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नैना योगिनी और डायन कथा भाग 3

वस्तुएं है वे मिलती रहे, वह व्यक्ति भी उसके प्रेम में पड़ गया और वह उसके पास जाकर के कुछ ना बोला और उसे देखते-देखते बहुत से भावों को समझते हुए राजकुमारी को संतुष्ट किया, डायन ने कहा ठीक है लगता है ये व्यक्ति बोल नहीं पाता है इसे मारना तो बहुत ही आसान होगा l फिर इनका विवाह हुआ रात्रि के समय संभोग एक बार फिर से शुरू हुआ जब संभोग के दौरान उसने तलवार निकाली और उसने इस पर कोई मंत्र तंत्र का प्रयोग भी नहीं किया क्योंकि यह जानती थी गूंगा है वह बोल नहीं पाएगा तो मैं संभोग दौरान आराम से बीच में ही इसकी गर्दन काट दूंगी लेकिन वह गूंगा व्यक्ति बड़े ही आश्चर्य में पड़ गया और उसने उसको धक्का दिया और वहां से भागने लगा | जब वह भाग गया तो डाकिनी ने अपने वशीभूत प्रेतों से कहा जाओ उसका वध कर दो अपनी साथियों को आदेश दे दिया ये कहीं पर भी मिले उसका वध कर देना क्योंकि किसी को ये हमारी सच्चाई ना बताने पाए अगर मेरी सच्चाई किसी को भी बता दी तो हमारी जिंदगी पर संकट आ सकता है और मेरी तंत्र क्रिया यही बीच में रुक सकती है l इसलिए पिशाचनियों ने उसे दौड़ना शुरू कर दिया, वह व्यक्ति भी सामने खड़े एक घोड़े को देखा और उस

गूंगे व्यक्ति ने उस घोड़े पर चढ़कर बहुत तेजी से घोड़े को दौड़ाने लगा, पिशाचनियों की पूरी सेना उसके पीछे लग चुकी थी तभी सामने से वीरू आ रहा

था, जो अपने गांव में वापस आ रहा था वह यह सब देखता हैं की कोई घोड़े पर दौड़ता हुआ आ रहा है, वह आश्चर्य में पड़ गया तभी वह व्यक्ति वीरू के पास आया और इशारे में कहने लगा मुझे तुम तेजस्वी और साधु पुरुष लगते हो मुझे इन सब चीज़ों से मुक्त करो हालांकि वह सब ठीक से बोल नहीं पा रहा था लेकिन उसके भाव को वीरू समझ गया क्योंकि तंत्र की शक्ति के माध्यम से उसके पास नैना योगिनी की शक्ति थी इसलिए यह उसकी मुख्य भाषा को यानी की जो बोल नहीं पा रहा था उसकी बात को समझ गया और

उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा ठीक है पूरी बात बताओ और मैं तुम्हारी सारी बातें तुम्हारे इशारों से ही समझ जाऊंगा क्योंकि मेरे पास शक्ति है, अपनी

गूंगी अजीब भाषा में सारी बाते वीरू को समझा दी और जिसे वीरू पूरी तरह से समझ गया अब उसने तंत्र से एक बड़ा सा गोला बना दिया और उसके अंदर वो तीनो खड़े हो गए जैसे ही वो खड़े हुए जानवर जैसे-जैसे उनकी नजदीक आते गए एक भीषण अग्नि की ज्वाला उनके चारों तरफ प्रकट हो गई, जैसे ही वह उस गोले में प्रवेश करते जलकर के समाप्त हो जाते इस तरह करते करते पूरी सेना ही जलकर समाप्त हो गई, पहली बार वीरू को भी एहसास हुआ की स्वयं नैना योगिनी कितनी अधिक शक्तिशाली है, यह तो साक्षात देवी का स्वरूप है और इनकी शक्ति के माध्यम से सिर्फ एक चक्र में हम लोगों को एक सुरक्षा चक्र ने इस तरह से सुरक्षित किया कि जो भी उस रेखा से टकराता गया उस रेखा में आकर तुरंत ही भस्म होता चला गया ।

