पिशाच मंदिर और नीली आंखों वाली पिशाचिनी भाग 3
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । अभी तक हमारी कहानी पिशाच मंदिर और नीली आंखों वाली पिशाचिनी भाग दो आपने जान लिया है । और अभी तक आपने जाना कि किस प्रकार से नीली आंखों वाली पिशाचिनी जिसका नाम रेवा है वह एक बहुत ही शक्तिशाली और रूपांतरण विद्या को जानने वाली एक पिशाचिनी है । अपने इसी प्रयोग के द्वारा वह अपने नगर से बाहर निकलते है और जितने समय तक यह शक्ति रहती है उतने समय में वह मनुष्यो का शिकार करते हैं । इसी तरह का प्रयोग करके उसने 51 मनुष्यो को पकड़ लिया । उसी के पीछे पीछे एक राजकुमार भी वहां चला आया राजकुमार ने पिशाच बनने की कोशिश की ताकि वे अपने आप को बचा सके कि वह मनुष्य है । और इसी दौरान उसका ऐसा प्रयोग हो गया जिसके माध्यम से वह सारे पिशाचो से जीत गया । अपनी एक गोपनीय चिड़िया के माध्यम से और इसी की वजह से उसे रेवा से विवाह करना था । उनके यहां के नियम कायदे बिल्कुल ही अलग थे । जैसे कि मनुष्यो में नहीं होते हैं सबके सामने ही रेवा नग्न होकर के उस वक्त कुंड में प्रवेश करती है । जिससे उसके पूरे शरीर पर रक्त ही रक्त लग जाता है । अब उसको विवाह करने के लिए सुकता से यह शर्त रखी जाती है कि पिशाच की विद्या के द्वारा उसे अपनी जीभ से रेेवा के पूरे शरीर को चाटना होगा । और उसके शरीर को जीभ से साफ करना होगा । सुकता यह सब देखता है और कहता है कि अब तो मुझे मनुष्य का रक्त भी पीना पड़ेगा । और इसके साथ संबंध भी बनाने पढ़ सकते हैं । इसी समय वह अपनी कुलदेवी को याद कर रहा था घबराया हुआ डरा हुआ सा था लेकिन तभी उसके दिमाग में एक विचार आता है । कि वह अपने आपको किस प्रकार से बचा सकता है अब आगे जानते हैं कि आगे क्या हुआ । सुकता यह सोच रहा था कि कैसे इस समस्या से उभरा जाए उसे मनुष्यो का रक्त चखना होगा और वह भी किसी नग्न स्त्री को चाट चाट करके ।
पता नहीं उसकी जीभ शरीर के किस किस अंग को छुएगी एक तो कामुक उत्तेजना को पैदा करता है साथी ही साथ घृणात्मक को भी ज्यादा । क्योंकि अभी तक उसने किसी जीव के रक्त को भी नहीं चखा था और यहां पर तो उसे स्वयं मनुष्य के रक्त को चखना था । जो उसके पूरे शरीर पर लगा हुआ था वहां की परंपरा इसी तरह की थी सुकता के होश उड़े जा रहे थे । वह अपनी कुलदेवी को याद करके अपने दिमाग पर जोर डाल रहा था कि किस प्रकार से वह अपने आप को बचा सकता है । जैसे चिड़िया के माध्यम से उसने अपने आप को बचाया था क्या वह यहां अपने आप को बचा सकेगा । सोचते सोचते वह अपनी नजर चारों तरफ दौड़ाता है और कुछ सोचते हुए उसके मन में विचार आता है वह जाकर के अपने शरीर पर जितने भी वस्त्र थे उन्हें उतार देता है और नग्न होकर के सुकता के शरीर से जाकर के उसे गले लगा लेता है । सारे पिशाच चिल्लाने लगते है खुशी में इधर-उधर कूदने लगते हैं सुकता उसकी गर्दन के दाहिने कोने से उसके रक्त को चाटता है । जिसे देख कर और