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नरसिंह वीर साधना

नरसिंह वीर साधना

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। भगवान विष्णु के 1 अवतार, जिसे हम नरसिंह भगवान के नाम से जानते हैं। उन्हीं के हजारों वीरो में नरसिंह वीर का नाम आता है। यह एक ऐसा शक्तिशाली वीर है जो तुरंत ही कार्यों को करने में सक्षम माना जाता है। हालांकि यह एक उग्र साधना है और इस साधना को करने के दौरान आपकी कठिन परीक्षा हो सकती है। लेकिन एक बार अगर यह वीर आपसे सिद्ध हो जाता है तो फिर आप इससे किसी भी प्रकार का कठिन कार्य आसानी से करवा सकते हैं। इसकी साधना उपासना की विधि जानने से पहले इसकी प्रादुर्भाव कथा के विषय में भी जान लेते हैं तो जैसे कि सभी लोग जानते हैं कि भगवान विष्णु का नरसिंह अवतार बहुत ही प्रसिद्ध है जिसमें वह अति विध्वंसक रूप में उनके भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए आए थे।

सतयुग में एक पराक्रमी दैत्य हिरण्यकश्यप हुआ था। उसने कई सैकड़ों वर्षो तक ब्रह्मा जी की तपस्या करके अद्भुत वरदान प्राप्त किया। इसके अनुसार उसका वध भगवान ब्रह्मा के बनाए किसी भी प्राणी से नहीं हो सकता था। इसके अनुसार वह ना अपने घर के अंदर ना बाहर ना दिन में और ना ही रात में ना भूमि पर और ना ही आकाश में ना हीं किसी अस्त्र से और ना ही किसी शस्त्र से ना मनुष्य के द्वारा और ना ही पशुओं के द्वारा मारा जा सकता था। इस वरदान को पाकर वह अत्यंत ही शक्तिशाली हो गया और स्वयं को अजर अमर महसूस करने लगा। युद्ध में ना हारने के कारण स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल लोक का राजा बन गया। उसने स्वयं को भगवान घोषित किया और भगवान विष्णु को मानने से या उनकी पूजा करने से सभी को रोक दिया था। स्वर्ग लोक के राजा इंद्र को भी वहां से हटा दिया। पृथ्वी में अधर्म की स्थापना की ऋषि मुनियों की हत्याएं होने लगी। ऐसे में वह तीनों लोगों का राजा बनके स्वयं को भगवान बनवा लिया। तब भगवान की माया के कारण उसी के घर में नारद मुनि की कृपा से और उनके द्वारा गुरु बनकर उसी के पुत्र भक्त प्रहलाद के रूप में विष्णु के सबसे बड़े भक्त का जन्म हुआ और जो राजा विष्णु से अत्यंत ही क्रोधित रहता था, उसी के घर में दिन-रात विष्णु नाम जपने वाला उसी का पुत्र हो गया। जब उसे यह बात पता चली तो उसने अपने सबसे छोटे पुत्र प्रहलाद को बार-बार मारने और उसे कष्ट देने की कोशिश की कभी सांपों के भरे कारावास में फिकवा दिया। कभी हाथियों के पैर के नीचे कुचलने का प्रयास किया। पहाड़ से नीचे खाई में फेंक दिया। अस्त्रों से शरीर के टुकड़े करके फेंका, अग्नि में जलाने का प्रयास किया, लेकिन इसके बावजूद उसका पुत्र बार-बार श्री हरि का नाम जपने लगा। लेकिन एक दिन हिरण कश्यप की सीमा ही ना रही और तब जब उसके पुत्र ने उसे समझाया।

विष्णु सर्वत्र विद्यमान है तब सामने खड़े खंबे को देखकर हिरण्यकश्यप ने कहा, अगर भगवान इस खम्बे में है तुम्हें मैं इसे तोड़कर तुझे दिखाता हूं तब उसने उस खंभे पर प्रहार किया और उस प्रहार में खंबा टूटा, लेकिन वहां से सिंह के मुख वाला अत्यंत ही क्रोधित स्वरूप नरसिंह अवतार का जन्म हुआ। तब उन्होंने उसे पकड़कर दरवाजे पर ले जाकर शाम के समय अपनी गोदी में रखकर अपने नाखूनों से फाड़ दिया और ब्रह्मा जी के वरदान की सरल प्रकार से रक्षा की। इस प्रकार तब भगवान नरसिंह अत्यंत ही क्रोधित होकर।