योगिनी ने कहा भईया गांव जाना अभी ठीक नहीं है क्योंकि मुझे ऐसा आभास हो रहा है की वहां पर कोई बहुत बड़ी नकारात्मक शक्ति का निवास हो गया है । हमें कहीं और जाना चाहिए इसपर वीरु ने कहा दीदी जब आप मेरे साथ हो तो भला मुझे किस बात का डर है इसलिए आप मेरी सहायता कीजिए और इस समस्या से हम सब को मुक्त कराइये ऐसा कहते हुए उसने प्रार्थना की इस बात से प्रसन्न होकर के योगिनी ने कहा की- हां ठीक है अगर तुम चाहते हो भैया तो मैं निश्चित रूप से तुम्हारी समस्याओं को खत्म करूंगी, ठीक है चलते हैं गांव में देखते हैं आखिर यह सब गांव में हो क्या रहा है, दोनों भाई बहन उस गूंगे व्यक्ति को जो बोल नहीं पाता था उसको साथ में लेकर के गांव में प्रवेश कर जाते हैं l गांव में अजीब सा माहौल था सभी घरों में लोग अपने रुपए और पैसे के लिए इतने ज्यादा व्याकुल थे की उन्हें अलग-अलग जगहों पर उसे छुपाया हुआ था और इस तरह सब देखते हुए अपने घर में वीरू पहुंच गया और उसने अपने घर का दरवाजा खोला l

अपने मां पिता जी से मिलकर बहुत ही प्रसन्न हुआ और साथ ही साथ उसने बताया की मुझे मेरी बहन मिल गई है । गांव वालों ने और बाकी जो उसके माता-पिता परिवार वाले थे वो सब देखकर आश्चर्य में पड़ गए की कहां से यह कोई लड़की ले आया है । ऐसी बात आई तो नैना योगिनी के रूप में जो शक्ति थी उन्होंने तुरंत ही कहा सुनो मैंने स्वयं ही इसे अपना भाई माना है और मेरे जिंदगी में कोई भाई नहीं था अब मुझे मां-बाप भी मिल गए हैं तो मैं सब की सेवा करूंगी और कहते हुए तुरंत ही रसोई में प्रवेश करके व्यंजनों की व्यवस्था करने लगी थोड़ी देर बाद अद्भुत सुंदर और चमत्कारी व्यंजनों का प्रसाद उन्होंने सबको दिया अर्थात सबके लिए भोजन बनाकर के लेकर आई, सब उसकी तारीफ करने लगे और कहने लगे कितनी अच्छी लड़की को अपनी बहन बना के लाया है जो खाना बनाने में अत्यंत ही निपुण है सब उसकी तारीफ करने लगे और नैना ने भी प्रसन्न होकर कहा की आज मेरा परिवार संपूर्ण हो चुका है क्योंकि मुझे भाई के साथ यह भी मुझे मिला है l

