नवनी की अग्नि परीक्षा 3 अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। नवनी की अग्नि परीक्षा। अब आगे की घटना के विषय में जानते हैं तो जिस प्रकार अपनी बहू के कमरे से एक व्यक्ति को बाहर निकलता देख कर अब उनकी सास इस बात से बहुत परेशान थी कि क्या यह अपने पति को छोड़कर दूसरे पुरुषों में दिलचस्पी लेने लगी है? इसलिए उन्होंने अब! इस बात का सीधा जिक्र! अपनी बहू से किया और कहा, मैं नहीं चाहती कि तुम से कोई मिलने आए। अभी कुछ दिन बीते ही थे कि? नवनी का पति व्यापारी अपने घर वापस आ गया। और वह अपने साथ काफी मात्रा में धन संपदा लेकर आया था। घर के सभी लोग बहुत खुश थे तभी वह व्यक्ति भी वहां पर आ गया और उसने अवनी के पति के साथ बैठकर भोजन किया। घर आए मेहमान को ना तो नवनी मना कर सकती थी और ना ही उनकी सास इसी बात का फायदा वह व्यक्ति उठा रहा था। उसके दिमाग में तो बस नवनी बसी हुई थी इसलिए उसे बदनाम करना। उसके लिए बहुत जरूरी हो गया था ताकि वह उसे अपने नियंत्रण में पूरी तरह ले पाए। उसका पति जब भोजन करके हाथ धोने के लिए गया तभी यह व्यक्ति दौड़ते हुए नवनी के कमरे की ओर अंदर चला गया और वहां पर जाकर नवनी का दुपट्टा नवनी को देने लगा तभी उसका पति वहां पर आ गया और वह कहने लगा। भाभी लो आपका दुपट्टा कल आप मेरे घर ही छोड़ आई थी। नवनी ने दुपट्टा जल्दी से पकड़ कर उसे किनारे रख दिया। वह इस चाल को समझ नहीं पाई। उसका पति जो पीछे से सारी बात सुन रहा था दरवाजे के किनारे खड़ा होकर। सब कुछ देखता है और? यह व्यक्ति तुरंत कमरे से बाहर निकल जाता है। व्यापारी अपनी पत्नी से कुछ भी नहीं कहता। और जाकर नवनी की सास से वार्तालाप करता है और कहता है यह व्यक्ति क्या मेरी गैर हाजरी में भी यह आता था तो नवनी की सास कहती है। हां, यह बात सत्य है। यह कई बार यहां आ चुका है और एक बार तो मैंने इसे नवनी के कमरे से भी निकलते हुए देखा है। मुझे पूरा शक है इस अवनी और इस व्यक्ति के बीच कुछ तो चल रहा है। आखिर नई बहू के कमरे में कोई क्यों जाएगा? जब तक स्वयं बहू उसे आमंत्रण ना दे। यह सुनकर व्यापारी बहुत क्रोधित हो गया। और तब वह गुस्से से उस व्यक्ति के पास गया। उसने कहा, मुझे माफ कर दीजिए। मेरे और आपकी पत्नी के बीच संबंध है। यह सुनकर व्यापारी उस व्यक्ति को मारने लगा। तब उस व्यक्ति ने कहा, आप मुझे क्यों मार रहे हैं। आपकी पत्नी ही कह रही थी कि मेरा पति तो 6 महीने बाद आता है। अब ऐसे में मैं अकेली। कहां-कहां भटकूँ मैंने तो सिर्फ उनको सहारा दिया है? यह सुनकर व्यापारी अपना सर पकड़ लेता है। और बहुत दुखी मन से घर आकर नवनी के पास बैठ जाता है। इन पर नवनी कहती है। क्या हुआ तो वह कहता है, तुमने मुझे धोखा दिया है। तुमने पराए पुरुष के साथ संबंध बनाए। अब तुम्हारा इस घर में कोई कार्य नहीं है। जाओ, निकल जाओ इस घर से। नवनी रोते हुए कहती है, आप गलत समझ रहे हैं। वह व्यक्ति मेरे पीछे बहुत पहले से पड़ा हुआ है पर मेरा उससे कुछ भी संबंध नहीं है। मैं कसम खाती हूं। लेकिन व्यापारी उसके किसी बात पर भी विश्वास नहीं करता है और नवनी को घर से बाहर निकाल देता है जिसमें उसकी सास भी उसका साथ देती है। अब रोती हुई नवनी उस स्थान पर अकेले पहुंचती है जहां पर वह उस देवी ही की पूजा किया करती थी। वहां पहुंचकर नवनी अपने शरीर पर। तेल डालकर आग लगाने की कोशिश करती है और माता के मंत्रों का जाप करती है। इस प्रकार अचानक से देवी प्रकट हो जाती हैं। और कहती हैं