नाग कन्या साधना अनुभव
जय मां पराशक्ति चरण स्पर्श गुरुदेव गुरुमाता के भी चरण स्पर्श ।
मानस चरण स्पर्श गुरु जी। गुरु जी अगर आप इस अनुभव पर विडियो बनाते हैं तो मेरे बारे में कोई भी जानकारी प्रकाशित न करें । मैं आपसे अनुरोध करता हूं।
मैं झारखंड में चतरा जिला का रहने वाला हूं। बाकी आप काम पिशाच के असर से सगी बहन पर ग़लत विचार आना।आप समझ ही गए होंगे।आप ये भी प्रकाशित न करें । क्यूंकि कुछ गुरु भाई मेरे नाम से या कुछ गुरु भाई मेरे पते से मुझे पहचान लेंगे। इसलिए मैं मना कर रहा हूं।
गुरु जी ये अनुभव केवल धर्म रहस्य चैनल को भेज रहा हूं अन्य किसी भी जगह पर ये अनुभव प्रकाशित नहीं होगा। गुरु जी मैंने आपको बताया था कि मैं नाग कन्या साधना करना चाहता हूं दो शक्तियों से छुटकारा पाने के लिए। गुरु आपसे एक और निवेदन है कि आप इन दो शक्तियों के नाम भी न बताएं।इनके जगह पर आप अमुक शक्ति कहें। हालांकि जब ये साधना आपने डालें थें। तभी मेरे मन में विचार आया कि ये साधना मैं करुंगा। चाहें कुछ भी हो जाए। फिर इन दोनों शक्तियों ने काम पिशाच और प्रेतनी ने मेरे हर दिन ऊर्जा नाश करवाने लगे। फिर साधना के 4 दिन पहले ये साधना मैंने ख़रीद लिया।पर उसमें लिखा था कि ब्रम्हचर्य का पालन 7 दिन तक किए हैं तभी साधना में सिद्धि मिलगी। नहीं तो इसके बिना सिद्धी नहीं मिलेगी। मैं कुछ देर के लिए उदास हो गया। लेकिन फिर सोचा कि इन शक्तियों के प्रभाव से मरने से अच्छा है कि मैं प्रयास करुंगा। बाकी सिद्धी देना या न देना नाग कन्या जी का निर्णय होगा। फिर मैं तैयार हो गया। फिर उस दिन भी तीव्र कामुकता आया पर मैंने ढृढ निश्चय कर लिया कि अब ब्रम्हचर्य का नाश नहीं होने दूंगा। फिर रात को आपकों ईमेल किया और बताया कि गुरु मंत्र का सिर्फ 9 लाख से ऊपर जाप किया हूं और बाकी कुछ भी नहीं किया हूं। लेकिन मैं ये साधना करना चाहता हूं गुरु जी। मैं आपके मना करने पर भी ये साधना करुंगा गुरु जी। मैं ऐसा इसलिए कह रहा था क्योंकि मां से और नाग कन्या से पहले ही इसके बारे में आज्ञा मिल चुका था। और मां ने कहा था कि अगर इस साधना में सिद्धि प्राप्त करना है तो अपने गुरु से आज्ञा अवश्य लें लेना। क्यूंकि अगर सिद्धी न भी मिलने वाली हो। तो भी गुरु का आशीर्वाद रहेगा तो सिद्धी अवश्य ही मिलेगी। और गुरु जी नाग कन्या का मंत्र पिछले रात जाप करके सोया था तब 3 बजे के बाद देखा कि मेरे दुकान में तीन लड़के आएं और उन्होंने मुझसे समान लिए।
तभी पता नहीं जो लड़का था वह लड़की में बदल गई। और वह मुझसे दोस्ती करना चाहतीं थीं। इसलिए जब लड़की पैसे दे रही थी वह दोनों लड़के अंदर आ गए और मेरे मोबाइल में उस लड़की का नंबर डाल कर मिस कांल किया।