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भक्त साधक की प्रेम और विवाह कथा सच्ची घटना भाग 13

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नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। पिछले भाग में हमने जाना औघड़ बाबा की सेवा और उसके बाद। नीलिमा भैरवी की सिद्धि कर लेने पर साधक अब अपने प्रेमिका से मिलने के लिए महारानी से गुहार लगाता है और महारानी उन दोनों के मिलने की व्यवस्था भी कर देती हैं। उन्होंने ऐसा नहीं सोचा होता है कि यह दोनों प्रेमी प्रेमिका है क्योंकि महारानी तो। पहले ही उस पर आकर्षित थी।

इसी कारण से उन्होंने ज्यादा कुछ विचार नहीं किया, किंतु दोनों का प्रेम देखकर वह जल गई और उनके मन में खतरनाक भावनाएं आने लगी।

उसके बाद महारानी ने राज्य में होने वाले अप्सरा पूजन के लिए।योधेय की प्रेमिका को भेज दिया और उससे कहा संपूर्ण व्यवस्था अप्सरा पूजन की तुम्हें ही करनी होगी।

वह बेचारी जो कि कुछ भी नहीं जानती थी  पूजन के लिए। उस मंदिर में चली गई जहां पर महा अप्सरा पूजन राज्य के द्वारा करवाया जाता था। महारानी अब और देर नहीं करना चाहती थी क्योंकि अब योद्धा किसी और का हो सकता था। इसलिए महारानी ने अब योधेय से सीधा गुप्त विवाह का प्रस्ताव रखा। और कहा मैं तुमसे गुप्त रूप से विवाह करना चाहती हूं? और यह बात मैं राजा को नहीं बता सकती। क्योंकि मुझे सिर्फ तुमसे ही प्रेम है। योधेय ने कहा देवी! मैं आपसे विवाह बिल्कुल नहीं कर सकता। मैं उस स्त्री से ही विवाह करूंगा जिससे कि मैं मिलने के लिए गया था। वही मेरी प्रेमिका है। आप यहां से तुरंत प्रस्थान करें और दोबारा यहां कभी मत आइएगा।

यह सुनकर महारानी ने अपनी बेज्जती समझी। उसने सोचा अब स्थिति बहुत बुरी होगी। क्योंकि?

योधेय उसके वशीकरण में नहीं आया था।

अब महारानी ने महा पुजारिन की सहायता लेने की  सोची वह महा पुजारिन के पास गई और उससे कहा मेरा हृदय एक! योधेय नाम के शक्तिशाली व्यक्ति पर आ गया है। मुझे उसका वशीकरण करवाना है। महा पुजारिन जो की रानी की परम मित्र भी थी। उसने कहा ठीक है। मैं अपनी तंत्र शक्तियों से एक स्त्री का निर्माण करती हूं और इस यह स्त्री के माध्यम से हम योधेय का वशीकरण कर लेंगे।

इस प्रकार से योधेय एक जगह बैठा था तभी वहां पर। उसकी! प्रेमिका आ गई और उसने कहा, चलो मुझसे विवाह करो। योधेय ने कहा, क्या तुम्हें रानी ने आज्ञा दी है? इस पर उससे प्रेमिका ने कहा, हां, चलो हमें विवाह कर लेना चाहिए। विवाह की तैयारी होने लग गई। और मंडप सजा दिया गया चारों और नगर के कई सारे व्यक्ति आकर उपस्थित हो गए। सभी लोग इस विवाह से बहुत अधिक खुश थे। यह देखकर योधेय को।

बड़ा ही अजीब लग रहा था। कल तक राजा रानी इत्यादि सभी उसके खिलाफ थे पर यहां पर सब कुछ अच्छा कैसे हो रहा है? विवाह में चारों तरफ का माहौल इतना अधिक सुख प्रद था जैसे स्वयं राजा का ही विवाह हो रहा हो।

यह देखकर योधेय भी बहुत अधिक प्रसन्न हो गया।योधेय के सामने उसकी प्रेमिका विवाह मंडप पर आ गई और तैयारी होने लगी। विवाह के सात फेरों की।

जैसे ही विवाह मंडप पर।

योधेय उस स्त्री के साथ सात फेरे लेने के लिए तैयार हुआ तभी अचानक से वहां पर नीलिमा भैरवी प्रकट हो गई।

और उसने क्रोध में भरकर उस स्त्री पर अपने शस्त्र से वार किया और उसका अंत कर दिया।

यह देखकर योधेय क्रोध से भर गया। उसने गुस्से से कहा, नीलिमा मैंने तुम्हारी सिद्धि अपने कार्यों के लिए की थी। ना कि मेरा! प्रेम विनाश करवाने के लिए।

यह सुनकर नीलिमा ने तुरंत कहा। आपकी आंखों पर वशीकरण का पर्दा पड़ा हुआ है। आपको वह चीजें नहीं दिखाई दे रही जो मैं देख सकती हूं। और फिर नीलिमा ने वास्तविक दृश्य योधेय को दिखाया।

योधेय यह देखकर आश्चर्य में पड़ गया कि वह जंगल में अकेला है। वहां पर विवाह मंडप में राज्य की महारानी और साथ में महा पुजारिन खड़ी थी।

रानी और महा पुजारिन वहां से भागने लगती है।

नीलिमा उसे बताती है कि तुम्हारी प्रेमिका के आकर्षण वाली स्त्री बनाकर इस महा पुजारी ने तुमसे विवाह कराने के लिए यहां पर भेजी थी। असल में जब तुम्हारा विवाह इस।

स्त्री से होता उसी समय स्त्री को हटाकर महारानी स्वयं तुमसे सात फेरे ले लेती । लेकिन मैंने आकर उस दुष्ट शक्ति का नाश कर दिया और तुम्हें वास्तविकता दिखाई। योधेय नीलिमा भैरवी का।

उस कार्य के लिए।

बहुत अधिक!

