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भक्त साधक की प्रेम और विवाह कथा सच्ची घटना भाग 12

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल में आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिछली बार आप लोगों ने जाना था कैसे औघड़ बाबा की सेवा में? यौधेय जाना चाहता है। इसलिए अब उसके पास एक यही रास्ता था जिससे वह अपनी प्रेमिका को प्राप्त कर सकता था। इसलिए उसने बाबा की सेवा में उनके पास!

जाना और वशीकरण विद्या सीखना शुरू करने के लिए।

उनके पास वह पहुंच गया।

इस प्रकार औघड़ बाबा ने उनकी परीक्षा ली जिसमें वह सफल रहा, लेकिन बाबा यह जानते थे कि अगर! इस तरह की तांत्रिक साधना में सफल होना है तो कड़ी परीक्षाएं देनी पड़ती है। बाबा ने कहा, सबसे पहले मैं तुम्हारी शमशान परीक्षा लूंगा। जाओ! पास में ही एक श्मशान है। वहां एक गड्ढा खुदा हुआ होगा। उस गड्ढे में बैठकर तुम्हें पूरी रात गुजारनी है।

याद रखना गड्ढे से बाहर मत निकलना। वरना जान से जाओगे।

इस प्रकार पूरी रात गुजार कर आना है?

यौधेय यह बात समझी और सोचा चलो! किसी तरह बाबा तैयार तो हुए इसमें कौन सी बड़ी बात है। मैं उस गड्ढे में बैठा रहूंगा।

और वह रात के समय उस गड्ढे में जाकर बैठ गए पर जैसे ही उसने देखा, रात गहराई चारों तरफ प्रेत आत्माओं के रोने के स्वर उसे सुनाई पड़ने लगे। नजर उठा कर देखता तो वहां कई हजारों की संख्या में भयंकर प्रेत आत्माएं मंडरा रही थी। उनको देखकर। यौधेय बहुत ही अधिक डर रहा था।

यौधेय अब इन चीजों से घबराने लगा था। लेकिन? उसके पास कोई विकल्प नहीं था।

तो वह आंखें बंद कर। अपने कुलदेवी कोई याद करता रहा।

इधर कई भूतिया शक्तियां। उसे खींचने की कोशिश कर रही थी। पर वह बिना आंखें खोलें। अपनी कुलदेवी मां काली को याद करता रहा और इस प्रकार बड़ी मुश्किल से उसने उस गड्ढे में अपनी रात गुजारी। सुबह जब औघड़ बाबा के पास वह पहुंचा तो अगर बाबा ने

प्रसन्न होकर कहा ठीक है मैं तुझे वशीकरण विद्या के साथ। तंत्र की सिद्धि प्रदान करने वाली विधि बताऊंगा।

लेकिन इसके लिए तुझे शव साधना करनी होगी। यह सबसे शक्तिशाली तीव्र और अद्भुत प्रभाव दिखाने वाली साधना है।

इस पर यौधेय ने बाबा से पूछा बाबा बताएं, यह साधना कैसे की जाती है?

औघड़ बाबा ने कहा, सामने जो नदी बह रही है उस नदी में।

कल शाम तक किसी न किसी। कन्या की लाश तुम्हें मिल जाएगी। उस लाश को लाकर।

विभिन्न प्रकार के द्रव्यों का लेपन कर। उस पर बैठकर तुम्हें साधना करनी होगी।

इससे? केवल 3 रातों मे सिद्धि मिल जायेगी

चलो तैयार हो जाओ, तुम्हें यह करना है। मैं तुम्हें रक्षा कवच प्रदान करता हूं। इसे तुम अपने गले में धारण करो।

इससे तुम्हारा अहित नहीं होगा जब तक कि तुम अपना अहित स्वयं ना कर लो।

लाश को अपने वश में रखना है ना कि उसके वश में हो जाना है। इसलिए मैं तुम्हें पहले ही सावधान कर देता हूं। मंत्र जाप करते हुए जब वह चिल्लाने लगे तब उसके मुंह में। अंगूरी मदिरा डाल देना। इससे वह शांत हो जाया करेगी

