसी आपकी आज्ञा । और मुझे आज्ञा प्रदान कीजिए । ताकि मैं नगर की ओर निकल सकू इस प्रकार माधवी नगर की ओर चल पड़ी । रास्ते में उसे एक विशेष प्रकार घोड़ा मिला । वह उस घोड़े पर विराजमान हो गई और तीव्रता से दौड़ती हुई नगर की तरफ जाने के लिए निकल पड़ी । 2 दिन के सफर के बाद वह उस नगर में पहुंच गई जहां पर राजा ध्रुव कीर्ति रहा करते थे । लेकिन राजा ध्रुव कीर्ति तक पहुंचा कैसे जाए । यह बहुत बड़ी उसके साथ समस्या वाली एक स्थिति थी । इस स्थिति को संभालने के लिए उसने कुछ सोचा और एक बुद्धि लगाई । नगर के व्यापारी जोकी सबसे बड़ा वहां का व्यापारी था । वह अपने साजो सामान के साथ में अपने घोड़े पर लादकर के और आगे अपनी घोड़े पर विराजमान होकर अपने पुत्र के साथ में उस जगह से निकल रहा था । तभी वहां पर अपनी माया से माधवी ने सिंह को आकर्षित कर लिया और सिंह क्रोध में भरकर उनकी ओर दौड़ा दिया । उसकी तीव्रता से दौड़ने के कारण घोड़ों में हल बली मच गई । उस खलबली के कारण घोड़े इधर उधर बिदकने लगे और वहां रखा सारा सामान इधर-उधर गिरने लगा ।

घोड़ों का डर इतना ज्यादा हावी हो गया की घोड़े कुछ नहीं देखकर अपने ही मालिकों को अपने ऊपर से गिराने लगे । इस प्रकार दोनों व्यापारी और उनका लड़का जो कि नगर का सबसे बड़ा व्यापारी था । जमीन पर गिर चुके थे । और सिंह उनकी तरफ जोर से दौड़ता हुआ आ रहा था । और उनको मार डालने वाला था । तभी वहां पर माधवी प्रकट हो जाती है और माधवी तेजी से जा करके उसे अपने हाथ से रोक देती है । इस प्रकार उसे रोकने के बाद में वह सिंह वहीं पर ठहर जाता है । और दहाड़ता हुआ दूसरी दिशा की ओर मुड़ करके जंगल की ओर चला जाता है । और ऐसा होते ही  वह कन्या एकदम से नीचे बेहोश होकर गिर पड़ती है । यानी कि माधवी की माया वहां पर सफल होती हैं । माधवी का इस प्रकार से गिरना तो उस व्यापारी को बड़ा ही अजीब लगता है । वह और उसका लड़का यह बात समझ नहीं पाते  । वह कहते हैं यह कन्या अद्भुत इसने केवल अपने हाथ से सिंह को रोक दिया और उसकी तरफ इशारा किया और वह सिंह भयभीत होकर के जंगल की ओर भाग गया । लेकिन इतना कर लेने वाली यह कन्या बेहोश आखिर क्यों हो गई ।क्या इसके पास कोई जादुई ताकतें हैं या फिर कोई मंत्रिक शक्ति है । आखिर क्या था जिसकी वजह से इसने उस सिंह को रोक लिया और सिंह वापस मुड़ गया ।

क्योंकि वह गिर गई थी और बेहोश पड़ी हुई थी । इसलिए व्यापारी ने कहा कि पुत्र तुम इस कन्या को अपने साथ उठा कर के लेकर चलो । साथ ही साथ हमारा सामान भी सुरक्षित वहां पर पहुंचाना है । तो दोनों की आपसी सहमति से उन्होंने उस कन्या को अपने साथ कर लिया । नगर पहुंचकर के अपने घर में कन्या को बिस्तर पर लिटाया गया और उसके ऊपर जल छिड़का गया । जैसे ही जल छिड़का गया माधवी को होश आ गया । और माधवी ने कहा आप लोग कौन हैं तब उस बड़े व्यापारी ने कहा बेटी तुम कौन हो । तुम हमें बताओ क्योंकि हम तो यहां के सबसे बड़े व्यापारी हैं । और यह मेरा पुत्र है हमने तुम्हें वहां जंगल में देखा था । और जब हम नगर की तरफ आ रहे थे तो तुमने अपने हाथ से सिंह को रोककर के वहीं पर मूर्छित होकर के गिर पड़ी थी । यह इसका कारण हमें भी समझ में नहीं आया । तुमने कैसे सिंह को रोका । लेकिन तुम फिर तुम बेहोश कैसे हो गई । तब माधव ने कहा मुझे सिंह रोकने का मंत्र आता है । लेकिन उसकी वजह से हमारी ऊर्जा नष्ट हो जाती है । इसी वजह से मैं बेहोश होकर गिर पड़ी थी । यह विद्या मुझे मेरे पिता ने सिखाई थी । माधवी की बातों को सच मानकर के व्यापारी ने और उसके पुत्र ने उसकी सेवा सत्कार करनी शुरू कर दी । और 2 दिन बाद नगर में उत्सव था ।

