नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। भक्त साधक की प्रेम और विवाह कथा यह भाग 11 है। अभी तक आपने जाना कि कैसे साधक अपने पूर्व जन्म की यात्रा में एक ऐसे जगह अपने जन्म को देखता है जहां पर। उसे गुलाम बनाकर। लड़ने के लिए छोड़ दिया गया है और अगर वह सफल नहीं हुआ तो मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा।
अब उसके सामने कोई और विकल्प नहीं था तब तक एक सैनिक ने उसकी पीठ पर वार कर उसे घायल कर दिया था।
अब अगर युद्ध नहीं करता तो निश्चित रूप से पराजित हो जाता और मारा जाता।
परिवार की कुलदेवी जो युद्ध की भी देवी थी। मां काली को याद कर। अब उसने संघार करना शुरू कर दिया। क्योंकि? वह तलवारबाजी में बहुत ही अच्छा था तो उसने कुछ ही क्षणों में राजा के सभी सैनिकों का वध कर दिया। उसके युद्ध कौशल को देखकर।
वहां चारों ओर उपस्थित जनता। एकदम चुप हो गई।
क्योंकि वह तो वहां पर केवल उसका वध देखने के लिए आई थी। इतना अच्छा युद्ध लड़ता देख अब जनता ने यौधेय-यौधेय। चिल्लाना शुरू कर दिया। यह बात राजा को हजम नहीं हो रही थी। उसके सैनिकों को किसी ने मार दिया है। और जनता भी उसी की ही तारीफ में शोर मचा रही है।
राजा को बहुत ही अधिक क्रोध आ रहा था। किंतु राजा के बगल में बैठी। उसकी रानी आकर्षित भरी नजरों से उस यौधेय को देख रही थी।
राजा ने कहा, ठीक है! लेकिन अगर इसे जीवित रहना है। तो इसे एक और परीक्षा देनी होगी।
जनता क्योंकि यह मांग करने लगी थी कि हम इसे और सैनिकों को और अधिक मृत्युदंड देते रहना देखना चाहते?
मतलब यह था कि जनता चाहती थी कि जिस प्रकार युद्ध कौशल करके इसने राजा के सैनिकों का वध किया है। यह औरों का भी करे।
जनता के सामने राजा कि नहीं चल पा रही थी।
राजा ने मृत्युदंड देने की। बात को अपने मन में ही दबा लिया। लेकिन उसने सोचा अभी मेरे पास एक मौका है।
इस पर राजा ने जनता के बीच खड़े होकर जोर से कहा। सुनो अगर किसी?
पकड़े गए गुलाम की जिंदगी बचाई जाती है। उसे दूसरी परीक्षा देनी अनिवार्य है। और वह परीक्षा होती है। शेर से युद्ध।
अगर यह शेर से लड़ा? और जीत गया। तो फिर इसे मैं मृत्युदंड नहीं दूंगा।
यह सुनकर जनता और भी अधिक खुश हो गई। राजा ने सोचा अगर इसकी?
मृत्यु करवानी है तो यह चाल अनिवार्य है।
लेकिन? राजा ने फिर से खड़े होकर कहा। शेर से युद्ध करते वक्त। इसे लकड़ी की तलवार दी जाए।
अब यह सुनकर सारी जनता स्तब्ध रह गई।
क्योंकि लकड़ी से भला शेर को कैसे मारा जा सकता था?
पर राजा ने जो आदेश दे दिया, वह तो पालन होना ही था।
यौधेय के सामने अब बड़ी मुसीबत आ चुकी थी।
यौधेय! को एक लकड़ी की तलवार दी गई। ढाल के साथ अब ढाल से पंजे बचाने थे। और लकड़ी की तलवार से ही उसे शेर को मारना था।
अब मरता क्या न करता?
आखिर! पिंजरा खोल दिया गया। एक बलवान शेर वहां से बाहर निकला। गुस्से से गरजते हुए तेजी से यौधेय के पास आने लगा।
और आकर उसने अपना पंजा चलाया। अपनी ढाल पर सहा।
लेकिन उसे यह महसूस हो गया कि अगर ऐसे ही दो या तीन वार और हुए तो यह ढाल भी टूट जाएगी। क्योंकि? शेर वास्तव में बहुत अधिक ताकतवर था।
शेर एक बार फिर से उछलकर हमला किया और अपना पंजा चलाया।
यौधेय दूर जाकर गिरा। उसकी ढाल टूट गई थी।
अब! यौधेय को लगने लगा कि उसके अंतिम समय आ चुका है।
माता काली को याद करके एक बार फिर से युद्ध मे खड़ा हुआ। उधर से शेर दौड़ता हुआ उसकी ओर आ रहा था। अब!
