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भगवान शेषनाग साधना और सच्चा अनुभव

नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम लोग जानेंगे एक विशेष प्रकार के अनुभव के बारे में साथी साथ उस साधना के विषय में भी आप लोगों को आज मैं ज्ञान दूंगा ताकि आप लोगों को यह चांद हो सके कि किस प्रकार से इस साधना को किया जाता है। चलिए शुरू करते हैं सबसे पहले लेते हैं अनुभव को और उसके बाद इस साधना के विषय में उन्होंने पूछा है तो उसका ज्ञान भी आपको मैं दूंगा आप मेरी इसी वेबसाइट पर जाकर के इस साधना का पढ़ सकते हैं और जान सकते हैं कि किस प्रकार से यह साधना की जाती है। बाकी यहां पर हल्का संक्षेप में विवरण अवश्य मैं आपको दूंगा। पढ़ते सबसे पहले अनुभव को। भेजने वाले हैं अमोल पाटिल जी इन्होंने शेषनाग मंत्र साधना अनुभव को भेजा है।

नमस्ते गुरुजी मेरा नाम अमोल पाटिल है और मैं आपके चैनल से जुड़ा हुआ हूं। आपको धन्यवाद देता हूं कि आप हमें सदैव ज्ञान की बातें सुनाते रहते हैं। मैं आपके साथ मेरा शेषनाग मंत्र का अनुभव साझा करना चाहता हूं और आपसे उस बारे में कुछ प्रश्न भी पूछना चाहता हूं। यह बात जुलाई 2020 की है। 1 दिन में यूट्यूब पर वीडियो देख रहा था कि तभी मुझे नाग मंत्र का एक वीडियो दिखाई दिया। वह भगवान शेषनाग का मंत्र अनुष्ठान के विषय में था। उस वक्त मेरे मन में यह बात आई कि मेरे कुंडली में भी कालसर्प दोष है तो क्यों ना मैं यह वीडियो देखकर कुछ अच्छा सीख लूं और उसका मंत्र अनुभव करो। तो फिर मैंने वह वीडियो मन लगाकर देखा और सब कुछ अच्छी तरह से समझ लिया नाग पंचमी के दिन से। उस मंत्र का अनुष्ठान शुरू किया मंत्र दिया गया था। ओम ह्री शं शं श्री शेष नागराजाये ह्री नमः।

इस मंत्र को 15 मिनट रात में उत्तर दिशा की ओर बैठकर जब करने की विधि बताई गई थी। 27 दिन तक यह कार्य करना था और 28 वें दिन फल या भोजन दान करने को बोला गया था। मैंने पूरी श्रद्धा से भगवान शेषनाग और माता मनसा देवी के बारे में पढ़कर उस मंत्र का अनुष्ठान शुरुआत की। किसी मंत्र का एकाग्रता से जाप करने का यह मेरा पहला अनुभव था। मैंने भगवान शेषनाग को मेरी मनोकामनाएं बताकर नंबर भाव से मंत्र जाप शुरू कर दिया। शुरुआत में 2 से 3 दिन मुझे इस मंत्र जाप के समय शरीर में गर्मी होने का एहसास होता था। फिर कुछ दिनों बाद मुझे नॉर्मल लगने लगा और इस प्रकार मेरा मंत्र जाप चलता रहा। कर! 15 दिन बाद मुझे एक चमत्कारी और थोड़ा सा भयभीत करने वाला अनुभव हुआ जो मैं आपको बता रहा हूं।

उस दिन में रोज की तरह रात करीब 9:00 बजे मेरे कमरे में मंत्र जाप कर रहा था। मैं रोज अपने कमरे का दरवाजा बंद रखकर एक कागजों से जाप करता था। उस दिन जाग किए 5 मिनट ही हुए थे कि मेरी पत्नी ने जोर से चिल्लाकर कुछ कहा, मेरी पत्नी के जोर से चिल्लाने की आवाज से उस क्षण मेरा मन विचलित हो गया।

मुझे मंत्र जाप छोड़कर बाहर जाने का मन हुआ। मैं समझ नहीं आया कि अचानक से यह सब क्यों हुआ है लेकिन मैंने अपना धैर्य बनाए रखा। ईश्वर पर भरोसा रख कर मंत्र जाप चालू रखा। जा पूरा कर मैं बाहर आया और अपनी पत्नी को किचन में पोछा सफाई करते हुए देखा। पूछने पर पत्नी ने बताया कि वह किचन में काम कर रही थी कि अचानक से रेफ्रिजरेटर पर रखी हुई मेरी एक शराब की बोतल नीचे गिरी और जोर की आवाज से वह फूट गई। वह नई सील की हुई शराब की बोतल थी जो हमें गिफ्ट में मिली थी। मैं फिलहाल अमेरिका में रहता हूं और यहां ड्रिंक की बोतल गिफ्ट करना नॉर्मल सी बात है।

