नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। भैरव जी से संबंधित बहुत सारी साधना चैनल पर प्रकाशित की जा चुकी हैं। आज मैं आपके लिए भैरव जी से संबंधित एक ऐसी साधना लेकर के उपस्थित हुआ हूं, जिसको करने से किसी भी मनुष्य के शरीर में अगर कोई प्रेत आत्मा का वास है। भूत प्रेत पिशाच जिन्न अन्य तरह की आत्माएं हैं जो आसानी से नहीं निकल रही है तो उनके लिए यह मंत्र बहुत कारगर सिद्ध होता है। इसे हम प्रचंड भैरव जंजीरे के रूप में मान सकते हैं और प्रचंड भैरव की शक्ति से ऐसा हो ही नहीं सकता कि वह आत्मा शरीर से बाहर न निकल जाए तो इस साधना को कैसे करते हैं। यह साधना कैसे की जाती है और इसकी नियमावली क्या क्या है। इस संबंध में आज हम लोग चर्चा करेंगे। तो इस अगर साधना को आपको करना है तो सबसे पहले कोई विशेष एक काली स्थान का चुनाव कर दीजिए। जहां पर कोई आता-जाता ना हो सके तो इस साधना को घर पर ना कीजिए क्योंकि जब भी हम भैरव जी की साधना करते हैं, उस दौरान वहां पर प्रेत आत्माएं आती ही है। जब इस तरह की आत्माएं आपके आसपास आएंगी तो आपके परिवार के सदस्यों को विशेष प्रकार के अनुभव भी हो सकते हैं। साथ ही ऐसी आत्माएं उन पर अपना प्रभाव भी दिखा सकती हैं। इसीलिए इस साधना को हमेशा घर के बाहर अगर हो सके तो किसी घनघोर जंगल में किसी पर्वत शिखर पर किसी गुफा में किसी भैरव जी के प्राचीन मंदिर में यह शमशान में अगर भैरव जी का प्राचीन मंदिर है तो बहुत ही उत्तम होगा।
ऐसे ही स्थानों का चयन आपको इस साधना में करना चाहिए। अब आपके पास सबसे पहले एक रुद्राक्ष की माला आप कहीं से भी लेकर आ जाइए। इस माला को पहले 7 दिन तक जमीन के अंदर गाड़ दीजिए और उसके ऊपर भैरव जी की प्रतिमा स्थापित कीजिए। उस प्रतिमा का विधिवत रूप से पूजन कीजिए। इसकी विधि साधारण होगी। आप 7 दिन के बाद उस प्रतिमा को निकालकर अलग रखते और वह जो रुद्राक्ष की माला अपने नीचे रखी थी, उस माला को अपने गले में धारण करने से अब आप तैयार हैं। इसी माला से जाप करने के लिए इस माला में भैरव जी की शक्ति विद्यमान हो जाती है। यह आपकी रक्षा भी करेगी। कवच का कार्य भी करेगी। इस मंत्र की सिद्धि के बाद और जिसे लगता है आपको कि यह व्यक्ति भूत प्रेत से ग्रसित है उसे आप मंत्र पढ़ते हुए। उसके गले में यह माला डाल देंगे तो निश्चित है माला उसमें से उसकी सारी तंत्र और बुरी शक्तियों को खींचकर माला में वापस पहुंचा देगी। याद रखें। इस माला को हमेशा उसके बाद धारण तभी करें। जब आप इस मंत्र का रोजाना जाप करते हो क्योंकि। यह माला ऐसी है जो उसको नियंत्रण में रखेगी और इसी बात का आप को ध्यान रखना होगा क्योंकि यह एक ऐसी शक्ति होती है जिस की माला के अंदर आपकी प्रेत आत्मा है। बंधती चली जाती हैं याद रखें। इस प्रकार का बंधन रखने वाली माला आप अगर गले में धारण करते हैं तो हर वक्त इस मंत्र का जाप करना जरूरी है। एक विशेष बात यह भी है कि जो लोग इस मंत्र का हमेशा जाप नहीं करना चाहते हैं, उनके लिए एक अच्छी विधि होती है कि आप एक लकड़ी का छोटा सा बॉक्स ले काले रंग के कपड़े उसके अंदर रख दीजिए। उस कपड़े में इस माला को डाल दिया कीजिए और उससे छोटी सी गठरी रूपी चीज को बांधकर काले कपड़े में उस संदूक को बंद करके भैरव जी की प्रतिमा के आगे सदैव रख लिया कीजिए।
