नवरात्रि में मां दुर्गा साधना अनुभव और यक्षिणी का दिखना
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज लेंगे नवरात्रि में मां दुर्गा की साधना से संबंधित एक अनुभव को जैसा कि हम जानते हैं कि माता से संबंधित कुछ सामान्य अनुभव साधकों को उनकी साधना के दौरान आवश्यक होते हैं तो चलिए पढ़ते हैं। आज के इस पत्र को और जानते हैं क्या है आज का यह अनुभव?
ईमेल पत्र-नमस्ते गुरु जी, मैं आपका शिष्य आकाश आपको एवं गुरु माता को चरण स्पर्श करता हूं एवं धर्म रहस्य चैनल के सभी साधकों को जय माता दी। गुरु जी आज मैं आपको अपना नवरात्रि में माता की साधना का अनुभव बताना चाहता हूं और आपसे प्रश्न का उत्तर की अपेक्षा रखता हूं। गुरु जी मैंने गुरु मंत्र जप पूर्ण होने के बाद माता त्रिपुर भैरवी के 108 नाम की साधना पूरी करने के बाद माता दुर्गा के 32 नामों की साधना कर रहा था। नवरात्रि आने वाली थी तो मैंने सोचा क्यों ना माता की कोई विशेष साधना की जाए। मैंने आपके द्वारा बताई हुई एक मां दुर्गा की साधना करने का मन बनाया। लेकिन गुरु जी नवरात्रि से पहले ही मेरी तबीयत खराब हो गई और मैं हॉस्पिटल में एडमिट हो गया। 4 दिन एडमिट रहा मेरा बुखार नहीं उतर रहा था और प्लेटलेट्स भी काफी तेजी से नीचे गिर गए थे और मुझे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज नहीं किया गया और अगले दिन नवरात्रि थी। तब मैंने माता जी से प्रार्थना की मां मुझे साधना करनी है। मुझे जल्दी स्वस्थ कर दो। फिर डॉक्टर दोपहर में मेरी रिपोर्ट देखी तो काफी सुधार था। फिर डॉक्टर ने मुझे शाम को डिस्चार्ज कर दिया और मैं घर आ गया।
लेकिन कमजोरी ज्यादा होने के कारण डॉक्टर ने मुझे आराम करने के लिए बोला था। गुरुजी कमजोरी इतनी ज्यादा थी कि मैं अपने रूम से उठकर बाथरूम तक नहीं जा सकता था। फिर मैंने किसी को बताए बिना नहाकर अपनी बाइक ली और साधना का सामान इकट्ठा किया अपने साधना वाले रूम में रख दिया। इसके बाद गुरु जी मैंने शाम को फिर डॉक्टर को दिखाया तो उसने मेरे हाथ में एक नीडल पास कर दी क्योंकि उससे सुबह शाम इंजेक्शन लगने थे। अब मेरे लिए एक और दिक्कत बन गई। इसके बाद मैं सुबह 3:00 बजे का अलार्म लगा कर सो गया। मेरी आंख 3:00 बजे से पहले ही खुल गई। फिर मैं एक एक हाथ से नहाया और माताजी का जप शुरू किया तो जब के आधे घंटे बाद जब मैं ध्यान में था तो मुझे दिखा कि मेरे पीछे रूम की दीवार के पास एक बुजुर्ग जो सफेद कुर्ता और पजामा पहने हुए जप कर रहे हैं और उनके आगे 5-7 लोग खड़े हैं। एक लाइन में जो उनके पैर छूकर आगे बढ़ रहे हैं और वे एक हाथ से जप और दूसरे हाथ से आशीर्वाद दे रहे हैं, ऐसा लग रहा था। यह सब कुछ प्रत्यक्ष में हो रहा है। मैंने अपनी आंखें खोली तो कुछ नहीं था। फिर 2 दिन तक कोई अनुभव नहीं हुआ। उसके बाद जब जप कर रहा था तो फिर ध्यान में मैंने देखा एक आदमी जो मुझे नोटों की गड्डी दिखा कर अपने पास बुला रहा है। मैं? उसकी तरफ बढ़ रहा था। फिर मैंने आंखें खोली तो कुछ नहीं था। इसी प्रकार मेरी साधना चलती रही। गुरु जी मुझे साधना करने में बहुत दिक्कत होती थी। इतनी ज्यादा नींद साधना के समय आती कि मैं नींद रोकने के लिए माचिस की तीली से अपने हाथों पर स्क्रैच मारता और अपनी जांघों पर जोर जोर से मुख के मारता अपनी जीभ को दांतों से दबाता। कभी खड़ा होकर जब करता कभी बैठकर गुरु जी आपने इस साधना में मंत्रो की दो संख्या बताई थी जिसमें मैंने बड़ी संख्या का संकल्प लिया, लेकिन मैं छोटी संख्या ही पूरी कर पाया और मैंने अखंड दीपक भी जलाया।