अचानक से ऐसा होने से मेरी पत्नी डर गई थी। बोतल की कांच के टुकड़े पूरे किचन में बिखरे पड़े थे। हमने सारी साफ-सफाई की और भगवान से प्रार्थना की कि अगर हमसे कोई भूल हो गई हो तो क्षमा करें और हमारा मार्गदर्शन करें। मैंने 27 दिन तक मंत्र जाप पूरा किया और भोजन दान देकर अनुष्ठान पूरा किया। तब से मैं अपने आप में और घर में काफी पॉजिटिविटी महसूस कर रहा हूं।

आपसे प्रार्थना है कि कृपया भगवान शेषनाग उनकी साधना के विषय में बताएं और शराब की बोतल मंत्र जाप के समय फूट जाने का कारण बताएं। धन्यवाद गुरु जी।

संदेश – यहां पर इनके साथ में जो अनुभव घटित हुआ है उसमें शराब की बोतल चढ़ावे के रूप में स्वयं देवता को अर्पित हो गया। ऐसा इस कारण से हुआ कि इनके घर में कोई सर्प शक्ति आई होगी और उसने ही बोतल गिरा दी। इसके दो प्रभाव में पहला प्रभाव आपका ध्यान विचलित कर साधना भंग करने की कोशिश कि, आप साधना छोड़ कर उस स्थान की ओर जाये, दूसरा शराब की बलि देना और तीसरा उस शक्ति का आपके घर में पदार्पण होना। ज्यादातर हम सोचते हैं कि स्वयं वही देवता जिसकी हम साधना कर रहे हैं, वह आता है किंतु ऐसा नहीं होता अधिकतर उसके ही आंशिक रूप वाली शक्तियां वहां आती है। जैसे मां दुर्गा की भक्ति करने वाले के घर में योगनीयों का आना। भगवान शिव की और शेषनाग या सब देवी देवताओं की साधना करने वाले के यहां पर दिव्य सर्पों का आना तो यहां पर कोई न कोई दिव्य सर्प आया होगा और इसी वजह से आपको ऐसा अनुभव आपके जीवन में घटित हुआ।

इस प्रकार से हम जानते हैं कि जीवन में जब भी कोई मंत्र जाप यह साधना की जाती है तो उसके विभिन्न फायदे होते हैं। अब! बात करते हैं भगवान शेषनाग की साधना के विषय में अधिकतर यह कहा जाता है कि भगवान शेषनाग की साधना से अखंड धन की प्राप्ति होती है। धन के मार्ग में आ रही बाधाएं हट जाती हैं। हम लोग जानते हैं भगवान विष्णु जिनके ऊपर बैठकर के योग निद्रा लेते हैं, वही शेषनाग कहलाते हैं। यह भगवान विष्णु के आदेश दिए सुरक्षा कवच भी माने जाते हैं। इसीलिए जीवन में आपकी रक्षा सुरक्षा के साथ आपके दुर्भाग्य का नाश करने की क्षमता शेषनाग होती है। इसके अलावा यह धन-संपत्ति देने वाले होते हैं क्योंकि माता लक्ष्मी इनके ऊपर बैठती हैं। अगर आप? पैसे की वजह से समस्या में है तो शेष नाग साधना करके आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। इनकी साधना से कर्ज की मुक्ति व्यापार की वृद्धि और सभी कष्टों का निवारण हो जाता है।

साधना विधि

१. इसमें साधना सामाग्री जो लेनी है लाल चन्दन की लकड़ी के टुकड़े, नीला और सफ़ेद धागा जो तकरीबन 8 – 8 उंगल का हो | कलश के लिए नारियल, सफ़ेद व लाल वस्त्र, पूजन में फल, पुष्प, धूप, दीप, पाँच मेवा आदि

२. सबसे पहले पुजा स्थान में एक बाजोट पर सफ़ेद रंग का वस्त्र बिछा दें और उस पर एक पात्र में चन्दन के टुकड़े बिछा कर उस पर एक सात मुख वाला नाग का रूप आटा गूँथ कर बना लें और उसे स्थापित करें | साथ ही भगवान शिव अथवा विष्णु जी का चित्र भी स्थापित करें | उसके साथ ही एक छोटा सा शिवलिंग एक अन्य पात्र में स्थापित कर दें |

३. पहले गुरु पूजन कर साधना के लिए आज्ञा लें और फिर गणेश जी का पंचौपचार पूजन करें |

उसके बाद भगवान विष्णु जी का और शंकर जी का पूजन करें |

४. पूजन में धूप, दीप, फल, पुष्प, नैवेद्य आदि रखें |

प्रसाद पाँच मेवो का भोग लगाएं |

५. यह साधना रविवार शाम 7 से 10 बजे के बीच करें |

६. माला रुद्राक्ष की उत्तम है, और 9 ,11 या 21 माला मंत्र जाप करना है |

७. दीप साधना काल में जलता रहना चाहिए |

८. भगवान शेष नाग का पूजन करें | आपको पूर्व दिशा की ओर शेषनाग की स्थापना करनी है और उसके ईशान कोण में मनसा देवी की | अपना मुख भी पूर्व की ओर रखना है |

