पिशाच मंदिर और नीली आखों वाली पिशाचिनी 5वां अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है । पिशाच मंदिर और नीली आंखों वाली पिशाचिनी यह पांचवा और अंतिम भाग है आज आप लोग जानेंगे । अभी तक आपने चार भागों में जाना कि किस तरह से एक पिशाचिनी जिसका नाम रेवा था । वह एक मानव से प्रेम कर बैठती है । और उसमें उसका विवाह उससे हो जाता है । लेकिन इसके बाद वह देखती है कि वह उसे छोड़कर भाग गया है । तो उससे बदला लेने के लिए सोचती है । इस पूरी प्रक्रिया में वह बहुत ही ज्यादा आक्रमक और बुरी हो जाती है । और करते-करते आखिरकार एक तांत्रिका से उसका युद्ध होता है । जिसमें वह रेवा को मार डालती है । और फिर सुकता नाम के व्यक्ति से उसका प्रेम था वह राजा हो जाता है । और उसे एक असीमित सुंदरी उपवन में मिलती है । जहां पर वह उससे अंततोगत्वा विवाह कर लेता है । लेकिन जब सुहागरात का दिन आता है । तो उस दिन राजकुमारी नग्न शरीर में पूरे महल में घूमती है । और अंततोगत्वा एक रथ लेकर के पूरे महल से निकल जाती है । और पूरे नगर में इस तरह घूमने पर बहुत ज्यादा बदनामी राजा की होती है । राजा बहुत परेशान हो जाता है यानी कि सुकता । और वह उसे वापस पकड़ कर लाने की बात सैनिकों को कहता है । अब जानते हैं आगे क्या हुआ । तो जैसा कि आप लोग जान चुके हैं कि जो की राजकुमारी अत्यंत ही सुंदर थी । बहुत ज्यादा सुंदर शरीर वाली थी । वह इस प्रकार से जब नगर में घूमती है । तो उसे देखने के लिए सब बाहर निकल आते हैं । यह एक अपने आप में बहुत ही बड़ी विडंबना थी कि जो स्वयं राजकुमारी रानी होने वाली थी वह अपनी बेज्जती खुद करवा रही थी । इस प्रकार उसे घूमते देखकर राजा के सैनिक अंततोगत्वा उस रथ को पकड़ लेते हैं और उस रथ को पकड़कर फिर वापस महल की ओर लाने का प्रयास करते हैं । रानी के ऊपर बड़ा सा कपड़ा डाल दिया जाता है ताकि वह हिल डूल ना पाए और उसे चारों तरफ से बांध दिया जाता है । धीरे-धीरे करके रानी को पकड़ कर लाया जाता है और उस जगह पर जहां पर सुकता अपने सिंहासन पर बैठा था । बाकी मंत्रियों को हटा दिया जाता है और केवल स्त्रियों को वहां रखा जाता है ।
ताकि इस तरह की जो हरकत हुई है उस से पार पाया जा सके । अब राजकुमारी को एक बार फिर से उसके ऊपर से कपड़ा हटाया जाता है तो वह हंसने लगती है । और कहती है कि पहले मैं जब यह करती थी तब मुझे कोई कुछ नहीं कहता था । आज मैंने जब यह किया तो तुम सब परेशान हो गए हो यह बात सुनकर के आश्चर्य से सकते में आ जाता है सुकता । और सुकता कहता है कि यह तो बहुत ही बुरी स्थिति है आखिर यह स्त्री पागल कैसे हो गई है । तब वह कहती है कि तुमने कहा था कि कपड़े नहीं पहनना और तुम जब मुझसे मिले तो कहा कपड़े पहनो अजीब बात है ना । इस तरह जब वह कहती है तो सुकता को कोई बात याद आती है । सुकता कहता है यह तो बात मैंने केवल और केवल रेवा से कही थी कि तुम सबको जो है कपड़े पहनने चाहिए । क्योंकि तुम इसी प्रकार नग्न होकर घूमा करती हो तो क्या इसके शरीर के ऊपर किसी आत्मा का साया आ गया है । वह परेशान हो जाता है और वहां पर