ऐसा करने के लिए लड़की ने ही उनसे कहा था पर मुझे सब कुछ पता था पर फिर भी ये सब मैं होने दें रहा था। क्यूंकि बचपन से आज तक मेरी क न किसी लड़की से बात करता हूं और न ही कोई लड़की मेरी दोस्त हैं। इसलिए मैंने सोचा कि अच्छा है मुझे एक गर्लफ्रेंड मिल रही है। और फिर स्वप्न टूट गया। तो फिर जब अगले रात मैंने आपको ईमेल किया तो उसमें मैंने नीचे आपका मार्गदर्शन करें ऐसा लिख दिया। इसलिए आपने मुझे कहा कि ब्रम्हचर्य नाश से ऊर्जा नाश होता है पर जब आप हवन करेंगे तो मंत्र का ऊर्जा सीधे देवता तक पहुंचेगा। और गुरु मंत्र हवन के जरिए अपने अंदर पोजिटिव ऊर्जा प्राप्त कीजिए। मैं जब 3 बजे उठा और आपका रिप्लाई पढ़ा तो बहुत उदास हो गया। क्यूंकि मुझे लगा था कि ऐसा कहने से आप मुझे अनुमति देंगे।पर ऐसा नहीं हुआ और मैंने सोचा लिया कि ये साधना अब नहीं करुंगा। क्यूंकि गुरु कि आज्ञा मेरे लिए सर्वोपरि है। कहने को तो मैंने कहा दिया कि मैं आपके मना करने पर भी साधना करुंगा।पर सच तो ये है कि मैं अपने गुरु की आज्ञा कि अवहेलना करने का सामर्थ्य मुझमें नहीं है फिर मैंने मां से कहा कि मां सब कुछ खत्म हो गया मां।अब मेरी मृत्यु हो जाएगा। क्यूंकि ये शक्तियां इतना घिनौना काम और ब्रम्हचर्य नाश करवा रही है कि मैं अब जीवित नहीं बचुंगा। पहले तो ये दो तिन दिन पर ऐसा करती थी पर अब तो हर दिन ऐसा हो रहा है। फिर मैंने मां से कहा कि क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है मां जिससे गुरु जी आज्ञा भी न टूटे और साधना भी सफल हो। मेरे मन में विचार आया कि जब कुछ छोटे स्त्रोत के पाठ मात्र से अश्वमेघ यज्ञ और न जाने हजारों यज्ञों का फल मिल जाता है तो क्या कोई स्त्रोत या चालिसा पढ़ने से मुझे गुरु मंत्र अनुष्ठान का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होगा। तभी मैंने निश्चय किया और मां से कहा मां मैं आपके दूर्गा चालीसा का 11 पाठ करुंगा 4 दिन तक आप मुझे गुरु मंत्र जाप,यज्ञ, अर्पण तर्पण मार्जन और कन्या पूजन का पुन्य प्रदान कीजिए। ऐसा कहना था कि तुरंत ही मुझमें साहस अपने उपर पूर्ण नियंत्रण और आत्म खुशी मिलने लगा। मैंने सोचा कि ये तो अभी चालीसा का पाठ भी नहीं किया और मन में ही कहने से ऐसा हो गया।
मुझे मां पर और प्रेम और विश्वास हो गया। गुरु फिर मैंने सोचा कि मैं अपने पहले गुरु जी से आज्ञा लेकर साधना करुंगा। क्यूंकि मेरे पहले गुरु जी भी बहुत सी सिद्धियां और शक्तियां प्राप्त किये थे पर वह प्रदर्शन नहीं करते थे। उनके कहने मात्र से किसी का बड़े से बड़ा रोग नाश हो जाता या सिर्फ आशीर्वाद देने से इंकार मृत्यु पर जाता था। लेकिन फिर विचार आया कि मेरे पहले गुरु जी तो कोई तांत्रिक सिद्धी नहीं किये है तो फिर मैं कैसे कर सकता हूं और उन्होंने तो गुरु मंत्र जाप के संख्या भी नहीं बताएं है सिर्फ डेली एक माला जपने के लिए कहें हैं और आज तक न तो गुरु जी और न ही गुरु मां स्वप्न में दर्शन दिए हैं। फिर मैं सो गया जब मैं उठा तो फिर इतना तीव्र कामुकता आया कि समभालना मुश्किल था पर पता नहीं क्यूं मेरे एक बार मना करने पर विचार कम हो गए। और मेरे मन में ये विचार आया कि मुझे ये साधना करना है न कि ऊर्जा नाश करना है। गुरु जी मैं सच बता रहा हूं कि उस समय मेरा दिमाग और मन मेरे नियंत्रण में था।पर पहले जब ऐसा होता था तब मैं चाहें कितने मंत्र जाप और ध्यान कर लूं।