रात्रि के समय जब सब लोग सो जाते थे उस वक़्त नैना देवी गायब हो जाती थी और अपनी योग साधना में चली जाती थी और सब लोगों के जागते ही फिर से उनके सामने प्रकट हो जाती थी क्योंकि वह इस बात को जानती थी की अधिक समय तक मनुष्य रूप में रहने से नुकसान हो सकता है, बार-बार इस प्रकार रात्रि के समय वह गायब हो जाती थी और फिर जब सामान्य दिनचर्या होती थी तो अपने भाई के पास वापस लौट आती थी इस प्रकार से वे वहां रहने लगी गांव में अगल-बगल जिन लोगों को बीमारियां थी नैना योगिनी को देखने मात्र से उनकी बीमारियां ठीक होने लगी तो इस बात की चर्चा अगल-बगल में होने लगी की हमने सुबह वीरू के घर मे आई हुए उसकी बहन को देखा और देखने मात्र से हमारी बीमारी ठीक हो गई ऐसा अद्भुत चमत्कार ! यह इतनी शुभ कैसे है ? इस बात से पूरे गांव में सभी लोग आश्चर्यचकित होने लगे यह बात धीरे-धीरे करके डायन तक भी पहुंच गई डायन ने अपने विद्या से जाना तो उसे पता लगा की यह तो कोई बहुत शक्तिशाली देवी योगिनी है और इसका मुकाबला मेरे बस की बात नहीं क्योंकि ये साक्षात दुर्गा देवी की शक्ति मानी जाती है इस वजह से मैं इसका मुकाबला नहीं कर पाऊंगी अच्छा होगा की मैं इस से दूर ही रहूँ आने वाली बड़ी परेशानी को देखते हुए डाकिनी ने बहुत ही तीव्र दिमाग लगाया और उसने अपनी पिशाचिनी को अपना स्वरूप देकर कहा, आज से मैं तुम्हे जो आज्ञा दूंगी वो तुम करोगी और सब जगह पर तुम ही सबके सामने रहोगी और मैं कुछ दूर पीछे तुम्हारे सैनिकों के बीच खडी रहूंगी तुम्हारे रूप में अगर कोई खतरा होगा तो तुम ही उसकी साक्षी होगी और तुम ही उसे झेलोगी जबकि पीछे से मेरा नियंत्रण होने की वजह से कोई नहीं जान पाएगा की वास्तव में असली रानी कौन है l

डायन ने अपना स्वरूप जो राज कुमारी का था उसे पिशाचनी को दे दिया और उस पिशाचनी का स्वरूप स्वयं धारण करके उसकी सेना में वह प्रवेश कर गई और एक बार फिर से लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए गांव में पहुंचकर उसने एक बार फिर से चांदी के सिक्के बटवाए और लोग एक बार फिर से चांदी के सिक्के पा कर खुश हो गए और पुरानी बातों को भूल गए इधर जो गूंगा लड़का उसके पास आया हुआ था, उसे देखकर तुरंत इशारे करने लगा इशारे करते ही पिशाचनी को यह बात पता लग गई की यह मेरी तरफ ही इशारा कर रहा है उसने यह बात तुरंत जाकर के अपनी रानी को बता दी l

रानी जो डायन के रूप में थी उसने उससे कहा इसे तुरंत जान से मार दो उसको मारने के लिए जैसे वो वहां गई, क्योंकि नैना उसके साथ में थी इस वजह से उसकी शक्ति काम नहीं कर पाई पिशाचनी ने कहा की उस पर कोई शक्ति काम नहीं कर रही क्योंकि वहां पर एक योगिनी स्थित है, कुछ ऐसा करो जिससे हमारा काम हो जाए डायन ने मंत्र जाल का प्रयोग करके ना बोल सकने वाले आदमी को घोड़ा बना दिया अब वह सफेद घोड़े के रूप में इधर उधर चलने लगा बीरू ने सोचा की वह ना बोल सकने वाला गूंगा आदमी आखिर गायब कहां हो गया वीरू उसे ढूंढने लगा लेकिन वह कहीं भी नहीं दिखा, उसने सोचा की शायद कहीं चला गया होगा अब ऐसे समय में उसने बहुत सारे ऐसे घोड़े देखें जो सफेद रंग के थे उन में से एक गूंगा व्यक्ति भी था जो घोड़ा बना हुआ था, उसने सफेद घोड़ों को देखा और कहा की एक घोड़ा मुझे बढ़ा अच्छा लग रहा हैं, उनमें से उसने एक घोड़े को अपने यहां बांध लिया यह वही घोड़ा था जो गूंगा व्यक्ति था वो साथ में इसलिए चल रहा है क्योंकि वह कुछ बोल नहीं पा रहा था और ना ही कोई इशारे कर पा रहा था लेकिन सब अपनी आंखों से रोते हुए देख रहा था इस प्रकार उस सफेद घोड़े को बांध लिया गया, अब क्योंकि उस घोड़े को सब पता था लेकिन वह कुछ कह नहीं पा रहा था । तभी एक इंसान को जो घोड़े की आवाज समझता था घोड़े के पास आया उससे बात करने की कोशिश की क्योंकि घोड़े के रूप में गूंगा व्यक्ति था उसने अपनी बात घोड़े की आवाज में उसे समझा दी वह व्यक्ति यह बात समझ गया की यहां पर डायन का प्रकोप है और सामने वाली लड़की जो है वह डायन है l