परिचारिकाओ को वह कहता है कि इन्हें कपड़ा पहनाईए और इनके हाथ-पैर बांध दीजिए । मैं तुरंत तांत्रिका के पास जाऊंगा उसके बाद सुकता वहां से निकल जाता है । और तांत्रिका के पास जाने का प्रयास करता है । तांत्रिका अपनी साधना में मग्न एक गुफा में साधना कर रही होती है । वहां पर वह अंदर पहुंचता है और तांत्रिका से सारी बातें बताता है । तांत्रिका कहती है कि यह तो विचित्र बात तुम बता रहे हो पिशाचिनी के मारे जाने के बाद उसकी आत्मा की वापसी अगर हो गई है तो इससे बुरा संकट कोई और हो नहीं सकता । क्योंकि उसे अब रोकना बहुत ज्यादा कठिन होने वाला है मुझे भी अपनी सारी शक्तियों का प्रयोग करना पड़ेगा । क्योंकि इस बार वह बदला लिए बगैर नहीं जाएगी क्योंकि वह वापस आ गई है तो वह बहुत ही ज्यादा खतरनाक रूप में है ।
उसके बाद फिर तांत्रिका एक विशेष प्रकार की योजना बनाती है जिसके अंदर वह सुकता को किसी विशेष प्रकार की बातें बताती है । और उससे कहती है कि तुम ऐसा करना की एक तालाब में उस राजकुमारी के साथ जाना और उस तालाब में प्रवेश कर जाना ध्यान रखना कि उस तालाब से वह बाहर ना निकलने पाए । क्योंकि इच्छाओं की वजह से वह उससे बाहर ना निकलने दूंगी और वह भी फस जाएगी । इस प्रकार से सुकता राजकुमारी को लेकर के एक तालाब के पास पहुंचता है जिस तालाब को पूरा का पूरा तांत्रिका अभिमंत्रित कर चुकी है । अपने मंत्र से अभिमंत्रित कर देने के कारण से जैसे ही राजा सुकता उस राजकुमारी के साथ उस सरोवर में प्रवेश करता है । राजकुमारी घबराने लगती है और कहती है कि मुझे इस सरोवर से बाहर निकलना है । पर उसकी बात को सुकता अनदेखा करता है क्योंकि उसने पहले ही तांत्रिका से सारी बात कर रखी थी । तांत्रिका ने कहा था कि जल में वह जब प्रवेश कर जाए तब वह स्वयं अपनी इच्छा से बाहर नहीं निकल पाएगी । जब तक कि तुम उसे बाहर नहीं करोगे इसीलिए राजकुमारी रोने लगती है और गुस्से में अपने शरीर के सारे कपड़े फाड़ देती है । कि किसी प्रकार से उस पर दया करके या उसकी इन हरकतों से वह उस जल से बाहर निकाल दे । लेकिन सुकता सारी बात पहले ही कर चुका था इसलिए वह उसका साथ नहीं देता है । अब तांत्रिका वहां पर आ जाती है और अपने अभिमंत्रित पुष्पों की वर्षा से उस जगह पर उसके शरीर से आत्मा को रेवा की निकाल देती है । और एक मर्तबान यानी कि एक बर्तन में उसे कैद कर लेती है । जैसे ही आत्मा से मुक्ति पाती है राजकुमारी अपने शरीर को ढकने की कोशिश करती है और रोने लगती है । इस पर सुकता उसे समझाता है और उसे अपने राजमहल वापस ले आता है । इस प्रकार 1 वर्ष पूरे राजकुमारी के साथ सुखी पूर्वक सुकता जीवन बिताता है । और अचानक एक दिन वह बर्तन जहां पर उसे रखा गया था ।
