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बेताल कैसे पैदा हुआ कहानी भाग 1

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य में आपका एक बार फिर से स्वागत है , आज मैं आपके सामने बहुत ही रोचक विषय लेकर आया हूं  । आज मैं आप लोगो को बेताल के बारे में बताने की कोशिश करूंगा; बेताल के बारे में जितना भी विवरण है कहानियां, किवदंतिया या कथाएं मिलती है की आखिर बेताल कैसे  पैदा हुआ? कैसे वह बढा, कैसे  उसका जन समान में विवरण मिलता है, तो सबसे पहले आप यह जान लीजिए कि सबसे पहले बेताल का वर्णन ऋग्वेद वेद में मिलता है ,ऋग्वेद में रुद्र देवता के अंश से इसकी उत्पत्ति बताई जाती है और रूद्र जो तूफान के देवता थे, उस जमाने में उनसे इनकी उत्पत्ति बताई जाती है । समय बीतता है तब हम बाद में बेताल मंदिर गोवा में बिचोलीम तालुका के अमोना गांव में एक हिंदू मंदिर देखते है इसको हम वहां का बेताल मंदिर जानते हैं , वहां पर भगवान शिव का ही रूप  बेताल को बताया जाता है; और यह एक योद्धा देवता के रूप में वहां पर पूजा भी जाता है l श्री बेताल मंदिर (बेत्यो) गोवा के बिचोलिम तालुका में अमोना गांव में एक हिंदू मंदिर है। पीठासीन देवता श्री बेताला हैं जिन्हें एक योद्धा के रूप में शिव के रूप में पूजा जाता है; आम तौर पर मंदिर में श्री बेताल की मूर्ति खड़ी होती है, लेकिन त्योहारों के दौरान उनकी मूर्ति को गाँव में एक घोड़े पर वापस प्रदर्शित किया जाता है। वह अमोना के ग्राम देवता (ग्राम स्वामी) हैं।

उत्तराखंड के पौड़ी घरवाल जिले में “गोरली” नाम के एक गाँव में श्री बेताल का मंदिर है। बेताल गाँव का ग्राम देवता भी है। इस मंदिर में एक शिव पिंडी और इसके पैर सैनिक भी हैं। ग्राम देवता है ये गांव के  और शिव पिंडी  पर सैनिक भी है सैनिक के रूप में वहां स्थापित है ।   इसी तरह पुणे में भी एक बेताल  पहाड़ी है इस तरह हम इसका  वर्णन देखते हैं लेकिन स्पष्ट व्याख्या पता नहीं चल पाता है ,आखिर बेताल की उत्पत्ति कैसे हुई किवदंतियो  के हिसाब से जो कहानी है ,उसका मैं आज वर्णन करना चाहता हूं की आखिर कैसे बेताल की उत्पत्ति हुई होगी ; जैसा कि आप जानते हैं उज्जैनी जो महाकालेश्वर की नगरी है । वहां पर तांत्रिकों का किसी जमाने में गढ़ हुआ करता था, यह बहुत समय पहले की बात है वहां पर कुछ कपालीक साधना किया करते थे उनमें से एक कापालिक था, उसका नाम था वितुल, यह वितुल ही बाद में बेताल बना था। तो यह वितुल जो था एक भयंकर कापालिक था l  जिसे संगीत इत्यादि से बिल्कुल भी प्रेम नहीं था इसलिए उसे बिना ताल का कहते थे इसीलिए उसका नाम बेताल पड़ गया। उसे यह सब चीजें बिल्कुल भी पसंद नहीं थी; मां काली का वह बहुत बड़ा भक्त था, लेकिन ये  गलत क्रियाएं करता था उसके पास जो भी व्यक्ति काम कराने आता था उसका काम कर देता था ;काम करने के बाद में वह मांस और खून की बलि लेता था और उसी से अपना जीवन यापन करता था लोगों का बुरा करने में उसे तनिक भी देर नहीं लगता था। लेकिन माता काली की वह बहुत तेजी से भक्ति कर रहा था और भगवान महाकालेश्वर शिव जी की साधना करता था इसलिए उसकी शक्तियां बढ़ती चली जा रही थी। शिप्रा नदी के तट पर रहकर के वो वहां पर  पहले जंगल हुआ करता था ,उस जमाने में उसमें वह तपस्या करा करता था । जो भी व्यक्ति उसके पास आता था वह पैसे और भोजन सामग्री इत्यादि लिया करता था, तपस्या करते समय शरीर उसका नग्न हुआ करता था जैसे नागा साधु होते हैं ।