भलुनी देवी यक्षिणी का रहस्य 4 अंतिम भाग
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। भलुनी देवी यक्षिणी रहस्य। इस कथा में अभी तक आपने जाना कि किस प्रकार कालूनाथ नाम का व्यापारी अपना धन खो देता है जिसमें उनकी मदद सिद्ध राम नाम के एक साधु करते हैं। और उन्हें साधना करने को कहते हैं किंतु सिद्ध राम की हत्या भालूओ द्वारा साधना के 21 दिन कर दी जाती है। ऐसी परिस्थिति को देखते हुए। कालूनाथ के मन में यह विचार आता है कि अब उसे यह साधना छोड़ देनी चाहिए। और जैसे ही वह इस साधना को त्यागने का मन बनाता है तभी उसे सिद्ध राम की कही हुयी एक बात याद आती है। उन्होंने गुरु बनकर स्पष्ट निर्देश दिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए। तुम्हें साधना पूर्ण करनी ही होगी। चाहे मुझे कुछ हो जाए या तुम्हारे जीवन पर बहुत बड़ा संकट भी आ जाए तो भी तुम्हें यह कार्य करना ही है। यह सब समझ कर उसने साधना। छोड़ने का निर्णय आखरी समय बदल दिया क्योंकि वह यह बात तो स्पष्ट समझ रहा था कि उसकी रक्षा हो रही है। वरना गुरु के साथ उसकी भी हत्या भालू कर देते। किंतु ऐसा तो कुछ हुआ ही नहीं था। इसीलिए अब कालूनाथ ने शक्तिशाली तरीके से ध्यान करते हुए। तीव्र स्वरों में देवी को पुकारना शुरू कर दिया। इस प्रकार चमत्कार घटित हो गया। यह साधना का 40 वा दिन था। तब अचानक से ही तेज हवा बहने लगी।
उसे दूर से ढोल नगाड़े और अदृश्य आवाजें आने लगी। तभी किसी के भारी कदमों की आहट उसे सुनाई दी। सामने से एक विशालकाय स्त्री भयंकर काली स्वरूप में और। इंसान के मुख वाली लेकिन भालू के शरीर वाली! अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए पैरों को पटक कर चलने वाली उसके सामने आती हुई नजर आई। आते ही उसने। इसे पकड़ लिया और हवा में उठा दिया। उससे कहा, अपनी साधना बंद कर वरना तुझे उठा कर इतना दूर फेंक दूगी कि तेरी हड्डी पसली तक नहीं मिलेगी। तब? इस प्रकार के। ऐसे रहस्यमई वातावरण में भी कालूनाथ डरा नहीं। उसने कहा देवी मेरे गुरु की हत्या हो चुकी है किंतु उनके अंतिम शब्दों के रूप में मुझसे कहा था कि चाहे कुछ भी हो जाए। तुम्हें साधना नहीं छोड़नी है मैं उनके अंतिम शब्दों को। परमपिता परमेश्वर की आज्ञा मानकर किसी भी हालत में आपकी साधना नहीं छोड़ने वाला यह सुनकर उस देवी को बहुत क्रोध आया और उसने कहा, मैं तुमसे अंतिम बार कहती हूं। अब मैं तुम्हें उठाकर फेंकने वाली हूं। अपनी साधना छोड़ कर यहां से तुरंत भाग जा। किंतु कालूनाथ व्यापारी स्पष्ट रूप से तैयार हो चुका था कि उसे मंत्र जाप नहीं रोकना है और उसने मंत्र जाप जारी रखा। उस देवी ने उसे उठाकर दूर फेंक दिया। जहां पर वह गिरा वहां पर लोहे का कुछ सामान पड़ा था। उसके दोनों हाथ उखड़ गए। दर्द से कराहते और चिल्लाते हुए भी उसने मंत्र जाप जारी रखा। तभी वहां पर बहुत सारे भालू आ गए। भालूओ ने उसे चारों तरफ से घेर लिया और उसके शरीर को खाना शुरु कर दिया। दर्द से कराहते और चिल्लाते हुए भी उसने मंत्र जाप जारी रखा। और? कांपते और चिल्लाते हुए वह मंत्र जाप करता चला गया जैसे ही उसके मंत्र का आखिरी शब्द उसने कहा, उस पर बेहोशी छाने लगी। तभी किसी का कोमल स्पर्श उसके सिर पर आ गया। और उसे गोदी में उठाकर कोई उसी स्थान पर बिठा दिया जहां पर वह साधना शुरू किया था। उसने आंखें खोली तो सामने अति भव्य रूप दिखाई दिया। वह जगत माता मां दुर्गा थी। उन्होंने प्रसन्न होकर कहा, मैं तेरी पूजा और साधना से प्रसन्न हो गई हूं। मैं तुझे पूर्ण स्वास्थ् करती हूं। मेरी यह सेविका यक्षिणी! ने तुम्हारी बहुत ही बुरी परीक्षा ली है, लेकिन अब यह भी जान चुकी है कि तुम साधना से डिगने वाले नहीं हो। और