कोई विकल्प नहीं था लकड़ी की तलवार से।
एक सटीक वार ही करना था। यही उसने अपने हृदय में सोचा। लेकिन उसके पंजों से और उसके मुंह से भी बचना था। उसे शेर से भी ज्यादा तेजी दिखानी होगी।
मां काली का नाम जपते हुए वह भी शेर की और लपका। शेर ने उसकी गर्दन पकड़ने की कोशिश की और यही शेर गलती कर गया।
यौधेय ने अपनी लकड़ी की तलवार। शेर के खुले हुए मुंह के अंदर तक घुसेड़ दी
इसी के साथ उसके गले की। कई सारी नसें कट गई। और शेर धड़ाम से एक तरफ गिर गया।
शेर के गिरते ही। वहां चारों और बैठी जनता। खुशी के मारे उछल गई। सभी यौधेय-यौधेय चिल्लाने लगे।
इस बात से राजा एक बार फिर क्रोध में आ गया। लेकिन जनता के आगे उसकी भी कहां चलने वाली थी। आखिर राजा ने खड़े होकर कहा। ठीक है आज से। मैं इसका मृत्युदंड समाप्त करता हूं।
अगर कोई इसे लेना चाहे तो खरीद सकता है।
राजा के! सबसे बड़े सेनापति। ने तुरंत आकर राजा से कहा, मैं इसे युद्ध कला का और भी प्रशिक्षण देना चाहता हूं।
गुलामों की सेना में इसे शामिल करना उत्तम रहेगा।
जहां हम केवल? भोजन और युद्ध करना ही सिखाते हैं।
गुलाम योद्धाओं के शिविर में। इसे मेरे पास भेज दीजिए। राजा ने हां कह दिया। राजा के साथ बैठी हुई उसकी रानी का हृदय। यौधेय पर आकर्षित हो चुका था। वह बस यौधेय को घूरे जा रही थी।
और राजा से कहने लगी। इतना अच्छा योद्धा है, आप इसे मारने और परेशान करने के विषय में क्यों सोचते हैं? इसे तो आपकी सेना में सेनानायक होना चाहिए।
राजा यह सुनकर क्रोधित होता है।
लेकिन रानी का तो हृदय यौधेय पर आ गया था।
राजा के उस सेनापति ने गुलाम यौधेय को खरीद लिया। और?
गुलाम योद्धाओं के मृत्युदंड शिविर में। उसे भेज दिया गया।
यौधेय अब अपनी परिस्थिति और भाग्य का गुलाम था।
उसके पास कोई विकल्प नहीं था। बातों को मानने के सिवा।
इसके बाद! शिविर में। केवल सुबह और रात का भोजन देने के अतिरिक्त। पूरे दिन लड़ते रहना होता था।
यह युद्ध खेल परंपरा थी तथा जनता चारों ओर से आकर देखा करती थी। और खुश होती थी क्योंकि युद्ध से भी भयानक इस तरह के मारकाट के। युद्ध हुआ करते थे।
धीरे धीरे।
जब?
राजा के इस मृत्युदंड शिविर और इसकी प्रसिद्धि आसपास के राज्यों में फैलने लगी तो कई राजा लोग आकर अपने-अपने लड़ाके। एक मैदान में अपने अपने सैनिकों के रूप में भेजने लगे। और इसमें?
सभी लोग अपने अपने हिसाब से धन लगाते थे जीतने पर।
हारने वाले का पूरा धन। दूसरे राजा को मिल जाता था और धीरे-धीरे देखते हुए वह स्थान। मृत्युदंड स्थल।
लोगों के मनोरंजन का एक स्थान बन गया।
अब वहां!