बिल्कुल सफेद अपने शरीर को कर लेता था , भस्म को अपने शरीर पर लगाकर मंत्रों का जाप किया करता था । मंत्र जाप करते करते एक बार की बात है,  एक राजा भटकते हुए जंगल में वहां पर पहुंच गया उसके पास आया और उससे पूछने लगा कि आप मेरी कुछ मदद कर सकते हैं क्योंकि मैं रास्ता भटक गया हूं ; मैं नहीं जानता मुझे किस दिशा में जाना है , किस प्रकार से किधर जाऊं तो बेताल ने कहा ठीक है मैं तुम्हें  मार्ग बता देता हूं , जिससे तुम चले जाओगे और  सीधे पहुंच जाओगे अपने राज्य की तरफ क्योंकि राजा भटक गया था इसलिए काफी दिन हो गए थे तो राज्य में उस वक्त उज्जैनी में एक प्रकार से संकट का दौर आ गया,  राज्य के लोगों ने सोचा राजा की मौत हो गई  ,इस वजह से मंत्रियों वगैरा ने नगर पर अपना राज्य स्थापित कर लिया था। वहां पर उनका जो  मुख्य अमात्य था उसने अपने आप को राजा घोषित कर लिया , क्योंकि उसने बताया राजा जंगल में भटक गया है और मैं यहां का अब राजा हूं और मै यहां का राज्य पाठ  संभाल रहा हूं ; इस वजह से क्योंकि काफी दिन हो चुके थे तो राजा ने कहा ठीक है बाबा, मैं चला जाऊंगा आपके बताए हुए तरीके से लेकिन पहले मुझे भोजन कराइए मुझे भूख बहुत जोरो से  लगी है।  तो बेताल ने कहा ठीक है ,लेकिन सुन तुझे  कुछ देना होगा इस पर राजा ने कहा ठीक है आपकी जो इच्छा  होगी मैं आपको वह प्रदान करूंगा । उसने कहा मुझे वह चीज चाहिए जो लोग दे सकते हैं मुझे तेरा रक्त चाहिए रक्त अर्पण कर इस हवन कुंड में अपने एक हाथ की एक उंगली चढ़ा मैं तुझे तेरे राज्य में वापस पहुंचा दूंगा और साथ ही साथ मैं जो देख पा रहा हूं कि तेरी सत्ता छिन चुकी है, तेरे मंत्रियों ने तुझे वहां से हटा दिया है यानी कि तुझे सब मरा हुआ समझ रहे हैं जिस वजह से तेरी सारी सत्ताएं जा चुकी है ; तेरा जो मुख्य अमात्य था वह राजा बन कर बैठ गया है, उसने जबरदस्ती तेरी पत्नी का हरण कर लिया है तेरे जितने भी सगे संबंधी रिश्तेदार थे उन सब को कारागार में डाल दिया है । तेरा राज्य तेरे हाथों से निकल चुका है यह बात सुनकर के राजा को घोर आश्चर्य हुआ केवल कुछ दिनों के लिए ही मैं जंगल में शिकार करने आया था और मेरे ही अमात्य जो मुख्य अमात्य है  उसने मेरे राज्य पर कब्जा कर लिया है, यह तो बुरी स्थिति है मेरे लिए; इस पर राजा ने कहा ठीक है आप जो कहेंगे वह मैं करूंगा । उसने कुछ मंत्र बताएं और उस मंत्र के बाद कहा बाएं हाथ की उंगली काट दे और उसको चढ़ा दे यज्ञ कुंड में एक बहुत ही खुले सी जगह थी वहां पर लकड़ियों को जलाकर के कुंड का निर्माण किया हुआ था बेताल इसी प्रकार साधना किया करता था। उस राजा ने अपनी उंगली  कुंड में चढ़ा दी और उसके खून से टप टप महा पिशाचिनी प्रकट हुई उसने राजा का रक्त ग्रहण कर लिया और उसने कहा क्या आज्ञा है बेतूल बता मुझे किस प्रकार से मैं तेरी सहायता करूं बेतूल ने कहा सुनो यह राजा अपने राज्य के रास्ते से भटक गया है, इसको आप अपने राज्य में पहुंचा दो  और साथ ही साथ इसकी सहायता भी कर दीजिएगा । इसके बाद राजा ने उसकी तरफ देखा ;  पिशाचिनी  ने एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर रखा था और वह आगे आगे चलती चली गई  राजा उसके पीछे पीछे घोर घने जंगल से चलता हुआ जा रहा था।  चलते चलते थोड़ी दूर पहुंचने के बाद राजा को नगर का मार्ग दिखाई देने लगा , तो उसने कहा देवी आपकी आवश्यकता इतनी ही थी अब आप जा सकती हैं और मैं अपने राज्य में वापस चला जाऊंगा मुझे मार्ग दिख  चुका है।  