तूने जिंदगी भर मेरी तपस्या और पूजा विधिवत तरीके से सच्चे मन से की है। मैं तुझे अग्निस्नान नहीं करने दे सकती। मैं बहुत क्रोधित हूं जिन्होंने भी तेरी यह दशा की है सभी भुगतेंगे और तभी उस व्यक्ति की अचानक से गिरकर मौत हो जाती है जिसने नवनी के ऊपर इल्जाम लगाया था। इधर नवनी के पति को लकवा मार जाता है। और सास की जीभ कट जाती है। नवनी उसी स्थान पर रहकर अब पूजा और तपस्या करने लगती है। देवी उसी स्थान पर हर कुछ दिनों में अग्नि स्वरूप में प्रकट हो जाती हैं और नवनी को इस प्रकार देवी मां की प्रत्यक्ष सिद्धि मिल जाती है। तभी एक दिन नवनी के कुछ रिश्तेदार उसके घर पहुंचते हैं और सारी बात समझते हैं। वह नवनी के पास उसी स्थान पर आते हैं जहां पर कुटी बनाकर नवनी अब रह रही थी। उसे समझाते हैं लेकिन नवनी कहती है। जब तक मेरा पति मुझे खुद आकर नहीं लेने आएगा। मैं उसे माफ नहीं करूंगी। नवनी के रिश्तेदार अब उसके पति के पास पहुंचते हैं और उसे कहते हैं कि तुम्हारी यह दशा नवनी के सतीत्व के कारण ही हुई है। नवनी पूरी तरह पवित्र है जाइए देवी मां से क्षमा मांगिये इस प्रकार अब लकवा ग्रसित नवनी का पति उस स्थान पर पहुंचता है। और नवनी से माफी मांगता है तब नवनी कहती है अगर देवी मां तुम्हें क्षमा कर दें तो मैं अवश्य ही तुम्हारे साथ चल सकती हूं। नवनी का पति और उसकी मां दोनों उस स्थान पर उस अग्नि को प्रणाम करते हैं जहां बैठकर नवनी हवन किया करती थी। अचानक से वहां अग्नि अपने आप प्रज्ज्वलित हो जाती है और इसी के साथ व्यापारी का लकवा अपने आप ठीक हो जाता है। और सासू मां की कटी जीभ से भी स्पष्ट स्वर निकलने लगते हैं। इस प्रकार देवी वहां पर प्रकट होकर कहती हैं। इतने सच्चे मन से मेरी वर्षों तक साधना और उपासना की है। जब भी मैं इस धरा पर लोगों के सभी पाप कर्मों का नाश करूंगी तो मैं अग्नि रूप में प्रकट होती रहूंगी। जब भी अग्नि स्वरूप में प्रकट होऊगी तो मैं कई लोगों की व्याधि और उनके पापों को अग्नि में भस्म कर दूंगी। इस प्रकार अब नवनी ने वह स्थान छोड़ दिया और अपने पति के साथ आकर खुशी-खुशी रहने लगी। देवी मां की वह जगह सालों तक वीरान पड़ी रही। बहुत वर्षों बाद वहां एक साधु ने पूजा तपस्या की। और वर्तमान समय में अब वह स्थान मनौती के लिए जाना जाने लगा और फिर लोगों ने उस स्थान पर देवी की प्रतिमा के आगे चुनर इत्यादि। वस्त्र और कई चीजें अर्पित की। और वही अचानक से अग्नि अब प्रज्वलित हो जाया करती हैं। उन सभी के पापों को अग्नि द्वारा भस्म कर देती हैं। जिस की लपटें बहुत ऊंचाई तक जाती है तो इस प्रकार आप समझ सकते हैं कि कैसे देवी मां अपने भक्तों और साधकों का कल्याण कर रही हैं। देवी मां का यह अग्नि स्वरूप बहुत ही दिव्य है। और यह चमत्कारी मंदिर उदयपुर शहर से 60 किलोमीटर दूर कुराबड बंबोरा मार्ग पर अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित है। मेवाड़ के प्रमुख श्री शक्ति पीठ ईडाणा माता मंदिर के नाम से इसे जाना जाता है? तो यह थी इसकी एक दिव्य और पौराणिक किवदंती कथा जिसमें एक भक्त की अग्नि परीक्षा के माध्यम से माता ने वहां पर स्वरूप धारण किया था। और बाद में अब लोगों की आस्था इस स्थान से जुड़ गई है और यहां पर अग्नि स्नान देखने को मिलता रहता है। अगर समय मिले तो यहां का दर्शन अवश्य करें। अगर आज का वीडियो आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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