जोर से सभी के सभी पिशाच कूदने लगते हैं । क्योंकि प्रेम दर्शाने की यह पद्धति किसी भी पिशाच के दिमाग में नहीं आई थी । के वह गर्दन के निचले हिस्से से अपने जीभ को फिराए । सुकता यह करते-करते उसे लेकर अपनी गोदी में ही सहलाता हुआ धीरे-धीरे करके चोटी के किनारे तक पहुंच जाता है । और वहां से उसे लेकर नीचे की और कूद जाता है । नीचे एक तालाब बना हुआ था यह बात सुकता ने पहले ही देख ली थी । सुकता के सामने बड़ी समस्या थी कुछ रक्त तो उसे चाटना ही था । इसके अलावा उसके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था पिशाचिनी भी कुछ समझ नहीं पाती है । और दोनों उस तालाब में गिर जाते हैं तालाब में गिरने की वजह से रेवा के शरीर पर लगा हुआ मनुष्य का सारा रक्त धूल जाता है । और दोनों एक दूसरे से प्रेमालाप करने लगते हैं । सुकता के सामने अब कोई दूसरी अवस्था नहीं थी । क्योंकि यह तो उसे करना ही था पिशाचो में परंपरा थी कि तुरंत ही संबंध बनाने आवश्यक होते हैं । तो उसे उससे अच्छी जगह नहीं मिल सकती थी । क्योंकि वह खुलेआम यह करने में मनुष्य होकर के उसके लिए एक बहुत बड़ी बात थी ।
शर्म और लिहाज पिशाचो में नहीं होता इसलिए सुकता को जल सबसे उपयुक्त लगा । जहां उसे उसके शरीर को चाटना भी नहीं पढ़ा क्योंकि उसका रक्त सारा का सारा जल में मिल गया । और यहां संबंध बनाने से लोग उसे देख नहीं पाएंगे इस प्रकार से दोनों के बीच में बड़ी ही अजीब तरीके से शारीरिक संबंध बनते चले गए । रेवा बहुत ही ज्यादा प्रसन्न थी क्योंकि उसे अपना पिशाच मिल चुका था । लेकिन सुकता के मन में एक भाव चल रहा था उसे सुंदरी तो मिली थी जिसे वह पसंद करता था । लेकिन वह यह जानता था यह एक पिशाचनी है । इसका और उसका कोई मेल नहीं है यह तो मनुष्यो का रक्त पीने वाली है । संबंध बनाने के दौरान उस नीली आंखों वाली रेवा ने बड़ी ही प्रसन्नता से उसके शरीर को अपने शरीर से भिचा और दांतो से चबाकर के कहने लगी कि आज तक इतना कोमल पिशाच मुझे कहीं नहीं मिला । तुम्हारे कंधे तुम्हारे शरीर का मास इतना अधिक कोमल है जितना मैं सोच नहीं सकती थी । कोई भी पिशाचिनी कोमल से कोमल होगी लेकिन तुम्हारे जैसे शरीर वाली नहीं है । कहां थे इतने दिन छुपे हुए तुम तो मेरे प्राण हो मैं तुम्हें वचन देती हूं कि मैं तुम्हारी जिंदगी भर साथ निभाऊंगी और तुम्हें कभी नहीं छोडूंगी । सुकता कह रहा था कि मैं यह सोच रहा हूं कि तुम मुझे अब छोड़ोगी और तुम मुझे वचन दिए जा रही हो । वह अपने मन ही मन यह बात सोच रहा था इसी प्रकार दोनों के बीच में इस प्रक्रिया में काफी देर तक संबंध बनते रहे । सुकता थक चुका था सुकता ने कहा अब रहने दो बहुत अधिक देर हो रही है चलो चल कर भोजन किया जाए । रेवा कहने लगी क्या इतनी जल्दी थक जाते हो इस पर सुकता ने कहा मुझे भूख लग रही है । रेवा ने कहा ठीक है मेरे मालिक अब तुम जैसा कहोगे वैसा ही मैं करूंगी आखिर मैं तुम्हारी पत्नी हूं । और रेवा वहां से बाहर निकल आई रेवा वहां से बाहर निकल रही थी तब सुकता के मन में विचार आया कुछ भी हो यह स्त्री है और स्त्री को मर्यादा में रहना चाहिए ।
