पिशाच मंदिर और नीली आखों वाली पिशाचिनी भाग 2
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । अभी तक आपने पिशाच मंदिर और नीली आंखों वाली पिशाचिनी भाग 1 के बारे में जाना । की किस प्रकार से एक नीली आंखों वाली पिशाचिनी हीरनी का रूप लेकर के मनुष्य को आकर्षित करती हैं । और फिर उसके पिशाच उसे पकड़कर ले जाते हैं । उन पिशाचो ने उन मनुष्यों का वध करने के लिए ही उन्हें पकड़ा था । और अपने जो उनका एक महोत्सव होता था वार्षिक महोत्सव जिसमें वह महा पिशाचिनी देवी की पूजा किया करते थे । उसमें उन मनुष्यों की बलि चढ़ा कर उनके ही भोजन और रक्त का पान करना होता था । इसीलिए उस नीली आंखों वाली पिशाचिनी रेवा ने वह स्थान चुना । और वह अपने क्षेत्र से निकलकर बाहर आई लेकिन इनकी भी अलग ही समस्याए थी । यह अपने क्षेत्र को जब छोड़कर बाहर आते थे तो केवल कुछ ही दिनों तक वह अपने रूप स्वरूप के मालिक रह पाते थे । उसके बाद उनके ऊपर प्रभाव पड़ जाता था । इसलिए वहां से उन्हें जल्दी ही हटना होता था इसी कारण से वह अपनी माया को रचते थे । ताकि वह जल्दी से जल्दी वो मनुष्यों को आकर्षित करके अपने पास बुला सके और हुआ भी वही । राजा का पुत्र जिसका नाम सुकता था इस माया में फंस गया और उसने अपने सैनिकों को हिरनी का पीछा करने के लिए भेज दिया । हिरनी का पीछा करते-करते अंततोगत्वा रेवा ने अपने असली स्वरूप में आकर के उन सबको अपने पिशाचों के माध्यम से पकड़वा लिया । लेकिन राजा का पुत्र अपनी भाग्य की वजह से बच गया । क्योंकि वह पेड़ पर अपने 4 सैनिकों के साथ चढ़ा हुआ था । अपने 4 सैनिकों के साथ उसने देखा कि किस प्रकार से एक हिरनी बहुत ही सुंदर स्त्री के रूप में बदल गई थी ।
और उसने सबको पकड़वा लिया था और इसके बाद वह अपने क्षेत्र में प्रवेश करने जा रही थी । अब राजा के पुत्र ने अपने सैनिकों से कहा कि हमें किसी भी प्रकार से उस क्षेत्र में प्रवेश करना है और जानना है कि यह पिशाचिनी आखिर जा कहां रही है । और उन्होंने धीरे-धीरे उसका पीछा करना शुरू किया । और अंततोगत्वा और वह पिशाच नगर में प्रवेश कर गए । वहां का माहौल बिलकुल अलग सा था । हर तरफ जीव जंतु और चीजें उन्होंने पकड़ के रखी हुई थी । और उनकी ही वह बलि देकर के स्वयं भोजन किया करते थे । जितने भी बलिया थी वह अवश्य ही दी जाती थी । और महा पिशाचिनी देवी को प्रसन्न करने के लिए । उनके सामने बलि देकर के ही भोजन किया जाता था । तभी वहां पर एक व्यक्ति जो द्वारपाल था उन्होंने इन लोगों को देख लिया और इन्हें रोका और कहा कि यहां क्या कर रहे हो । तुम लोगों को तो उत्सव में होना चाहिए जाओ और उत्सव में जाकर के उत्सव का आनंद लो । घबराते हुए सुकता ने जो कि राजा का पुत्र था इस बात को समझा कि चलो अच्छा हुआ कि इसने हमें पहचाना नहीं । हमारे जो मुखोटे हैं यह हमको बचा लिए हैं । और धीरे-धीरे करके वह एक और बढ़ने लगे तभी उसने एक सुंदर सफेद रंग की चिड़िया झाड़ियों में फंसी हुई देखी । उस पर राजा के पुत्र सुकता को दया आ गई । कहते हैं कि जब भी किसी पर दया की जाती है और किसी की मदद होती है तो ईश्वर निश्चित रूप से आपकी मदद भी करता है । घायल हुई सी चिड़िया को उसने अपने हाथों से उस झाड़ी से निकाला और उसके लगे शरीर पर कांटो को साफ किया । फिर उसने अपने पास रखी हुई दिव्य जड़ी-बूटी को उसके शरीर पर हल्का सा मला और वह चिड़िया पूरी तरह से स्वास्थ्य हो गई । उसने उसे अपनी जेब में धर लिया क्योंकि वह जानता था कि अगर उसके हाथ में किसी ने देख लिया तो हो सकता है कि पहले ही पकड़ कर उसे कच्चा उसे खा जाए । इसलिए उसे उसने अपनी जेब में रख लिया अब यह लोग धीरे-धीरे करके उस क्षेत्र की ओर बढ़ने लगे ।
जहां महापिशाचनी देवी उत्सव होना था । उन्होंने देखा कि सब सब तरफ बड़े-बड़े पिशाच शक्तिशाली पिशाच उनके शरीर बहुत ही ज्यादा मजबूत थे नाच गाने में मगन थे । पिशाच राज में यह बड़ा सा आयोजन किया हुआ था । जिस आयोजन को देख कर के सभी राजा के पुत्र सहित सैनिक आश्चर्यचकित हो रहे थे । वह सब यह देख रहे थे कि किस प्रकार से यह इनके यहां विशेष तरह का माहौल होता है । लेकिन साथ ही साथ उन्हें यह सब घृणात्मक इसलिए लग रहा था कारण की सभी नंगे धड़गे थे । अर्थात शरीर पर वस्त्र ना धारण करने वाले साथ ही साथ मनुष्य के भोजन को अपना भोजन समझने वाले । यहां तक कि मनुष्य को अपना भोजन समझ लेने वाले यानी कि वह कुछ भी खा लेने वाले जहां भी उन्हें मास दिखे वह सब मासों का भक्षण कर रहे थे । कोई भी जीव जंतु ऐसा नहीं था जिसको उन्होंने पकड़कर ना रखा हो । यहां तक कि उन्होंने बाघों को भी पकड़ कर रखा था । उनकी भी बलिया चढ़ाकर उनका भी शरीर का मांस खा लेते थे । इन्हें पता नहीं क्यों ठंड नहीं लगती थी । सुकता ने कहा कि पता नहीं इतना मांस खाते हैं शायद इसी वजह से इन्हें ठंड नहीं लगती । और यह शरीर पर वस्त्र नहीं पहनते लेकिन इसके बावजूद भी रेवा अत्यधिक सुंदर थी । और उसके रूप को देखकर के हर पिशाच उसे अपनी पत्नी बनाना चाहता था । लेकिन फिर भी उसका ध्यान किसी पर भी नहीं था । शायद आज वह दिन आ गया था जब पिशाच राज कुछ विशेष तरह की बात कहने वाले थे । धीरे-धीरे करके जैसे ही रेवा उस क्षेत्र में पहुंची सभी ने उसकी ओर देखा । सब उसकी सुंदरता देखकर के आश्चर्यचकित थे । पिशाच राज यह सब देख रहे थे पिशाच राज ने उसे तुरंत कहा अपना रूप परिवर्तित करो । तुम्हें इस प्रकार से सबके सामने नहीं आना चाहिए और वह तुरंत ही एक विशालकाय हिरनी के रूप में बदल गई । और वह उस तरह घूमने लगी । तभी पिशाच राज अपने सिंहासन से उठा और महापिशाचिनी की एक विशालकाय मूर्ति के सामने खड़ा होकर कहने लगा कि आज हम अपनी देवी को 51 मनुष्य की बलि चढ़ाएंगे । और सभी जोर जोर से चिल्लाने लगे । पिशाच राज ने कहा यह तो सिर्फ एक उदाहरण है ।