किसी वजह से वह नीचे गिर जाता है जिससे बर्तन टूट जाता है और एक बार फिर से रेवा की आत्मा आजाद हो जाती है । रेवा की आत्मा आजाद होते ही तुरंत तीव्रता के साथ में महल की ओर दौड़ती है । अबकी बार वह बहुत ज्यादा गुस्से में थी । उसे जो कुछ भी करना था जल्दी ही करना था तभी वह जाकर के उसकी 21 पत्नियों के पास जाती है । और वहां पर सुकता का रूप लेकर कहती है कि मैं तुम्हें एक जगह दिखाना चाहता हूं आप सब लोग मेरे साथ आइए । उसकी बात पर विश्वास करके 21 कन्याए यानी कि जो सभी उसके साथ विवाह किए हुए थी एक स्थान पर जाती है । वह स्थान में एक गोपनीय खड्डा बना हुआ था और उसके नीचे तलवारे और बहुत सी ऐसी चीजें रखी हुई थी जो सीधे ऊपर की ओर खुलती थी । वह इस तरह से कहता है और वहां से चला जाता है । क्योंकि वह एक आत्मा थी इसलिए उसका भार कुछ भी नहीं था वह आगे बढ़ता जाता है । तभी इनकी कन्याए पीछे से आती है जो उसकी पत्नियां थी । और वह सब गड्ढे में गिर जाती है वहां गिर कर के वह अस्त्र शस्त्रों से घायल हो जाती हैं । इसके बाद बहुत ही गुस्से में भरी हुई रेवा वहां निकट के सरोवर के पानी को उसके अंदर फल देती है । और सब की सब 21 कन्याओं की मृत्यु हो जाती है यानी कि 21 पत्नियां उसकी मारी जाती है । अब वह तीव्रता से दौड़ती है और पता करती है कि वह राजकुमारी कहां पर है । वह राजकुमारी के शरीर में तीव्रता से प्रवेश करती है । और नासिका द्वार उसका बंद कर देती है सांस ना लेने की वजह से और मुंह में भी विशेष प्रकार का एक द्रव्य तरल भर देती है । जिसकी वजह से वह मुंह से भी सांस ना ले पाती है इसके कारण से कुछ ही देर में राजकुमारी दम तोड़ देती है । सब को मरा हुआ देखकर सुकता आता है । और आश्चर्य में पड़ जाता है सुकता के साथ में एक छोटा सा बालक जो तकरीबन 1 वर्ष का हो गया था । और सही ढंग से चल भी नहीं पा रहा था लेकिन बातें कर लेता था । उसके साथ में नजर आता है उसे देख कर के रेवा और क्रोधित हो जाती है । रेवा को जो कुछ करना था बहुत जल्दी करना था । रेवा ने कहा कि जब सुखदा मेरा नहीं हो सकता तो यह इसी प्रकार से विवाह करता रहेगा ।
मैं किसी भी प्रकार से अपनी सौतन को बर्दाश्त नहीं कर सकती । इसलिए तुरंत ही रेवा तांत्रिका का भेष बना लेती है । और सुकता से कहती है चलो मेरे साथ कुछ समस्या आ गई है । वह लौट आई है सुकता कहता है क्या वास्तव में वह लौट आई है । और सुकता कहता है कि मुझे एक चीज आपको दिखानी है सुकता अंदर की ओर जाता है । तांत्रिका बनी हुई रेवा की आत्मा उसके साथ जाती है और वहां पर वह रेवा की तस्वीर दिखाता है । रेवा अपनी तस्वीर देखकर के रोने लगती है लेकिन अपने आंसू को वह छुपा लेती है । क्योंकि उसके मन में क्रोध भरा हुआ था वह जानती थी कि सुकता को मारे बिना उसका बदला पूरा नहीं हो सकता । इसलिए उसे अब सुकता को मारना होगा । हालांकि वह उससे प्रेम करता है वह यहां पर यह स्पष्ट हो गया है । क्योंकि उसने स्वयं उसकी तस्वीर रखी हुई है । अब तांत्रिका के रूप में रेवा उसे कहती है कि मैं तुम्हें एक स्थान दिखाती जहां से हम उस आत्मा को नष्ट कर सकते हैं । सुकता उसके साथ चल देता है और वह एक ऐसे स्थान पर लेकर जाती है जहां पर एक पहाड़ी का अंतिम छोर था । पर वह अपनी माया से उस जगह पर एक पुल सा दिखाती है जो एक ऐसा पुल था जिस पर चलकर के एक जगह से दूसरी जगह जाया जा सकता था । वह आगे चलती जाती है और सुकता उसके पीछे पीछे अचानक से सुकता को नजर आता है कि वह