Table of Contents

बाबरा भूत और नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक भाग 2

बाबरा भूत और नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक भाग 2

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर एक बार फिर से स्वागत है । जैसे कि अभी तक हमारे बाबरा भूत नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक कथा भाग 1 में आप लोगों ने जान लिया है कि प्रकार से मूलक तांत्रिक एक कन्या के प्रेम में वशीभूत हो करके अपने गुरु से धोखाधड़ी करता है । जिसकी वजह से उसको गुरु का श्राप मिलता है गुरु के श्राप के वजह से और गुरु के श्राप से बचने के लिए गुरु ही उसे एक मार्ग बताता है । और कहता है कि एक भूतनी के पास चले जाओ वह उस भूतनी के पास जाता है । और उसने वहां पर एक बाबरा भूत की उपासना और साधना करने के लिए सलाह उसे दी जाती है । भूतनी उसके इस कार्य के लिए उसको सहयोग प्रदान करने के लिए बात करती है । लेकिन समस्या इस बात से आ जाती है की अभी वह स्थान दूर था और उस स्थान से काफी उससे दूरी बनी हुई थी । अब सवाल यह है क्या वह वहां पर जाकर के उसकी उपासना और साधना करेगा क्या वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सफल रहेगा और क्या वह एक ऐसा महल प्राप्त कर सकेगा जिस महल की उसने सोची है । ताकि वह उसे दे कर के ऋषि से उसकी पुत्री को प्राप्त कर सके । तो इस प्रकार से कहानी आगे बढ़ती है मूलक तांत्रिक भूतनी से पूछता है कि आप मुझे बाबरा की साधना विधि बताइए । तो वह कहती है वह कोई साधारण भूत नहीं है भगवान शिव की बारात में जो भूत शामिल थे उनमें बाबरा भूत का नाम भी आता है । वह बहुत ही शक्तिशाली था और किसी कारण वर्ष वह इस धरती पर आया हुआ था  ।

एक समय की बात है क्योंकि मुझे यह कहानी तुम्हें बताने की आवश्यकता है इसलिए ताकि तुम अच्छी तरह से बात को समझ सको और उसकी साधना में कोई गलती ना करो । तो मैं तुम्हें बताती हूं कि क्या हुआ था बहुत समय पहले की बात है । जब बाबरा भूत धरती पर आया हुआ था तो वह इस दौरान इस क्षेत्र में घूम रहा था वहां पर बसा हुआ था । और इसी प्रकार काठियावाड़ क्षेत्र में वे अपने आप का आश्रम बनाए हुए कुछ विशेष कार्य को संपादित कर रहा था । तभी भगवान शिव और माता पार्वती वीहार पर निकले हुए थे अर्थात घूमने के लिए वह चले जा रहे थे । वह घूमते घूमते इस क्षेत्र में आए और अपने सोमनाथ को दर्शन उन्होंने दूर से ही किए और प्रसन्न हुए कि किस प्रकार भक्त उनका पूजन पाठ कर रहे हैं । इसी कारण उस नजदीक क्षेत्र से गुजर रहे थे । तभी यह एक स्थान पर पहुंचे यह स्थान काठियावाड़ में नजदीक पड़ता था । उस स्थान पर खड़े होकर के वह इधर उधर देख ही रहे थे कि अचानक उनकी नजर नवलखी मंदिर जहां आज वह बना हुआ है वह स्थान पर पड़ी जहां पर बाबरा भूत निवास कर रहा था ।बाबरा भूत ने ही माता पार्वती और भगवान शिव को देख लिया और इसी समय एक ऐसी घटना घटी की बावरा भूत ने तुरंत ही वहां पर भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना शुरू कर दी । उनकी उपासना इतनी तीव्रता से वह करने लगा क्योंकि वह जानता था इस क्षेत्र में पहली बार भगवान शिव साक्षात भ्रमण पर निकले हुए हैं । वह उनकी प्रसन्नता को जाने नहीं देना चाहता था वह चाहता था कि प्रभु तुरंत उस पर कृपा करें ।