वह कहता है क्या तुम मुझे एक वचन दे सकती हो रेवा ने कहा तुम मेरी जान भी मांगोगे तो मैं वह भी देने के लिए तैयार हूं । तो राजा के पुत्र सुकता ने कहा कि तुम्हें सुनने में बड़ा अजीब लगेगा लेकिन मैं तुम्हारे यहां की परंपरा तोड़ना चाहता हूं । रेवा ने कहा ऐसी कौन सी परंपरा है जो तुम हम पिशाचों की तोड़ना चाहते हो । सुकता ने कहा आज से तुमको वस्त्र धारण करना होगा तुम शरीर पर कुछ ना कुछ जरूर पहनोगी । रेवा ने हंसते हुए कहा इसमें कौन सी बड़ी बात है लेकिन हमें पहनना तो अच्छा लगता ही नहीं है ना ही यहां कोई पहनता है हम तो इसी प्रकार रहते हैं । देखो यह सब चीजें खुली खुली है यहां कुछ भी बंद नहीं है और तुम कह रहे हो कि मैं अपने शरीर को बंद करके रखू भला । फिर लोग मुझे सुंदर-सुंदर क्यों कहेंगे आज सब मुझे देखते हैं और कहते हैं कि मैं बहुत ज्यादा सुंदर हूं । राजा के पुत्र सुकता ने कहा तुम्हारी सुंदरता अब मुझे मिल चुकी है और अब तुम मेरी हो चुकी हो इसलिए तुम्हें मेरी यह बात माननी होगी । रेवा हंसने लगी और कहने लगी ठीक है अगर तुम ऐसा कहते हो तो मैं पत्तों के बने हुए कपड़े पहनूंगी और अपने शरीर को ढक कर रखूंगी । शायद तुम्हें दूसरे लोगों से जलन हो रही है कि वह मेरे शरीर को और सुंदरता को देख कर के मुझे उस भावना से ना देखें । सुकता ने कहा शायद तुम मनुष्यो में नहीं जानती उनकी स्त्रियों को वह तो अपने शरीर को पूरा ढक कर रखती है । रेवा ने कहा हां यह बात तो सही कहा मैंने सारी स्त्रियों को देखा है मनुष्य की वह अपने पूरे शरीर को ढक कर रखती है । भला वे ऐसा क्यों करती है सुकता ने कहा स्त्रियां अगर मर्यादा में ना रहे तो पुरुष का भी अस्तित्व नष्ट कर देती है । इसलिए स्त्रियों को हमेशा मर्यादा में ही रहना चाहिए । रेवा को उसकी बात अच्छी लगी और वह तुरंत अपने पिता के पास गई और उनसे कहने लगी पिताजी मुझे लगता है मुझे वस्त्र पहनने चाहिए । उसके पिता ने उसे घूर कर देखा और कहा तुम चाहती हो कि तुम्हारी सुंदरता कोई ना देखें ।
रेवा ने कहा हा पता नहीं लेकिन मैंने मनुष्यो के बीच जाकर यह बात देखी है कि उनकी स्त्रियां कपड़े पहनती है और मुझे भी लगता है कि हमें कपड़े पहन कर रखना चाहिए । हमारे जो भी गोपनीय अंग है उनको भी ढक कर रखना चाहिए । क्योंकि हम फिर इन जानवरों की तरह ही दिखने लगते हैं । जैसे कि यह सारे जानवर नग्न रहते हैं । उसकी बात को समझते हुए राजा ने कहा तूने आज बहुत अच्छी बात कही है इसलिए जा बेटी मैं तुझे आदेश देता हूं और साथ ही साथ तेरी वजह से मेरे मन में यह ख्याल आया है कि सच में हमारी स्त्रियों को और सारी पिशाचिनीयों को कपड़े पहन कर ही रहना चाहिए । और उसी दिन के साथ पिशाच नगरी में आदेश हो गया कि आज से स्त्रियां अपने अंदरूनी अंग को ढक कर