पर ऐसा अनुभव कभी नहीं हुआ। मैं समझ गया कि ये गुरु मंत्र अनुष्ठान के पुन्य का प्रभाव है।उस दिन मुझे समझ आया कि क्यूं गुरु मंत्र अनुष्ठान में ये शक्तियां देरी करवा रही हैं क्योंकि अगर मैं गुरु मंत्र अनुष्ठान पूर्ण कर लिया तो ये शक्तियां मेरा कुछ नहीं बिगाड पाएंगी। और मुझे उस दिन ऐहसास हुआं की ये 9 लाख जाप और बाकी के अनुष्ठान आपने क्यूं रखें है क्यूंकि ये आपसे जुड़ने कि चाभी है। और आपने विडियो में भी कहें थें कि जब तक मेरे शिष्य गुरु मंत्र अनुष्ठान पूर्ण नहीं कर लेते हैं तब तक मुझे उनकी चिंता रहती है गुरु मंत्र अनुष्ठान के बाद उनकी रक्षा होती रहती हैं। उस दिन मुझे ये समझ नहीं आया था लेकिन आज मुझे ये सब समझ आ रहा था। फिर मैं पुजा के बाद अपनी दिनचर्या में लग गया।मेरा दिन अच्छा बीतने लगा था। फिर साधना करने का दिन आ गया। फिर उस दिन साधना में देरी हो गई ।नवनाग और तैयारी करने में ही किसी कारण वश 9:30 ये साधना शुरू किया पर अत्यधिक कमजोरी और भुखा होने के कारण दिक्कत हो रहा था पर मैंने निश्चय किया कि कुछ भी हो ये साधना करना है मुझे। मैंने उसी रात आपको मेल किया की साधना में मुझे देरी हो गई है गुरु जी और साधना समग्री सुबह ही विसर्जन करना है और मैं तुरंत खाना खा सकता हूं पर आपका कोई जवाब नहीं आया। मुझे लगा कि आप मुझसे नाराज़ हैं और सोच रहे होंगे कि कैसा शिष्य मिला है जो मना करने पर भी साधना कर रहा है। फिर मुझे ध्यान आया कि शायद आज नाग पंचमी है तो गुरु जी भी साधना कर रहे होंगे। फिर मैं मंत्र जाप करने लगा लेकिन मुझे आश्चर्य हुआ कि मंत्र इतना छोटा होने बावजूद भी आधे घंटे का समय लग रहा है फिर अत्यधिक थकान होने के कारण लेट गया और तुरंत ही नींद आ गया और मेरा निंद 12 बजे खुली। मैं मन ही मन रोने लगा कि इतना सबकुछ किया और सबकुछ व्यर्थ चला गया। लेकिन मैंने फिर सोचा जो होगा सो होगा मैं साधना करुंगा। फिर मैं जाप करने लगा फिर एक माला बाद नाग कन्या कि तस्वीर देखकर कहा कि सबकुछ व्यर्थ हो गया देवी।अब मुझे सिद्धी कैसे मिलेगा।
तभी मुझे लगा जैसे कि नाग कन्या ने कहा कि आप सुबह तक लगातार मंत्र जाप कीजिए मैं आपको अपनी सिद्धी प्रदान करुंगी। फिर मैं मंत्र जाप करने लगा फिर से वही होने लगा आधे घंटे में एक माला जाप फिर धीरे धीरे स्पीड बढ़ा। ऐसा लग रहा था कि समय बहुत ही स्पीड हो गया है। फिर सुबह तक जाप किया मैंने। फिर जब उठा तो मम्मी ने जो कहा मैं हैरान हो गया। मम्मी को जब मैंने कहा कि रात को को तो निंद नहीं आया होगा। हालांकि घर में मैं ऐसे बात नहीं करता।बस पापा से इज्जत से बात करता हूं और बाहर के लोगो से बस। मम्मी फिर कहीं क्यूं।