माधवी ने कहा यहां मेरा कोई नहीं है । इस पर व्यापारी ने कहा तुमने हमारा बहुत बड़ा धनराशि और सामान दोनों की रक्षा की है । इसलिए आज से तुम हमारे घर में मेहमान बनकर जब तक रहना चाहती हो रह सकती हो । इसी बात पर माधवी ने व्यापारी के पुत्र की ओर देख कर मुस्कुरा दिया ।और धीरे-धीरे माधवी और उस व्यापारी के पुत्र के बीच में प्रेम पूर्वक वार्तालाप होने लगी । जो धीरे-धीरे करके प्रेम में बदलने लगा । यद्यपि माधवी उस बात को लेकर संचय थी ।लेकिन उस व्यापारी का पुत्र धीरे-धीरे करके माधवी से प्रेम करने लगा था । 2 दिन बाद उत्सव में व्यापारी के पुत्र ने माधवी से कहा चलो तुम्हें मैं उत्सव दिखाता हूं इस नगर का  । वहां पर सभी लोग आएंगे । माधवी ने पूछा क्या राजा भी आएगा । तो व्यापारी के पुत्र ने हंसते हुए कहा हां हां क्यों नहीं जब सारे लोग आएंगे तो यहां का राजा भी तो अवश्य ही आएगा । तुम उसे देख लेना इस पर माधवी बहुत खुश हो गई । माधवी ने कहा कि मैं जरूर आपके नगर में उत्सव देखने के लिए चलूंगी । और नगर उत्सव में मैं अपना प्रदर्शन भी करूंगी । इस पर व्यापारी के पुत्र ने पूछा कि आप ऐसा क्या करेंगे ।

तब माधवी ने कहा समय आने दो चलते हैं । और मैं तुम्हें वहीं पर दिखाऊंगी । इस प्रकार 2 दिन बाद होने वाले उस भव्य उत्सव में जहां पूरा नगर सजा धाजा था । राजा मुख्य मंच पर बैठा हुआ था । और सामने एक बहुत बड़ा अहता था । उस अहते में कोई लोग अपनी अपनी क्रियाओं को प्रदर्शित कर रहे थे । इसी पर माधवी वहां पर नृत्य करने लगी । माधवी ने इतना सुंदर नृत्य किया कि वहां पर सभी लोग उसे देखते हुए आश्चर्यचकित होने लगे । उसके नृत्य को देख कर के हर कोई आनंदित होने लगा । माधव ने अपनी वशीकरण शक्ति का प्रयोग लाटू देवता के नाम से किया । और प्रत्येक नगरवासी उसकी और मोहित होता चला गया । उसके नित्य को देख कर के सब कहने लगे कि हम अप्सरा का नृत्य देख रहे हैं । ऐसा नृत्य जिसे देख कर के कोई भी कहेगा कि कोई अप्सरा ही धरती पर आकर नृत्य कर रही है ।

इस प्रकार वह नृत्य करती चली गई । राजा भी उसके ऊपर पूरी तरह से मोहित हो चुका था । और राजा ने उसे वहीं पर रोक कर कहा इस कन्या को मेरे भवन में भेजो । माधवी इस बात के लिए पहले से ही तैयार थी । और माधवी ने मुस्कुराते हुए कहा क्यों नहीं राजा ने अगर बुलाया है तो मैं तो अवश्य ही जाऊंगी । ऐसा कह करके माधवी अपने मन में कुछ सोच चुकी थी । द्वार पर एक विशेष प्रकार का जादुई नेवला रखा हुआ था । वह नेवला आने वाली बुरी शक्तियों को भाप जाता था । तो जैसे ही माधवी उस नगर द्वार के अंदर पहुंचने को हुई । तो वह नेवला तीव्रता से आकर के माधुरी के पैर में काट लिया । माधुवी जोर से बिलबिला उठी और उसने बहुत ही क्रोध से भरे हुए उस नेवले पर अपनी विश्व फूकार का प्रयोग कर दिया । और तीव्रता से उस पर अपनी विश्व पुकार करती रही । जब तक कि वह नेवला बेहोश होकर गिर नहीं गया । वह लंगड़ाते हुए पैरों से माधवी उस दरवाजे की तरफ बढ़ी । जहां राजा था । आगे क्या हुआ यह जानेंगे हम अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

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