आत्माये हमेशा कैद रहेगी। बाद में जब उसकी पूर्ण सिद्धि होगी यह तो केवल गुरु से ही प्राप्त होता है। तब आप प्रत्येक आत्मा को बाहर निकाल सकते हैं और आत्मा फिर आपसे आकर बातें भी करने लगती है। आपके आसपास विभिन्न प्रकार की आत्माओं का वास होने लगता है और ऐसा कोई भी इंसान जिसके ऊपर आत्माओं का वास है। आपको देखते ही पता चल जाता है। किसके ऊपर ऐसी कोई आत्मा का वास है? आप उसको हर प्रकार से अपने! वश में कर सकते हैं और उसकी शरीर से उस आत्मा को बाहर भी निकाल सकते हैं। अब यह बात आती है कि ऐसी आत्माओं को सिद्ध करने के लिए प्रचंड भैरव जंजीरे का पाठ किया जाता है। उसका विधान क्या है? जैसा कि मैंने बताया आपके पास अब माला आ चुकी है। अब जहां भी आपने स्थान चुना था साधना करने के लिए। उस स्थान पर आप बैठ जाइए, सबसे पहले अगर भेड़ चर्म मिलता है तो उस पर बैठकर साधना कीजिए। अगर आपके पास यह उपलब्ध नहीं है तो काले रंग का ऊनी आसन आपको मिल जाएगा। बाजार से उसे लेकर आइए अच्छी तरह साफ सुथरा करके उसे स्थापित कीजिए। उसी पर बैठकर आपको साधना करनी है। सामने बाजोट के ऊपर काले रंग का कपड़ा बिछाकर भैरव जी की प्रतिमा स्थापित कीजिए। भैरव जी के एक हाथ में तलवार हो और वह घोड़े पर भी बैठ कर आते हैं। अगर घोडा भी उनके साथ बनवा सकते तो अच्छी बात है। नहीं तो कोई बात नहीं। भैरव जी की साधारण प्रतिमा आप बना सकते हैं। भैरव जी का यह रूप प्रचंड है, वीर के रूप में है और अपनी शक्तियों में महान है।ऐसा! कोई आत्मा नहीं है जो इनके बस में ना हो जाए तो आप आपको क्या करना है? आप सामने अखंड 41 दिन का दीपक जलाएं जोकि सरसों के तेल का होना चाहिए। इस दीपक को आपको बुझने भी नहीं देना है। अब और रोजाना आपको इस मंत्र की केवल तीन माला जाप करनी है। रात्रि में जब सभी लोग सो जाएं, ऐसा समय हो तो ज्यादातर हम लोग मध्य रात्रि का ही मानते हैं आप उस समय से मंत्र का जाप करना शुरू करेंगे। मंत्र जाप वाचिक होगा। इसीलिए ऐकल स्थान होना जरूरी है। आपके मंत्र की ध्वनि तीव्र होनी चाहिए, लेकिन कोई नहीं सुने क्यूंकि इससे सिद्धि प्राप्ति में संकट आता है तो आपको इस बात को ध्यान रखना होगा। अब क्या करना है आपको? अब आप सबसे पहले अपने गुरु के मंत्र का जाप कीजिए। गुरु से इसकी दीक्षा लीजिए। इस मंत्र का जाप करने से पहले गुरु को प्रणाम कर गुरु दक्षिणा देना पड़ता है। उसके बाद गुरु अगर आपको या मुंह से अपने बोलकर मंत्र सुना दे तो सर्वोत्तम है अन्यथा आप को गुरु के सानिध्य में रहकर ही साधना करनी चाहिए। अगर गुरु सामने नहीं है तो? अगर आपके गुरु आपको मुंह से यह बोल कर सुना देते हैं तो फिर आप इस मंत्र का अब आप जॉप कर सकते हैं। इस मंत्र के जाप में गुरु मंत्र का जाप भगवान शिव के मंत्र का जाप माता शक्ति के मंत्र का जाप। और देवी चौसठ योगिनी को एक साथ