तो मैंने कहा कि रात भर मंत्र जाप जो कर रहा था आवाज तो आ रहा होगा। मम्मी ने कहा कि जब तक खाना खा कर नहीं सोए तब तक आया उसके बाद कोई आवाज नहीं आया। मैं हैरान हो गया कि एक कमरे में अगर कोई फुसफुसा कर भी बात करता है तो आवाज सुनाई देती है पर मैं मंत्र जाप तो जोर जोर से कर रहा था फिर आवाज़ बाहर क्यूं नहीं आ रहा था। अब कुछ लोग कहेंगे कि सोने के बाद तो कुछ पता नहीं चलता है पर मैं उनको बता दूं कि मम्मी ने बताया कि जब बाथरूम के लिए भी उठी तब भी कोई आवाज नहीं आ रहा था। और मैं यही बात से डर रहा था कि सुबह जब होगा तो मम्मी पापा मेरी खबर अच्छे से लेंगे। और कहेंगे कि तेरी वज़ह से रात भर नहीं हो पाए हैं। इतना आवाज में कौन बोलता है।खैर फिर मैंने साधना कि सारी सामग्री विसर्जन कर दिया नदी में। फिर नहा कर भोजन किया। फिर उस दिन भी दिन अच्छा बिता। और रात को मैंने कहा कि हे नाग कन्या आप ने तो मुझे न ही दर्शन दिए और न ही अनुभव करवाए फिर जो रतिक्रिया है आप कर सकते हैं इतना कहकर हो गया। फिर रात 1 से 2 बजे के बीच में मेरा स्वप्न में वीर्य निकल गया पर नहीं कैसे मैं तो अपनी बहन के साथ घुम रहा था।पर वीर्य अचानक से कैसे निकल गया। मुझे तो लगा था कि दर्शक नहीं हुए हैं तो स्वप्न में हो जाएगा पर देवी तो मुझसे भी आगे निकली और स्वप्न में भी दर्शन नहीं दिए। मेरा वीर्य बहुत ही कम निकला था गुरु जी शायद नाग कन्या को पता था कि इसका तो शरीर बहुत कमजोर है। फिर उस दिन मुझे हवन करना था पर कर नहीं पाया क्यूंकि समस्या ही ऐसी है गया था। फिर उस दिन के बाद खुशी कम होने लगा और ब्रम्हचर्य का नाश फिर मैं स्वयं कामुकता के जरिए होने लगा। लेकिन जब मैं सुबह उठता तो पहले जैसे नाश होता था तो कमर दर्द बहुत कमजोरी कुछ भी काम करने कि शक्ति न रहना पर अब तो ऐसा लग रहा था कि मेरा ब्रम्हचर्य नाश किसी स्त्री के माध्यम से हुआं है और ऊर्जा आदान प्रदान हुआं है क्योंकि अब पहले से ज्यादा मेरे अंदर पोजिटिव ऊर्जा और साहस महसुस कर पा रहा था। ऐसा ही एक दिन बाद एक दिन होता रहा।
यानी जब भी मैं उनके मंत्रों का जाप करता तो ऐसा होने लगा। मेरे घर कि स्थिति भी धीरे-धीरे सुधार रही है गुरु जी। इनके दौरान कुछ अनुभव भी हुएं हैं इन सभी का अर्थ बताइएगा गुरु जी। जब मैं एक दिन सोया था तभी मैंने देखा कि मैं कहीं गया हूं और कोई मर गया था तो उसका चूतका खत्म हो गया। फिर जब मैं घर आया तो मुझे पता नहीं क्यूं याद आया कि अरें फिर से तो 12 दिन छुतका हो गया है तभी घर के अगर बगल से सोर होने लगा। मैंने देखा दो शेर आ गए थे पर जब उन्होंने ने मुझे देखा तो तेजी से मेरे तरफ आने लगें और मैं घर के बौंडरी लांघ कर भागने लगा तभी शेर आ गए और मैं अपने सीमेंट वाले घर पर चहडं गया। तभी मैंने उनसे बचने के लिए वहीं से छलांग लगा दिया। मेरे मन में विचार आया कि मैं तो गया आज निचे गिरुंगा और शेर मुझे खा जाएगा। तभी मैंने मन में ही सोचा कि काश मैं हवा में उड़ने कि शक्ति मेरे पास रहता।