मनुष्य के रक्त में नहा कर के मेरी कन्या को जो भी वरेगा मैं उसे भविष्य में अपना आधा साम्राज्य भी दूंगा । पिशाच राज की बात सुनकर सब पिशाचो के मन में कामवासना के साथ में महत्व कांसा ने जन्म ले लिया । सब के सब यही सोचने लगे के साथ में रेवा तो उन्हें मिलेगी ही मिलेगी पिशाच राज अपना आधार राज्य भी देगा । क्योंकि वह उसका दामाद होगा पिशाच राज ने कहा आज 51 मनुष्य की बलि के बाद प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी और उस प्रतियोगिता में जो भी जीतेगा उसी को मैं अपनी पुत्री रेवा दूंगा । रेवा भी खुशी से नाचने लगी और हिरनी के रूप में वह कूदने लगी । यह देख कर के सुकता कहने लगा कैसे बेवकूफ है । बताइए एक तो सब नंगे धड़गे रहते हैं और ऊपर से इन्हें जीवन में कुछ भी समझ में आने जैसा कुछ भी नहीं लगता । इनके तो ना संस्कार है और ना ही कोई रीति रिवाज है । बस ऐसे ही यह जिए जा रहे हैं । और हम मनुष्यों का खून किए जा रहे हैं । तभी उसके साथी ने हाथ पकड़ कर कहा आप जोर से ना बोलिए कहीं उन लोगों ने सुन लिया कि हम पिशाच नहीं है तो सबसे पहले बली हमारी होगी । वैसे भी इससे बुरा और क्या हो सकता है कि अपने 51 सैनिकों की बलि हमें अपनी आंखों के सामने देखने को मिलेगी । सभी 51 के 51 सैनिकों को खड़ा किया गया देवी के सामने एक बड़ा सा कुंड था । उस कुंड को मनुष्यो के रक्त से भरा जाना था । और फिर उसमें से रक्तों को चारों तरफ बाटा भी जाएगा । ऐसा पिशाच राज बोल चुके थे । ऐसे वीभत्स चीजें देख कर के सुकता को उल्टी करने का मन हो रहा था । साथ ही साथ घृणात्मक की एक उच्च स्तर को देख रहा था । उसे इतना घिनौना लग रहा था कि अभी वह वहां से भाग जाए । लेकिन मजबूरी थी क्योंकि अगर वह ऐसा करता तो उसी समय वह भी मार दिया जाता । उसके सामने ही मंत्रों को पढ़ा गया उनकी भाषा के मंत्रों को पढ़कर के जैसे-जैसे मंत्र पढ़ते जाते । वैसे वैसे ही पिशाच जो विशालकाय थे उन्होंने उन मनुष्यों के सर काटने शुरू कर दिए । उनके सर काटे जाते और उसके शरीर से निकलता हुआ रक्त और उसके शरीर को पकड़कर सीधे उल्टा खड़ा किया जाता । ताकि जितना खून है गर्दन के रास्ते उस कुंड में भर जाए ।
ऐसा ही करते-करते 51 मनुष्यों की बलि दे दी गई । पिशाच राज ने तुरंत ही अपनी कन्या रेवा को आदेश दिया रेवा दौड़ते हुए हिरनी के रूप में गई और सीधे ही उसने उस कुंड में छलांग लगा दी । और वहां से वह अपने सुंदर रूप के साथ में रक्त से नहाई हुई उससे बाहर निकलती है । उसके पूरे शरीर पर रक्त देखकर हर पिशाच उसकी और दौड़ने की कोशिश करता है । पिशाच राज कहता है अभी नहीं यह उसे ही मिलेगी जिस तरह मैंने तय किया है । उसे रक्त में पूरी तरह से नहाई हुई और लाल लाल देख कर सब के