विधि सीखने के बाद अब रात्रि में नदी के किनारे एक बहती हुई स्त्री की लाश आई। उसे! वस्त्र विहीन कर अब उस पर बैठकर यौधेय को साधना करनी पड़ी।

अचानक से ही उसका शरीर कांपने लगा। मंत्र जाप की पहली ही रात में। उसके शरीर से होते कंपन से यौधेय भयभीत हो रहा था।

लेकिन उसके पास कोई विकल्प नहीं था। इस सिद्धि को प्राप्त किए बिना। अपनी प्रेमिका को प्राप्त नहीं कर सकता था।

इसलिए उसे करना पड़ा।

अगली रात में अचानक से ही।

उस शव ने शरीर से मल त्याग करना शुरू कर दिया। यह देख कर! अब यौधेय बहुत ही अधिक! परेशान हो गया। क्योंकि गंदगी से इस तरह का सामना उसका पहली बार हो रहा था।

वह पूरा मल इतना अधिक वह शरीर निकालने लगा कि धीरे-धीरे करके वह।

उसकी गर्दन तक आ चुका था लेकिन? मल में बैठकर।  साधना करता रहा।

अगले दिन? वह सब कुछ साफ कर वह आखरी रात की साधना के लिए तैयार हुआ। वह जानता था आज की स्थिति बहुत ही कठिन होने वाली है।

यौधेय ने उस स्त्री की छाती पर बैठकर जाप करना शुरू किया। थोड़ी ही देर में वहां पर कई सारी प्रेत आत्माएं आ गई। और उन्होंने कहा कि साधना छोड़ दे वरना तुझे जान से मार देंगे। पर यौधेय गुरु के कथन अनुसार उस साधना को छोड़ने का तो सोच भी नहीं सकता था।

इस प्रकार व साधना करता रहा अचानक से ही। वह शव रूपी स्त्री चिल्ला कर बोली। कब से मंत्र जाप कर रहा है?

मेरा तो गला ही सूख गया है मुझे मदिरा दे।

और सामने रखी हुई मदिरा को उस स्त्री के मुंह में। यौधेय ने डाल दिया।

इस प्रकार वह मदिरा पीकर वह कुछ देर चुप रही। फिर चिल्ला कर बोली मुझे और अंगूरी मदिरा चाहिए।

और फिर यौधेय ने?

अंगूरी मदिरा उसके मुंह में फिर से डाल दी।

और वह मांगती ही गई आखिरकार वह मदिरा समाप्त हो गई।

यह बड़ी ही बड़ी भयंकर समस्या थी। क्योंकि वह अब भी अंगूरी मदिरा मांग रही थी। इस पर यौधेय ने कहा, मेरे पास नहीं बची। तो वह कहने लगी, ठीक है तब तक जब तक तेरा जाप चलता है, मैं तेरा रक्त पीती रहती हूं।

और तब तक पियूंगी जब तक तुम मुझे इस प्रकार मंत्र जाप कर परेशान रखेगा?

यौधेय के पास में कोई विकल्प नहीं था। आखिरकार उस। स्त्री लाश ने।

युद्ध के जांग पर काट लिया और वहीं से उसका रक्त पीने लगी।

यौधेय चिल्ला चिल्ला कर। मंत्र जाप करता रहा। इस प्रकार सुबह होने तक उसके शरीर में जरा सा भी रक्त नहीं बचा था। और वह बेहोश होकर एक तरफ गिर गया।

थोड़ी देर बाद उसने जब आंखें खोली तो एक अति सुंदर स्त्री।

उसके सामने खड़ी थी। वह मुस्कुरा कर कहने लगी। तूने मेरी बड़ी ही कठिन साधना की है। ठीक है बता मुझे तूने क्यों सिद्ध किया है?