सारे शत्रुओं का दमन करने लगे। उसी स्थान से बाहर निकल गए और हर जगह उनके क्रोध के कारण सभी का नाश होने लगा। अपने क्रोध को और अधिक बढ़ा कर उन्होंने चारों तरफ सभी को मारना शुरू कर दिया। उसी समय उनके शरीर से हजारों की संख्या में वीर शक्तियों का जन्म हुआ। यह वीर शक्तियां उनके ही रूप और स्वरूप वाली, उनमें नरसिंह भगवान का ही स्वरूप लिए नरसिंह वीर का जन्म हुआ जो कि हजारों की संख्या में थे। तभी से नरसिंह वीर इनके अंश के रूप में इस पृथ्वी पर विद्यमान है। यह सभी शक्तियां क्योंकि वीर है। इसी कारण से सभी माता काली के अधीन उनकी सेवा में तत्पर रहते हैं। अब जानते हैं कि इस वीर की साधना आप किस प्रकार से कर सकते हैं इस साधना के लिए आपको? कोई एक बंद कमरा हो, शमशान हो या फिर निर्जन स्थान हो जहां पर कोई आता-जाता ना हो। ऐसे स्थान का चयन कीजिए। सबसे पहले माता महाकाली की पूजा उसी स्थान पर 11 दिन तक करें और उन्हें प्रसन्न करें। तब माता काली की प्रसन्नता के कारण उस स्थान पर अब वीर साधना की जा सकती है।

अब वहां पर नरसिंह भगवान के स्वरुप वाली एक मूर्ति की स्थापना करे उसके आगे अखंड दीपक 41 दिन तक प्रज्वलित कीजिए। जो लोग इस साधना को तामसिक तरीके से करना चाहता है, उन्हें बकरे की बलि वहां पर देनी चाहिए जो लोग इस साधना को सात्विक तरीके से करना चाहते हैं उन्हें वहां पर गुड़ के बने हुए बकरे की बलि देनी चाहिए। इस प्रकार इनके मंत्र का जाप लाल रंग के ऊनी आसन पर बैठकर लाल रंग की माला से जो कि हकीक की हो उससे लगातार रात्रि 10:00 बजे से अखंड जाप करना चाहिए। रोजाना 51 माला का मंत्र जाप 41 दिन करने से वीर साक्षात हो जाते हैं। दशांश हवन आप इनका कर सकते हैं। सात्विक तरीके में आप भी से इनका हवन कर सकते हैं मंत्र के आगे स्वाहा शब्द लगाकर। इनकी साधना करने से अतुलनीय तेज की प्राप्ति होती है। इनकी पूर्ण सिद्धि होने पर 7 बार केवल मंत्र जाप करने पर नरसिंह वीर साक्षात सामने प्रकट हो जाते हैं। उन्हें अपने वचनों में बांध लेना चाहिए। अन्यथा यह वीर रूप से क्रोधित होकर तुरंत ही कुछ ना कुछ करने लगते हैं। ऐसे में इनके उपयोग की सामग्री भी इन्हें अर्पित करनी चाहिए। जो भी इन्हें पसंद हो। आप इन से पूछ कर वह चीजें इन्हें अर्पित कर सकते हैं। भोग देने के पश्चात आप इन्हें इनका कार्य सौंप दें। भीषण और तीव्र प्रकार यह बहुत जल्दी करते हैं।

इनकी सिद्धि होने पर साधक मारण प्रयोग, उच्चाटन प्रयोग और किसी को भी भयभीत कर सकता है। कोई भी शक्ति इनके आसपास आकर नहीं दिखती है। अपने विभिन्न प्रकार के कार्यों को यह कर सकते हैं। किसी भी शत्रु को डराने का इनका विशेष महत्व है और भयंकर से भयंकर शत्रु भी इस वीर की शक्ति के कारण भयभीत हो जाता है। इसलिए इस साधना को स्वयं बहुत ही सावधानी से करना चाहिए। साधना के दौरान साधक की भय परीक्षा सबसे ज्यादा होती है। इसलिए जो भी इस योग्य हो जो इस साधना को कर सकता हो, केवल वही साधना को करने के बारे में सोचें। साधना के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य के साथ में हर प्रकार से शुद्धता रखना आवश्यक होता है। तभी आपको सफलता मिलती है। इनका जो मंत्र है वह इस प्रकार से है ॐ क्रीं उग्र वीर महा विष्णु सेवकं कार्य सिद्धि कुरु स्वाहा।

ॐ क्रीं उग्र वीर महा विष्णु सेवकं कार्य सिद्धि कुरु स्वाहा।

इस मंत्र को आपको जाप करते हुए सिद्ध करना है और 41 दिन के अंदर आपको इसके अतुलनीय प्रभाव देखने को मिलते हैं। इस मंत्र का सिद्धिकरण हो जाने पर साधक के मन से हर प्रकार का भय नष्ट हो जाता है। अगर मंगल ग्रह से संबंधित कोई पीड़ा है, वह भी नष्ट हो जाती है और उत्साह शक्ति और सामर्थ्य का एक अद्भुत संसार उसके अंदर विद्यमान हो जाता है। वह दुनिया को बहुत ही छोटी नजर से देखता है और उसके लिए हर कार्य बहुत ही आसान उसे दिखाई देने लगता है। इतनी ऊर्जा उसके शरीर के अंदर बहने लगती है . तो यह था नरसिंह वीर साधना का एक विवरण। अगर आज की यह वीडियो आपको पसंद आई है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

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