लेकिन गुरु जी अगले दिन ही उसमें तेल डालते समय वह बुझ गया फिर मैंने साधना काल में ही दीपक जलाया और आठवें दिन जब मैं जप कर रहा था तो मुझे बिल्ली के म्याऊं की आवाज आई, लेकिन ऐसा लगा जैसे किसी इंसान ने आवाज निकाली हो। नवमी के दिन जब मैं जप करके सो गया तो मैंने सपने में देखा। मैं माता काली के मंदिर में हूं। दरअसल गुरुजी हमारे यूपी मुरादाबाद में लालबाग स्थित एक प्राचीन शक्तिपीठ है। जो राम गंगा के किनारे हैं और उसके पीछे श्मशान घाट है। इन दिनों माता के मंदिर में जाता था। मैंने सपने में उस मंदिर को देखा। मैंने देखा कि मैं उस मंदिर में दर्शन करने गया और मंदिर खुलने का टाइम खत्म ही हो गया था। लेकिन मैं अंदर पहुंच गया तो माता काली की मूर्ति के आगे एक लेडीस जो लाल साड़ी में थी और दूसरी लेडीस जो काले कपड़े में गले में नींबू और कौड़ियों की माला पहनी हुई थी। मैंने देखा मंदिर के प्रांगण में कई लोग लेटे हुए थे और वह काला कपड़ा वाली लेडीस उनका इलाज मंत्र द्वारा कर रही थी। तो मैंने व्यक्ति से पूछा, यह सब क्या हो रहा है तो उसने बताया कि मंदिर बंद होने के बाद यहां यही सब होता है और यह लोग ऊपरी बाधा से पीड़ित है। इसी तरह इनका इलाज किया जाता है। गुरु जी मैं डर गया और सोचने लगा कि मैं गलत समय पर मंदिर आ गया हूं। मुझे यहां नहीं रुकना चाहिए। फिर मैं बाहर आया तो बाहर इसी तरह लोगों का इलाज चल रहा था। वह लोग बेहोश पड़े थे और वह लेडीस एक प्रकार की योग क्रिया कर रही थी। वह आंखें बंद करके हाथ ऊपर करके कुछ मंत्र पढ़ रही थी। गुरुजी मैं फिर जाने लगा तो उस व्यक्ति ने मुझे बोला, आओ प्रसाद चढ़ा दो तो मैं आगे बढ़ा। मैंने देखा जहां लाल साड़ी वाली लेडीस खड़ी थी। उसके पास एक बहुत लंबे और पतले दुबले।
करीब 80 साल के एक बाबा खड़े थे जिनकी पसलियां दिख रही थी। उन्होंने मुझे देखा और तेजी से मेरी और लपके उन्हें आता देख मैं भाग लिया। वह मेरे पीछे पीछे आने लगे। इस समय बहुत डर गया और तेजी से निकास द्वार की तरफ भागा। वह भी मेरे पीछे भागे और वह मुझे पकड़ने की वाले थे कि मंदिर प्रांगण में तीन चार लोग जो आंखें बंद करके साधना में लीन थे। सब के लंबे बाल थे। मैं उनके बीच में जाकर बैठ गया। वह उधर भी आ गए और मुझे पकड़ने लगे। फिर मेरी आंख खुली। इसके बाद मैंने दशहरे के दिन हवन किया। उसके बाद कन्या पूजन किया। इसके बाद फिर 1 दिन मै नहाने के बाद अपने रूम में लेटा हुआ था। वह दोपहर का वक्त था तो मेरी आंख लग गई। मैंने देखा कि मैं। कार्यस्थल पर हूं और मेरे साथ काम करने वाला व्यक्ति को मैं एक यक्षिणी के बारे में बता रहा था तो वह बोले, उसका नाम मत लो। वह नाम लेते ही हाजिर हो जाती है। इतना सुनते ही मेरा शरीर अकड़ गया और मैं हाथ पैर भी नहीं हिला पा रहा था। आवाज भी नहीं निकल रही थी। बहुत घबरा गया गुरु जी मैंने गुरु मंत्र का जप शुरू कर दिया और उसने मुझे छोड़ दिया। यह सब एक 2 मिनट के अंदर ही हुआ। फिर मैं उसी पोजीशन में लेटा रहा। मैंने सोचा फिर इससे क्या होगा लेकिन कुछ नहीं हुआ। उसके बाद कुछ कुछ अनुभव होने लगे। जैसे मेरे आस-पास किसी की होने का एहसास वगैरह उसके बाद दीपावली आने वाली थी तो गुरु जी हमारा काम अच्छा चल रहा था तो मुझे समय ही नहीं मिलता था। एक दिन जब अगले दिन धनतेरस थी तो मुझे मम्मी ने बोला कि घर के फ्रंट दरवाजे और दीवार पाइप धो दो मैं थका हुआ था तो मैंने उनसे बोला कि मैं। सुबह जल्दी उठकर धो दूंगा। आप मुझे 4:00 बजे उठा देना। मैं मम्मी से यह बोला और सो गया तो गुरु जी रात को 