नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे दो अनुभवों को जहां धूमावती साधना का यह अंतिम भाग है वही मां पर मारण प्रयोग जो कि बहुत पहले अनुभव आया था, उसका अंतिम भाग भेजा गया है। तो चलिए शुरू करते हैं धूमावती महाविद्या साधना के अंतिम भाग से।
धूमावती साधना अनुभव 2 अंतिम भाग – प्रणाम गुरुदेव आज मैं धूमावती महाविद्या साधना में आगे क्या घटित हुआ उसके बारे में बता रहा हूं। गुरु जी 3 दिन साधना करने के बाद मेरे मन के सारे भ्रम टूट चुके थे और पिछली रातों में हुए भयंकर अनुभवों से मन में डर सा बैठ गया था। इसलिए मैंने चौथी रात से साधना करना बंद कर दिया था। लेकिन गुरु जी रात के समय में ऐसा होता है। मुझे पता नहीं था। आप ठीक कहते हैं गुरुजी, बिना गुरु के साधना नहीं करनी चाहिए। अगर फिर भी साधना करनी है तो आपके पास जरूर कोई बड़ी शक्ति का आशीर्वाद होना चाहिए। नहीं तो हमें पता भी नहीं चलेगा कि हम किस मुसीबत से मुलाकात करने वाले हैं? ऐसा ही मेरे साथ हुआ गुरुजी, चौथे दिन जब मैं रात को बिना साधना किए सोने की तैयारी करके, रात को 11:00 बजे सो गया। तब सोने के तुरंत बाद स्वप्न में मैंने देखा। एक बूढ़ी सी औरत जो बहुत डरावनी दिख रही है उसने एक मैली सफेद रंग की साड़ी पहनी हुई थी।
उसके शरीर की देह, उसका शरीर सूखा सा दिखाई देता था जैसे कि वह बहुत दिनों से भूखी हो। मुझे लगा कोई भूत-प्रेत या चुड़ैल आ गई है। वह हवा में उड़ते हुए मेरे हाथ को पकड़ कर बिस्तर से खींच कर मुझे उठाने की कोशिश करने लगी। यह होते ही मैं डर के मारे बोल रहा था, मैं नहीं कर सकता…। वह बोलती नहीं। तुम उठो -तुम उठो और वह मेरे हाथ खींच कर उठाने की कोशिश कर रही थी। कुछ देर ऐसा होने के बाद अचानक मेरी नींद टूट गई। उठते ही डर के मारे मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि अब मैं क्या करूं? मेरे मन में डर चल रहा था कि वह माता धूमावती थी या कोई भूतिया चुड़ैल। तभी रात के 1:30 बजे हुए थे। डर के मारे भैया के रूम में जाकर मैं सो गया। रात भर सपने में देखा हुआ वह भयानक दृश्य मेरे सामने आता रहा। पता नहीं कब मुझे नींद आ गई और सुबह हो गई। गुरु जी मैं दिन भर सोचता रहा कि कौन थी ? मुझे लगा वह धूमावती देवी ही थी जो मुझे साधना करने के लिए बोल रही थी।
पांचवें दिन मैं जब रात को सोया तो फिर से भयंकर रूप में वह मेरे सामने आई और मेरे हाथों को जोर से खींचकर उठाने की कोशिश करने लगी। मैंने फिर से साधना करने से मना कर दिया और वह जोर से मेरे हाथों को पकड़कर मुझे बिस्तर पर बिठा दी और बोली साधना ऐसे नहीं छोड़ते, तुम्हें करनी ही होगी और फिर मेरी नींद टूट गई। रात के! 2:30 बज रहे थे। गुरुजी डर के मारे मेरे सर में बहुत जोर से दर्द होने लगा। मैं मां धूमावती को प्रार्थना करके बोला, हे मां धूमावती मुझे आप माफ कर दो, मैं साधना नहीं कर सकता। मुझे डर लगता है। आप मुझे ऐसे स्वप्न में आकर ना डराए । ऐसा कहते हुए मैने सोने की कोशिश की लेकिन रात भर सो नहीं पाया। भैया के रूम में मैं सोने के लिए गया, क्योंकि हर दिन वहां जाऊंगा। तो वो पूछेंगे कि क्यों आया है गुरु जी मैं समझ ही नहीं पा रहा था कि आखिर करूं क्या? गुरु जी मुझे एक और बात समझ में आ गई कि मां धूमावती मुझे क्यों विवश कर रही थी।