पहाड़ी को पार कर चुका है । और वह अपना पैर जैसे ही आगे बढ़ाता है वह नीचे गिर जाता है । पहाड़ से नीचे गिरते ही उसका सिर फट जाता है और सुकता की मौत हो जाती है । सुकता की आत्मा शरीर से बाहर निकलती है और उसको तुरंत ही पिशाचिनी पकड़ लेती है और अपने हाथ में लेकर कहती है मुझे तुम्हें मारने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था । मैं तुमसे ही प्रेम करती थी तबसे जबसे मेरा विवाह तुमसे हुआ था । अब तुम मेरे हो चुके हो और सदैव मेरे ही रहोगे । लेकिन अभी भी कुछ काम बाकी है मैं किसी भी निशानी को जीवित नहीं रहने दूंगी ।
और तीव्रता से वह महल की ओर दौड़ती है सारी रानियां मारी जा चुकी थी । पिता की भी मौत हो चुकी थी अब बचा था तो केवल और केवल वह पुत्र । जो राजकुमारी से उत्पन्न हुआ था जिसके साथ में वह रहे थे । वह राजकुमारी का चयन भी रेवा ने स्वयं किया था । वह एक नगर से उसको उठा लाई थी और उसके मस्तिष्क पर हावी हो गई थी । क्योंकि वह जानती थी कि अवश्य ही सुकता इस राजकुमारी से विवाह करेगा और सुकता और उसके प्रेम संबंध जब बने थे उस वक्त रेवा की आत्मा उस राजकुमारी के शरीर में थी । तीव्रता से दौड़ते हुए उसी छोटे से बालक के पास पहुंचती है और उसकी चोटी पकड़कर उसे महल से बाहर फेंकने की कोशिश करती है । कि वह गिरेगा और गिरते ही उसकी मृत्यु हो जाएगी । पर वहां पर एक ऐसी घटना घटती है जिसकी वजह से सब कुछ बदल जाता है । वह छोटा सा बच्चा जैसे ही उसके सिर पर हाथ रख कर उसे पकड़कर फेंकने ही वाली थी वह कह देता है मां और उसके हाथों को पकड़ कर उसका चुंबन कर लेता है । रेवा की आत्मा पहली बार मां शब्द सुनकर के आश्चर्य चकित हो जाती है । इस शब्द ने उस पर ऐसा वार किया जो वार आज तक तंत्रिका भी नहीं कर पाई थी । उसे सब बातें याद आती है और वह समझती है कि जिस वक्त वह राजकुमारी के शरीर में थी तो उसका संबंध सुकता के साथ में बना था । तो इस कारण से यह उसका भी पुत्र है । और यह उसे मां कह कर के पुकार रहा है अचानक से ही रेवा अपने बुरे स्वरूप को त्याग देती है और शुद्ध स्वरूप में प्रकट हो करके उसे उठा लेती है । उसे अपनी गर्दन से लगा लेती है वह रोने लगती है और कहती है कि यह मेरा पुत्र है । मैं इसे मार नहीं सकती जो कुछ भी मैंने किया मुझे नहीं पता कि मैंने गलत किया या सही किया है पर यह मेरा पुत्र है । और मैं इसकी रक्षा करूंगी इसके बाद कहते हैं कि उस पुत्र के अंदर वह पिशाचों की शक्तियां भर देती है । इसी वजह से जब वह पुत्र बड़ा होता है तो वह दिग्विजय सम्राट बनता है । और उसने आसपास के सभी क्षेत्रों में उसकी विजय हो जाती है । तो यह कहानी थी पिशाच मंदिर और नीली आंखों वाली पिशाचिनी रेवा की । जो इस प्रकार से समाप्त हुई । कहते हैं कि संबंध चाहे किसी भी प्रकार के हो चाहे वह किसी भी योनि के हो जैसे कि हमने पिशाच योनि को जाना । लेकिन मां का संबंध बच्चे के साथ में सदैव ही उत्तम होता है । इसीलिए पिशाचिनीया भी मां कहे जाने पर अपने स्वरूप का त्याग कर देती है । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।