अब भगवान शेषनाग का आवाहन करें | हाथ में अक्षत पुष्प लेकर निम्न मंत्र पढ़ते हुए शेषनाग पर चढ़ाएं |

आवाहन मन्त्र

ॐ विप्रवर्गं श्र्वेत वर्णं सहस्र फ़ण संयुतम् |

आवाहयाम्यहं देवं शेषं वै विश्व रूपिणं ||

ॐ शेषाये नमः शेषं अवह्यामि | ईशान्यां अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः | प्रतिष्ठः || प्रतिष्ठः ||

अब हाथ में अक्षत लें और प्राण प्रतिष्ठता करें |

प्राण प्रतिष्ठा मन्त्र

ॐ मनोजुतिर्जुषता माज्यस्य बृस्पतिर्यज्ञ मिमन्तनो त्वरिष्टं यज्ञ ठरंसमिनदधातु |

विश्वेदेवसेऽइहं मदन्ता मों 3 प्रतिष्ठ ||

अस्मै प्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्मै प्राणाः क्षरन्तु च,

अस्ये देवत्वमर्चाये मामहेति च कश्चन ||

मनसा देवी पूजन

अब ईशान कोण में एक अष्ट दल कमल अक्षत से बनाएं

और उस पर एक ताँबे या

मिटटी के कलश पर कुंकुम से दो नाग बनाकर अमृत रक्षणी माँ मनसा की स्थापना करें |

कलश पर पाँच प्लव रख कर नारियल पर लाल वस्त्र लपेट कर रख दें |

हाथ में अक्षत, कुंकुम, पुष्प लेकर मनसा देवी की स्थापना के लिए

निम्न मंत्र पढ़ते हुए अक्षत कलश पर छोड़ दें |

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः | प्रतिष्ठः || प्रतिष्ठः ||

अब मनसा देवी का पूजन पंचौपचार से करें |

एक जल आचमनी चढ़ाएं

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः ईशनानं स्मर्पयामी ||

चन्दन से गन्ध अर्पित करे

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः गन्धं समर्पयामि ||

पुष्प अर्पित करें

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः पुष्पं समर्पयामि ||

धूप

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः धूपं अर्घ्यामि ||

दीप

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः दीपं दर्शयामि ||

नवैद्य—मेवो या दूध् से बना नैवेद्य अर्पित करें |

ॐ अमृत रक्षणी साहितायै मनसा दैव्ये नमः नवैद्यं समर्पयामि ||

अब पुनः आचमनी जल अर्पित करें |

ॐ अमृत रक्षणी साहितये मनसा दैव्ये नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि ||

अब नाग पूजा बताई हुई विधि से करें |

अगर किसी कारण पूर्ण पुजा न कर पायें तो पंचौपचार पूजन कर लें |

वैसे साधना का पूर्ण लाभ लेने के लिए पूजन विधि अनुसार ही करें |

अब नीला और सफ़ेद धागा शेष नाग को अर्पित करें|

यह धागा पूंछ की तरफ ही अर्पित करना है या चढ़ा देना है |

रुद्राक्ष की माला से निम्न मंत्र का जप करें |

साधना मंत्र

|| ओम ह्री शं शं श्री शेष नागराजाये ह्री नमः ||

|| Om hring Sham Sham Shree Shesh Naagraajaaye hring Namah ||

जप समाप्ती पर माला को गले में पहन लें और यह माला पहन कर ही सोयें |

जब साधना पूर्ण हो जाए तो शिवलिंग का पंचौपचार पूजन करें और पंचामृत से अभिषेक करें,

अभिषेक करते हुये आप

“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें या शिव कवच से भी अभिषेक किया जा सकता है|

नहीं तो लघु रुद्राअभिषेक स्तोत्र पढ़ते हुए भी किया जा सकता है |

इसके बाद अगर आप चाहो तो सर्प सूक्त का पाठ कर लें |

सोते हुये माला गले में रहे |

इसके बाद आप सर्प सूक्त का पाठ करें। दूसरे दिन आप नाक की आकृति को किसी नदी में जाकर जल प्रवाह कर दें। समस्त पूजन सामग्री जो साथ में पूजन किया है, वह फूल आदि सब कुछ आपको प्रवाहित कर देना है। कलश का जल घर पर छिड़क दीजिए या किसी शुद्ध पौधे पर डाल देना चाहिए। इस प्रकार यह साधना पूर्ण हो जाती है। इससे धन प्राप्ति के मार्ग खोलते हैं और कर्ज भी दूर होते हैं । अगर आपको यह अनुभव और साधना पसंद आई है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद।

https://youtu.be/MdzvJC-kGzQ
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