भलुनी देवी यक्षिणी का रहस्य भाग 1
नमस्कार दोस्तों धर्म रहस्य चैनल पर आपका एक बार फिर से स्वागत है। आज हम आप लोगों की मांग पर फिर से मठ और मंदिरों के रहस्यों से भरी हुई एक और कथा लेकर उपस्थित हुए हैं और आज की कथा एक ऐसी यक्षिणी के विषय में है जिसका विवरण बहुत ही कम लोगों को प्राप्त है। इसे हम भालूनी यक्षिणी के नाम से जानते हैं और किस स्थान पर यह प्रसिद्ध जगह मौजूद है और इस स्थान से जुड़ी हुई कथा के विषय में। क्या-क्या किवदंतियां उपलब्ध हैं आज के इस वीडियो के माध्यम से हम लोग जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं आज के इस वीडियो को ॥ आज से करीब 1000 वर्ष पूर्व कालूनाथ का एक नामचीन व्यापारी एक प्रसिद्ध जंगल से होकर गुजर रहा था। यह वह दौर था जब किसी भी व्यापार को करने के लिए अपने व्यापार के काफिले के साथ गुजारना पड़ता था और एक बार व्यापार के लिए निकले व्यक्ति को वापस आकर अपने घर में रहने को कभी-कभी वर्षों में मिलता था। इसीलिए परिवार वाले उनका इंतजार पूरे वर्ष भर करते थे जब उनके परिवार के सदस्य 1 वर्ष बाद वापस आएंगे क्योंकि मार्ग तंग थे। जंगलों से होकर गुजरना पड़ता था और यही वह विशेष वजह थी। जब अपने साथ अपने सामान की भी रक्षा करनी पड़ती थी। कालूनाथ व्यापारी। अत्यधिक धन कमा कर वापस अपने व्यापारी बंधुओं के साथ लौट रहा था, लेकिन एक घनघोर जंगल से गुजरते वक्त डाकुओं को इसकी खबर हो गई और उन्होंने सोचा यह व्यापारी बेड़ा लूट लेना चाहिए क्योंकि इनके पास अस्त्र-शस्त्र भी नहीं है। गांव नजदीक होने के कारण व्यापारी अपने साथ अस्त्र-शस्त्र सेना भी छोड़ चुके थे और कुछ ही व्यापारी वापस आ रहे थे। बाकी बड़े काफिले के प्रमुख व्यापारी अपने अपने घरों को पहुंच चुके थे। इसीलिए यह एक उचित अवसर सिद्ध हुआ उन डाकुओं के लिए। डाकू के पूरे गिरोह ने बीच जंगल में व्यापारी दल पर हमला कर दिया। व्यापारी अपनी जान बचा कर इधर-उधर भागने लगे। डाकू भी जितना भी धन उन्हें मिलता वह छीन लेते और व्यापारी को जान से मार देते। यह देख अपनी बैलगाड़ी में बैठे कालूनाथ को भय लगा और उसने अपनी प्रमुख सोने कि अशरफियों से भरी हुई पोटली उठाई और दौड़ कर जंगल में एक ओर भागा। इधर लगभग सारे व्यापारियों को मौत के घाट उतारने के बाद एक डाकू की नजर कालू नाथ की तरफ पड़ गई जो कि जंगल में अंदर भाग रहा था क्योंकि उसके पास बड़ी सी पोटली थी। इसीलिए उस डाकू ने अपने मित्रों को इशारा दिया और कहा, इसका पीछा करो जरूर इसके पास अत्यधिक मात्रा में सोना चांदी होगा। और फिर सारे डाकू लग लिए उसी के पीछे। कालूनाथ भागते हुए इस बात को समझ गया कि उसके पीछे डाकुओं का पूरा गिरोह दौड़कर आ रहा है। अब उससे बचने के लिए जंगल में बहुत तेज और घनी झाड़ियों के बीच से होकर भागना पड़ेगा क्योंकि अगर उसने ऐसा नहीं किया तो निश्चित रूप से धन तो जाएगा ही उसकी मृत्यु भी हो जाएगी। इसलिए वह पूरी जान लगा कर भाग रहा था। भागते भागते वह एक घनघोर जंगल के हिस्से में पहुंच गया। जहां पर बहुत बड़ी संख्या में भालूओं के चिल्लाने की आवाज आ रही थी। लेकिन मरता क्या न करता उसके पास कोई और विकल्प नहीं था जंगली भालूओ के ओर बढ़ने के अलावा क्योंकि भालू से तो फिर भी बचा जा सकता है, लेकिन मनुष्य अगर हत्या करने पर आए तो उससे बचना नामुमकिन है। इसलिए वह भालुओं की चिंता ना कर के दौड़ कर उन्हीं के बीच चला गया तभी। पीछे से डाकू भी वहां पहुंच गए। इस तरह की चहल-पहल ने सभी भालुओं को क्रोधित कर दिया और उन भालूओ ने सभी डाकूओ हम पर हमला करना शुरू कर दिया। इस हमले से सभी डाकू डर गए और वहां से वापस भाग गए इधर! एक भालू की नजर कालूनाथ पर पड़ी जो कि छिपा हुआ वहीं पर बैठा हुआ था। वह तेजी से उसकी और बढ़ा सामने विशालकाय भालू को देखकर कालूनाथ घबरा गया और उसने अपनी रक्षा के लिए। पोटली को उसकी ओर फेंक दिया पोटली से आती सुगंध! की वजह से