युद्ध होते। और जो! कभी युद्ध में पराजय हो जाती। उसका सैनिक या वह योद्धा तो मारा ही जाता इसके साथ ही।
उस राजा की धन सामग्री जीतने वाले को दे दी जाती थी।
यौधेय जिस भी युद्ध में लड़ता उसकी जीत ही होती।
उसकी जीत से राजा भी अब उससे खुश होने लगा।
राजा का धन भी लगातार बढ़ रहा था। लेकिन यौधेय खुश नहीं था। क्योंकि उसकी प्रेमिका और होने वाली पत्नी उससे दूर थी।
यौधेय जब अपने शिविर में जाता तो वहां कई गुलाम योद्धा उसके साथ थे। जो उसके ही। शिविर के और राजा के गुलाम सैनिक थे। उन्हीं में से एक व्यक्ति के साथ। यौधेय की मित्रता हो गई। उसका नाम राजस था ।
राजद और यौधेय की मित्रता धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी। दोनों ने अपने अपने हृदय की बातें बताई।यौधेय ने बताया कि किस प्रकार उसका गांव और उसकी होने वाली पत्नी छीन ली गई।
राजस ने फिर अपने बारे में बताया और कहा कि किस प्रकार? कर्जदारी से बचने के लिए। उसने भागना स्वीकार किया, लेकिन वह पकड़ लिया गया और गुलाम बना लिया गया।
इस प्रकार दोनों की मित्रता समय के साथ बढ़ती जा रही थी।
1 दिन राजस ने।यौधेय को बताया कि मुझे पता चला है। कि तुम्हारी पत्नी? रानी की सेवा में है।
और रानी ने? मंदिर की साफ सफाई का काम उसे दिया हुआ है। और उस मंदिर की सबसे बड़ी पुजारिन
शक्तिशाली तांत्रिक पुजारिन है।
अगर वह तांत्रिक पुजारिन। तुम्हारे बस में आ जाए। तो तुम अवश्य ही! अपनी पत्नी तक पहुंच सकते हो?
इस पर?
यौधेय ने कहा।
अगर ऐसा हो सकता है तो तुम बताओ मुझे क्या करना चाहिए, यह कैसे संभव होगा?
इस पर राजस ने कहा। मैंने पता किया है अगर! तुम वशीकरण प्रयोग करो तो शायद वह तुम्हारे बस में आ जाए।
और उस के माध्यम से तुम अपनी पत्नी तक जो नहीं बन पाई उस तक पहुंच जाओ।
लेकिन इसका एक ही विकल्प है।
मैं? तुम्हें वह बताता हूं। तुम्हें ओघड़ बाबा से मंत्र प्राप्त करना होगा जो वशीकरण विद्या में बहुत अधिक निपुण है।
इस पर?
यौधेय ने कहा, बाबा से हम लोग कहां मिल पाएंगे क्योंकि हमें तो शिविर से बाहर केवल एक बार युद्ध लड़ने ले जाया जाता है और फिर वापस फिर इसी शिविर में ला दिया जाता है।
तब राजस ने कहा प्रत्येक रविवार!
सेनापति से। भिक्षा मांगने औघड़ बाबा आते हैं। मैंने उन्हें देखा है। अगर किसी प्रकार का औघड़ बाबा से आप मंत्र प्राप्त कर पाए तो निश्चित रूप से। तुम वशीकरण विद्या का प्रयोग कर। उस औरत को अपने अनुकूल बना पाओगे।
इस पर?
यौधेय ने कहा, ठीक है!
लेकिन बाबा एक बार में कैसे मानेंगे?
कुछ तो करना होगा।
और दोनों ने एक! योजना बनाई।
रविवार के दिन बाबा सेनापति के पास आए और उन से भिक्षा मांगी सेनापति उन्हें भिक्षा दे ही रहा था।
तभी अचानक से उनके ऊपर एक तलवार गिरती सी आई।
उसको बचाने के लिए सामने। यौधेय खड़ा हो गया। लेकिन यौधेय के शरीर को हल्का सा!
चीरती हुई वह तलवार गिर गई?
सेनापति। ने जब देखा कि गुलाम यौधेय ने उसके प्राणों की रक्षा की है तो वह खुश होकर कहने लगा। तुमने मेरी जान बचाई है। कोई इच्छा हो तो मांग सकते हो? तभी यौधेय ने कहा। मुझे! इन बाबा जी से। कुछ बातें जाननी है, मैं इनकी कुछ दिन सेवा करना चाहता हूं।
क्या मुझे आप इस बात की इजाजत देंगे? एक बार! सेनापति ने कहा, ठीक है, लेकिन तुम भागने की कोशिश ना करना वरना तुम्हें मृत्युदंड दे दिया जाएगा। सिर्फ कुछ दिन के लिए बाबा से जाकर मिल सकते हो।
इस पर यौधेय प्रसन्न होकर कहने लगा। मैं तो सदैव आपकी सेवा में ही हूं। सिर्फ इन से मिलकर कुछ बातें जानना और सीखना चाहता हूं।
सेनापति ने आखिरकार आज्ञा दे दी।
और यौधेय चला गया बाबा की उस गुफा में जहां ओघड़ बाबा रहते थे। आगे क्या हुआ हम लोग जानेंगे अगले भाग में तो अगर आपको यह जानकारी और कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।
भक्त साधक की प्रेम और विवाह कथा सच्ची घटना भाग 12
https://youtu.be/lQTkvzBgwsg