और कुछ क्षण उसके पास रुके और विश्राम करें इसी दौरान अचानक से माता पार्वती और भगवान शिव को उसकी भक्ति को देखने का अवसर मिला । इससे प्रसन्न होकर के भगवान शिव और माता पार्वती उस विशेष स्थान पर उतर आए यानी नीचे आ करके बैठ गए । तभी बाबरा भूत ने उनकी उपासना शुरू कर दी उनकी उपासना से प्रसन्न होकर के भगवान शिव और माता पार्वती बावरा से कहा क्या तुम्हारी इच्छा है । तो उन्होंने कहा आप इसी स्थान पर बस जाए और मैं आपकी उपासना और पूजा करता रहूं और मुझे सिद्धियों और शक्तियों की प्राप्ति होती रहे । बाबरा की बात सुनकर के भगवान शिव ने कहा तुम तो सब कुछ प्राप्त कर लेना चाहते हो ऐसा ही प्रयास एक बार रावण ने भी करने की कोशिश की थी । सोच लो हो सकता है तुम कार्य में सफल ना हो पाओ । तब बावरा ने कहा ऐसा कौन सा कार्य है जो मैं संपन्न नहीं कर सकता हूं आपकी आज्ञा हो तो मैं निश्चित रूप से आप की सेवा सत्कार करना चाहता हूं । तब भगवान शिव ने कहा ठीक है मेरा यहां पर एक मंदिर बना दो । लेकिन शर्त यह है कि सुबह से पहले वह पूरा हो जाना चाहिए अगर सुबह से पहले तुमने यहां पर मंदिर पूरा कर दिया तो मैं सदा के लिए यहां पर वास कर लूंगा । और तुम्हारे को हर प्रकार की सिद्धियां और शक्तियां भी स्वता ही मिलती चली जाएंगी । बावरा ने कहा ठीक है मैं अभी से आपकी यह इच्छा पूरी कर करता हूं और तब तक आप यहां से जाइएगा नहीं । तो भगवान शिव ने कहा ठीक है सुबह तक ही मैं यहां पर रुकूंगा उसके बाद नहीं ।

बावरा ने कहा ठीक है आप यहां बैठिए मैं चारों तरफ इसके मंदिर बनाना शुरु कर देता हूं । बाबरा ने बहुत ही तीव्रता के साथ मंदिर बनाना शुरु कर दिया । भगवान शिव ने जब यह देखा कि इसके अंदर इच्छाओं की भरमार हो रही है और सिद्धियों की प्राप्ति के बाद यह पता नहीं क्या करेगा । इसलिए भगवान शिव ने तुरंत ही सूर्यदेव को आज्ञा दी कि जल्दी निकल आए और भगवान शिव की कृपा से सूर्य देव जल्दी ही निकल आए । तभी केवल कुछ भाग बचा रह गया था जो बावरा को बनाना था बावरा बहुत तेजी से भागता हुआ एक एक ईट रखता चला जा रहा था । और उसने उस विशालकाय मंदिर का निर्माण कर दिया था यानी कि मंदिर का निर्माण वह अपने हाथों से करता चला जा रहा था । जो भी वस्तु है वहां पर उपलब्ध थी उनकी सहायता से वे मंदिर बनाता चला जा रहा था । और उस मंदिर को बनाते बनाते उसने लगभग बना ही लिया था । लेकिन तब तक सुबह हो गई थी तक्षण वहां से भगवान शिव और माता पार्वती गायब हो गए । अब इस प्रकार माता पार्वती और शिव को गायब देख कर बावरा भूत को बहुत पश्चाताप हुआ  उसने सोचा कि क्या मूर्खता मैंने की । इससे अच्छा तो यह होता कि मैं भगवान शिव और माता पार्वती आराधना उतनी देर करता रहता है । तो निश्चित रूप से भगवान शिव का शामीप्व मुझे मिल ही जाता । लेकिन मैंने तो अपनी सिद्धियां और शक्तियां बढ़ाने के चक्कर में उनको अपने पास सदा के लिए स्थिर करने की सोची भला महादेव को कौन पाया है । तो ऐसी स्थिति मैं मेरे से गलती हो गई तो वह इसलिए मंदिर बनाया और अधूरा सा रह गया एक रात में वह बना हुआ मंदिर जितना बन पाया था उतना ही बनकर रह गया । अब सवाल यह था कि इस कार्य को आगे चलकर के कभी क्या पूरा किया जा सकता है । तो क्योंकि कलयुग का प्रभाव है इसलिए यह होना भी संभव नहीं था । तो इस प्रकार वह स्थान ऐसे ही बना रह गया यानी कि वह नव लखा मंदिर आधा अधूरा बना कर रह गया ।