ये विचार तेजी से आ रहे थे। मैंने सोचा कि मैं अभी तक गिरा क्यूं नहीं। फिर मैंने आंखें खोली तो देखा दोनों शेर मेरे नीचे गिरने का इंतजार कर रहे हैं और मैं हवा में लटका हूं। फिर मैंने मन में सोचा कि मैं उधर जाता हूं मैं उड़ पा रहा था गुरु जी। तभी मैं फिर सीमेंट के घर पर आ गया और वो दोनों भी शेर मुझे खाने के लिए मेरे पास आने लगें। और मैं उन्हें खपडा के टूटें भाग से फेंक कर मार रहा हूं। पर आश्चर्य कि बात ये है कि शेर मेरे 1 मीटर आधा मीटर के नजदीक आने के बाद भी नुकसान नहीं पहुंचा रहे थे। जबकि शेर तो कई मीटर छलांग लगा सकता है। फिर इसी प्रकार दोनों शेर कुछ देर बाद चलें गए। फिर स्वप्न टूट गया। मैं बहुत डरा हुआ था गुरु जी। लेकिन जब स्वप्न टूटा तो मुझे याद। आया कि शेर तो माता का वाहन है और इतने नजदीक होने पर भी नुकसान क्यूं नहीं पहुंचा रहे थे। इसका अर्थ बताएं गुरु जी। फिर कुछ दिन बाद जब मैं दशांश हवन किया तो रात में एक क्रेता सांप आया और वहां बैठे हुए व्यक्ति के पैर पर होकर गया लेकिन किसी को कोई नुक्सान नहीं पहुंचा रहा था। फिर मम्मी पापा ने देख लिए और डर गए कि कहीं सांप काट न लें लेकिन सांप को डंडा से हटाने पर भी एक जगह सांप बैठा रहा फिर पापा को गुस्सा आया और उन्होंने ने उसे मार दिया।वह सांप एक हांथ लंबा था। मैं कुछ नहीं कर पाया मुझे लगा कि जैसे सांप कभी कभार आते हैं और तुरंत चले जाते हैं ये भी चला जाएगा।पर ये सब घटित हो गया। और मैं तुरंत समझ गया कि ये नाग कन्या की परीक्षा थी।
जिसमें मैं असफल रहा। लेकिन मुझे इसकी चिंता न होकर पापा कि चिंता होने लगा। क्यूंकि कुछ साल पहले एक दीदी का अनुभव आया था और उनके चाचा ने सांप को मार दिए थे और बाद में उनकी मृत्यु हो गई थी सांप के काटने से। फिर मैंने आपको ईमेल किया और सबकुछ बताया। फिर आपने कहां कि ये बहुत ग़लत काम किया है और इससे सिद्धी तो नष्ट होगी ही साथ ही दुष्परिणाम भी पड़ता है मैं बहुत डर गया और सोने समय नाग कन्या और नव नाग मां मनसा से प्रार्थना कि आप मेरे पिता को क्षमा कर दें। तभी ऐसा लगा जैसे कि नाग कन्या ने कहा कि जिसकी मृत्यु जहां लिखीं होती हैं उसकी मृत्यु वहीं होती है आप चिंता मत करिए आपके पिता कि मृत्यु तो नहीं होगी।पर उनको दंड तो अवश्य मिलेगा। और आगे से ध्यान रखिएगा कि आप मेरी साधना कर रहे हैं तो सांप तो आएंगे हीं। इसलिए अगली बार से किसी भी सांप को नुक्सान नहीं पहुंचाएगा। नहीं तो सिद्धि तो नष्ट होगी ही साथ ही साथ दुष्परिणाम भी भुगताना पड़ेगा। मैंने ठीक है मैं ध्यान रखूंगा। फिर मैंने क्षमा के लिए 108 बार उनके मंत्र का जाप किया और मेरे पिता जी को अभी तक शारीरिक रूप से को दंड नहीं मिला है। फिर कुछ दिन बाद फिर से वह शक्ति स्वप्न में उसी प्रकार संबंध बनाने लगी।पर खुशी कि बात यह थी कि किसी भी स्त्री लड़की को देखकर कोई कामुकता नहीं आ रहा था आज तक भी ऐसा ही हो रहा है। पर रात होते ही कामुक विचार आने लगते हैं। और फिर ऊर्जा नाश पर वही हुआ जैसे कि स्त्री के माध्यम से हुआं हो। फिर मैंने नाग कन्या को बुलाकर कहा ये सब क्या हो रहा है आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकतीं हैं मैंने ब्रम्हचर्य रहने के लिए आपकी साधना कि है पर यहां तो कुछ और ही हो रहा है। मैंने आपको कहा था कि आप मुझसे सिर्फ महीने में एक बार संबंध बनाइएगा। और अगर साधना अगर 1 साल तक चला तो आप संबंध नहीं बनाइएगा। फिर नाग कन्या ने कहा कि मैं कुछ नहीं कर रही ये शक्तियां ऐसा कर रही है क्यूंकि इनकी पुरी तरह से सिद्धी नष्ट करने के आपको मेरे मंत्र का डेढ़ महीने तक ब्रम्हचर्य के साथ जाप करना होगा या फिर गुरु मंत्र अनुष्ठान पूर्ण करना होगा।