सब उसको पाने की इच्छा में पिशाच शोर मचाने लगते हैं । पहली बार सुकता कहता है अभी तक तो यह मुझे अच्छी लग रही थी लेकिन अब बिल्कुल नहीं अच्छी लग रही है । यह ऊपर से नीचे पूरी तरह से खून में नहाई हुई है । खून के बर्तन से बाहर निकल कर आई और हर पिशाच इसके शरीर को चाटना चाहता है । क्योंकि उन्हें ऐसा ही लगता है इससे उत्तम और कुछ नहीं हो सकता और इसी अवस्था में उसका विवाह होगा । और रक्त से नहाई हुई वह आकर के खड़ी हो जाती है । तभी पिशाच राज आदेश देते हैं और कहते हैं कि अगर इसे जिसे भी प्राप्त करना है । तो मैं यह कहता हूं कि यहां पर जितने भी पड़े हुए पत्थर है उन पत्थरों को सामने वाले पर्वत पर फेंकना होगा । जिसका पत्थर सबसे दूर जाएगा वही सबसे शक्तिशाली है । उसकी बाजुओं में सबसे ज्यादा दम है । जिसका पत्थर सबसे दूर चला जाएगा उसे ही मैं अपनी पुत्री रेवा को दूंगा । अब समस्या आ चुकी थी हर के पास हर पिशाच तैयार था । तभी एक पिशाच ने अपने बगल खड़े सूखता से कहा कि क्यों रे तू भाग नहीं लेगा क्या । अरे जा भाग ले जाकर । और उसने उसके कंधे पर पीछे से जोर से हाथ मारा उससे हुआ यू की पिशाचो में शक्तियां ज्यादा होती है इस वजह से सुकता उसका हाथ लगते ही थोड़ा दूर उछल कर आगे जा गिरा । और वह उन लोगों की भीड़ में शामिल हो गया जिन लोगों को पत्थर फेंकना था । उनके बीच में वह इस तरह से जाकर गिरा कि सबको ऐसा लगा कि यह भी भाग लेने आया है । लेकिन सूखता बेचारा बड़ा ही परेशान था क्योंकि वह अब फस चुका था । उसके पास अब कोई विकल्प नहीं था ।
अगर वह वहां से भागता तो मार दिया जाता और अगर वह उस प्रतियोगिता में भाग नहीं लेता तो सभी उसे हे की दृष्टि से देखते । पहचानने की कोशिश करते अब सुकता के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि अगर उसने पत्थर फेंका तो वह तो पिशाचो की दूरी का आधा भी नहीं जाएगा । ऐसे में भी वह पहचान लिया जाएगा सैनिक अलग घबरा रहे थे वह जानते थे अगर यह पकड़ा गया तो साथ में हम भी पकड़े जाएंगे । 51 सैनिकों को जिस प्रकार वध किए गए हैं इस तरह इनका भी वध कर दिया जाएगा । बहुत ही बड़ी समस्या सामने आ चुकी थी । लेकिन कहते हैं ना भाग्य जो मंजूर होता है वही होता है । एक-एक करके सभी पत्थर फेंकने लगे उसमें से एक सबसे शक्तिशाली पिशाच जब सामने आया तो सब ने सोचा कि यही सब से दूर पत्थर फेंकेगा । वह सभी पिशाच पत्थर एक पर्वत से दूसरे पर्वत की दूरी नाप रहे थे । लेकिन जब सुकता की बारी आई और सुकता को सामने खड़ा किया गया । सुकता ने अपनी कुलदेवी माता को याद किया और कहा है माता अगर मैंने कुछ भी अच्छा किया है तो मेरे प्राण बचा लो । तभी उसका ध्यान अपने जेब में पड़ी हुई उस चिड़िया की ओर गया और उसे पकड़कर उसने कहा के हे चिड़िया आज मेरी जान बचा लो बस रुकना नहीं उड़ती चली जाना । तभी वहां