साधना के लिए महत्वपूर्ण विधि विधान के साथ साधना भी नहीं किया था। फिर भी वह जल्दी कैसे आ गई। उस वक्त में अज्ञानी था। तंत्र के गहन रहस्य के बारे में मुझे नहीं पता था। तब मुझे पता नहीं था, लेकिन मुझे लगता है कि वास्तव में धूमावती देवी एक तामसिक साधना ही है। ऐसा लगता है गुरुजी के जो भी हो दूसरे दिन यानी छठे दिन की रात में मैं सो गया तो फिर से देवी बहुत ही भयंकर ऊपर मेरे सामने प्रकट होकर मेरे हाथों को पकड़ कर खींच कर उठाने की कोशिश करने लगी। मै चिल्लाता हुआ नहीं नहीं करता रहा। अचानक से फिर से मेरी नींद खुली और लगभग टाइम था 1:30 बजे! उस दिन मैं डर के कारण में रात भर सो नहीं पाया । गुरुजी बिना सोए ही सुबह हो गई। मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। दिन भर सोचता रहा। कैसे इन सब चीजों से बचें। पता नहीं शाम को अचानक मुझे मां काली की याद आई। हमारे घर में रखा हुआ मां काली का फोटो जिसे मैं रोज पूजा किया करता था। मां के आगे जाकर प्रार्थना करने लगा। हे मां काली आप ही सब कुछ कर सकती हो। मैं यह साधना नहीं करना चाहता हूं। मुझे बहुत डर लग रहा है मां।
मां मुझे पता है साधना करने से मेरा अच्छा ही होगा। लेकिन अभी मैं यह सब नहीं करना चाहता। मां काली, धूमावती देवी तुम्हारा ही स्वरूप है। मां उनको बोलो ना सपने मुझे आकर डराना बंद करें। तुम्हारी बात को जरूर मानेंगी। मैं रात भर सो नहीं पा रहा हूं। मेरी बात अनसुनी नहीं करना, मेरी प्यारी काली मां। ऐसे बोलते हैं गुरु जी मैं चला गया। रात को जब सोने के टाइम हुआ तो बहुत डर लग रहा था। सोचा आज नहीं सो पाऊंगा। पता नहीं कैसे सपने आने लगे। ऐसे सोच कर बिस्तर पर बैठ गया। एक किताब पढ़ने लगा लेकिन पता नहीं कब नींद आ गई गुरुजी। मैं सपने में देखा कि मां काली मेरे सामने खड़ी है और मंद मंद मुस्कुरा रही हैं। उनकी मुस्कुराहट का पता नहीं था। क्या वह जादू था, मैं तो बस देखता ही रह गया। ऐसा लगा मानो बस जीवन भर मुस्कुराता ही देखता रहूं और कुछ नहीं। तभी हंसते हुए माता अदृश्य हो गई। मेरी नींद टूट गई। देखा तो टाइम 1:30 बजा हुआ था। मुझे बहुत बुरा लगा नींद टूट गई थी क्योंकि मां को मैं अच्छी तरह से देखा और वह चली गई। मां को देखकर मुझे इतनी खुशी हुई कि मैं उसी रात पूजा घर में रखी हुई मां काली की फोटो को अपने गले से लगा लिया।
गुरुजी आश्चर्य की बात अगले दिन से कभी भी धूमावती देवी का भयंकर रूप स्वप्न में नहीं दिखाई दिया। गुरु जी बस इतना सा ही अनुभव मुझे हुआ। धीरे-धीरे ज्ञान हो गया की मां जगदंबा ही सर्वव्यापी है। हम उनकी कोई भी शुरू की पूजा करें। बस वह एक माँ की ही पूजा होती है। गुरु जी उसी दिन से आगे के बहुत सारे अनुभव और भी हुए हैं। समय आने पर आपको जरूर भेजूंगा।
मैं आपको कोटि-कोटि प्रणाम करता हूं गुरु जी और धर्म रहस्य से जुड़े हुए सभी साधक और दर्शकों को भी प्रणाम । गुरुजी आप के कारण ही बहुत सारे विषयों पर ज्ञान मिलता रहता है। ऐसे ही आप हम सब पर कृपा बनाए रखें।
संदेश – यहां पर इनका यह अनुभव समाप्त होता है जो की पूरी तरह से वास्तविक है। यह बताता है कि साधना को बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। लेकिन अगर हम कभी भी किसी साधना में भटक जाए तो हमें पूर्ण एकाग्रता के साथ शरण लेनी चाहिए। यहां पर उन्होंने शरण ली जब माता काली की तो उनकी मुक्ति उस साधना के दुष्प्रभावों से हो गई। इसी प्रकार का अनुभव बहुत पहले आया था। माता पर मारण प्रयोग का, उसको भी यहां पर लेते हैं …यह बहुत दिनों बाद भेजा है। इसलिए लोगों को शायद अच्छी तरह याद नहीं होगा। लेकिन फिर भी इन के अनुभव को यहां पर ले करके इसे समाप्त करते हैं।