रखेंगी बाकी शरीर को वह चाहे खुला रख सकती है । उसकी बात को सुनकर सभी पिशाचिनीयों में एक खुशी की लहर दौड़ी और उन्हें महसूस होने लगा जरूर ना जरूर सब कुछ उस नए पिशाच की वजह से हुआ है । सभी की नजरों में उसकी इज्जत बढ़ गई रेवा भी वस्त्र पहनकर रहने लगी और अपने अंदरूनी अंगों को ढकने लगी । सुकता को यह बात अच्छी लगी तभी रेवा ने कहा कि चलो भोजन करते हैं । उसी समय एक कटे हुए मनुष्य के शरीर को लाया गया जिसे देख कर के सूखता के मन में उल्टी आने लगी सुकता ने कहा अब क्या मैं नरभक्षी बनूंगा । सोच ही रहा था कि तभी उसने कहा कि मेरा मन मनुष्यो को खाने का नहीं कर रहा मुझे हिरण ला कर दो । सुकता का कहना था रेवा ने कहा अवश्य ही पर सबसे अच्छा भोजन तो मनुष्यो का ही होता है मनुष्य का मांस नरम होता है और नोचने में उसे और खाने में उसे बड़ा ही आनंद आता है । किसी भी और जीव में देखो उनकी खाल बड़ी ही मोटी सी और भद्दी सी होती है उसे काटकर अलग करना पड़ता है । पर मनुष्य को देखो उसकी खाल को काटने की जरूरत नहीं पड़ती आप सीधे ही उसके शरीर को खा सकते हो ।
सुकता सोच रहा था कि अगर अगर इनको पता होता कि मैं मनुष्य हूं तो मेरा क्या हाल करेंगे । खैर उसमें से कई पिशाच बोलने लगे मुझे तो मनुष्यो का सर पसंद है कोई कहने लगा मुझे तो उसके टांगे पसंद होती है कोई कहता मेरे को उसका पेट फाड़कर उसके अंदर के शरीर को खाने में बड़ा ही आनंद आता है । इसी प्रकार सारे लोग अपनी अपनी बातें कहकर खुशी मना रहे थे । क्योंकि सुकता रेवा का पति था इस वजह से सुकता की सारी बात लोग मानने लगे । सुकता ने कहा मेरे लिए हिरण लाया जाए और इस प्रकार से हिरण लाया गया । जैसे ही उसके लिए हिरण लाया गया सुकता ने कहा इसे पका करके लाओ । क्योंकि ऐसा भोजन कच्चा खाना मुझे नहीं पसंद है । सब ने उसकी तरफ देखा और आश्चर्य से सब सोचने लगे खैर जो वह कहता उसकी बात मान ली गई । और इस प्रकार हिरण को पका कर लाया गया और फिर सुक्या ने खाया । सुखदा ने जल्दी ही जल्दी एक प्रयास किया और वह एक चीज को पता लगाने लगा जिसे वह जल्दी ही जान गया के एक सिद्ध जड़ी है । जो सबको अचेत कर देती है । और पूर्णिमा के दिन अगर उसका प्रयोग किया जाए । तो सारे पिशाच सो जाते हैं इसलिए पूर्णिमा के दिन यहां से भाग जाने का निर्णय लिया । और वह जड़ी के लिए उसने अपने सैनिकों को गोपनीय आदेश दिया सबने वह जड़ी इकट्ठा कर ली । पूर्णिमा की जैसे ही रात आई उन्होंने वह जड़ी सुलगा दी । पूरा का पूरा पिशाच नगर सो गया । जिसमें रेवा भी सो गई यह लोग तुरंत ही राज्य से भागकर बाहर निकल कर आ गए । राज्य से वापस आने के बाद किसी तरह वह दौड़ते हुए अपने नगर में पहुंचे । और सारी बात उन्होंने राजा को बताई तो राजा आश्चर्यचकित हो गया । राजा ने कहा यूं तो पिशाचो को आते मैंने सुना था लेकिन वह तो हमारी नगरी में भी आ सकते हैं । यह पहली बार सुना तब सुकता ने उन्हें बताया कि कुछ दिन होते ही जब वह आ सकते हैं जिसमें अमावस की रात शामिल होती है । और वह दिन अमावस का ही था जिस दिन हम लोग शिकार पर चले गए थे । कुछ समय तक उनके रहने की शक्ति होती है ।