तब भलुनी देवी भी वहां पर साक्षात प्रकट हो गई और कहने लगी। तुमने तो मुझे भी परास्त कर दिया। मैं तुमसे प्रसन्न हूं और तुम्हें साक्षात अपने स्वरूप की सिद्धि माता रूप में प्रदान करती हूं। मैंने तुम्हें बहुत कष्ट दिया है इसलिए सारे जीवन के तुम्हारे कष्टों को हर लेती हू। अब से तुम सिद्धि वान कहलाओगे। और यह स्थल सिद्ध शक्तिपीठ स्थल में बदल जाएगा जहां पर यक्षिणी स्वरूप में मां दुर्गा विराजमान रहेंगी। और नवरात्रों में यहां भारी तादाद में श्रद्धालु आकर मां के दर्शन और पूजन किया करेंगे। इस प्रकार मैं तुम्हें दिव्य सिद्धियां प्रदान कर। माता के लोक में स्थान प्रदान करती हूं। जब तक तुम जीवित रहोगे। गुप्त तरीके से साधना करते रहोगे। तुम्हें कोई देख नहीं पायेगा। तुम्हारे पास सारी सिद्धियां होंगी। इस प्रकार माता ने उस गोपनीय भक्त को संसार की सारी सिद्धियां प्रदान की और उसने भी माता की आजीवन गोपनीय रहकर तपस्या और पूजन किया। मृत्यु के बाद उसे माता का लोक प्राप्त हुआ यह स्थान। सासाराम(बिहार) के उत्तर करीब 50 किलोमीटर दूर और बक्सर जिले से दक्षिण में करीब 50 किलोमीटर दूर दिनारा प्रखंड में भलुनी धाम के रूप में एक सिद्ध शक्तिपीठ के रूप में आज स्थित है। जहां पर यक्षिणी स्वरूप में मां दुर्गा विराजमान है और यहां नवरात्र के दिनों में देवी मां की पूजा करने के लिए भक्तों का तांता लग जाता है। इस स्थान की चर्चा श्रीमद् देवी भागवत और मार्कंडेय पुराण में भी मिलती है। यह वही स्थान है जहां पर इंद्र ने 100000 वर्ष तक तपस्या की थी और माता ने उसे यहां दर्शन दिए थे। इस स्थान पर कोई और साधना ना करें इसलिए! देवी के भालू इस स्थान पर बड़ी संख्या में रहने लग गए और यह क्षेत्र भलुनी धाम के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इंद्र देवता स्वयं सिद्ध राम साधु के रूप में साधक की मदद करने के लिए ही आए थे जो वास्तविक स्वरूप में साधना के बाद प्रकट होकर उस कालूनाथ नाम के व्यापारी को दर्शन दिए थे। यह स्थान पर माता की प्रतिमा स्थापित नहीं थी। यह स्थान पुराने समय में भी बहुत अधिक प्रसिद्ध रहा। जब फ्रांसीसी यात्री बुकानन ने अपनी पुस्तक ए टूर रिपोर्ट ऑफ नॉर्दन इंडिया में इस धाम का जिक्र किया था। चैती मेला यह बहुत ही प्रसिद्ध स्थान के रूप में यहां पर श्रद्धालुओं के आने का केंद्र है। इस पोखर में हवन करने के लिए कालूनाथ व्यापारी को कहा गया था। वहां पर परशुराम जी ने यज्ञ किया था। यह स्थान आज पोखर के रूप में प्रसिद्ध है। यहां बड़ी संख्या में बंदर और भालू नजर आते हैं और यह स्थान आज भी देवी मां के यक्षिणी स्वरूप को समर्पित है। इसलिए यहां पर आकर व्यक्ति मां के यक्षिणी स्वरूप को प्रसन्न कर विभिन्न सिद्धियां प्राप्त कर सकता है। तो यह एक गोपनीय सिद्ध पीठ स्थल है जहां पर माता के यक्षिणी स्वरूप के साथ इस गोपनीय सिद्धिवान कथा का भी। पदार्पण हुआ था तो आपने आज जाना कि किस प्रकार कालूनाथ व्यापारी ने अपनी साधना के द्वारा भालूनी देवी यक्षिणी और मां दुर्गा के यक्षिणी स्वरूप का यहां दर्शन किया था। यह स्थान भगवान परशुराम के यज्ञ स्थली और इंद्र की पूजा तपस्थली के रूप में प्रसिद्ध भी है। आपको यहां पहुंचने के लिए सासाराम के करीब 50 किलोमीटर दूर और बक्सर जिले के दक्षिण करीब 50 किलोमीटर दूर दिनारा प्रखंड में आना पड़ेगा। जहां पर भलुनी धाम स्थित है। अवश्य ही इस सिद्ध शक्ति पीठ में आकर माता के यक्षिणी स्वरूप के दर्शन करें। आप सभी का कल्याण हो। और माता की कृपा बनी रहे जय माता भलुनी देवी आप सभी का दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। |
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