वहां पर तो इस प्रकार से तुमने जाना हे मुलक । वह बाबरा भूत कितना समर्थवान होगा जिसने एक विशालकाय मंदिर को केवल एक रात में बना डाला होगा और निश्चित रूप से वही तुम्हारे लिए राज महल बना करके दे सकता है । जो तुम ऋषि को अर्पित कर सकते हो इसलिए जाओ और जा करके उसकी पूजा उपासना करो जाकर के उसे प्रसन्न कर लो । अगर तुमने उसे पसंद कर लिया तो उसके लिए कुछ भी करना आसान सी बात है और तुम निश्चित रूप से बहुत ही प्रभावशाली भी हो जाओगे । क्योंकि बाबरा भूत साधारण भूत नहीं है क्योंकि वह भगवान शिव के शामिप्व का और भगवान शिव के दर्शन करने वाला भूत है क्योंकि भूतों में इतनी सामर्थ्य नहीं होती है कि बड़े देवताओं का दर्शन कर सकें । लेकिन वह भगवान शिव का अंश रूप है इसलिए वह बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली है दुनिया में । उससे अधिक शक्तिशाली भूत मिलना कठिन है इसलिए बावरा भूत को जाकर के प्रसन्न करो और अपने जीवन के कार्य को संपादित करो । इस पर मूलक ने कहा वह कहा पर है वह स्थान मुझे बताइए जहां पर वह नवलखा मंदिर स्थित है । तो फिर भूतनी ने कहा ठीक है मेरी पीठ पर बैठ जाओ मैं तुम्हें वहां पर ले जाकर के छोड़ आती हूं आगे का मार्ग तुम्हें स्वयं तय करना होगा । इस प्रकार भूतनी ने एक विशालकाय रूप धरा उसकी पीठ के ऊपर खड़े होकर के मूलक तांत्रिक उड़ चला । धीरे-धीरे करके एक स्थान आया जहां पर छोटी छोटी सी पहाड़िया थी और काफी घना जंगल भी वहां पर स्थित था । जंगल के द्वार पर पहुंचकर के भूतनी ने उसे अपने कंधे से उतार दिया । और वहां पर खड़ी होकर कहने लगी यहां से तुम्हें अपनी यात्रा शुरू करनी है । याद रखो जिस तरह की कपट पूर्ण व्यवहार तुमने पहले किया था उसी तरह का कपाट पूर्ण व्यवहार अब तुम मत करना ।