जिससे कि आप अपने गुरु जी से जुड़ जाएंगे। तब मैं गुरु शक्ति के साथ मिलकर ये सिद्धी नष्ट कर दूंगी। पर ऐसा दोनों में से एक भी नहीं कर पा रहा हूं गुरु जी। फिर एक दिन 5 बजें के बाद मेरे पहले गुरु जी ने मुझे दर्शन दिए और कुछ कहें भी लेकिन मैं चैतन्य न होने के कारण कुछ भी याद नहीं रहा पर जब मैंने गुरु जी के चरण स्पर्श किए तो मेरे अंदर पोजिटिव ऊर्जा और इतना खुशी मिली कि मैं सोते हुए भी खुश हो रहा था और मुस्कुरा रहा था फिर नींद टुट गया मेरा। फिर अगले दिन मां पराशक्ति ने जो फोटो आपने लगाते हैं विडियो में उसी रुप में दर्शन दिए और आशीर्वाद के साथ कुछ बातें बताएं पर यहां भी वही हुआं। चैतन्य न होने के कारण सब कुछ भूल गया । गुरु जी एक बार कि बात है मां के पास इस साधना के बाद कोई शक्ति मां के सपने में नग्न होकर आ रहा था डेली। फिर मां कहने लगी कि कौन सी पुजा करलें ही कि ऐसा हो रहा है मुझे पता था कि ये के कर्मों का फल है पर फिर भी एक पुत्र होने के कारण अपने माता पिता कि रक्षा करना मेरा दायित्व समझता हूं। फिर मैंने तुरंत कहां कि ठीक है अब नहीं आएंगा। मैंने सिर्फ एक बार ही कहा था। फिर जब मैं होकर उठा तो मुझे याद आया कि अरें मैंने तो गुरुदेव जी और न ही मां से प्रार्थना किया। पता नहीं अब मां सुबह उठते ही कितना सुनाएगी। फिर मैंने गुरु जी से कहा गुरु जी सम्भाल लीजिएगा। फिर जब पुजा के बाद मुझे लगा कि मैं मां से पुछू कि वह शक्ति आई थी क्या। पर हिम्मत नहीं हो रहा था फिर शनिवार था इसलिए हनुमान भैया के मंदिर चला गया और पाठ से पहले कहा कि हनुमान भैया मेरी कोई इच्छा नहीं है आप बस सभी गुरु भाई और विशेष कर गुरु जी पर कृपा बनाएं रखिएगा और पता नहीं कौन सी शक्ति मां के पास नग्न होकर आती है आप उसका बन्धन करदे और कोई अच्छी शक्ति है तो उसे बोलिए कि वह आने का कारण बताएं। फिर दो दिन बाद मां कहने लगी कि शरीर में बहुत पीड़ा और कमजोरी लग रहा है। मैंने मम्मी क्या वो शक्ति उस दिन से अब भी आ रही हैं मां ने कहा कि जिस दिन मैंने कि अब वह नहीं आएगी उसी दिन से वह शक्ति नहीं आने लगी।एक फिर गुरु जी पर और मां पराशक्ति पर ढृढ विश्वास और खुशी हुआ कि मां मेरे एक बार कहें हुएं वचन का पुरा कर देती है और एक मैं जो कि मां और गुरु जी को कितना कष्ट देता हूं मेरे से ब्रम्हचर्य ही नहीं रहा जाता। जी कितना गन्दा बात है ये।