2:00 बजे जब मैं सोया हुआ था तो किसी ने मुझे आवाज देकर उठाया। मैं समझ गया कि मम्मी ही होंगी। मैंने चादर हटा कर देखा तो दरवाजे से चिपक कर कोई खड़ा था। मुझे केवल उनकी साड़ी दिख रही थी और एक ही पल में वह ओझल हो गई। मैं उठा और मैंने सोचा सुबह हो गई। मम्मी शायद मुझे उठाने का ही है। मैंने अपना प्रातः काल का मंत्र भी पढ़ लिया। गुरुजी में सुबह उठने और भूमि पर पैर रखने से पहले बोलता हूं। कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती कर मूले तू गोविंदं प्रभाते कर दर्शनम यह बोलकर दोनों हाथों को चूमता हूं और धरती माता से उन पर पैर रखने की आज्ञा लेता हूं। जो आपने बताया है एक वीडियो में तो यह सब प्रक्रिया करने के बाद मैंने समय देखा तो 1:48 हो रहे थे। मैंने सोचा अभी तो रात है। गुरु जी नींद बहुत तेज आ रही थी। मैं बिना कुछ सोचे ही सो गया। फिर 4:00 बजे उठकर मैंने घर का फ्रंट धोया और मम्मी से उन्हें उठाकर पूछा, मम्मी आप मुझे रात को जगाने आई थी तो उन्होंने मना कर दिया। वह बोली मेरी खुद आंख नहीं खुली तो तुझे कैसे जगाती? मुझे तब बड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन मैंने मम्मी को कुछ नहीं बताया और इसी प्रकार के अनुभव मुझे होते रहते हैं। गुरुजी में अपने अनुभव बताता नहीं। गुरु जी लेकिन मेरे घर के साधना के बारे में सबको पता चल गया था। गुरु जी यह मेरा अनुभव है। इस पर वीडियो बनाना चाहे तो बना सकते हैं। जानकारी गुप्त रखें और इस अनुभव में सपने और ध्यान में हुए अनुभव का अर्थ भी बताएं और गुरु जी कोई ऐसा माध्यम बताएं जिससे मैं आपको त्यौहार वगैरह भेट दे सकूं क्योंकि मुझे आपका कोई अकाउंट नंबर नहीं पता है तो आप कोई माध्यम मुझे बताइए जिससे आपकी कुछ सेवा कर पाऊं और माता भुवनेश्वरी की कोई छोटी साधना लेकर आइए गुरुजी जिसे करके हम साधक अपने जीवन में भौतिक उन्नति कर सकें। हमारा भौतिक जीवन सुखमय हो और निरंतर प्रगति करते रहे आपके श्री चरणों को नमन आपका शिष्य आकाश। संदेश-तो देखिये यहां पर निश्चित रूप से यह सत्य अनुभव आपको हुए हैं जिसमें तांत्रिक स्वरूप में देवी मां के दर्शन। जिसमें आप के रोग को ठीक करने के लिए उन्होंने एक स्वरूप के दर्शन करवाएं। जो! आप जानते ही हैं लेकिन क्योंकि दर्शनों के दौरान आपकी आत्मा का प्रवेश उस लोक में था जहां भैरव स्वरूप में बहुत सी शक्तियां रहती है तो उन्होंने आत्मा समझ कर आप को पकड़ने की कोशिश की थी। इसीलिए ऐसा अनुभव आपको उस मंदिर के माध्यम से हुआ था। एक यक्षिणी जिसके विषय में आप शायद पहले से सोचते चले आ रहे हैं, वह आपकी साधना से आकर्षित हुई। इसी तरह का अनुभव उसने करवाया। सुबह भी वही स्त्री यानि कि वह यक्षिणी ही आपके सपने में या साक्षात रूप में आपके सामने आई थी। वह आपकी साधना देखकर आकर्षित हो गई है। इसीलिए अपना स्वरूप दिखाने और अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही है। इसलिए दोनों ही अनुभव में जहां पहले में मां दुर्गा की साधना और उनकी साधना से आपका स्वास्थ्य सुधरना दर्शाता है। दूसरे अनुभव में यक्षिणी के रूप में माता की शक्ति से आकर्षित होकर कोई शक्ति आपकी तरफ आकर्षित हुई थी। अब क्योंकि हम रोज साधना नहीं करते हैं। इसलिए अनुभव समय के साथ समाप्त हो जाते हैं। इसीलिए यह अनुभव आपको हुए थे। माता भुनेश्वरी की साधना अवश्य ही भविष्य में मैं सभी के लिए लाऊंगा तो यह था आज का इनका अनुभव अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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