क्योंकि ऐसा करने पर तुम्हें धोखा ही मिलेगा याद रखो मानवों में और भूतों में अंतर होता है । मैं तुम्हें स्पष्ट संकेत देती हूं । उसकी बात को समझते हुए मुलक ने कहा ठीक है मैं पूरी कोशिश करूंगा कि मैं बावरा को प्रसन्न कर पाऊं । आपके दिए हुए मंत्र और साधना विधि से अवश्य ही मैं सफल हो जाऊंगा । ऐसा कह कर के वह अंदर जंगल में प्रवेश कर गया भूतनी देवी वहां से गायब हो गई और वहां से केवल अकेला मूलक तांत्रिक जंगल में प्रवेश करता चला गया । धीरे-धीरे कुछ दुर चलने के बाद में अचानक से एक बूढ़े व्यक्ति को उसने देखा  जो कि बैठा हुआ था । वह बूढ़ा व्यक्ति बहुत ही ज्यादा दुर्बल और कमजोर दिखाई पढ़ रहा था । उसने कहा बालक मुझे आगे मंदिर तक जाना है । इस पर मूलक ने कहा अरे मैं भी उधर ही जा रहा हूं तो चलिए फिर । लेकिन फिर उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा मेरी सामर्थ नहीं है कि मैं वहां तक चल कर जा पाऊं कृपया मेरी सहायता करो मुझे वहां तक पहुंचा दो । मूलक ने कहा यार इस पागल व्यक्ति इस कमजोर इंसान को भला आगे में लेकर के किस प्रकार से जाऊंगा । उसने उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया और आगे चलने लगा । थोड़ी दूर चलने के बाद में फिर से उसे वही बूढ़ा व्यक्ति बैठा हुआ दिखाई पड़ा । उसने कहा क्या मैं फिर से रास्ता भटक गया हूं मैं इधर से उधर कहां घूम गया जंगल में कुछ पता भी नहीं चल रहा है कि किधर जाना है । और फिर वह एक दिशा की ओर मुड़ गया फिर से चलने लगा कुछ दूर चलने के बाद फिर से उसी पेड़ के पास पहुंच गया जहां पर वह बूढ़ा व्यक्ति बैठा हुआ था । उसे फिर समझ में नहीं आया फिर से उसने दूसरी दिशा ली और फिर जंगल में इधर उधर भटकते हुए फिर से उसी पेड़ के पास जाकर के खड़ा हो गया । मूलक ने सोचा यह क्या पागलपन हो रहा है क्या मैं पागल हो रहा हूं ।

मैं किधर भी जाता हूं अंततोगत्वा मैं इसी मार्ग पर वापस आ जाता हूं ऐसा क्यों हो रहा है मेरे साथ क्या यह कोई सिद्ध व्यक्ति तो नहीं है जिसका मैंने अनादर किया है जिसकी वजह से ऐसा हो रहा है । तब तक वह बूढ़ा व्यक्ति बोल पड़ा बालक तुम इधर से उधर बार-बार टहल क्यों रहे हो तुम मंदिर की और क्यों नहीं जा रहे हो ।और बार-बार मेरे पास वापस आ जाते हो । तब मूलक ने कहा बाबा मुझे नहीं पता है कि मार्ग किधर है क्या आप मार्ग जानते हैं । तब उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा कि हां मैं मार्ग जानता हूं लेकिन मेरी मदद करो मुझे वहां तक ले चलो ।मुलक ने कहा ठीक है आपको मैं किस तरह से ले जा सकता हूं । तो मूलक ने इस बात का जब उनसे अभिप्राय रखा तो उस व्यक्ति जो कि बूढ़ा सा था उसने कहा कि तुम मुझे अपने कंधे पर धारण करो यानी अपने कंधे पर पीछे से बिठा लो ।और मेरे पैरों को पकड़ करके कंधे पर इस प्रकार से रखो जैसे छोटे बच्चों को लिया जाता है अपनी पीठ पर उसी तरह मुझे बैठा लो । और मैं तुम्हें रास्ता बताते हुए चलता हूं किधर की तरफ जाना है । मूलक ने कहा कि कोई उपाय नहीं है लगता है मुझे इसको अपनी पीठ पर लाद ना ही होगा । और उसने उसके पैर पकड़ कर अपनी पीठ पर लाद दिया और धीरे धीरे चलने लगा । ठीक उसी तरह जैसे कभी विक्रम बेताल एक दूसरे की पीठ पर चढ़कर चलते थे । इस प्रकार वह थोड़ी दूर आगे बढ़ने लगे तभी सामने एक खाई आ गई खाई को देख कर के मूलक ने सोचा यह बीच जंगल में किस प्रकार की खाई आ गई है । इसको अगर मैं घूम कर के जाऊं तो काफी लंबा रास्ता पड़ जाएगा क्योंकि यह खाई तो बड़ी अजीब सी दिखाई पड़ रही है । और जगह-जगह पर टूटी-फूटी है अगर मैं इस रास्ते से गुजरा तो हो सकता है खाई में ही गिर जाऊं ।