शायद कुल देवी की कृपा से एक चमत्कार घटित हुआ । वहां के पेड़ों के पुष्पों में रोएदार बाल होते हैं । वह उड़ने लगे यह आगमन होता था के नजदीक ही आनी है सर्दीया इस आगमन के संकेत के रूप में पतझड़ के रूप में सफेद रोए उड़ते थे । उन सफेद रोए से ऐसा अंबार बन जाता था । जिससे सब कुछ बहुत अच्छे से नहीं दिखता था । शायद सुकता का भाग्य था सुकता ने आराम से चिड़िया को ऊपर उछालते हुए पत्थर की तरह फेक दिया । चिड़िया भी तुरंत वहां से उड़ती हुई चली जा रही है चिड़िया उड़ती जा रही थी । लोग देख रहे थे कि इसका पत्थर धीरे-धीरे जा रहा है लेकिन वह समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा क्यों हो रहा है ।
सारे के सारे पिशाच वह देखते रहे और देखते ही देखते वह पर्वत भी पार कर गई । सारे पिशाच उसी को देखने लगे की एक दुबला पतला सा पिशाच के इतनी इतना शक्तिशाली कैसे हैं । पिशाच राज भी उसको देखकर अचंभित था पिशाच राज ने कहा कि तू हमारे में कौन है अपना नाम बता । घबराते हुए सुकता ने कहा मैं सुकता हूं पिशाच राज ने कहा के आज से यही मेरा दमाद होगा । इसकी शक्ति तुमने देखी इसके पास देवीय शक्तियां जरूर मौजूद है । क्योंकि इसमें पत्थर को फेंका और वह पत्थर धीरे धीरे जा रहा था ऐसे जैसे कि कोई अपने लक्ष्य को भेद करता है । निश्चित रूप से यही मेरी पुत्री के योग्य है । अब मैं आज यह घोषणा करता हूं कि अब सुकता ही मेरी पुत्री का पति होगा । जाओ सुकता मेरी पुत्री को प्राप्त करके अपनी जीभ से उसके शरीर को साफ करो और रक्त का पान करो । पिशाच राज ने यह आज्ञा जैसे ही दी । सुकता के सामने अब इससे बड़ा और संकट क्या हो सकता था सुकता को मालूम था अब उसे सामने जाकर के रेवा के शरीर को अपनी जीभ से चाटना होगा । और उसके शरीर पर लगा हुआ पूरा रक्त इस प्रकार से चाट जाना होगा जैसे पिशाच स्वयं अपनी क्रिया करते हैं । पर वह जो खून लगा हुआ है वह मनुष्य का है । आज तक उसने किसी मनुष्य को मारा नहीं यहां पर मनुष्य यानी उसके ही सैनिकों का रक्त उसे पीना होगा । वह भी अपनी जीभ से चाट चाट कर और उसके यानी कि रेवा के शरीर को साफ कर देना होगा । अपने मन को कड़ा करके सुकता उसकी ओर बढ़ने लगा । और उसने एक बार फिर से अपनी कुलदेवी का नाम लिया और कहा कि मुझे कुछ भी करके यह कार्य संपन्न करना होगा । वरना मेरे प्राण संकट में पड़ जाएंगे । क्योंकि यह जान लेंगे कि मैं पिशाच नहीं हूं केवल पिशाच ही किसी पिशाचनी के शरीर को रक्त को दूर कर सकता था अपनी जीभ के माध्यम से । क्योंकि ऐसा करने के लिए कोई मनुष्य तो सोच ही नहीं सकता है । कि वह मनुष्य के रक्त का पान करेगा वह भी कामुक क्रिया करके । अब आगे सुकता ने क्या किया हम लोग जानेंगे भाग 3 में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।
पिशाच मंदिर और नीली आखों वाली पिशाचिनी भाग 3