खुश होकर।

उसे सांत्वना देता है और कहता है मैंने जो कुछ तुम्हारे लिए गलत शब्दों का प्रयोग किया है उसके लिए मुझे माफ कीजिए। इधर रानी विवाह मंडप से जाकर अत्यधिक क्रोधित हो जाती है और कहती है अगर योधेय मेरा नहीं हुआ तो अब उस स्त्री का तो अवश्य ही नहीं होगा। चाहे इसके लिए मुझे कुछ भी क्यों ना करना पड़े? रानी तुरंत ही राजा से मिलने के लिए जाती है। वहां पर पहुंचकर राजा से कहती है, मेरा वशीकरण कर दिया गया था। आपके राज्य के योधेय नाम के एक व्यक्ति ने मुझ पर वशीकरण प्रयोग किया था। और इसी कारण में उससे विवाह करने ही वाली थी। तब तक मुझे महा पुजारी ने बचा लिया। आप तुरंत योधेय का अंत करवा दें।

राजा जब यह बातें सुनता और समझता है, गुस्से से अपने सैनिकों को योधेय का वध करने के लिए भेज देता है।

इधर योधेय अपनी प्रेमिका से मिलने के लिए जाता है दोनों में। काफी देर प्रेम पूर्वक बातें होती हैं। थोड़ी देर बाद योधेय जब वापस लौट रहा था तभी उस पर राजा के सैनिक हमला कर देते हैं। योधेय उनसे मुकाबला नहीं कर पाता और नीलिमा भैरवी को पुकारता है। नीलिमा तुरंत ही अपनी शक्तियों के साथ उन सभी सैनिकों का अंत कर देती है। राजा के सभी सैनिक मारे जाते हैं।

यह बात जब रानी और राजा को पता चलती है तो वह और भी अधिक क्रोध में भर जाते हैं। रानी राजा से कहती है अब! मुझे पूरी छूट दीजिए मैं योधेय को ऐसा दर्द देना चाहती हूं। जिसके बारे में उसने कभी सोचा ही नहीं होगा।

राजा पूछता है तुम ऐसा क्या करोगी? तब वह कहती है मैं महा पुजारी के माध्यम से तंत्र शक्ति द्वारा योधेय के वध का प्रयास करूंगी। साथ ही उसे उसकी प्रेमिका से अलग कर दूंगी। ऐसा दर्द योधेय को मिलेगा जिस कि उसने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। रानी राजा की आज्ञा लेकर महापूजारिन के पास पहुंचती है। महा पुजारिन तंत्र शक्ति द्वारा एक शक्तिशाली कृत्या उत्पन्न करती है।

उस कृपया की शक्ति बहुत ही अधिक थी। कृत्या योधेय के वध के लिए प्रकट हो जाती है और अब सिर्फ उसे आज्ञा देने की बात शेष रहती है। इससे पहले महारानी और महा पुजारिन योधेय की प्रेमिका जो की अप्सरा पूजन में लगी हुई थी और मंत्रों का जाप आंख बंद करके कर रही थी। वहां पहुंच जाते हैं। और? महारानी महा पुजारी से कहती है। अप्सराओं को कभी बलि नहीं दी गई। पहली बार होगा जब उन्हें साक्षात किसी की बलि दी जाए। यह कहते हुए महारानी महा पुजारिन की ओर इशारा करती है महापूजारिन

एक बड़ी सी तलवार लेकर के योधेय की प्रेमिका के पास पहुंचती है। उसी स्थान पर जहां पर अप्सरा पूजन कर रही योधेय की प्रेमिका मंत्रों के जाप द्वारा अप्सराओं की पूजा कर रही थी। उसी समय महापूजारिन उसकी गर्दन पर तेजी से तलवार चला देती है । योधेय की प्रेमिका का सिर कट कर दूर जा गिरता है। इस प्रकार महारानी और महा पुजारिन योधेय की प्रेमिका का वध कर देते हैं।

इधर जब यह बात नीलिमा योगिनी स्वरूपा शक्तिशाली भैरवी। प्रकट होकर योधेय को बताती है कि तुम्हारी पत्नी का वध कर दिया गया है।

यह सुनकर योद्धे क्रोध से भर जाता है। आगे क्या हुआ हम लोग जानेगे अगले भाग में? अगर आपको यह जानकारी और कथा पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

भक्त साधक की प्रेम और विवाह कथा सच्ची घटना 14 अंतिम भाग

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