माँ पर मारण प्रयोग अंतिम भाग– गुरु जी जैसा कि मैंने आपको भाग 1 में बताया था कि मेरी मां जब उस बाबा के यहां गई तो बाबा ने नॉर्मल तरीके से झाड़-फूंक की शायद उन्होंने भी यही बताया था कि आपके ऊपर तंत्र का प्रयोग किया गया है। कुछ दिनों तक सब कुछ ठीक चला। पर फिर से वही प्रॉब्लम शुरू हो गई। अब मम्मी को और भी ज्यादा दर्द होता था रात में। उठकर रोती और लोग भी हैं, सब नहीं देख पा रहे थे। फिर 2020 आया और जनवरी के अंत तक हमारे साथ ऐसा हुआ। यह सब अचंभित करने वाला था। वह सब बातें सामने आने वाली थी जो हमने कभी सोची भी नहीं थी। पर कहते हैं ना बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो, जीत अच्छाई की ही होती है। हुआ यह गुरुजी की मम्मी का दर्द दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। फिर हमें पता चला हमारे मम्मी की मामी जो हमारे ही मोहल्ले में रहती हैं। मामी ने बोला कि? उनका मायका लोकल में ही था। उनकी मायके में एक बाबा है जो झाड़-फूंक करते हैं । उनका नाम भी नहीं बताया और वर्णन भी नहीं करने वाली थी। तब मम्मी मामी के मायके चली गई। और गुरु जी वहां मम्मी के मामी की भाभी ने बताया कि यही पास में ही वो रहते हैं। मम्मी बाबा के यहां गई, कुछ देर बाद मम्मी का नंबर आया। उन्होंने कुछ मंत्र वगैरह जो कुछ भी प्रयोग किया। वो मुझे नहीं मालूम!
उसका उन्होंने बताया आपके ऊपर मारण प्रयोग किया गया है। मम्मी अचंभित रह गई। ऐसा कौन कर सकता है, यह पूछ रही थी। मामी को भी विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने कहा, आपकी ही कोई रिलेशन वालों ने किया है। यह क्रिया दिवाली से होली तक थी। आप पर कुछ भेजा गया था। यदि आप होली के पहले नहीं आती तो होली की रात आप की आखिरी रात होती। गुरुजी मम्मी ने मुझे एक विचित्र बात बताई उस बाबा के यहां मां काली और पीर अर्थात मुस्लिम बाबा की पूजा होती है। बड़ी अजीब बात क्या ऐसा भी होता है तब मैंने बोला, मम्मी मैं भी वहां पर चलूंगा। बाबा के यहां मम्मी ने कहा हां! जिस दिन झाड़-फूंक जाने का था तो उस दिन बुधवार का दिन, मैंने उस दिन स्कूल की छुट्टी मार ली और चल पड़ा मम्मी के साथ। हम लोग वहां पहुंचे मामी के मायके और फिर उन्होंने हमें बाबा का पता दिया। उस पते पर! पर पहुंचने पर वहां बाबा ने हमें बुलाया और बिठाया। फिर वह कुछ बात कर रहे थे।
दोनों धर्मों की पूजा करने में आश्चर्य में मैं इस बात से पड़ गया था। उन्होंने बताया मैं दोनों देवताओं को मानता हूं। फिर कुछ देर बाद वह प्रक्रिया शुरू हुई जिसे देखकर मैं आया था। उन्होंने मंत्र पढ़ते हुए सबसे पहले कोई? हड्डी को अपने पैर में बांध रखे थे। फिर शुरू हुआ उनका मंत्र का जाप! तब उन्होने मां को अपने पास बुलाया बिल्कुल बीच सेंटर में बिठा दिया। झाड़-फूंक शुरू की। उसके अंत में वह एक मटका लाए और उन्होंने जो भी उतारा किया तब उस मटके में डाल दिया। मटके में डालने के बाद उसे लाल कपड़े से बांध दिया और बोला कि इस गंगा में प्रवाहित कर दो। इसके लिए इलाहाबाद जो अब प्रयागराज के नाम से जाना जाता है, वहाँ जाना है पर इसके लिए वह स्वयं नहीं जाएंगे। वह किसी और को भेजेंगे इसलिए उन्होंने ढाई सौ से ₹300 लिए थे।
साथ ही उन्होंने मुझे भी झाड़ा और साथ में उन्होंने मुझे एक कागज भी दिया। उस इमेज को भेज रहा हूँ –
एक अद्भुत चमत्कार मम्मी को हुआ और बहुत जल्द ही आराम मिल गया। मैं यह सोचता हूं कि यदि मां के दर्शन सपने में ना हुए होते तो मम्मी के साथ बहुत बड़ा अनर्थ हो जाता। क्योंकि मम्मी ने अपने घर के देवी देवताओं की पूजा पाठ नहीं कर पा रही थी। इस कारण उन्हें इतना दुख झेलना पड़ा। इसके बाद से मम्मी रोज पूजा पाठ करती हैं। मम्मी ने पहले ही गुरु मंत्र लिया हुआ है। अनुभव अगर आपको यह पसंद आए हैं तो लाइक करें। शेयर करें, आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।