फिर उन्हें अपने नगर में वापस जाना पड़ता है । क्योंकि वह यहां अगर ज्यादा देर रहेंगे तो मारे जाएंगे । इसीलिए कुछ दिन दो-चार दिन कुछ विशेष पिशाच धरती पर हमारी दुनिया में आकर रह सकते हैं । और उनकी जो नगरी है वह एक विशेष प्रकार के आवरण से ढकी रहती है । जिसकी वजह से वह वहां पर अच्छे प्रकार से रह लेते हैं । इस प्रकार सुकता ने सारी बात सुनाई केवल राजकुमारी से संबंध बनाने की बातों को छोड़कर । पिता ने कहा मुझे लगता है अब तुम्हारा विवाह कर देना चाहिए । इससे पहले कि कोई पिशाचिनी तुम्हारे पीछे पड़ जाए । क्योंकि उन्होंने सारी बात जान ली थी राजा ने तुरंत ही कई प्रस्ताव भेजे । जिसमें से एक राजकुमारी को पसंद कर लिया गया और उसका विवाह शीघ्र ही सुकता के साथ कर दिया गया । राजकुमारी बहुत सुंदर थी और उसके साथ सुकता बहुत ही ज्यादा खुश था । 1 दिन विवाह के पश्चात फूलों के उपवन में राजकुमारी के साथ बातें करते हुए वह टहलने लगा । और टहलते टहलते राजकुमारी ने कहा मुझे ढूंढो कह कर के वह खेलने लगी । राजकुमार सुकता ने एक पेड़ के पीछे अपनी आंखें बंद की और उसे ढूंढने लगा । लेकिन फिर वह ढूंढता ही रह गया और उस फूलों के उपवन में वह राजकुमारी जिसके साथ उसका विवाह हुआ था वह नहीं मिली । शाम तक एक पेड़ पर उसकी लटकी हुई लाश दिखाई पड़ी । जिसका सिर गायब था और शरीर पूरा का पूरा सुखा हुआ था । जिस पर रक्त की एक बूंद भी नहीं थी । उसको देख कर के राजकुमार भयभीत हो गया यह बात धीरे-धीरे करके पूरे जंगल की तरह यह बात पूरे नगर में फैल गई । इस बात से बचने के लिए राजा ने सुकता से कहा तुम्हें फिर से विवाह कर लेना चाहिए और इस बात को दबा देना चाहिए ।
सुकता ने कहा इतनी जल्दी मैं कैसे विवाह कर लूंगा । तभी राजा ने एक विशेष मंत्री की पुत्री के लिए कहा कि इससे विवाह तुम्हारा करवा देते हैं । और राजा ने रातों-रात सुकता का विवाह फिर से करवा दिया । सुहागरात में राजकुमारी जो अब सुकता की पत्नी बनी थी वह अपने सुहाग के बिस्तर पर बैठी हुई थी । अचानक से राजा का पुत्र यानी कि सुकता उस कमरे में प्रवेश करता है । और वह अपनी आंखों से एक ऐसा नजारा देखता है जिसको देख कर के वह दुख से पागल हो जाता है । राजकुमारी का नग्न शरीर और उस पर उसके हृदय को कटा हुआ देख कर के । जो उसके पेट के ऊपर रखा हुआ था । और जिससे रक्त की धार बह रही थी हृदय जो है फुदक रहा था । यानी कि किसी ने उसका दिल निकाल कर के बाहर कर दिया था । और जिससे अभी भी खून फुदक रहा था । हृदय कूदता जा रहा था । इतनी बुरी स्थिति में उसकी मृत्यु हुई थी । जिसको देख कर के राजकुमार सुकता शोक में डूब गया । और चारों ओर हाहाकार मच गया । अब आगे क्या हुआ हम लोग जानेंगे अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।