फिर अगले दिन मां ओझा के पास जाने के लिए बोलने लगी क्यूंकि मां का कष्ट बढ़ता ही जा रहा था। लेकिन पता नहीं मां को क्या हो गया कि मां ने कहा कि छोड़ ये सब 100 रूपये जो उनलोगो को देंगे उस अच्छा है कि सब्जी ला कर एक सप्ताह का लेंगे। फिर मुझे लगा कि अगर मैं पुजा पाठ कर रहा हूं तो अगर ऐसी समस्या ठीक नहीं कर पाऊंगा तो मम्मी पापा का भी भरोसा उठने लगेगा। इसलिए मैंने हनुमान भैया के चालिसा का 3 पाठ नासे रोग हरे सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा इसका संपुट लगाकर 3 पाठ किया और जल को अभिमंत्रित कर दिया।अपार सोचा कि मां को जल पिलाऊंगा। लेकिन मां को कुछ मैं कह पाता उससे पहले ही मां ने महुआ का शराब निकाल ली थकान और दर्द के कारण। फिर मैंने सोचा कि ये तो बहुत गड़बड़ हो गया। हनुमान भैया को ये सब पसंद नहीं है फिर भी हनुमान भैया से मन ही मन मां के लिए क्षमा मांगा। अगले दिन से ही मां ठीक हो गई। फिर रात को जब मैं सोया तो देखा कि सपने में कोई भुत प्रेत घर में मम्मी पापा को ड्रा और बीमार कर दिए हैं। लेकिन मुझे याद आया कि मैं हनुमान भैया का भक्त हूं मुझे इनसे नहीं डरना चाहिए। फिर एक भुत आ कर चपाकल को चलाने लगा पापा बहुत डर गए और चिल्लाने लगे मैं भी डर गया फिर मैं भुत पिशाच निकट नहीं आवै महावीर जब नाम सुनावें इसका जाप करते हुए उस भुत से टकराने के लिए चला गया और क्यूंकि मुझे पता था कि भुत मेरा कुछ नहीं बिगाड सकता है और हनुमान भैया के श्लोक के उच्चारण से वह भाग जाएगा हुआं भी ऐसा ही। फिर मैं मां के कमरे में गया वहां पर मैंने मां से कहा कि क्या हुआ मम्मी तो मम्मी ने सोते हुए जब मुझे देखी तो मां कि आंखों का रंग अलग चेहरे पर दाग था। मां ने कहा कि तबियत ठीक नहीं है। फिर मैं अपने पुजा रुम में गयावही पर मैं सोता हूं फिर जा कर मैंने मन में सोचा कि हनुमान जी का आवाहन करुंगा तो वो तो आएंगे नहीं इसलिए मैंने हनुमान भैया के दूतों का आवाहन किया और कहा कि यहां जितने भुत प्रेत है उन्हें मार मार कर भगा दें। इतना कि देर था गुरु जी हनुमान जी के दूत आने से पहले ही भुत प्रेत भाग गये। फिर मैं मां के कमरे में गया और कहां मम्मी अब कैसा लग रहा है मम्मी ने कहा अब ठीक लग रहा है और अब मम्मी कि आंखें नोर्मल और चेहरे पर कोई दाग़ नहीं था फिर स्वप्न टूट गया। फिर अगले रात सोया तो प्रेतो कि पुरी सेना आकर मुझसे लड़ने और डराने लगी हालांकि मैं डरा हुआं तो था पर शायद मैं उनसे अपनी शक्तियों द्वारा युद्ध कर रहा था और वह फिर भाग गये फिर ये स्वप्न भी टूट गया। गुरु जी इन सभी सपनों के बारे में बताइएगा प्लीज़ ।
गुरु जी मेरे कुछ और प्रश्न है
1. गुरु जी मुझे सांप से बचपन से ही डर नहीं लगता है और जब मैं सांपों को मरा देखता हूं तो बहुत दुखी हो जाता हूं हालांकि हर जानवर कि मौत को देखकर दुखी होता हूं। गुरु जी इस साधना के लगभग 2 महीनों के पहले से ही ऐसा महसूस होने लगा कि जैसे को सर्प इस पास है पर वहां देखता तो कोई नहीं था।
2. गुरु जी जब ये साधना के 3 दिन पहले जब मैं मनसा देवी मां के चालीसा का पाठ कर रहा था तो ऐसा लग रहा था जैसे कि कोई संबंध है इनसे। और घर में जो आर्थिक समस्या था वह थोड़ा बहुत अच्छा होने लगा। जैसे कि मनसा मां ने रोक रखा है और मेरे दिमाग के विचार भी शांत हो गये जो पहले दिन भर चलतें रहते थे।