वह भालू अब पोटली की ओर ही आकर्षित हो गया और उसने वह पोटली उठाई और जंगल में अंदर भाग गया। अब कालूनाथ की स्थिति बहुत ही बुरी थी। एक तरफ उसका सारा धन भालू लेकर चला गया था और इधर भालुओ के बीच से उसे अपनी जान भी बचानी थी और बाहर निकलता तो शायद डाकू उसे मार डालते। इसलिए उसने यही सोचा कि जंगल में उसी और जाना चाहिए। जिस और वह भालू भागा है। उस भालू का पीछा तेजी से कालूनाथ करने लगा। कालूनाथ अंदर तक गया, लेकिन उसे कहीं भी वह भालू दिखाई नहीं दिया। अब वह भूखा और प्यासा हो चुका था। इसलिए भोजन प्राप्त करना और पानी पीना उसके लिए आवश्यक था। अब उसे सोने की चाह नहीं रही क्योंकि सोना भोजन से अधिक महत्वपूर्ण इस वक्त उसे नजर नहीं आ रहा था। इधर उधर भटकता हुआ आगे बढ़ने लगा। तभी उधर से एक साधु आता हुआ नजर आया। जंगल के इस वीरान और भयंकर हिस्से में साधु को देखकर कालूनाथ के हृदय में बहुत अधिक प्रसन्नता आई उसने सोचा। क्या बात है कम से कम कोई मनुष्य तो दिखा वरना मैं तो ऐसे ही मर जाता। वह सीधा उस साधु की ओर बढ़ गया और तुरंत उसने उस साधु के मार्ग को रोककर उसके पैर छुए। साधु ने कहा, अरे तूने यह क्या किया तूने मुझे क्यों छू लिया। मुझे छूने से मेरी सिद्धि नष्ट ना हो जाए। पता नहीं कब से मैं सिद्धि प्राप्ति का प्रयास कर रहा था और तूने मुझे छूकर मेरी सिद्धि को नष्ट किया है। इस अपराध के लिए मैं तुझे अवश्य ही दंडित करूंगा। तब एक बार फिर से पैर छूकर घबराते हुए कालूनाथ ने कहा, आप तो मेरे प्राण रक्षक हैं। आप ही मेरी जीवन की एकमात्र आशा है और साधुओं का व्यवहार तो कभी भी ना क्रोध करने वाला होता है। इसलिए आप मुझे क्षमा कीजिए। मैंने अनजाने में ही अपराध किया है, लेकिन मैं इस जंगल में फस गया हूं। आप मेरी एक बार व्यथा सुन लीजिए और तब कालूनाथ व्यापारी ने उस साधु को अपने विषय में सारी जानकारी दी। उसकी बात सुनकर वह साधु भी शांत पड़ गया। क्योंकि वह समझता था कि जिसके जीवन पर बनी हो वह बिचारा कर भी क्या सकता है तब उस साधु ने कहा, मेरा नाम सिद्धराम है और मैं यहां पर यक्षिणी साधना के लिए आया हुआ हूं। मैं इस साधना में सफलता प्राप्त करने ही वाला हूं। जिसमे भी तुमने मुझे छू लिया है और यक्षिणी साधना में अगर कोई बाहरी व्यक्ति किसी साधक को छू ले तो उसके अंदर भी उस यक्षिणी की ऊर्जा आने लगती है और इसी कारण साधक की ऊर्जा नष्ट होती है और सिद्धि भी जाने का खतरा बढ़ जाता है। इसीलिए मैं क्रोधित हो गया। तब उस साधु ने कहा, आओ मेरी कुटिया पर चलो। मैं तुम्हें वहीं पर भोजन और पानी उपलब्ध करवाता हूं। और दोनों बढ़ चले उस कुटिया की ओर जहां पर सिद्ध राम साधु रहता था। अब कुटिया पर पहुंचकर किवाड़ को बंद कर सिद्ध राम ने कालूनाथ को बताया। कि यहां पर सबसे शक्तिशाली भालूनी यक्षिणी का निवास है। यह एक बहुत ही शक्तिशाली यक्षिणी है। अगर तुम ने उन्हें प्रसन्न कर लिया तो तुम्हें वापस तुम्हारा सोना मिल जाएगा और सिद्धि की प्राप्ति भी हो जाएगी। लेकिन अगर तुम ऐसा नहीं कर पाए तो जीवन से भी हाथ धो सकते हो क्योंकि मैं स्वयं इसका साक्षी हूं। इनकी साधना तुम अवश्य करो। यही एकमात्र हल है इस भयंकर जंगल से निकलने का और भालूओ सहित खतरनाक डाकू और जानवरों से रक्षा का। क्योंकि? अब अगर मैं साधना कर रहा हूं तो तुम भी करो तभी मेरी सिद्धि बच सकती है। कालूनाथ व्यापारी अब असमंजस में था। उसने कभी कोई साधना पूजा नहीं की थी। अब वह क्या करें? अगर वह यहां से अकेले बाहर निकलता है तो डाकुओं और भालू का खतरा है। यहां पर उसे भोजन पानी और सारी चीजें मिल रही है। रहने के लिए एक कुटी भी है। तो उसे अब क्या करना चाहिए, यही सोच रहा था। आगे क्या घटित हुआ जानेंगे। अगले भाग में तो अगर आपको यह जानकारी और कहानी पसंद आ रही है तो लाइक करें। शेयर करें, सब्सक्राइब करें। आपका दिन मंगलमय हो। धन्यवाद। भलुनी देवी यक्षिणी का रहस्य भाग 2
|
|