ओम चौसठ देवी योगिनी नमः इस मंत्र को पढ़ना होता है। शाबर मंत्र है इसलिए इसी प्रकार पढ़ना और इसे जपना चाहिए।
इस प्रकार से आप अब तैयार होते हैं इस साधना को करने के लिए अब उस मंत्र पर आते हैं जिसको आप को जगना है मंत्र इस प्रकार से है-
॥ पाठ ॥
सत नमो आदेश गुरु को आदेश ॐ गुरु जी, चण्डी चण्डी तो प्रचण्डी अलावला फिरे नव-खण्डी । तीर बाँधू, तलवार बाँधू, बीस- कोस पर बाँधू वीर, चक्र ऊपर- चक्र चले, भैरो बली के आगे- धरे, छल चले, बल चले, तब- जानवा काल-भैरों। तेरा रुप । कौन भैंरों ? आदि भैरो, युगादि- भैरो, त्रिकाल भैरों, कामरु देश रोला मचावे, हिन्दू का जाया, मुसल- मान का मुर्दा फाड़-फाड़ भगाया। जिस माता का दूध पिया, सो माता की रक्षा करना, अवधूत खप्पर में खाय । मसान में लेटे, काल-भैरों की पूजा- कौन मेटे ? राजा मेटे राज-पाट से जाय योगी मेटे, योग-ध्यान से जाय, प्रजा मेटे । दूध-पूत से जाय, लेना भैरों, लौंग सुपारी, कड़वा प्याला, भेंट तुम्हारी।
हाँथ काती मोढ़े मढ़ा, जहाँ सिमरूँ तहाँ हाजिर खड़ा। श्री नाथ जी, गुरु जी- आदेश- आदेश //
॥ विधि ॥
अब मंत्र जाप जब आपका समाप्त हो तो भैरव जी को लॉन्ग और सुपारी! उनको भेंट करना चाहिए। इसी प्रकार उनका वह पूरे 41 दिन तक जाप करना चाहिए। इस प्रकार आप 41 में दिन का हवन भी कर सकते हैं। अगर सिद्धि ना मिले तो इससे मंत्र सिद्ध हो जाता है। भैरव जी इस साधना में प्रत्यक्ष दर्शन देते हैं तो साधक को सावधान होकर ही इस मंत्र का जाप करना चाहिए। अगर गुरु कहे तो अवश्य ही अपनी चारों तरफ सुरक्षा घेरा भी बनाए क्योंकि इस मंत्र को सिद्ध होने से रोकने के लिए। भयंकर पिशाची शक्तियां आपके आसपास उपस्थित होने लगती हैं तब आपको सावधान रहना चाहिए। इन शक्तियों से अपना बचाव करना चाहिए और यह साधना भी घर पर इसीलिए ना करने को कहा जाता है क्योंकि इससे परिवार वालों को विभिन्न प्रकार के अनुभव और उनके ऊपर आत्माओं का हमला भी हो सकता है। आप जब सिद्धि प्राप्त हो तो किसी भी व्यक्ति जिसके ऊपर भूत प्रेत पिशाच रोग बीमारी। अला बला मुस्लिम कोई प्रेत आत्मा है या इसाई प्रेत आत्मा है या हिंदू प्रेत आत्मा है। इसी प्रकार की कोई भी शक्ति अगर है तो उस पर आप इस मंत्र का प्रयोग करके अपने उसे वश में कर सकते हैं और उस माला में बांध करके रख सकते हैं और उसे पूरी तरह से वशीकृत कर सकते हैं। इस माला का प्रयोग करके आप 108 आत्माओं को अपने अधीन कर सकते हैं। आप इसी माला से मंत्र का जाप भी करेंगे और फिर उसी डब्बे में सामने रखकर। सदैव साधना किया करेंगे। मंत्र जाप के समय आप इसका इस्तेमाल करेंगे। फिर से फिर उसी डब्बे में रख दिया करेंगे या एक गोपनीय प्रयोग है और गुरु की आज्ञा से विधिवत विधान के साथ में करना चाहिए। तो यह था आज का वीडियो अगर आपको पसंद आया है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।