यौधेय अब प्रसन्न था।

उसने कहा, देवी आप? मेरे लिए एक वशीकरण कीजिए। इस वशीकरण की सहायता से मैं अपनी होने वाली पत्नी को प्राप्त करना चाहता हूं जो मुझसे युद्ध से पहले बिछड़ गई थी।

इस पर उस स्त्री ने कहा ठीक है! मैं तुम्हारे साथ साक्षात रहूंगी।

मैं तुझसे सिद्ध हो चुकी हूं।

मेरा नाम नीलिमा भैरवी है।

अब तेरे कार्य को करने के लिए तू मुझे यह बता! कि मुझे क्या करना है?

यौधेय ने कहा आपको मंदिर जाकर? महा पुजारिन को वशीकरण करना है।

और उस वशीकरण से। मैं अपनी प्रेमिका को प्राप्त कर पाऊंगा।

इस पर नीलिमा ने कहा।

ठीक है किंतु मुझे। उस स्त्री के बारे में बताओ जिसका वशीकरण करना है।

इस पर यौधेय ने कहा, आप जब भी मंदिर जाएंगे वहां? जो सबसे अधिक रूपवान। और जिसकी सभी आज्ञा पालन कर रहे होंगे। उस स्त्री को वशीकरण कर देना।

नीलिमा भैरवी। ने कहा, ठीक है। मैं तुम्हारा कार्य अवश्य ही कर दूंगी।

मैं अब जाती हूं।

इस प्रकार नीलिमा वहां से चल दी। मंदिर की ओर एक सुंदर स्त्री का रूप धरकर। मंदिर में  पुजारिन अपनी पूजा से उठकर नीचे आ रही थी तभी तक वहां राज्य की महारानी पहुंच गई।

राज्य की महारानी को देखकर सभी अपने अपने घुटनों पर आ गए। और सब ने उनका अभिवादन करना शुरू कर दिया।

तब तक वहां नीलिमा भैरवी भी पहुंच गई थी।

और उन्होंने देखा कि एक स्त्री जो सबसे अधिक सुंदर है।

उसके सामने सारी स्त्रियां झुकी हुई है।

यौधेय के कथन अनुसार जिस स्त्री का वर्चस्व यहां सबसे अधिक होगा उसी का वशीकरण करना है। नीलिमा।

उस महारानी को गले लगा कर कहती है। कि तुम्हें?

यौधेय ने बुलाया है चलो!

और उस वशीकरण शक्ति से रानी वशी कृत होकर यौधेय की तरफ चल देती है।

जो वशीकरण उस महा पुजारिन का होना चाहिए था। उसका वशीकरण नहीं हुआ बल्कि महारानी जो पहले से ही यौधेय के आकर्षण मे थी। अब वह पूरी तरह से वशीकरण होकर यौधेय की तरफ जाने लगी।

यौधेय अभी! औघड़ बाबा की सेवा में था।

तभी वहां महारानी आती हैं। महारानी आकर यौधेय के गले लग जाती हैं। और कहती हैं मुझे तुमसे प्रेम हो गया है। मैं अपने राजा को छोड़ दूंगी। सिर्फ तुम्हारे लिए।

बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकती हूं?

यौधेय को यह बात समझ में नहीं आई। लेकिन उसने कहा, अगर आप मुझसे प्रसन्न है तो मेरी एक इच्छा पूरी कर दीजिए। मुझे!

एक स्त्री से मंदिर में मिलना है। और यौधेय अपनी प्रेमिका के विषय में महारानी को बताया। महारानी ने कहा, अवश्य ही मैं तुमसे अभी उस से मिलवा देती हूं। महारानी यौधेय को लेकर के उस मंदिर के। प्रांगण में पहुंच गई जहां पर यौधेय की प्रेमिका मंदिर की साफ सफाई कर रही थी।

उसकी नजर यौधेय पर पड़ते ही वह। अश्रु बहाती हुई। तेजी से। यौधेय की तरफ दौड़ी और यौधेय के गले लग गई।

यह देखकर महारानी को बड़ा क्रोध आया।

आगे क्या हुआ हम लोग जानेंगे अगले भाग में? तो अगर आपको यह कहानी और जानकारी पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। चैनल को आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

भक्त साधक की प्रेम और विवाह कथा सच्ची घटना भाग 13

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