3. गुरु जी नाग कन्या के माध्यम से सिद्धि नष्ट कैसे करु। और नाग कन्या को कैसे वचन में लूं। क्या मैं उनसे संबंध बदल सकता हूं जैसे कि मां या बहन।
4. गुरु जी मुझे गुरु मंत्र दीक्षा लिए हुए 2 साल होने वाले हैं फिर आप और मां के याद क्यूं नहीं आता है हमेशा हनुमान भैया ही याद क्यूं आंतें है और जब मैंने पाठ शुरू किया तो हनुमान भैया के चालीसा से शुरू किया और बचपन में भी ऐसी कुछ घटनाएं घटित हुई है जिससे अब के अनुभव से लगता है कि बचपन से ही हनुमान भैया कि और मां पराशक्ति और आपकी कृपा है। फिर आपलोग और गुरु मंत्र याद क्यूं नहीं आता है। क्या मैं इतना बड़ा पापी हूं
5. गुरु जी बचपन से ऐसा महसूस होता है कि काश मेरे पास भी कोई शक्ति होता और मैं लोगों को बचाता। इतना बड़ा हो गया हूं फिर भी ऐसा क्यूं होता है
6. गुरु जी जब मैं पहले ओम नम: शिवाय का जाप करता था चलते फिरते तो कई बार शिवलिंग ज़मीन के अंदर,तो कहीं मंदिर में, तो कहीं मंदिर बन रहा है,तो कहीं शिवलिंग प्रकट हो रहा हो।ये सारे मंदिर पुराने जमाने कि थीं और मुझे हनुमान जी के पंच मुखी और बोले बाबा के एक साथ प्राचीन मंदिर में दर्शन हुए है जो कि आज तक मैंने नहीं देखा हूं इसका क्या मतलब है
7. गुरु जी मैं घर में जब अकेला होता हूं तो मुझे पायल कि आवाज आता है।ऐसा क्यूं। ये बचपन से हो रहा है।
8. गुरु जी मुझे बचपन से जब मैं कोई पुजा पाठ नहीं करता था तब भी कभी ब्लू,कभी नीला और कभी रेड तो कभी बात रंगों का प्रकाश दिखाई देता है ऐसा क्यूं होता है
9. गुर जी मैं अपने पिता कि नशा छूडाकर ही गुरु मंत्र हवन कर पाऊंगा।तब तक कोई ऐसा उपाय बताए कि इन शक्तियों कि सिद्धी 100% नष्ट हो प्लीज़ गुरु जी।अब मुझे कोई बिजनेस शुरू करना है क्यूंकि मम्मी पापा बहुत ताने मारते हैं जिससे मैं पूर्ण ब्रम्हचर्य रह पाऊं प्लीज़ ।
10. गुरु जी की ऐसे गुरु भाई है जो दूसरे गुरु भाई से सहायता चाहते हैं जो कि अपनी सिद्धी या मुसीबत के समय उनकी मदद करें। लेकिन कोई भी गुरु भाई अपनी सिद्धी का प्रयोग या बताना भी नहीं चाहते हैं। इसलिए वो गुरु भाई गुरु मंत्र छोड़ दें रहें हैं। आपने भी कहें हैं कि किसी कि मदद पीछे से करें उनसे भी पुजा पाठ अनुष्ठान करवाएं। आपने ही उदाहरण दिए हैं कि कोई अगर पिशाचिनी को सिद्ध करके उससे किसी को भोजन या कोई मदद करते हैं तो पिशाचिनी शुद्ध के साथ साथ उसकी शक्तियां भी बढ़ती है। और अगर गुरु भाई अपनी सिद्धियों का प्रयोग स्वयं के कार्यों को करने के लिए ही करेंगे तो भविष्य में ऐसी समस्याओं का सामना कैसे करेंगे। और हम एक दूसरे कि ही सहायता नहीं करेंगे तो कौन करेगा। गुरु जी श्राप के कारण सीधे मदद नहीं कर सकते हैं फिर भी मार्गदर्शन करके पीछे से पुरी सहायता करते हैं।तो फिर हमें कौन सा श्राप मिला है जो किसी कि सहायता नहीं करते हैं। इस पर आप अपने विचार अवश्य दीजियेगा गुरु जी। मैं किसी कि शिकायत या विरोधी नहीं हूं बस ये मेरा मनना है गुरु जी जो बताएंगे वह मैं स्वीकार करुंगा।
प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए नीचे का youtube विडियो अवश्य देखे –