जो राजकुमारी है वही डायन है उसने यह बात वहां के मुखिया को बता दी मुखिया और वह व्यक्ति तुरंत ही अपने अस्त्र-शस्त्र को उठा करके उसे जान से मारने के लिए चल दिए जैसे ही उसके पास में पहुंचे क्योंकि वह डायन नहीं बल्कि पिशाचिनी थी पिशाचिनी ने तुरंत ही दोनों को मार दिया l वहां एक व्यक्ति खड़ा था उसने हत्या होते हुए देखी और भागता हुआ गांव की तरफ जाने लगा, ऐसे में डायन ने अपनी शक्ति और अपनी नजर का प्रयोग किया और अपनी नजर तीव्रता से उसके शरीर की ओर भेज दी उसकी नजर जैसे ही उसके शरीर पर लगी तो वो हक्का बक्का सा रह गया लेकिन भागते भागते वह वीरू से टकरा गया, वीरू से टकराने पर वीरू ने कहा कौन हो तुम और इस तरह से क्यों भाग रहे हो लेकिन उसे कोई होश ही नही था सुबह तक उसकी दशा को देख कर के वीरू को कुछ शक हुआ जरूर कुछ गड़बड़ है क्यों ना मैं अपनी बहन की सहायता लूं उसे लेकर अपने गांव में अपने घर पर चला गया और उसे बिठाया थोड़ा सा पानी पिलाया l

वह अजीब अजीब बातें कर रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वह क्या बोल रहा है वह क्या कर रहा है इस वजह से बड़ी समस्या हो गई तो उस बात को समझते हुए उसने एक बार फिर से योगिनी को बुलाया और कहा की दीदी देखिए मुझे लगता है की इसके साथ कुछ गलत हो गया है, यह किसी तरह की तांत्रिक प्रयोग में फंसा हुआ है आप इसे ठीक कर दीजिए फिर नैना देवी ने कहा मैं तुम्हें अपना डायन नजर झाड़ने वाला मंत्र बताती हूं तुम उसे सुनो और मंत्र को तुम जप लो सात बार फिर फूंक मारकर पानी उसको पिला दो वो बिल्कुल ठीक हो जाएगा, तो उसने पूछा मुझे बताइए आप अपना मंत्र दीजिए, कहते हैं डायन की नजर झाड़ने वाला मंत्र स्वयं नैना योगिनी ने उसे दिया था, यह एक शाबर मंत्र था,

इस प्रकार से उसके कान में मंत्र बोला गया और फिर उसने मंत्र को जपा उसके बाद फिर उसने जब इस मंत्र का झाड़ा दिया तो अद्भुत चमत्कार घटित हुआ और उस व्यक्ति के ऊपर से डायन का प्रभाव निकल गया, डायन का प्रभाव निकलते ही व्यक्ति ने खुली आंखों से चारों तरफ देखा और गिरते हुए तुरंत उसने कहा- गांव वालों सावधान रहो यहां एक डाकिनी है वह राजकुमारी के रूप में स्थित है वो पुरुषों की बली लेती चली जा रही है, वह संभोग करने के दौरान पुरुषों की गर्दन काट देती है जब गांव के मुखिया और एक व्यक्ति को पता चला तो वो उसे मारने के लिए गए थे लेकिन डायन ने उन दोनों को मार डाला l अब तो बड़ी स्थिति खराब है……आगे के लिए भाग 4 पढे

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