लेकिन महा पिशाचिनी ने कहा मेरा कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है । सुनो मैं तुम्हें तुम्हारे राज्य तक पहुंचाऊंगी और निश्चित रूप से तुमको तुम्हारा राज्य वापस दिलाऊंगी क्योंकि तुमने अपना रक्त मुझे सौंप दिया है बेतूल की सिद्धि के वजह से अब तुम हर वह कार्य कर सकोगे मैं तुम्हारा पूरी तरह से साथ दूंगी राजा प्रसन्न हो गया अब उसके साथ चलने लगा कुछ दूर चलने बाद राज्य में प्रवेश करने से पहले ही बेतूल एक बार फिर से त्राटक के द्वारा उनके सामने आया त्राटक दर्पण का अर्थ होता है ब्रह्मांड में कहीं पर भी एक शीशा सा बन जाता है, इसमें एक ऐसी शक्ति होती है जो दिखाई पड़ती है जो बैतूल था जो बाद में  बेताल बना बेतुल उसी त्राटक के माध्यम से कहा ऐसा कर  राजा तेरी सामर्थ नहीं होगी , राज्य को वापस पने की  क्योंकि तू अकेला है तुझ पर विश्वास कोई नहीं करेगा ऐसा कर इस पिशाचिनी के साथ शादी कर ले और एक दूसरे को तुम वरमाला पहना दो बाकी सब  इसपे छोड़ दो यह  तुम्हें  सब कुछ दे पाएगी।  राजा ने कहा  ठीक है, अगर मुझे वास्तव में अपना सब कुछ पाना है मुझे ऐसा तो कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा तभी उस पिशाचिनी के हाथ में माला प्रकट हो गई ,उसने एक माला राजा को दे दी राजा ने एक माला पिशाचिनी को पहना दी और स्वयं एक माला स्वयं पहनली एक प्रकार का गंधर्व विवाह संपन्न हुआ।  नगर में प्रवेश करते ही इस बात का शोर मचने लगा कि राजा जीवित हो चुका है राजा जीवित है। यह खबर  अमात्य  और मंत्रियों तक पहुंची , अमात्य तुरंत ही सैनिकों को कहा जाओ और चुपके से डाकू के भेष में उन पर हमला कर दो, जो भी वह दोनों है राजा के साथ जो स्त्री है दोनों को मार दो पिशाचिनी को यह बात पता चल चुकी थी । पिशाचिनी राजा के साथ ही थी जब रात्रि के समय भोजन  के लिए  क्योंकि नगर में प्रवेश करने पर राजा के जो प्रमुख व्यक्ति था , उनके पास जाकर बैठा तो उसने भोजन के लिए आमंत्रित किया सब राजा को जानते थे इस वजह से जैसे भोजन के लिए आमंत्रित किया गया भोजन दिया गया तभी चुपके से डाकू ने हमला कर दिया ,तो जो वहां का गृह स्वामी था उसकी हत्या कर दी  और फिर  राजा को मारने के लिए दौड़ा । पिशाचिनी अत्यधिक क्रोधित अवस्था में उनकी तरफ दौड़ी और भयानक रूप धारण करते हुए उसने सभी सैनिकों की गर्दन तोड़ दी उखाड़ कर फेंक दी। वह  सबका रक्त पीने लगी और भयंकर ठहकार करने लगी , तब राजा को महसूस हुआ उसने महाशक्तिशाली किसी पिशाचिनी से शादी कर ली है; जो उसे नहीं करनी चाहिए थी जो ऐसा इन लोगों के साथ कर सकती है कभी ना कभी तो मेरे साथ भी कर सकती है इसलिए राज्य प्राप्त होने के बाद उस बेतूल से मिलने जाऊंगा।  अब राजा ने उस पिशाचिनी से कहा अब तुम शांत हो जाओ पिशाचिनी अत्यंत ही प्रचंड अट्ठहास करते  हुए सामान्य स्त्री के रूप में पिशाचिनी ने ताबड़तोड़ हमले किए जो भी रास्ते में उन्हें रोकने आया उसका वध करते चलने लगी ; ऐसी जबरदस्त तलवारबाजी को देख करके अमात्य  भी आश्चर्यचकित हो गए और कहने लगा यह कैसी सुंदर स्त्री है जो इतनी अच्छी तलवारबाजी कर रही है मेरे सैनिकों को मारती चली जा रही है । तो  अमात्य  ने दूर से ही बाणो की वर्षा करने को कहा उसने एक विशालकाय ढाल पिशाचिनी ने प्रकट कर दी उसकी और राजा की रक्षा के लिए इस प्रकार करते करते अमात्य के पास पहुंच गई और राजा की आज्ञा पाते ही उसने उसकी गर्दन पर दांत गड़ा दिए और रक्त पीने लगी और रक्त तब तक पीती रही जब तक  उसका शरीर सूख कर कांटा नहीं हो गया। इस प्रकार अमात्य  का  वध खून पीते पीते पिशाचीनी ने   कर दिया इस बात से राजा बहुत ही प्रसन्न था । अब मैं  बेतूल को यहां आमंत्रित करूंगा यह सोच कर के राजा ने अपना एक दूत बेताल के पास भेजा और बेताल से कहा मेरी नगरी में आ जाओ तब तक राजा यहां अपने कार्यों में व्यस्त हो गया बेताल को इस बात से क्रोध आया बेताल ने कहा कि कैसा मूर्ख है ,जिसकी सहायता मैंने स्वयं कि क्या वह आभार व्यक्त करने स्वयं नहीं आ सकता था, इस बात से बेताल क्रोधित हो चुका था।

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