इसने फिर अपने पीठ पर बैठे हुए उस बूढ़े इंसान से पूछा इस खाई को पार करने के लिए कोई रास्ता है । तो उसने कहा हां तारीका तो बहुत सरल है लेकिन इसके लिए तुम्हें अपनी आंखें बंद करनी होगी और सीधे चलते जाना होगा । मूलक ने कहा क्या पागल हो क्या अगर मैं सीधे-सीधे चलता गया तो खाई में नहीं गिर जाऊंगा और सीधे मेरी मौत हो जाएगी । तब इस पर उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा यह तांत्रिक जगह है तुम इस बात को नहीं समझोगे मैं जो कहता हूं वैसा ही करो अगर मुझ पर विश्वास है तो ।और हां मुझे अपने कंधे से मत उतारना इस बात के प्रमाण के लिए क्योंकि अगर तुम गिरे तो मैं भी गिरूगा । इस बात को समझो और आराम से आंखें बंद कर लो और सीधा सीधा चलते जाओ यह खाई तुम्हारी पार हो जाएगी । उसकी बात को समझ कर मूलक सोच में पड़ गया । मूलक ने सोचा अगर यह सच बोल रहा है तो यह सच में तांत्रिक जगह है अगर यह झूठ बोल रहा है तो मैं मर ही जाऊंगा । और भला मैं जब गिरूगा यह तो मेरे ऊपर ही होगा इसे भला इतनी चोट नहीं आएगी सारी चोट तो मुझे ही आएगी । लेकिन फिर मूलक ने सोचा अगर यह कुछ कह रहा है तो जरूर कुछ तो बात होगी अब मुझे क्या करना चाहिए यह सोच कर के वह आगे बढ़ने लगा । और उसने अपनी आंखें बंद कर ली इसी समय वह अपने मंत्र को पढ़ता हुआ जाने लगा ताकि अगर उसकी मौत हो जाए तो कम से कम उसे लेने के लिए यमदूत तो ना आए । यही सोचता हुआ वह आंखें बंद करके मंत्रों का जाप करते हुए आगे बढ़ने लगा । तभी उसे अपने पैरों में किसी चीज के काटने की महसूस हुआ कि कोई चीज उसे काट रही है । लेकिन पीछे कान में बैठे हुए व्यक्ति ने तुरंत ही बोल दिया कहां सुनो अगर कोई चीज काटे तो भी आंखें मत खोलना अगर तुम ने आंखें खोली तो सीधे तुम नीचे खाई में गिर जाओगे मूलक के पैरों में कोई चीज लिपटी हुई थी मूलक घबरा रहा था ।और उसके पैरों में कोई चीज लगातार कांटे जा रही थी पर मूलक ने आंखें बंद करते हुए आगे की ओर चलना शुरू किया और पूरे विश्वास के साथ आगे बढ़ता गया । तभी उसे लगा कि उसके पैर के नीचे कुछ भी नहीं रहा है । तो क्या वह नीचे गिर गया या फिर वह खाई को पार कर गया । यह हम लोग जानेंगे अगले भाग में । आपका दिन मंगलमय हो धन्यवाद ।

बाबरा भूत और नवलखा मंदिर का मूलक तांत्रिक भाग 3

error: Content is protected !!
Scroll to Top